“आजादी” केवल एक शब्द नहीं बल्कि लाखों लोगों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। आज हम सब भारतवासी स्वतंत्रता का जो अनुभव कर रहे हैं, वह उन सभी लोगों की वजह से है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। करीब 200 वर्षों से अधिक के ब्रिटिश शासन के बाद, भारतीयों ने स्वतंत्रता के लिए एक लंबा और कठिन संघर्ष किया था। इस संघर्ष में अनेक देशभक्तों ने बलिदान दिया। इसके परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को आखिरकार भारत को आज़ादी मिली। इस आजादी ने देश को न केवल एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दिया, बल्कि इसे एक नई पहचान भी दी। आइए, भारत की आजादी की कहानी को विस्तारपूर्वक जानते हैं।
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भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन
ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत आगमन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस घटना ने न केवल भारत की राजनीतिक और सामाजिक संरचना में बदलाव किए बल्कि देश के आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को भी गहराई से प्रभावित किया था। 17वीं शताब्दी में व्यापार के बढ़ते जुनून के बीच, अंग्रेजी व्यापारियों ने भारत और अन्य एशियाई देशों से मसाले, कपड़े और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को आयात करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) की स्थापना की। इ
सके बाद धीरे-धीरे यह कंपनी भारतीय राज्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप करने लगी। इसके बाद वह भारत में अपनी सत्ता का विस्तार करने लगे। वर्ष 1757 में प्लासी के युद्ध में कंपनी ने बंगाल के नवाब को पराजित कर बंगाल पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। इस तरह धीरे-धीरे कंपनी ने भारत के अन्य हिस्सों पर भी विजय प्राप्त की और पूरे भारत में अपना शासन स्थापित कर लिया। वहीं कंपनी के शोषण और अत्याचारों के खिलाफ भारतीयों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया था। वर्ष 1857 का विद्रोह कंपनी के शासन के खिलाफ सबसे बड़ा विद्रोह था। वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत पर सीधा शासन करना शुरू कर दिया था।
स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत
भारत के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत वर्ष 1857 के विद्रोह से मानी जाती है, जिसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है। भारत का स्वतंत्रता संग्राम एक लंबी और कठिन लड़ाई थी, जिसने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराया था। यह एक ऐसा संग्राम था जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया और कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इस विद्रोह की शुरुआत मेरठ में हुई, जहां भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। विद्रोह का एक प्रमुख कारण नई एनफील्ड राइफल के कारतूस थे, जिन्हें गाय और सुअर की चर्बी से बनाया गया था। यह विद्रोह तेजी से दिल्ली, कानपुर, झांसी, और अवध समेत कई हिस्सों में फैल गया। रानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, नाना साहेब, और बेगम हजरत महल जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी इस संघर्ष में आगे आए और अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़े। हालांकि यह विद्रोह सफल नहीं हो पाया और वर्ष 1858 तक अंग्रेजों द्वारा इसे दबा दिया गया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी।
स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेता और आंदोलन
वर्ष 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई, जिसने स्वतंत्रता के लिए अहिंसक आंदोलन चलाया था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई महत्वपूर्ण नेता जैसे महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और कई महत्वपूर्ण आंदोलन शामिल थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे प्रमुख आंदोलनों ने स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाया।
14 और 15 अगस्त की आधी रात को क्या हुआ था?
14 और 15 अगस्त की आधी रात का क्षण भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। 14 और 15 अगस्त 1947 की आधी रात को, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐतिहासिक मोड़ आया। इस समय ब्रिटिश भारत का विभाजन औपचारिक रूप से हो गया और दो स्वतंत्र राष्ट्र- भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ।
15 अगस्त 1947 को ही आजादी क्यों मिली?
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर हो गया था। भारत में स्वतंत्रता संग्राम की तीव्रता के कारण ब्रिटिश सरकार भारत पर अपना शासन बनाए रखने में असमर्थ हो गई थी। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई आंदोलनों ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव डाला था। भारत और पाकिस्तान का विभाजन भी 15 अगस्त, 1947 को किया गया था। वहीं भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजाद करने का निर्णय लिया था। उन्होंने यह तारीख इसलिए चुनी क्योंकि यह द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की वर्षगांठ थी। इन सभी कारणों से, 15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की। यह दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लंबी और कठिन यात्रा का परिणाम था और एक नई शुरुआत का प्रतीक था।
ऐसे मनाया गया था भारत की आजादी का जश्न
15 अगस्त, 1947 का दिन पूरे देश में हर्षोल्लास और उत्सव के साथ मनाया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले पर भारतीय ध्वज को गर्व के साथ फहराया था। लोग सड़कों पर स्वतंत्रता की खुशी में नाच-गाने लगे थे और वहीं स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं और सैनिकों को सम्मानित किया गया।
स्वतंत्र भारत की चुनौतियाँ एवं उपलब्धियां
भारत की आजादी एक ऐतिहासिक घटना थी, लेकिन इसके साथ ही देश के सामने कई चुनौतियाँ भी हो गई थीं। इन चुनौतियों का सामना करते हुए भारत ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आज भारत एक लोकतांत्रिक देश है और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आइए इन चुनौतियों और उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा करते हैं-
स्वतंत्र भारत के सामने प्रमुख चुनौतियाँ
- भारत का विभाजन देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी। लाखों लोग अपनी जान, संपत्ति, और घरों से बेघर हो गए।
- आजादी के समय भारत की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर थी। गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता प्रमुख समस्याएं थीं।
- उस दौरान शिक्षा की स्थिति बहुत खराब थी। साक्षरता दर बहुत कम थी।
- एक नई और लोकतांत्रिक संविधान की आवश्यकता थी, जिससे विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, और जातीय समूहों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
स्वतंत्र भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
भारत की आजादी की कहानी जानने के बाद अब यह जानते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता के बाद कौन-कौनसी उपलब्धियां प्राप्त की हैं, जो इस प्रकार हैं:
- वर्ष 1950 में भारत ने अपना संविधान अपनाया, जो दुनिया के सबसे विस्तृत और लोकतांत्रिक संविधान में से एक है।
- 1965 में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रीन रिवोल्यूशन की शुरुआत हुई, जिससे खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ।
- 1971 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध जीतकर पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता दिलाई।
- 1998 में भारत ने पोखरण-II में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किए, जिससे देश की रक्षा क्षमता में वृद्धि हुई।
- 2016 में सरकार ने डिजिटल इंडिया पहल की शुरुआत की।
- अगस्त 2019 में भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने के लिए धारा 370 को निरस्त किया।
FAQs
आजादी की पहली लड़ाई 10 मई 1857 को शुरू हुई थी।
भारत को भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, हिन्द, अल-हिन्द, ग्यागर, फग्युल, तियानझू, होडू आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।
भारत, 1757 से लेकर 1947 तक अंग्रेजों का गुलाम रहा था।
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