पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता, जो आपका मार्गदर्शन करेंगी!

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पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता समाज को आज तक प्रेरित करने का सफल प्रयास करती हैं। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविताओं ने समाज का मार्गदर्शन करने का भी काम किया है। समाज का दर्पण होने के साथ-साथ, कविताओं ने हर सदी में सकारात्मक परिवर्तन किया है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता पढ़ पाएंगे, साथ ही पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का संक्षिप्त जीवन परिचय आपको जीवन भर प्रेरित करेगा। जिनके लिए आपको यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना चाहिए।

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का संक्षिप्त जीवन परिचय

Sharad Joshi Poems in Hindi (पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का संक्षिप्त जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य को इतना समृद्ध किया कि आज भी युवाओं को उनसे प्रेरणा मिलती है।

27 मई 1894 को पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने एम.ए. (हिंदी) और एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि, नाटककार, उपन्यासकार और आलोचक थे। उनकी प्रमुख रचनाओं में “मिट्टी की खुशबू”, “आँसू”, “नया साल”, “वीर सिपाही”, “प्रकृति” आदि बेहद लोकप्रिय हैं।

जीवन भर अपनी लेखनी से समाज को प्रभावित करने वाले पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी को वर्ष 1957 में पद्म भूषण, वर्ष 1962 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 1981 में हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 28 दिसंबर 1971 को हिंदी साहित्य के अनमोल मणि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का देहांत रायपुर में हुआ था।

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविताओं की सूची

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविताएं आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी, जिसके लिए आपको यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना पड़ेगा। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता की सूची कुछ इस प्रकार हैं:

कविता का नामकवि का नाम
मातृ मूर्तिपदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
एक घनाक्षरीपदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
दो-चारपदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
बुढ़ियापदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

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मातृ मूर्ति

लोकप्रिय कविताओं में से एक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता मातृ मूर्ति है, जो कुछ इस प्रकार हैं:

क्या तुमने मेरी माता का देखा दिव्याकार,
उसकी प्रभा देख कर विस्मय-मुग्ध हुआ संसार ।।

अति उन्नत ललाट पर हिमगिरि का है मुकुट विशाल,
पड़ा हुआ है वक्षस्थल पर जह्नुसुता का हार।।

हरित शस्य से श्यामल रहता है उसका परिधान,
विन्ध्या-कटि पर हुई मेखला देवी की जलधार।।

भत्य भाल पर शोभित होता सूर्य रश्मि सिंदूर,
पाद पद्म को को प्रक्षालित है करता सिंधु अपार।.

सौम्य वदन पर स्मित आभा से होता पुष्प विराम,
पाद पद्म को प्रक्षालित है करता सिंधु अपार ।।

सौम्य वदन पर स्मित आभा से होता पुष्प विराम,
जिससे सब मलीन पड़ जाते हैं रत्नालंकार ।।

दयामयी वह सदा हस्त में रखती भिक्षा-पात्र,
जगधात्री सब ही का उससे होता है उपकार ।।

देश विजय की नहीं कामना आत्म विजय है इष्ट ,
इससे ही उसके चरणों पर नत होता संसारा ।।

-पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

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एक घनाक्षरी

लोकप्रिय कविताओं में से एक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता एक घनाक्षरी है, जो कुछ इस प्रकार हैं:

सेर भर सोने को हजार मन कण्डे में
खाक कर छोटू वैद्य रस जो बनाते हैं ।
लाल उसे खाते तो यम को लजाते
और बूढ़े उसे खाते देव बन जाते हैं ।
रस है या स्वर्ग का विमान है या पुष्प रथ
खाने में देर नहीं, स्वर्ग ही सिधाते हैं ।
सुलभ हुआ है खैरागढ़ में स्वर्गवास
और लूट घन छोटू वैद्य सुयश कमाते हैं ।

-पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

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दो-चार

लोकप्रिय कविताओं में से एक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता एक दो-चार है, जो कुछ इस प्रकार हैं:

भाव रस अलंकार से हीन, अर्थ-गौरव से शून्य असार।
नाम ही है वस जिनमें, पद्य ये हैं ऐसे दो-चार।
बिल्व पत्रों का शुष्क समूह, कब किसी से आया है काम,
उन्हीं से होता जग को तोष तुम्हारा हो यदि उन पर नाम।
लिख दिया है बस अपना नाम और क्या है लिखने की बात?
नाम ही एकमात्र है सत्य और है नाथ! वही पर्याप्त
पड़ेगी जब तक जग की दृष्टि, रहेंगे तब तक क्या ये स्पष्ट?
किन्तु तुम तो मत जाना भूल, नाम का गौरव हो मत नष्ट।

-पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

बुढ़िया

लोकप्रिय कविताओं में से एक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता एक बुढ़िया है, जो कुछ इस प्रकार हैं:

बुढ़िया चला रही थी चक्की,

पूरे साठ वर्ष की पक्की।

दोने में थी रखी मिठाई,

उस पर उड़कर मक्खी आई।

बुढ़िया बाँस उठाकर दौड़ी,

बिल्ली खाने लगी पकौड़ी।

झपटी बुढ़िया घर के अंदर,

कुत्ता भागा रोटी लेकर।

बुढ़िया तब फिर निकली बाहर,

बकरा घुसा तुरत ही भीतर।

बुढ़िया चली, गिर गया मटका,

तब तक वह बकरा भी सटका।

बुढ़िया बैठ गई तब थककर,

सौंप दिया बिल्ली को ही घर।

-पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

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पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की प्रमुख रचनाएँ

इस ब्लॉग के माध्यम से आपको पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की प्रमुख रचनाएँ पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की प्रमुख रचनाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक और लोकप्रिय हैं, जितने वह अपनी रचनाओं के समय रही होंगी। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की प्रमुख रचनाएँ कुछ इस प्रकार हैं:

  • मातृ मूर्ति
  • एक घनाक्षरी
  • दो चार
  • बुढ़िया
  • मिट्टी की खुशबू
  • आँसू
  • नया साल
  • वीर सिपाही
  • प्रकृति
  • आँधी
  • अंधेर नगरी चौपट राजा
  • कंचन की माला
  • मृगजल
  • अग्नि परीक्षा
  • कंकाल इत्यादि।

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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविता पढ़ पाएंगे, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कविताएं युवाओं को प्रेरित करने का काम करेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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