Poem on Soldiers in Hindi: वीरता और बलिदान की अमर गाथाएं गाती सैनिकों पर कविता

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Poem on Soldiers in Hindi

Poem on Soldiers in Hindi: भारत राष्ट्र की अखंडता और भारत राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए भारतीय सेना एक मुख्य भूमिका निभाती है। भारतीय सेना के अथक प्रयासों का ही असर है कि हर भारतीय के अधिकार आज तक सुरक्षित हैं। भारतीय सेना विश्व की उन सेनाओं में से एक है, जिनके साहस के आगे संसार सारा नतमस्तक होता है। भारीतय सेना के शौर्य को समर्पित सैनिकों पर आधारित कविताओं को लिखकर, पढ़कर और गाकर युवाओं को प्रेरित किया जा सकता है। भारत में हर वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस लेख में आपके लिए सैनिकों पर कविता (Poem on Soldiers in Hindi) दी गई हैं, जिनके माध्यम से आप सेना के शौर्य को सम्मानित कर पाएंगे। भारतीय सेना पर कविता पढ़ने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।

सैनिकों पर कविता – Poem on Soldiers in Hindi

सैनिकों पर कविता (Poem on Soldiers in Hindi) पढ़कर आप मातृभूमि की रक्षा में भारतीय सैनिकों के योगदान के बारे में जान पाएंगे, जो इस प्रकार हैं –

हम सैनिक हैं

“भारतीय सीमाओं की सुरक्षा में
 अच्छे समय की प्रतीक्षा में
 हर समय हम तैनात हैं
 शत्रुओं से हम होशियार हैं

 स्वतंत्रता का पर्याय, हम सैनिक हैं 
 साहस की परिभाषा, हम सैनिक हैं
 देश के लिए बलिदान करने में
 तनिक भी ना हिचकिचाते हैं

 शत्रुओं का काल बनने में
 पल भर भी ना समय गवांते हैं 
 देश के लिए जीते-मरते हैं, हम सैनिक हैं
 वीरता की गाथाएं लिखते हैं,हम सैनिक हैं…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि एक सैनिक की एहमियत और देश के लिए उसकी भूमिका को दर्शाने का प्रयास करते हैं। कविता का उद्देश्य सैनिकों की वीरता को कुछ पंक्तियों को दर्शाने का है, जिससे प्रेरणा पाकर विद्यार्थी जीवन को सफल बनाया जा सके। कविता के माध्यम से कवि नई पीढ़ी को सैनिक के जीवन के बारे में बताने का प्रयास कर रहे हैं।

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आज़ादी के रखवाले

“सपनों के संरक्षक हैं वह, उनके क़दम पवित्र हैं
 वीरता का पर्याय हैं, उनके निर्णय पवित्र हैं
 शरहदों पर खड़े हैं शान से आज़ादी के रखवाले
 साहस की संरचना हैं वह, उनके लक्ष्य पवित्र हैं

 जीवन का एक ही उद्देश्य है उनका
 समृद्धशाली और सुरक्षित अपना भारत हो
 तिनका-तिनका हो जाए समर्पित उनका
 पर ना खंडित अब अपना भारत हो

 युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं
 लोकतंत्र के लिए लिखा हुआ वो एक गीत हैं
 हर धन से बढ़कर हैं आज़ादी के रखवाले
 जिनकी हर जीत में केवल भारत की जीत है…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने भारतीय सेना को सम्मानित करने के लिए कविता की पंक्ति का सहारा लिया है। इस कविता में कवि अपने शब्दों से सना के जवानों को आज़ादी का रखवाला कहते हैं। उनका उद्देश्य भारतीय सेना के कारण हमें और हमारे सपनों को मिलने वाली सुरक्षा से युवा पीढ़ी को परिचित करवाना है।

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तेरा क़र्ज़

“जाते जाते ही सही
 लो लिख रहा हूँ मैं
 वीरों की कई कहानियां
 मेरी मातृभूमि, ऐ भारत! पुण्यभूमि

 मैं जानता हूँ मैं पूरा नहीं कर पाया
 कुछ खुद की तो कुछ घर की जिम्मेदारियां
 मैं जानता हूँ मैं पूरा नहीं कर पाया
 ज़िंदगी में मिलने वाले दो कर्ज़ को
 मैं जानता हूँ मैं नहीं अपना पाया
 साँसों से मिलने वाले फ़र्ज़ को
 जीवन का हर सुख पाया

