Baisakhi Poems in Hindi : पढ़िए बैसाखी पर कविताएं, जो इस पर्व का पूरे हर्षोल्लास के साथ उत्सव मनाएंगी!

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Baisakhi Poems in Hindi

Baisakhi Poems in Hindi को पढ़कर आप बैसाखी के पर्व को साहित्य के माध्यम से अच्छे से मना पाएंगे। बैसाखी पर कविता युवाओं को भारत की शास्वत सनातन संस्कृति से जुड़ने का कार्य करेंगी, साथ ही बैसाखी पर कविताएं इस महान पर्व के महत्व के बारे में भी समझाने का प्रयास करेंगी। इस ब्लॉग में लिखित बैसाखी पर कविताएं समाज को समृद्धशाली और सशक्त बनाने में सहायक भूमिका निभाएंगी। विद्यार्थी जीवन में ही विद्यार्थियों को पर्वों के माध्यम से प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझना चाहिए, जिसमें बैसाखी पर कविताएं मुख्य भूमिका निभाएंगी। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Baisakhi Poems in Hindi को पढ़ पाएंगे, जो सकारात्मकता के साथ आपको जागरूक बनाएंगी।

Baisakhi Poems in Hindi

बैसाखी पर कविताएं आपका परिचय भारत की महान संस्कृति से करवाएंगी, जिसके लिए हिंदी साहित्य विशेष भूमिका निभाएंगी। इस ब्लॉग में आपको स्वलिखित Baisakhi Poems in Hindi के साथ-साथ, अन्य कवियों की भी कविता पढ़ने का भी अवसर मिलेगा। Baisakhi Poems in Hindi और उनके कवियों की सूची कुछ इस प्रकार हैं;

कविता का नामकवि/कवियत्री का नाम
बैसाखी आई हैमयंक विश्नोई
बैसाखी का त्योहारमयंक विश्नोई
बैसाखी के उत्सव में बाजारमयंक विश्नोई
बैसाखीकर्मजीत सिंह गठवाला
जलियाँवाला बाग में बसंतसुभद्रा कुमारी चौहान

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बैसाखी आई है

Baisakhi Poems in Hindi से आप बैसाखी पर्व के बारे में जान पाओगे। बैसाखी पर कविताएं आपको बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी। इन कविताओं में एक स्वलिखित कविता “बैसाखी आई है” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

खुशियों की बोली सबने मिलकर गाई हैं
खुशियों के रंगों को भरने, बैसाखी आई है

आशाओं का आगमन है, निराशाओं का तिरस्कार है
बैसाखी के उत्सव में डूबा आज सारा संसार है 
प्रकृति ने आज फिर ये लोरी सुनाई है
आस्था के आँगन में आज बैसाखी आई है

गुरुओं की वाणी को आत्मसात करती है
बैसाखी नर के जीवन में आशाओं के रंग भरती है
लहलहाती फसलों ने सोई चेतना जगाई है
जीवन के उत्साह को बढ़ाने आज बैसाखी आई है…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि बैसाखी के पर्व के आगमन के उत्साह को चित्रित करने का प्रयास करते हैं। इस कविता में कवि ने बैसाखी को ऐसा पर्व बताया है जो मानव को मानवता का संदेश देने के साथ-साथ, सनातन संस्कृति और प्रकृति का महिमा मंडन करता है। इस कविता का सरल एवं स्पष्ट उद्देश्य लहलहाती फसलों को मानव की चेतना को जागृत करने वाला बताया है।

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बैसाखी का त्योहार

Baisakhi Poems in Hindi के माध्यम से आप बैसाखी के त्योहार के बारे में जान पाएंगे। बैसाखी की कविताओं में से एक प्रेरणादायक कविता “बैसाखी का त्योहार” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

आगमन से जिसके हो समृद्ध संस्कार
अधर्म का अंत करे, धर्म की जयकार
प्रकृति के प्रति आस्था रखता,
जीवन का उत्सव बनाता, बैसाखी का त्योहार

मनभेद सारे मिटाकर
सपनों का बोझ उठाकर
नर जब पता है वास्तविक ज्ञान,
तभी संसार को जाता पहचान
संकटों का करके निस्तार
चमक उठे सबका किरदार
आशावादी रहे सदा सब
मिलकर मनाएं बैसाखी का त्योहार
न मैला हो कर्मों का चोला
प्रेम की यही पुकार है
बचपन की गलियों में लौटों
आज बैसाखी का त्योहार है…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने बैसाखी को धर्म की जयकार के रूप में परिभाषित करने का प्रयास किया है। यह कविता युवाओं में सकारात्मकता का संचार करने का प्रयास तो करता ही है, साथ ही यह कविता आपको सपने देखने के लिए प्रेरित करती है। यह कविता का स्पष्ट भावार्थ अथवा उद्देश्य युवाओं को उन गलियों से परिचित करवाना है, जहाँ सादगी और हर्षोल्लास के साथ बैसाखी पर्व को मनाया जाता है।

