अहिल्याबाई होलकर पर कविताएं पढ़कर आपको वीरांगना अहिल्याबाई होलकर के जीवन के बारे में पता लगेगा। इन कविताओं को पढ़कर आप अहिल्याबाई होलकर जी के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर पाएंगे, साथ ही यह कविताएं आप में साहस का संचार करेंगी। अहिल्याबाई होलकर का जीवन परिचय और कविताएं आपको मातृभूमि की सेवा में समर्पित रहना सिखाएंगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आपको भारत की वीरांगना अहिल्याबाई होलकर पर कविताएं पढ़ने का अवसर मिलेगा, जो आप में साहस का संचार करेगा। Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi पढ़ने के लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ने की आवश्यकता है।
This Blog Includes:
अहिल्याबाई होलकर का संक्षिप्त जीवन परिचय
Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi (अहिल्याबाई होलकर की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको अहिल्याबाई होलकर का संक्षिप्त जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। भारतीय इतिहास में एक कुशल प्रशासक के रूप में अहिल्याबाई होलकर का भी नाम आता है, जिन्होंने जीवनभर न्यायप्रिय, दयालु और धार्मिक महिला बनकर समाज का कल्याण किया।
31 मई 1725 को अहिल्याबाई होलकर का जन्म महाराष्ट्र के चौंढी गांव में हुआ था। किसान परिवार में जन्म लेने वाली अहिल्याबाई होलकर भगवान पर विश्वास करने वाली एक धार्मिक महिला थीं। उनके पिता मान्कोजी शिन्दे एक ऐसे साधारण व्यक्ति थे, जिनके संस्कारों ने उन्हें सम्मान के साथ संघर्ष करना सिखाया।
अहिल्याबाई होलकर का विवाह मल्हारराव होलकर के पुत्र “खंडेराव होलकर” के साथ 10-12 वर्ष की आयु में हुआ था। अहिल्याबाई होलकर अपने पति खंडेराव की मृत्यु के बाद, वर्ष 1766 में इंदौर राज्य की रानी बनीं। अहिल्याबाई होलकर ने करीब 40 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया था, जिन्हें “मालवा की रानी” और “हिंदू महिलाओं की आदर्श” के रूप में भी ख्याति प्राप्त थी। 13 अगस्त 1795 को अहिल्याबाई होलकर का निधन इंदौर में हुआ था।
अहिल्याबाई होलकर पर कविताएं
अहिल्याबाई होलकर पर कविताएं (Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi) आपको साहसी बनाएंगी, अहिल्याबाई होलकर पर कविताएं और कवियों के नाम कुछ इस प्रकार सूचीबद्ध हैं;
कविता का नाम | कवि का नाम |
एक आदर्श महिला | मयंक विश्नोई |
रानी अहिल्याबाई होलकर | मयंक विश्नोई |
भारत की शान | मयंक विश्नोई |
नमन है देवी स्वरूपा को | मयंक विश्नोई |
प्रजा की हितैषी | मयंक विश्नोई |
यह भी पढ़ें : राष्ट्रीय युवा दिवस पर कविता
एक आदर्श महिला
Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi की श्रेणी में सबसे पहली कविता “एक आदर्श महिला” है, जो एक स्वलिखित कविता है। यह कविता कुछ इस प्रकार हैं:
“मातृभूमि की रक्षा में जीवनभर संघर्ष किया देश-धर्म की खातिर उन्होंने पुण्य अपना हर कर्म किया प्रजाहितों को सर्वोपरि रखने वाली रानी अहिल्याबाई होलकर जगदंबा स्वरुप थी अपनी संस्कृति पर गर्व करने वाली वो वीरांगना परिवर्तन का सच्चा रूप थी संसार परिभाषित नहीं कर सकता एक आदर्श महिला के अस्तित्व को संसार झुठला नहीं सकता है यहाँ, नारी शक्ति के न्यायप्रिय प्रभुत्व को…” -मयंक विश्नोई
