कारगिल युद्ध 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध भारत ने अपने दम पर जीता था। इस युद्ध में भारत के सारे जांबाज़ फौजी लड़े थे। ऐसे ही कुछ महान सैनिक या अफसर थे जिन्होंने अपनी जान भारत के लिए कुर्बान कर दी थी। इनमें से कुछ जवानों को भारत सरकार की ओर से परमवीर चक्र दिया गया था। आइए जानते हैं कि कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता के बारे में।
क्या होता है परमवीर चक्र?
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य ऑर्नमेंटशन है, जो दुश्मनों की उपस्थिति में बड़े प्रकार की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत (शहीद होने के बाद) दिया जाता है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत रिपब्लिक देश घोषित हुआ था।
कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता के नाम क्या-क्या हैं?
कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता के नाम इस प्रकार हैं:
कैप्टन विक्रम बत्रा
आर्मी कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना की 13वीं बटालियन, जम्मू और कश्मीर राइफल्स के आर्मी ऑफिसर थे। विक्रम ने कारगिल युद्ध की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विक्रम द्वारा अत्यंत बहादुरी का प्रदर्शन द्रास सेक्टर में प्वाइंट 5140 (कोडनेम ‘प्वाइंट 4875’) पर दोबारा कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपनी बटालियन का सफल नेतृत्व किया। विक्रम जी को को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
राइफलमैन संजय कुमार
राइफलमैन संजय कुमार जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन के बहादुर सिपाही थे। संजय ने 16,000 फीट की ऊंचाई की एक महत्वपूर्ण पॉइंट पर दोबारा कब्जा करने में अहम किरदार निभाया था। इस दौरान उन्होंने अपने असीम साहस से कई दुश्मन सैनिकों को अकेले ही मार दिया था। देश के लिए उनकी ओर से किए कार्य के लिए संजय जी को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
ग्रेनेडियर वाई एस यादव
कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव का जन्म 10 मई 1980 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक फौजी परिवार में हुआ था। उनके पिता राम करण सिंह यादव ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में कुमाऊं रेजिमेंट में सेवा की थी। योगेन्द्र मात्र 16 वर्ष की आयु में भारतीय आर्मी में शामिल हो गए थे। योगेन्द्र कारगिल के युद्ध के समय 19 वर्ष के थे। इस युद्ध में योगेन्द्र को पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से 15 गोलियां लगी थीं लेकिन उसके बाद भी उन्होंने लड़ना नहीं छोड़ा था। योगेंद्र उन जीवित सैनिकों में से एक हैं जिन्हें जीवित रहते ही परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे 1/11 गोरखा राइफल्स में 1999 में ड्यूटी के दौरान तैनात थे। लेफ्टिनेंट मनोज ने भी कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का परिचय दिया था। अपने अत्यंत साहस के साथ उन्होंने पाकिस्तान की ओर से कब्ज़ी की सीमा चौकियों को अपने कब्जे में लिया था। असीम विशिष्ट वीरता और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था।
सम्बंधित आर्टिकल्स
FAQs
भारत में परमवीर चक्र पाने वाले पहले जवान का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा था।
सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव थे।
कारगिल युद्ध में 4 सैनिकों को परमवीर चक्र मिला जिनके नाम: कैप्टन विक्रम बत्रा, राइफलमैन संजय कुमार, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव और लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे शामिल थे।
आशा करते हैं कि आपको इस ब्लाॅग में कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। कारगिल दिवस से संबंधित अन्य ब्लाॅग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।