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बैसाखी के उत्सव में बाजार

Baisakhi Poems in Hindi आपको बैसाखी के उत्सव में बाजार में होने वाली हलचलों से परिचित कराएगा। बैसाखी पर कविताएं इस पर्व के प्रति समाज को सशक्त करने का प्रयास करती हैं, इनमें से एक कविता “बैसाखी के उत्सव में बाजार” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

बैसाखी के उत्सव में बाजार
करते हैं समृद्धि का संचार
शहर में हलचल बढ़ने लगती है
रौनक दहलीजों पर चढ़ने लगती है

बैसाखी के उत्सव में बाजार
इच्छाओं का करता है विस्तार
हवाओं में सकारात्मकता का वास मिलता है
समृद्धि का हर पल नया एहसास मिलता है

बैसाखी के उत्सव में बाजार
करते हैं परिश्रम, विश्राम को नकार
दुकानों पर भीड़ लगी रहती है
भीड़ जो इस लोकपर्व को अपना कहती है

बैसाखी के उत्सव में बाजार
निभाता है मानव जीवन में एहम किरदार
बैसाखी के उत्सव में बाजार
है खुशियां लौटाता बारंबार…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने बैसाखी पर्व के दौरान बाजारों की हलचल को परिभाषित करने का सफल प्रयास किया है। यह कविता पर्वों के दौरान बाजारों में होने वाले व्यापार और बाजार के व्यवहार को दर्शाया गया है। इस कविता में कवि बाजारों को जीवन का एक मुख्य किरदार मानते है, जिससे समृद्धि का भी आगमन होता है।

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बैसाखी

Baisakhi Poems in Hindi आपको बैसाखी पर्व के इतिहास के बारे में भी जानने को मिलेगा। बैसाखी की कविताओं में से एक लोकप्रिय कविता “बैसाखी” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

ज़ुल्म की बाढ़ में धर्म जब ज़ोरों से बहता था
उठे अब सूरमा कोई सभी को रो-रो कहता था
धर्म की बात जो करता भय मन में रहता था

बुद्ध-भूमि से कोई आया पंजाब जिसकी थी समर-भूमि
ज़ुल्म के रोकने को उसने अपनी तलवार थी चूमी
बन गए सिंह सयारों से जिधर भी निगाह थी घूमी

बाग़ तो बहुत दुनिया में परंतु एक बाग़ अमृतसर में
पूजा-वेदि बनी हुई जिसकी हिन्द के हर एक घर में
लोग जहां आज़ादी मांगने पहुंचे तो दी मौत डायर ने

तेरी पद-चाप सुनकर कृषक में उमंग जगती है
स्वप्न वह मन में बुनता जो तू उनमें रंग भरती है
सुनहरी रंग में डूबी धरा सब हंसती सी लगती है

हम ये चाहते हैं तू आए सदा ढोल औ’ नगाड़ों से
दुश्मनों के दिल कांपें हमारे सिंहों की दहाड़ों से
ज़रूरत जब पड़े इसकी नहर खोद लाएं पहाड़ों से

-कर्मजीत सिंह गठवाला

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि बैसाखी के त्योहार के उत्साह और इससे होने वाली खुशी को प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। कविता के माध्यम से कवि कविता में कहते हैं कि बैसाखी का त्योहार खुशियों और उत्साह का त्योहार है। इस त्योहार में मानव सीखता है कि एकता साथ मिलजुलकर रहना चाहिए और एक दूसरे के साथ अपनी खुशियां बांटनी चाहिए।

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जलियाँवाला बाग में बसंत

Baisakhi Poems in Hindi आपको बैसाखी के दिन हुई एक भयावह घटना से भी परिचित करवाएंगी। बैसाखी पर लिखी कविताओं में से एक कविता “जलियाँवाला बाग में बसंत” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।

कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,
वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।

परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।

ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।

वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना,
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।

कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें,
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।

लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले,
तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।

किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना,
स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।

कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर,
कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।

आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं,
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।

कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना,
कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।

तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,
शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।

यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना,
यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना।

-सुभद्रा कुमारी चौहान

भावार्थ : यह कविता इतिहास में दर्ज ऐसे काले कारनामे पर लिखी गई है, जिसमें ब्रिटिश हुकूमत ने मासूम और बेगुनाह भारतियों के साथ क्रूरता की हदे पार की थी। यह कविता जलियाँवाला बाग हत्याकांड की त्रासदी के बारे में बताती है, जलियाँवाला बाग हत्याकांड बैसाखी के पवित्र दिन ही हुआ था। यह कविता कवि के शब्दों द्वारा शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करती है।

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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Baisakhi Poems in Hindi पढ़ पाएंगे, बैसाखी पर कविताएं आपको खुशहाल जीवन जीने तथा पर्वों का उत्सव मनाने के लिए प्रेरित करेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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