Summer Solstice : ग्रीष्म सक्रांति के भौगोलिक कारण एवं प्रभाव और भारतीय संस्कृति में महत्व

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summer solstice in Hindi

21 जून का दिन खास होता है, इस दिन विश्व योग दिवस मनाया जाता हैI इसके अलावा इस दिन के खास होने का एक अन्य कारण भी हैI 21 जून उत्तरी गोलार्ध में  सबसे लम्बा दिन होता हैI यह अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भौगोलिक घटना हैI भारतीय संस्कृति में भी इस दिन को एक विशेष दिन माना गया हैI इस दिन से संबंधित बहुत से प्रश्न सामान्य ज्ञान से संबंधित परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैंI अत: यह विषय छात्रों के दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण हैI यहाँ summer solstice in Hindi के बारे में विस्तार से बताया जा रहा हैI

ग्रीष्म संक्रांति क्या है?

ग्रीष्म संक्रांति (summer solstice in Hindi) 21 जून के दिन पड़ती हैI ग्रीष्म संक्राति वह समय होता है जब हमारी धरती के दोनों ध्रुवों में से एक सूर्य की तरफ अधिक झुक जाता हैI यह वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता हैI दूसरे शब्दों में कहें तो इस दिन पृथ्वी पर सर्वाधिक समय तक के लिए प्रकाश रहता हैI इसके पीछे का कारण यह है कि इस दिन सूर्य अंतरिक्ष में सबसे लंबी यात्रा तय करता हैI

संक्रांति शब्द का अर्थ क्या होता है? 

संक्रांति का अर्थ होता है, “ठहरा हुआ सूर्य”I  यह एक प्राकृतिक घटना होते है जो धरती के हर गोलार्ध में साल में दो बार देखने को मिलती हैI ऐसा एक बार ग्रीष्म ऋतु में होता है और एक बार शीत ऋतु मेंI ग्रीष्म ऋतु में यह दिन 21 जून के दिन मनाया जाता है, वहीं सर्दियों में यह दिन 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता हैI इस कारण से 25 दिसंबर को  बड़ा दिन भी कहा जाता हैI

ग्रीष्म संक्रांति का भारतीय संस्कृति में महत्व 

ग्रीष्म संक्रांति (summer solstice in Hindi) भारतीय वैदिक संस्कृति में एक विशेष महत्व रखती हैI ग्रीष्म संक्रांति को वेदों और पुराणों में पवित्र समय माना गया हैI इस दौरान किए जाने वाले यज्ञ और तप का वेदों में एक विशेष महत्व बताया गया हैI इस समय को विशेष और ऊर्जा से भरपूर माना जाता हैI इसके अलावा ग्रीष्म संक्रांति के दिन सूर्य नमस्कार का भी बहुत महत्व बताया गया हैI ऐसा माना जाता है कि ग्रीष्म संक्रांति के दिन सूर्य नमस्कार करने से शरीर को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती हैI

ग्रीष्म संक्रांति के भौगौलिक कारण और प्रभाव 

ग्रीष्म संक्रांति (summer solstice in Hindi) के भौगौलिक कारण और प्रभाव इस प्रकार हैं-

  • ग्रीष्म संक्रांति के पीछे का मूल कारण पृथ्वी के एक ध्रुव का झुकाव सूर्य की तरफ होना भी हैI 
  • पृथ्वी का घूर्णन अक्ष अपने कक्षीय तल से 23.5° के कोण पर झुका हुआ है। यह झुकाव पृथ्वी की परिक्रमा और कक्षा जैसे कारकों के साथ सूर्य के प्रकाश की अवधि में भिन्नता को दर्शाता है, जिसके कारण ग्रह के किसी भी स्थान पर दिनों की लंबाई अलग-अलग होती है।
  • उत्तरी गोलार्ध छह महीनों के लिए सूर्य की दिशा में आधा झुका हुआ रहता हैI 
  • यह झुकाव पृथ्वी ओर मौसम के बदलाव के लिए भी जिम्मेदार होता हैi इसकी वजह से सूर्य की गति उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध की ओर होती है जिसके कारण से ऋतु परिवर्तन होता हैI 

ग्रीष्म संक्रांति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य 

ग्रीष्म संक्रांति (summer solstice in Hindi) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं –

  • 21 जून उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती हैI 
  • इस दौरान उत्तरी गोलार्द्ध के देश सूर्य के सबसे निकट होते हैं और सूर्य कर्क रेखा (23.5° उत्तर) पर ऊपर की ओर चमकता है।
  • संक्रांति के दौरान पृथ्वी अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करती हैI 
  • आर्कटिक वृत्त में संक्रांति के समय सूर्य कभी अस्त नहीं होता हैI 

FAQs

21 जून की क्या खास बात है?

21 जून के दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती हैI

भारत में सबसे लंबा दिन कब होता है?

भारत में सबसे लंबा दिन 21 जून को होता हैI

हर साल ग्रीष्म संक्रांति कब होती है?

हर साल ग्रीष्म संक्रांति 21 जून के दिन होती हैI

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