प्रतियोगी परीक्षाओं में करंट अफेयर्स से जुड़े क्वेश्चन पूछे जाते हैं, क्योंकि करंट अफेयर्स का उद्देश्य मनुष्य की समझ को विस्तार करना है। UPSC में प्री और मेंस एग्जाम के अलावा इंटरव्यू का भी महत्वपूर्ण रोल है, इसलिए कैंडिडेट्स को देश-दुनिया के बारे में जानना होगा और बड़ी घटनाओं को समझना होगा। इस ब्लाॅग में हम भारत के पहले कानून मंत्री कौन थे? के बारे में जानेंगे जिससे आपकी तैयारी को मजबूती मिलेगी।
भारत के पहले कानून मंत्री कौन थे? (Bharat ke Pahle Kanoon Mantri Kaun The)
स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में डॉ. बी. आर. आंबेडकर या बाबा साहेब ने कार्य किया। वह एक भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे और उन्हें 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
डाॅ. आंबेडकर के बारे में
डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित ‘महू’ में हुआ था जिसका नाम आज बदलकर डॉ. आंबेडकर नगर कर दिया गया है। डॉ. भीमराव जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। वह दलित वर्ग के महान नेता और एक प्रतिष्ठित न्यायविद् थे। उन्हें भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार और भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता है।
बाबा साहेब ने विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे। आंबेडकर समाज में जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ थे और दलितों को संगठित होने और अपने अधिकारों की मांग करने की वकालत करते थे। उन्हें 1952 में राज्यसभा में नियुक्त किया गया और उनकी मृत्यु तक सदस्य बने रहे। उन्हें 31 मार्च 1990 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
भारत के पहले कानून मंत्री डाॅ. आंबेडकर का योगदान क्या रहा?
Bharat ke Pahle Kanoon Mantri Kaun The जानने के साथ ही भारत के पहले कानून मंत्री डाॅ. आंबेडकर का योगदान जानना चाहिए जोकि इस प्रकार हैः
- डॉ. आंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे और आधुनिक भारत की स्थापना में उनका सबसे बड़ा और स्थायी योगदान संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका थी जिसने भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया था।
- अपने जीवन में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कई किताबें भी लिखीं। उनकी लिखी आखिरी किताब ‘द बुद्ध एंड हिज़ धम्म’ थी।
- 1924 में इंग्लैंड से वापस आने के बाद उन्होंने दलित वर्गों के कल्याण के लिए एक एसोसिएशन शुरू की थी।
- नए सुधार के मद्देनजर दलित वर्गों के मुद्दों को संबोधित करने के लिए 3 अप्रैल, 1927 को बहिष्कृत भारत समाचार पत्र शुरू किया गया था।
- 15 अगस्त, 1936 को उन्होंने दलित वर्गों के हितों की रक्षा के लिए इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी का गठन किया, जो ज्यादातर श्रमिक आबादी थी।
- 1938 में कांग्रेस ने अछूतों के नाम पर परिवर्तन करने वाला एक विधेयक पेश किया। डॉ. आंबेडकर ने इसकी आलोचना की। उनकी नजर में नाम बदलना समस्या का समाधान नहीं है।
- 1942 में उन्हें लेबर सदस्य के रूप में भारत के गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में नियुक्त किया गया और 1946 में वह बंगाल से संविधान सभा के लिए चुने गए। उसी समय उन्होंने अपनी पुस्तक ‘शूद्र कौन थे?’ प्रकाशित की।
- आज़ादी के बाद 1947 में उन्हें नेहरू की पहली कैबिनेट में कानून और न्याय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था।
- डॉ. बी.आर. को 12 जनवरी 1953 को उस्मानिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था एवं भारतीय समाज अनेक आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं से जूझ रहा है। इन समस्याओं के समाधान के लिए डॉ. अम्बेडकर के विचार और कार्य हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं।
- डॉ. बी.आर. आंबेडकर की पुण्य तिथि को पूरे देश में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत के कानून मंत्री की भूमिका क्या है?
भारत में कानून मंत्री की मुख्य भूमिका भारत में न्याय व्यवस्था संबंधित विषयों के देखना है। भारत के कानून मंत्री की भूमिका संविधान और कानूनों की व्याख्या करना है। भारत संघ की ओर से पेश होने के लिए वकील की नियुक्ति और नियुक्ति सहित कानूनी मामलों पर मंत्रालयों को सलाह देना। केंद्र सरकार की ओर से और केंद्रीय एजेंसी योजना में भाग लेने वाले राज्यों की सरकारों की ओर से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में मामलों का संचालन करना है।
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FAQs
भारत के वर्तमान में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल हैं।
भारत के प्रथम कानून मंत्री डाॅ. भीमराव आंबेडकर थे।
वर्तमान में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हैं और वह 31 मई 2019 से इस पद पर हैं।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको भारत के पहले कानून मंत्री कौन थे? (Bharat ke Pahle Kanoon Mantri Kaun The) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।