युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता पढ़कर युवाओं को निज सपनों को पूरा करने का साहस मिलेगा, युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता पढ़कर ही समाज को सही दिशा मिलेगी। युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविताएं समाज को सशक्त और युवाओं को संगठित करने में एक मुख्य भूमिका निभाएगा। युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविताएं युवाओं का परिचय हिंदी साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी। विद्यार्थी जीवन में हर विद्यार्थी को युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविताएं अवश्य पढ़नी चाहिए, ताकि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं को प्रेरित कर सकें। युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता पढ़ने के लिए ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें।
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युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता पढ़कर युवाओं की इच्छाशक्ति और भी ज्यादा दृढ़ होगी, यह ब्लॉग हर उस युवा के लिए प्रेरणा का काम करेगा जिसने कर्मों को प्राथमिकता देकर अपना किरदार चमकाया है। युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता ही युवाओं के कौशल का कुशल नेतृत्व करेगी, जिन्हें पढ़कर युवाओं की चेतना जागृत होगी। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता अवश्य पढ़नी चाहिए। युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता पढ़ने से पहले आपको युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविताओं तथा उनके कवियों के नाम की सूची पर भी प्रकाश डालना चाहिए, जो कुछ इस प्रकार है;
कविता का नाम | कवि/कवियत्री का नाम |
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती | हरिवंश राय बच्चन |
जो बीत गई | हरिवंश राय बच्चन |
नर हो, न निराश करो मन को | मैथिलीशरण गुप्त |
आओ फिर से दिया जलाएँ | अटल बिहारी वाजपेयी |
कदम मिलाकर चलना होगा | अटल बिहारी वाजपेयी |
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता, साहस के साथ आपका परिचय क़वाएगी। इस श्रृंखला में हरिवंश राय बच्चन की कविता “हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढ़ती है चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है मन का विश्वास रगों में साहस भरता है चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है मिलते ना सहज ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती -हरिवंश राय बच्चन
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि युवाओं को जीवन में कभी भी हार न मानने की सलाह देते हैं। इस कविता में कवि ने मुख्य रूप से यह भाव प्रकट किए है कि जो लोग जीवन में हिम्मत नहीं हारते, वे अंत में सफल जरूर होते हैं। इस कविता में, कवि एक चींटी के उदाहरण से युवाओं को प्रेरक संदेश देते हैं कि हमें भी चींटी की तरह होना चाहिए। जैसे एक चींटी बार-बार गिरकर भी उठकर चलने लगती है, वैसे ही हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करना चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
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जो बीत गई
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता आप में साहस का विस्तार करेगी। इस श्रृंखला में एक कविता “जो बीत गई” है, जो कुछ इस प्रकार है:
जो बीत गई सो बात गई! जीवन में एक सितारा था माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया; अंबर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले; पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है! जो बीत गई सो बात गई! जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम, वह सूख गया तो सूख गया; मधुवन की छाती को देखो, सूखीं कितनी इसकी कलियाँ, मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं; पर बोलो सूखे फूलों पर कब मधुवन शोर मचाता है; जो बीत गई सो बात गई! जीवन में मधु का प्याला था, तुमने तन-मन दे डाला था, वह टूट गया तो टूट गया; मदिरालय का आँगन देखो, कितने प्याले हिल जाते हैं, गिर मिट्टी में मिल जाते हैं, जो गिरते हैं कब उठते हैं; पर बोलो टूटे प्यालों पर कब मदिरालय पछताता है! जो बीत गई सो बात गई! मृदु मिट्टी के हैं बने हुए, मधुघट फूटा ही करते हैं, लघु जीवन लेकर आए हैं, प्याले टूटा ही करते हैं, फिर भी मदिरालय के अंदर मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं, जो मादकता के मारे हैं वे मधु लूटा ही करते हैं; वह कच्चा पीने वाला है जिसकी ममता घट-प्यालों पर, जो सच्चे मधु से जला हुआ कब रोता है, चिल्लाता है! जो बीत गई सो बात गई! -हरिवंश राय बच्चन
