Independence Day Poem in Hindi : 15 अगस्त 2024 को भारत 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। जैसे-जैसे यह दिन करीब आ रहा है, स्कूलों में विभिन्न गतिविधियाँ और प्रतियोगिताएं भी बढ़ रही हैं। इनमें से नारा लेखन, निबंध लेखन, भाषण और प्रश्नोत्तरी सबसे लोकप्रिय और आम हैं। इसके अलावा स्टूडेंट्स को स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं लिखने और सुनाने का मौका भी मिल सकता है। इसलिए इस ब्लाॅग में आप स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं (Swatantrata Diwas par Kavita) पढ़ पाएंगे और देश की आजादी की गाथा के बारे में बता पाएंगे जिसे सुनकर लोग तालियां बजाने पर मजबूर हो जाएंगे।
Independence Day Poem in Hindi
स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं (Independence Day Poem in Hindi)
स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति की अलख जगाने वाली कविताएं (Independence Day Poem in Hindi) इस प्रकार हैं-
जहाँ मन भयमुक्त हो- रवींद्रनाथ टैगोर
जहाँ मन भयमुक्त हो
जहाँ मन भयमुक्त हो और सिर ऊँचा हो
जहाँ ज्ञान मुक्त हो
जहाँ दुनिया को टुकड़ों में नहीं तोड़ा गया हो
संकीर्ण घरेलू दीवारों द्वारा
जहाँ शब्द सत्य की गहराई से निकलते हैं
जहाँ अथक प्रयास पूर्णता की ओर अपनी भुजाएँ फैलाता है
जहाँ तर्क की स्पष्ट धारा ने अपना रास्ता नहीं खोया है
मृत आदत की सुनसान रेगिस्तानी रेत में
जहाँ मन को तुम्हारे द्वारा आगे बढ़ाया जाता है
सदैव व्यापक विचार और क्रिया में
स्वतंत्रता के उस स्वर्ग में, मेरे पिता, मेरे देश को जगाओ।
रवींद्रनाथ टैगोर।
मेरा भारत- एपीजे अब्दुल कलाम
मेरा भारत
हमारा देश ऋषियों की भूमि है,
जो सदियों से वीरता के लिए जाना जाता है।
कोई भी इसका मुकाबला नहीं कर सकता,
इसकी संस्कृति को कोई हरा नहीं सकता।
चाहे कोई भी जाति या धर्म हो,
सभी यहाँ एक साथ रहते हैं।
नदियों, मीठे झरनों,
यह ऊँचे पहाड़ों की भूमि है।
इसके हरे-भरे जंगल सुंदर हैं,
और समृद्धि का स्रोत हैं।
आइए इसके लिए कड़ी मेहनत करें,
इसकी सुरक्षा के लिए, सतर्क रहें।
-एपीजे अब्दुल कलाम
जब भी बच्चे देखते हैं…
जब भी बच्चे देखते हैं
हाथों में झंडा है।
सभी एक पंक्ति में चलते हैं
बहुत अनुशासन दिखाते हैं वे
दिल से देशभक्ति
बहुत तेजी से आगे बढ़ते हैं
सफेद, केसरिया और हरा
बहुत सारे रंगों का मतलब है
गतिशील बनो, पहिया बताता है
अपने देश के लिए,
गर्व महसूस करो
हमारा झंडा ऊंचा फहराए
क्योंकि यह सबसे मूल्यवान है।
विद्यार्थियों के लिए छोटी स्वतंत्रता दिवस कविताएं
Independence Day Poem in Hindi के माध्यम से आप Swatantrata Diwas par Kavita के उन शब्दों को भी पढ़ पाएंगे, जो विद्यार्थियों के जीवन को प्रेरित कर सकती हैं। यह कविताएं निम्नलिखित हैं-
राष्ट्रहित सर्वोपरि
“छात्र शक्ति हैं, हम हमारे राष्ट्र की राष्ट्र शक्ति है
ज्ञान पाना हमारा लक्ष्य है, यही हमारी राष्ट्र भक्ति है
गुलाम मानसिकता में पनपती नहीं देशभक्ति कभी
राष्ट्रहित सर्वोपरि ही हमारी पहली युक्ति है
देश का भविष्य है हम
हम ही विकासशील भारत का गौरव हैं
विश्व-कल्याण की कामना से तत्पर
हम ही भारत की शौर्य गाथा हैं…”
–मयंक विश्नोई
स्वतंत्रता दिवस
“विद्या के मंदिर से एक ही शंखनाद होता है
हर बुराई के अंत के पीछे एक प्रकाश होता है
स्वतंत्रता दिवस प्रतीक है सुशासन और सम्मान का
स्वतंत्रता दिवस प्रतीक है सच्चे लोक कल्याण का
इस स्वतंत्रता की ऋतु का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है
