राष्ट्रीय अभियन्ता दिवस, जिसे राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिवस हर साल सितंबर महीने में पूरे भारत में मनाया जाता है। यह समाज में इंजीनियरों के उल्लेखनीय योगदान को पहचानने और उनका जश्न मनाने के लिए समर्पित दिन है। इंजीनियरों को उनकी नवाचार की भावना, समस्या-समाधान क्षमताओं और दुनिया को आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मानित किया जाता है। यह दिन इसलिए भी बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह भारत के सबसे महान इंजीनियरों और दूरदर्शी लोगों में से एक सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती का स्मरण कराता है। इस ब्लॉग में अभियन्ता दिवस की थीम, इतिहास और महत्व के बारे में बताया गया है।
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अभियन्ता दिवस के बारे में
अभियन्ता दिवस (Engineers’ Day) भारत में हर साल 15 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन महान भारतीय अभियंता और भारत रत्न से सम्मानित डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वे एक अद्वितीय सिविल इंजीनियर, विद्वान और राजनेता थे, जिन्होंने भारत में बुनियादी ढांचे और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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कौन थे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया?
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के बारे में यहाँ बताया गया है-
- मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म कर्नाटक के मुद्देनहल्ली गाँव में हुआ था। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ़ आर्ट्स (BA) की डिग्री हासिल की और पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
- मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के योगदान को 15 सितंबर को याद किया जाता है, जिसे भारत, श्रीलंका और तंजानिया में इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है।
- मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और उन्होंने मैसूर में प्रसिद्ध कृष्णराज सागर (केआरएस) बांध का डिज़ाइन तैयार किया था। इसके निर्माण के समय, इस बांध में पूरे एशिया में सबसे बड़े जलाशयों में से एक था।
- उन्होंने दक्षिण-पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर के राधानगरी में स्थित लक्ष्मी तलाव बांध के मुख्य अभियंता के रूप में कार्य किया।
- उनकी सार्वजनिक सेवा के सम्मान में, विश्वेश्वरैया को वर्ष 1915 में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा नाइट की उपाधि दी गई थी। उन्होंने वर्ष 1912 से वर्ष 1919 तक मैसूर के 19वें दीवान के रूप में कार्य किया। वे हैदराबाद में बाढ़ सुरक्षा प्रणाली के लिए जिम्मेदार मुख्य इंजीनियरों में से एक थे।
- विशाखापत्तनम बंदरगाह को समुद्री कटाव से बचाने के लिए, विश्वेश्वरैया ने एक सफल प्रणाली विकसित की। उन्होंने बिहार में गंगा नदी पर मोकामा पुल की स्थापना के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता साझा की।
- उन्हें वर्ष 1912 में मैसूर का दीवान नियुक्त किया गया और उन्होंने सात साल तक इस पद पर कार्य किया। नवंबर 1909 में विश्वेश्वरैया को मैसूर राज्य का मुख्य अभियंता नियुक्त किया गया। साथ ही उन्हें भारतीय विज्ञान संस्थान (बैंगलोर) से फेलोशिप भी मिली।
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अभियन्ता दिवस का इतिहास क्या है?
भारत में, इंजीनियर दिवस हर साल 15 सितंबर को सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो भारतीय इतिहास के सबसे प्रमुख इंजीनियरों में से एक थे।
इंजीनियर दिवस भारत में पहली बार वर्ष 1968 में सर एम. विश्वेश्वरैया के इंजीनियरिंग और राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान के सम्मान में मनाया गया था। एक इंजीनियर, विद्वान और राजनेता के रूप में उनके काम ने उन्हें गहरा सम्मान दिलाया और उनकी विरासत इंजीनियरों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है। सिविल इंजीनियरिंग में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण, भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को इंजीनियर्स डे के रूप में नामित किया।
अभियन्ता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
भारत सरकार ने वर्ष 1968 में आधिकारिक तौर पर 15 सितंबर को भारत में इंजीनियर्स दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिन राष्ट्र के लिए इंजीनियरों के योगदान को याद किया जाता है। यह तिथि मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती है, जिनका जन्म 15 सितंबर 1861 को हुआ था और इस दिन इंजीनियरिंग, शिक्षा और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान ने भारत के विकास को बहुत प्रभावित किया है।
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अभियन्ता दिवस का महत्व क्या है?
अभियन्ता दिवस का महत्व यहाँ बताया गया है-
- यह दिन उन सभी इंजीनियरों के योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने तकनीकी विकास, बुनियादी ढांचे की प्रगति और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- अभियन्ता दिवस इंजीनियरिंग के महत्व को उजागर करता है और नवाचार को प्रेरित करता है।
- यह दिवस युवाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- इंजीनियरिंग हर क्षेत्र में मौजूद है, चाहे वह निर्माण, संचार, ऊर्जा, या स्वास्थ्य सेवाएँ हों। अभियन्ता दिवस यह समझने का अवसर है कि कैसे इंजीनियरिंग समाज की उन्नति में योगदान देती है।
- अभियन्ता दिवस छात्रों और युवाओं को नवाचार की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि वे भविष्य में बेहतर इंजीनियर और देश के विकास में सहायक बन सकें।
अभियन्ता दिवस 2024 थीम?
किसी भी दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है, लेकिन वर्ष 2024 के लिए अभियन्ता दिवस की थीम की अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले वर्ष 2023 में इस दिवस की थीम ‘इंजीनियरिंग फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर (Engineering for a Sustainable Future) रखी गई थी।
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अभियन्ता दिवस कैसे मनाते हैं?
भारत में इंजीनियर्स दिवस को पूरे देश में इंजीनियरिंग संस्थानों, संघों और संगठनों द्वारा आयोजित विभिन्न गतिविधियों और पहलों द्वारा चिह्नित किया जाता है। इनमें शामिल हैं-
- विविध इंजीनियरिंग और तकनीकी विषयों पर केंद्रित सेमिनार, वर्कशॉप्स, लेक्चर, वेबिनार, पैनल डिस्कशन और एक्सहिबिशन आयोजित करना।
- इंजीनियरिंग छात्रों और पेशेवरों के कौशल और प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए प्रतियोगिताएँ, क्विज़ और वाद-विवाद आयोजित किए जाते हैं।
- इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों और मुद्दों पर प्रकाश डालने वाले लेख, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें और ब्लॉग प्रकाशित करना।
- उन इंजीनियरों के प्रति आभार और प्रशंसा व्यक्त करना जिन्होंने समाज और हमारे दैनिक जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
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FAQs
भारत हर साल 15 सितंबर को मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को श्रद्धांजलि देने के लिए इंजीनियर दिवस मनाया जाता है।
सर एम विश्वेश्वरैया एक प्रसिद्ध सिविल इंजीनियर थे, जिन्होंने मुख्य अभियंता के रूप में कई वास्तुशिल्प चमत्कारों के निर्माण की देखरेख की थी। उनकी याद में ही 1968 में भारत सरकार ने सर एम विश्वेश्वरैया की जयंती को इंजीनियर दिवस के रूप में घोषित किया था।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया भारत के पहले इंजीनियर थे। 15 सितंबर को उनकी जयंती को हर साल भारत में इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें उनके उत्कृष्ट कौशल के लिए भारत रत्न पुरस्कार मिला और उन्होंने देश भर में स्कूल और कई इंजीनियरिंग संस्थान स्थापित किए।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको अभियन्ता दिवस के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।