राजिंदर सिंह बेदी (Rajinder Singh Bedi Biography in Hindi) उर्दू साहित्य के विख्यात रचनाकारों में अपना अग्रणी स्थान रखते हैं। उन्होंने आधुनिक उर्दू साहित्य के प्रतिष्ठित असफ़ाना निगार ‘सआदत हसन मंटो’, ‘कृष्ण चंदर’ और ‘इस्मत चुग़ताई’ के सहयात्री रहने के बाद भी साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। बता दें कि राजिंदर सिंह बेदी साहित्य जगत के साथ साथ फ़िल्मी दुनिया में भी बतौर पटकथा लेखक, डायरेक्टर-प्रोड्यूसर और डायलॉग राइटर के रूप में भी कार्य किया था।
वहीं राजिंदर सिंह बेदी का कालजयी उपन्यास ‘एक चादर मैली सी’ के लिए उन्हें वर्ष 1965 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही उन्हें ‘एक चादर मैली सी’ और ‘गर्म कोट’ कहानी पर बनी फिल्म के लिए बेस्ट स्टोरी राइटर का ‘फिल्म फेयर अवार्ड’ भी मिला था।
राजिंदर सिंह बेदी की कई कालजयी कहानियाँ जिनमें ‘लाजवंती’, ‘अपने दुख मुझे दे दो’, ‘गर्म कोट’, ‘क्वारंटीन’, ‘कोख़ जली’ और ‘रहमान के जूते’ आदि को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में उर्दू विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी राजिंदर सिंह बेदी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम उर्दू के अज़ीम अफ़साना निगार राजिंदर सिंह बेदी का जीवन परिचय (Rajinder Singh Bedi Biography in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | राजिंदर सिंह बेदी (Rajinder Singh Bedi) |
जन्म | 1 सितंबर 1915 |
जन्म स्थान | सियालकोट, पंजाब |
पिता का नाम | हीरा सिंह |
शिक्षा | ख़ालसा कॉलेज |
पेशा | लेखक, पटकथा लेखक, डायरेक्टर-प्रोड्यूसर, डायलॉग राइटर |
भाषा | उर्दू |
विधाएँ | कहानी |
कहानी-संग्रह | ‘दाना-ओ-दाम’, ‘ग्रहन’, ‘कोख़ जली’ |
लोकप्रिय फिल्में | ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’, ‘देव दास’, ‘गर्म कोट’, ‘मुसाफ़िर’, ‘अभिमान’, ‘एक चादर मैली सी’ आदि। |
पुरस्कार | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘ग़ालिब अवार्ड’, ‘फिल्म फेयर अवार्ड’ |
निधन | 11 नवंबर 1984, महाराष्ट्र |
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लाहौर में हुआ जन्म
उर्दू के प्रतिष्ठित अफ़साना निग़ार राजिंदर सिंह बेदी (Rajinder Singh Bedi) का जन्म 01 सितंबर 1915 को लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘हीरा सिंह’ था जो पेशे से लाहौर के सदर बाजार डाकखाना में पोस्ट मास्टर थे। अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही उनकी माता का टीबी की गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया था।
कॉलेज के दिनों से हुई लेखन की शुरुआत
राजिंदर सिंह बेदी की आरंभिक शिक्षा लाहौर छावनी के स्कूल में हुई। यहाँ से चौथी कक्षा पास करने के बाद उनका दाखिला खालसा स्कूल में करा दिया गया। वर्ष 1931 में अपनी मैट्रिक की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास करने के बाद उन्होंने लाहौर के डी.ए.वी कॉलेज में दाखिला लिया। वहीं इसी दौर में उनके उनके लेखन कार्य की शुरुआत भी हो चुकी थी। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरन ही उनकी माता का निधन हो गया। इसके बाद उनकी शिक्षा के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी नहीं मिलती।
पोस्ट ऑफिस की नौकरी
वर्ष 1933 में उनके पिता के अनुरोध पर पोस्ट ऑफिस में नौकरी करनी पड़ी। किंतु उस समय भी उनका लेखन कार्य निरंतर जारी रहा। वर्ष 1934 में उनका विवाह भी हो गया।
कुछ वर्षों तक डाकखाने में नौकरी करने के बाद उन्होंने सन 1943 में नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके बाद जीवन में कई उतार-चढ़ाव से गुजरने के बाद उन्होंने रेडियो में ड्रामे लिखने का कार्य किया। इसके साथ ही लाहौर रेडियो स्टेशन में बतौर स्क्रिप्ट राइटर के रूप में भी काम किया।
विभाजन के बाद छोड़ना पड़ा लाहौर
राजिंदर सिंह बेदी ने रेडियो स्टेशन का काम भी कुछ समय बाद छोड़ किया और लाहौर की एक फ़िल्म कंपनी में नौकरी करने लगे। लेकिन यह काम भी उन्हें ज्यादा समय तक रास नहीं आया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1946 में स्वयं का ‘संगम पब्लिशिंग हाऊस’ स्थापित किया। किंतु इसके ठीक एक वर्ष बाद ही भारत-पाकिस्तान का विभाजन हो गया। इस कारण उन्हें लाहौर को हमेशा के लिए छोड़ना पड़ा।