पुरखों के बलिदान से मिली ये स्वतंत्रता हमारी जिम्मेदारी है
इस जिम्मेदारी को निभाने वाले नन्हें सिपाही हैं
भारत माँ के लाल हैं हम, हम सद्कर्मों के सिपाही हैं…”
-मयंक विश्नोई
बच्चों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर छोटी कविताएं
स्वतंत्रता दिवस पर कुछ छोटी कविताएं इस प्रकार हैं-
स्वतंत्र भारत
“तमस को त्याग नित नई खोज में निकलता
सूर्य की किरणों से स्वयं को प्रकाशित करता
समग्र विश्व को अपना कुटुंब मानता
उन्नत हो, समृद्ध हो अपना स्वतंत्र भारत
बलिदानियों को न कभी भुलाया जाए
राष्ट्र पर मर मिटने वालों का न कभी उपहास बनाया जाए
वीरों की भांति वीरता को अपनाया जाए
कर्तव्य पथ पर हो अग्रसर अपना स्वतंत्र भारत…”
-मयंक विश्नोई
झंडा ऊंचा हमारा रहे
“शरीर का रोम-रोम, रक्त में उबाल भरे
राष्ट्र पर समर्पण के लिए तन-मन तैयार रहे
निराशाओं का नाश आओ मिलकर करें
आज़ाद हवाओं में हमेशा झंडा ऊंचा हमारा रहे
अतीत की सारी बदल कर तस्वीरें
तोड़कर मन से गुलामी की जंजीरें
विचार आजादी की गौरव गाथाएं कहें
आज़ादी के इस जश्न में झंडा ऊंचा हमारा रहे…”
-मयंक विश्नोई
मातृभूमि
“जिस भूमि ने आप पर लाड़ जताया सदा
उस माटी को सिर पर तिलक के रूप में स्वीकार करें
जिस मातृभूमि के लिए आपने यश कमाया सदा
उस पुण्यभूमि पर अपना सब कुछ बलिदान करें
क्योंकि मातृभूमि माँ होती है
और माँ की पीड़ाओं के आगे अपने
सारे सुख और वैभव को त्यागना ही,
सबसे बड़ी देशभक्ति होती है…”
-मयंक विश्नोई
स्वतंत्रता दिवस पर प्रसिद्ध कवियों की कविताएं
आज़ादी पर प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखी गईं (Swatantrata Diwas par Kavita) यहां दी जा रही है जिन्हें पढ़कर आप आजादी की गाथा गा पाएंगे-
जिस देश में गंगा बहती है…
होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है
ज़्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुज़ारा होता है
बच्चों के लिये जो धरती माँ, सदियों से सभी कुछ सहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है…
कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं, इन्सान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं
मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज़ यही जो रहती
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है…
जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने
अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है…
”-शैलेन्द्र
आज़ादी
इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,
हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं
मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं
असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता
रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं
रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका
कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं
यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में
वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं…
सितम ऐसा नहीं देखा, जफ़ा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है, जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’
तो हम डरकर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं…”
-राम प्रसाद बिस्मिल
आह्वान
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे…”
-अशफाकउल्ला खां
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