 तुम्हारी ममता की छांव में
 मैं हमेशा मुस्कुराया हूँ
 नमन है मातृभूमि तुम्हें
 बलिदानी बनकर ही सही
 मैं कहीं न कहीं
 तुम्हारे किसी काम तो आया हूँ

 माँ तेरा क़र्ज़ मैं नहीं चुका पाया
 गहरी नींद लेकर, फिर खुद को न जगा पाया
 मैं जानता हूँ कभी नहीं उतरेगा
 हे जन्मभूमि! माँ मुझसे ये तेरा क़र्ज़
 पर विश्वास रखना हे जन्मभूमि! माँ मेरी

 मैं अपनी विरासत अगली पीढ़ी के लिए छोड़कर जा रहा हूँ
 तिरंगी चुनरिया तेरी अब ओढ़कर जा रहा हूँ
 मेरे जाने पर अश्क न बहाना
 मेरे भाई को तू बस इतना एहसास कराना
 कि जो क़र्ज़ था अधूरा वो तू ही पूरा करेगा
 मेरे बाद मातृभूमि की तू भी रक्षा करेगा…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने एक शहीद सैनिक के मन के उन भावों को लिखने का प्रयास किया है, जिन्हें शायद वो शहीद अपने खतों में कहीं न कहीं छोड़कर जाता है। कविता में मातृभूमि के लिए बलिदान हुए एक वीर की गाथा लिखी है, जो शहीद होने के बाद भी वतन के क़र्ज़ को सर्वोपरि रख रहा है। यह कविता युवाओं को मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने का प्रयास करती है।

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भारतीय सेना पर कविता – Poem on Indian Army in Hindi

भारतीय सेना पर कविता (Poem on Indian Army in Hindi) पढ़कर, आप भारतीय सेना के योगदान के बारे में जान पाएंगे, जो निम्नलिखित हैं:

हम वीर सिपाही

“मातृभूमि की रक्षा हम हर दम तैयार हैं
 शत्रुओं की चाल से हम हर दम होशियार हैं
 भारत माता की रक्षा करते हम वीर सिपाही हैं
 मानवता की रक्षा में उठते अपने हथियार हैं
 विश्व को राह दिखाते हैं
 समाज की सोई चेतना जगाते हैं
 हौसलों का पर्याय हम वीर सिपाही हैं
 हम भारत की शान बढ़ाते हैं…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि कविता में भारत के सैनिकों को वीर सिपाही बताते हैं, कविता में कवि का स्पष्ट उद्देश्य है कि वह मानवता की रक्षा करने वाले सैनिकों को सम्मान देने का प्रयास करते हैं। एक ऐसा सम्मान, जिसका हर वीर सिपाही हक़दार होता है। कविता समाज की स्वतंत्रता के संरक्षण में सैनिकों की भूमिका का महिमामंडन करती है।

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वीरों की धरती है भारत

“मानव को ज्ञान देने वाली धरा है भारत
 विश्व का कल्याण करने वाली धरा है भारत
 वीरों की धरती है भारत

 समाज को सद्मार्ग दिखाने वाली धरा है भारत
 सभ्यताओं का श्रृंगार करने वाली
 कुरीतियों का प्रखरता से विरोध करने वाली
 हर जीव प्राणी का सम्मान करने वाली
 वीरों की धरती है भारत

 शत्रुओं के रक्त से स्नान करने वाली
 स्वतंत्रता की आधार शिला बनने वाली
 सपनों को ऊँची उड़ान देने वाली
 वीरों की धरती है भारत

 आशाओं से जीवन को सजाने वाली
 समाज के साहस को जगाने वाली
 बलिदानों से स्वतंत्रता को बचाने वाली
 वीरों की धरती है भारत

 संस्कारों से समाज को सशक्त करने वाली
 सकारात्मकता का संचार करने वाली
 समाज के संकटों को हरने वाली
 वीरों की धरती है भारत…”

-मयंक विश्नोई

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि मातृभूमि भारत के प्रति आदर भाव को व्यक्त करते हुए, युवाओं के सामने मातृभूमि भारत का महिमामंडन करते हैं। यह कविता समाज को सशक्त करने और युवाओं की चेतना को जगाने का प्रयास करती है। इस कविता का उद्देश्य युवाओं में राष्ट्रवाद का बीज बोना है ताकि मातृभूमि भारत पर फिर कोई कुदृष्टि न डाल सके। इस कविता के माध्यम से कवि भारत के युवाओं को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत संभावनाओं की धरती है, भारत वीरों की धरती है।

सेना के शौर्य पर कविता

सेना के शौर्य पर कविता कुछ इस प्रकार हैं, जिनमें लोकप्रिय कवियों की कविताएं शामिल हैं –