यह भी पढ़ें : विश्व हिंदी दिवस पर कविता
रानी अहिल्याबाई होलकर
Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi की श्रेणी में दूसरी कविता “रानी अहिल्याबाई होलकर” है, जो एक स्वलिखित कविता है। यह कविता कुछ इस प्रकार हैं:
“धर्म ध्वजा ले आगे बढ़कर अदम्य साहस से रण लड़कर शत्रुओं को भयभीत किया, न्याय का नया श्रृंगार कर अन्याय का संहार कर जीवन सबका सुखद किया ऋतुओं में थीं बसंत ऋतु समान वीरता की थीं सच्ची पहचान कुशल नेतृत्व का सही पर्याय रानी अहिल्याबाई होलकर थीं सनातन धर्म का स्वर्णिम अध्याय रानी अहिल्याबाई होलकर थीं…” -मयंक विश्नोई
यह भी पढ़ें : प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ
भारत की शान
Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi की श्रेणी में तीसरी कविता “भारत की शान” है, जो एक स्वलिखित कविता है। यह कविता कुछ इस प्रकार हैं:
“मातृभूमि को समृद्ध किया मस्तक समाज का उन्नत किया छत्रपति शिवजी महाराज के संकल्प को जिन्होंने सचमुच आत्मसात किया ऐसी रानी अहिल्याबाई होलकर वीरता की सच्ची परिभाषा हैं उनकी गाथाएं आज भी सकारात्मक परिवर्तन की अभिलाषा हैं जिन्होंने जीवन भर पूरे गर्व से धर्म को धारण किया वही भारत की शान बनें जिन्होंने निज कर्तव्यों का पालन किया ऐसे वीर-वीरांगनाओं की हम सभी संतान हैं गर्व है हमें इसी बात का, कि हमारे पुरखें भारत की शान हैं…” -मयंक विश्नोई
यह भी पढ़ें : पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता, जो आपका मार्गदर्शन करेंगी!
नमन है देवी स्वरूपा को
Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi की श्रेणी में चौथी कविता “नमन है देवी स्वरूपा को” है, जो एक स्वलिखित कविता है। यह कविता कुछ इस प्रकार हैं:
“समाज को सशक्त किया संकल्पों को संगठित किया नमन है देवी स्वरूपा को उनकी साधना ने न किसी का अहित किया सनातन धर्म की ध्वज थामकर समाज उठा अपनी नींद त्यागकर नमन है देवी स्वरूपा को जिन्होंने नेतृत्व किया सारी सीमाएं लांघकर कैसे उनकों हम भुला सकते हैं? कैसे हम विस्मृत स्मृतियों से कोई ख्वाब बुन सकते हैं? कैसे हम भय का मार्ग चुन सकते हैं? कैसे हम विस्मृत स्मृतियों से कोई ख्वाब बुन सकते हैं? अहिल्याबाई होलकर एक विचार नहीं अपितु एक विचारधारा हैं नमन है देवी स्वरूपा को भारत का कण-कण, जिनका गाता जयकारा है…” -मयंक विश्नोई
यह भी पढ़ें : अहिल्याबाई होलकर का इतिहास
प्रजा की हितैषी
Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi की श्रेणी में पांचवी कविता “प्रजा की हितैषी” है, जो एक स्वलिखित कविता है। यह कविता कुछ इस प्रकार हैं:
“प्रजा हितों की रक्षा में जीवन उन्होंने समर्पित किया माँ भारती के चरणों में जिन्होंने अपना सर्वस्व अर्पित किया देखी हैं इतिहास ने वीरांगनाएं ऐसी जो सदैव थी रहती प्रजा की हितैषी भारतीय संस्कृति का संरक्षण करने वाली हर वीरांगना थी प्रजा की हितैषी...” -मयंक विश्नोई
यह भी पढ़ें : लोहड़ी पर कविताएं पढ़कर करें इस पर्व का भव्य स्वागत!
संबंधित आर्टिकल
आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Poem on Ahilyabai Holkar in Hindi पढ़ पाएंगे, अहिल्याबाई होलकर पर कविताएं युवाओं को अहिल्याबाई होलकर के अदम्य साहस की गाथाएं सुनाएंगी। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।