फ़िल्मी दुनिया से मिली प्रसिद्धि
विभाजन के बाद राजिंदर सिंह बेदी का कुछ समय शिमला और रोपड़ में बीता। इसके बाद उन्हें जम्मू रेडियो स्टेशन में डायरेक्टर के रूप में काम किया। किंतु सहयोगियों से बढ़ती तल्खियों के कारण उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और बंबई आ गए। जहाँ एक नई दुनिया उनका इंतजार कर रही थी।
बंबई में चंद समय में ही उनकी प्रसिद्धि का दौर शुरू हो गया जो जीवन के अंत तक रहा। बता दें कि फ़िल्मी दुनिया में राजिंदर सिंह बेदी ने कई फिल्मों के लिए बतौर स्क्रीन राइटर, डायलॉग राइटर, फिल्म निदेशक व फिल्म निर्माता के रूप में काम किया। वहीं उनकी फिल्म ‘दाग़’ बहुत बड़ी हिट साबित हुई। इसके बाद उन्हें वर्ष 1956 में गर्म कोट कहानी के लिए फिल्म फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया। वहीं दूसरा फिल्म फेयर अवार्ड उन्हें ‘मधूमती’ के बेहतरीन संवादों के लिए मिला।
राजिंदर सिंह बेदी की साहित्यिक रचनाएँ
राजिंदर सिंह बेदी (Rajinder Singh Bedi Biography in Hindi) ने उर्दू साहित्य में मुख्य रूप से कई अनुपम कहानियों का सृजन किया। जो उर्दू कथा साहित्य में ‘मील का पत्थर’ मानी जाती हैं। यहाँ राजिंदर सिंह बेदी के संपूर्ण कहानी संग्रह (Rajinder Singh Bedi Books) के बारे में बताया जा रहा है। जो कि इस प्रकार हैं:-
कहानी-संग्रह
- ग्रहन – वर्ष 1942
- दाना-ओ-दाम – वर्ष 1946
- कोख जली – वर्ष 1949
फ़िल्मी दुनिया का सफर
यहाँ राजिंदर सिंह बेदी (Rajinder Singh Bedi Biography in Hindi) की कुछ प्रमुख फिल्मों के बारे में बताया जा रहा हैं, जिन्हें आप नीचे दी गई तालिका में देख सकते हैं:-
फिल्म | कार्य |
बड़ी बहन | संवाद |
आराम | संवाद |
दाग़ | संवाद |
मिर्ज़ा ग़ालिब | संवाद |
देवदास | संवाद |
गर्म कोट | संवाद, स्क्रीन राइटर, निर्देशन |
मिलाप | संवाद |
बसंत विहार | संवाद |
मुसाफिर | संवाद |
मधुमती | संवाद |
बंबई का बाबू | संवाद |
अनुराधा | संवाद |
मेम-दीदी | स्क्रीन राइटर |
आस का पंछी | स्क्रीन राइटर |
रंगोली | संवाद, स्क्रीन राइटर, निर्देशन |
मेरे सनम | स्क्रीन राइटर |
अनुपमा | संवाद |
बहारों के सपने | संवाद |
मेरे हमदम मेरे दोस्त | स्क्रीन राइटर |
सत्यकाम | संवाद |
दस्तक | स्क्रीन राइटर, निर्देशन |
ग्रहण | संवाद |
अभिमान | संवाद |
फागुन | निर्देशन, फिल्म निर्माता |
नवाब साहिब | निर्देशन |
मुट्ठी भर चावल | कहानी |
आखों देखी | निर्देशन |
एक चादर मैली सी | कहानी |
पुरस्कार एवं सम्मान
राजिंदर सिंह बेदी (Rajinder Singh Bedi Biography in Hindi) को उर्दू साहित्य व फ़िल्मी जगत में अपना विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- ग़ालिब अवार्ड
- फिल्म फेयर अवार्ड
- बता दें कि पंजाब सरकार उनके सम्मान में उर्दू साहित्य का ‘राजिंदर सिंह बेदी अवार्ड’ भी शुरू किया है।
निधन
कई दशकों तक उर्दू साहित्य और फ़िल्मी दुनिया में अपनी लेखनी से रोशनियाँ बिखरेने वाले राजिंदर सिंह बेदी का कैंसर की गंभीर बीमारी के कारण 11 नवंबर 1984 को मुंबई में निधन हो गया। किंतु अपनी कालजयी कृतियों के लिए वह हमेशा साहित्य जगत में याद किए जाते रहेंगे।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ उर्दू के अज़ीम अफ़साना निगार राजिंदर सिंह बेदी का जीवन परिचय (Rajinder Singh Bedi Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
राजिंदर सिंह बेदी का जन्म 01 सितंबर 1915 को लाहौर में हुआ था।
राजिंदर सिंह बेदी के पिता का नाम हीरा सिंह था जो पेशे से लाहौर के सदर बाजार डाकखाना में पोस्ट मास्टर थे।
कोख़ जली राजिंदर सिंह बेदी का तीसरा कहानी संग्रह है, जिसका प्रकाशन वर्ष 1949 में हुआ था।
राजिंदर सिंह बेदी को गर्म कोट फिल्म के लिए वर्ष 1956 में ‘फिल्म फेयर पुरस्कार’ से नवाजा गया था।
राजिंदर सिंह बेदी का 11 नवंबर 1984 को मुंबई में निधन हो गया था।
आशा है कि आपको उर्दू के अज़ीम अफ़साना निगार राजिंदर सिंह बेदी का जीवन परिचय (Rajinder Singh Bedi Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।