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि युवाओं को यह समझाना चाहते हैं कि हमें जीवन में बीती बातों पर पछतावा नहीं करना चाहिए। कवि का मानना है कि बीती बातें बदल नहीं सकतीं, इसलिए हमें उन पर ध्यान देने के बजाय भविष्य पर ध्यान देना चाहिए। कवि हमें सिखाते हैं कि हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए बीती बातों को भूल जाना चाहिए। यह कविता हर उम्र के लोगों के लिए प्रेरणादायक कविता है।
नर हो, न निराश करो मन को
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता, साहित्य का परिचय देते हुए आप में वीरता के भाव को पैदा करेगी। इस सूची में भारत के एक लोकप्रिय कवि मैथिलीशरण गुप्त जी की कविता “तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
“नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करो जग में रहकर कुछ नाम करो यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो कुछ तो उपयुक्त करो तन को नर हो, न निराश करो मन को संभलों कि सुयोग न जाय चला कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला समझो जग को न निरा सपना पथ आप प्रशस्त करो अपना अखिलेश्वर है अवलंबन को नर हो, न निराश करो मन को जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो उठके अमरत्व विधान करो दवरूप रहो भव कानन को नर हो न निराश करो मन को निज़ गौरव का नित ज्ञान रहे हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे मरणोंत्तर गुंजित गान रहे सब जाय अभी पर मान रहे कुछ हो न तज़ो निज साधन को नर हो, न निराश करो मन को प्रभु ने तुमको दान किए सब वांछित वस्तु विधान किए तुम प्राप्त करो उनको न अहो फिर है यह किसका दोष कहो समझो न अलभ्य किसी धन को नर हो, न निराश करो मन को किस गौरव के तुम योग्य नहीं कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं जान हो तुम भी जगदीश्वर के सब है जिसके अपने घर के फिर दुर्लभ क्या उसके जन को नर हो, न निराश करो मन को करके विधि वाद न खेद करो निज़ लक्ष्य निरन्तर भेद करो बनता बस उद्यम ही विधि है मिलती जिससे सुख की निधि है समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करो…” -मैथिलीशरण गुप्त
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि युवाओं को ये सिखाते हैं कि हमें जीवन में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। कविता में कवि कहते हैं कि मनुष्य में असीम शक्ति होती है, और वह हर मुश्किल को पार कर सकता है। इस कविता में कवि हमें सिखाते हैं कि हमें हमेशा आत्मविश्वास रखकर, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
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आओ फिर से दिया जलाएँ
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता, युवाओं में नवीन सकारात्मक ऊर्जाओं का संचार करने का कार्य करेगी। इस श्रृंखला में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक कविता “आओ फिर से दिया जलाएँ” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
भरी दुपहरी में अँधियारा सूरज परछाईं से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएँ आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िल लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल वतर्मान के मोहजाल में आने वाला कल न भुलाएँ आओ फिर से दिया जलाएँ आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ आओ फिर से दिया जलाएँ -अटल बिहारी वाजपेयी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि अटल बिहारी वाजपेयी जी निराशा से जन्मे अंतर्मन के तमस को मिटाने के लिए, आशाओं की भावना के साथ विश्वास का दीपक जलाने का संदेश देती है। यह कविता आपको प्रेरणा से भरने का प्रयास करती है, जीवन में मिली असफलताओं का सामना करने के लिए यह कविता हमें सक्षम बनाती है।
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कदम मिलाकर चलना होगा
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कविता, युवाओं को संघर्ष की स्थिति में प्रेरित करने का काम करती है। इस श्रृंखला में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में, कल कहार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। कुछ काँटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। -अटल बिहारी वाजपेयी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि सामूहिकता और एकता के महत्व पर बल देते हैं। कविता में कवि कहते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। कवि इस कविता के माध्यम से नेतृत्व की सही परिभाषा को समाज के समक्ष रखते हैं। यह कविता हमें सिखाती है कि हमें अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को त्यागकर सामूहिक प्रयास करना चाहिए, साथ ही इस कविता से हम राष्ट्रहित के लिए मिलकर काम करने का लक्ष्य प्राप्त करते हैं।
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