सैनिक

सरहद पर इस देश का सैनिक जाने क्या क्या सहता है,
हम सब की नींदों की ख़ातिर हर दम जागता रहता है।

सहराओं में जंगल में और बर्फ़ीले तूफ़ानों में,
इस की बस्ती बसती भी है तो अक्सर वीरानों में।

तस्वीरों को देख देख ये हँसता है और रोता है,
सैनिक का परिवार तो उस के बटुए में ही होता है।

हम जिस मौत से डरते हैं ये उस से खेला करता है,
छाती पर गोली खाता है हँसते हँसते मरता है।

दाँव पे अपनी जान लगाए ये ऐसा मतवाला है,
ये है जियाला भारत माँ का इस का खेल निराला है।

जो सब से पूछा करता है सैनिक से वो बात न पूछ,
उस से पूछ न उस का मज़हब उस से उस की ज़ात न पूछ।

कर्म के आगे धर्म को रक्खे सैनिक वो इन्सान नहीं,
इस के लिए तो देश से बढ़कर और कोई भगवान नहीं।

देश की रक्षा काम नहीं है सैनिक का ईमान है वो,
इस से भिड़ जाए जो दुश्मन सब से बड़ा नादान है वो।

– नवीन जोशी

देश के सैनिकों से

कटी न थी गुलाम लौह श्रृंखला,
स्वतंत्र हो कदम न चार था चला,
कि एक आ खड़ी हुई नई बला,
परंतु वीर हार मानते कभी?

निहत्थ एक जंग तुम अभी लड़े,
कृपाण अब निकाल कर हुए खड़े,
फ़तह तिरंग आज क्यों न फिर गड़े,
जगत प्रसिद्ध, शूर सिद्ध तुम सभी।

जवान हिंद के अडिग रहो डटे,
न जब तलक निशान शत्रु का हटे,
हज़ार शीश एक ठौर पर कटे,
ज़मीन रक्त-रुंड-मुंड से पटे,
तजो न सूचिकाग्र भूमि-भाग भी।

– हरिवंशराय बच्चन

सेना के जवान

शीश उठाये सीना ताने,
वर्दी में लग रहे सुहाने।
स्वस्थ प्रसन्न वीर मतवाले,
कन्धों पर बन्दूक संभाले।

कदम मिलाते कदम बढ़ाते,
बीच बीच में बैंड बजाते।
सेना के जवान जाते हैं,
हमें बहुत ही ये भाते हैं।

दोनो ओर सड़क पर भारी,
भीड़ लगायें हैं नर नारी।
उन्हें बधाई देते हैं सब,
बजा बजा कर ताली जब तब।

भारत की सीमा विशाल है,
कहीं चढ़ाई कहीं ढाल है।
दुर्गम घाटी ऊँचे टीले,
मीलों मार्ग कठिन बर्फीले।

वहाँ आ डटा है जो दुश्मन,
चाह रहा औ करे आक्रमण।
बढे वहाँ तक जायेंगे ये,
उस को मार भगायेंगे ये।

हम तो अभी निरे हैं बालक,
लेकिन देश भक्त प्रण पालक।
सीख रहे हैं शस्त्र चलाना,
कदम मिलाना ,कदम बढ़ाना।

और बड़े कुछ हो जाने पर,
हम भी वीर सिपाही बनकर,
इसी तरह से मार्च करेंगे,
अगर पुन: दुश्मन उभरेंगे।

– श्रीनाथ सिंह

नमन शहीदों को करूँ, जो खो बैठे प्राण

नमन शहीदों को करूँ, जो खो बैठे प्राण।
आतंकी विस्फोट में, व्यर्थ हुए बलिदान॥

जीवन सैनिक का सदा, होता है अनमोल
करते दो-दो हाथ तो, होता अति अभिमान॥

रोज रोज जगती नहीं, रणचंडी की प्यास
आज चाहती शत्रु के, लाल लहू का पान॥

उनके मस्तक गर्व से, छू लेते आकाश
लड़ते जो रणभूमि में, लिये हाथ में प्राण॥

वीर-प्रसूता भारती, रहें जनमते फूल,
मातृभूमि के चरण में, मिले दिव्यता ज्ञान॥

लिये देह गंगाजली, भरा रक्त का नीर
भारत माँ के चरण में, अर्पित करते जान॥

लिपट तिरंगे में चली, जब क्षत विक्षत देह,
देवों के भी कण्ठ से, निकला 'धन्य जवान'॥

– रंजना वर्मा

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