IMF in Hindi: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना, संरचना, कार्य, उद्देश्य और विशेषताएं

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IMF in Hindi

IMF in Hindi: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक ऐसा विषय है, जिससे जुड़े प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में करंट अफेयर्स के रूप में पूछे जाते हैं, इसके साथ ही इस विषय पर UPSC में प्री, मेंस एग्जाम और इंटरव्यू में भी महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए कैंडिडेट्स को रोजाना हो रहीं आसपास और देश-दुनिया की घटनाओं को समझना होगा। आईएमएफ का फुल फॉर्म International Monetary Fund होता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कहा जाता है। यह एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसे वैश्विक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया था।

बता दें कि UPSC परीक्षा में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से संबंधित कई प्रश्न पूछे जाते हैं। इस ब्लॉग में कैंडिडेट्स के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF UPSC in Hindi) की संपूर्ण जानकारी दी गई है, इसलिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष क्या है?

इंटरनेशनल माॅनेटरी फंड (IMF in Hindi) यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) अपने सभी 190 सदस्य देशों के लिए सतत विकास और समृद्धि प्राप्त करने के लिए काम करता है। यह ऐसी आर्थिक नीतियों का समर्थन करके ऐसा करता है जो वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देती हैं, जो उत्पादकता, रोजगार और आर्थिक कल्याण को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं। IMF का मुख्यालय वॉशिंगटन, डी.सी., अमेरिका में स्थित है। 

IMF की स्थापना और इतिहास

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से IMF की स्थापना की गई थी। इतिहास के पन्ने पलटे जाए तो आप जानेंगे कि वर्ष 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर राज्य में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें 44 देशों ने भाग लिया। इसी सम्मेलन में वैश्विक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से IMF और विश्व बैंक की स्थापना का निर्णय लिया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 27 दिसंबर 1945 को अपने चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ औपचारिक रूप से कार्य करना शुरू किया। बता दें कि प्रारंभ में IMF के केवल 29 सदस्य देश थे, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर 190 हो चुकी है। आज भी IMF का मुख्य उद्देश्य आर्थिक संकट का सामना कर रहे देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाना है।

IMF की संरचना और संगठन

IMF की संरचना और संगठन तीन प्रमुख अंगों में विभाजित किया गया है, जिन्हें नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है –

  • गवर्नर्स बोर्ड
  • कार्यकारी बोर्ड
  • प्रबंध निदेशक

गवर्नर्स बोर्ड

गवर्नर्स बोर्ड IMF का सर्वोच्च नीति निर्धारण निकाय है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश से एक गवर्नर और एक वैकल्पिक गवर्नर होता है। इसमें गवर्नर आमतौर पर उस देश का वित्त मंत्री या केंद्रीय बैंक का प्रमुख होता है। यह बोर्ड साल में एक बार बैठक करता है।

कार्यकारी बोर्ड

यह IMF की दैनिक गतिविधियों और नीतियों के कार्यान्वयन का प्रबंधन करता है। इसमें 24 निदेशक होते हैं, जो विभिन्न देशों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके साथ ही यह कार्यकारी बोर्ड IMF की नीतियों और ऋण कार्यक्रमों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रबंध निदेशक

प्रबंध निदेशक IMF के प्रमुख होते हैं और कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। इनका कार्यकाल पांच वर्षों का होता है और यह दोबारा चुने जा सकते हैं।

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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझें, जो कुछ इस प्रकार हैं –

  • IMF वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक स्थिति की निगरानी करता है।
  • इसके साथ ही यह सदस्य देशों को उनकी आर्थिक नीतियों में सुधार के लिए सुझाव प्रदान करता है।
  • इसकी वार्षिक रिपोर्ट और विश्लेषण वैश्विक आर्थिक स्थिति को समझने में सहायता प्रदान करती है।
  • IMF आर्थिक संकट का सामना कर रहे देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। आसान भाषा में कहा जाए तो यह सहायता देशों को अपने भुगतान संतुलन संकट (Balance of Payments Crisis) को हल करने और आर्थिक स्थिरता लाने में मददगार साबित होती है।
  • IMF के प्रमुख ऋण कार्यक्रमों में स्टैंडबाय अरेंजमेंट (SBA), विस्तारित फंड सुविधा (EFF), और त्वरित वित्तीय सहायता (RFI) शामिल होती है।
  • IMF सदस्य देशों को आर्थिक नीतियों और प्रबंधन में तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करता है, जो कि सार्वजनिक वित्त, मौद्रिक नीति, बैंकिंग प्रणाली, और सांख्यिकी जैसे क्षेत्रों में दी जाती है।
  • IMF सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करता है। यह वैश्विक वित्तीय संकटों के प्रभाव को कम करने और उनके समाधान के लिए कार्य करने भी मुख्य भूमिका निभाता है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं –

  • अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को आगे बढ़ाना।
  • व्यापार और आर्थिक विकास के विस्तार को प्रोत्साहित करना।
  • विदेशी मुद्रा दर में स्थिरता।
  • मुद्रा भंडार।
  • सलाहकारी एवं तकनीकी सहायता।
  • कम आय वाले देशों के लिए सहायता।
  • मौद्रिक आरक्षित निधि की स्थापना।
  • प्रतिस्पर्धी मुद्रा अवमूल्यन (Competitive Currency Devaluation) पर जाँच करें।
  • समृद्धि को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियों को हतोत्साहित करना।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की विशेषताएं

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं-

  • यह वैश्विक वित्तीय संकटों से निपटने के लिए देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें समुचित आर्थिक नीतियों को अपनाने के लिए मार्गदर्शन करता है।
  • IMF सदस्य देशों को आर्थिक संकटों से उबरने के लिए कर्ज़ प्रदान करता है।
  • इसके माध्यम से सदस्य देशों को IMF के नियमों और नीतियों का पालन करना होता है, जिससे वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में संतुलन बना रहता है।
  • यह सदस्य देशों को अपने बजट, मुद्रा नीति, और अन्य वित्तीय नीतियों को सुधारने के लिए तकनीकी सहायता और सलाह देता है, ताकि वे अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

IMF द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता

IMF द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता की जानकारी को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जाना जा सकता है –

  • स्टैंड-बाय अरेंजमेंट्स (SBA): यह सहायता तब दी जाती है जब कोई देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा हो और उसे अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए तत्काल सहायता की आवश्यकता हो। SBA के तहत, IMF सदस्य देश को कुछ शर्तों के साथ ऋण प्रदान करता है, जो आर्थिक सुधारों के लिए लागू होती हैं।
  • एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF): जब किसी देश को आर्थिक संकट से उबरने के लिए दीर्घकालिक सहायता की आवश्यकता होती है, तो इसके तहत सहायता प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन देशों के लिए है जो आर्थिक संरचनात्मक सुधारों जैसे कि मुद्रास्फीति नियंत्रण, बजट घाटे को कम करना, और आर्थिक सुधारों की दिशा में काम करना आदि को लागू करना चाहते हैं।
  • सुधार एवं विकास कार्यक्रम (Structural Adjustment Programs – SAP): यह कार्यक्रम विशेष रूप से उन देशों के लिए है जो उच्च ऋण संकट, मुद्रास्फीति, और अन्य आर्थिक असंतुलनों का सामना कर रहे होते हैं। SAP के तहत, IMF देशों को ऋण के बदले आर्थिक सुधारों को लागू करने की शर्तें देता है।
  • कर्ज राहत कार्यक्रम (Debt Relief Programs): IMF कर्ज संकट से जूझ रहे देशों के लिए कर्ज राहत कार्यक्रम भी प्रदान करता है। यह कार्यक्रम विशेष रूप से उन देशों के लिए है जो भारी कर्ज के बोझ तले दबे हुए होते हैं।
  • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR): SDR एक अंतर्राष्ट्रीय रिजर्व संपत्ति है, जिसे IMF सदस्य देशों को वितरित किया जाता है। यह एक प्रकार की वैकल्पिक मुद्रा है, जिसे सदस्य देश अन्य मुद्राओं में बदल सकते हैं।

IMF के फंडिंग स्रोत

IMF के पास फंडिंग का एक विविध स्रोत है, जो उसे अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम बनाता है। इन स्रोतों में सदस्य देशों से प्राप्त कोटा, ऋण, और अन्य वित्तीय उपकरण शामिल हैं। IMF सदस्य देशों को विभिन्न प्रकार के ऋण प्रदान करता है, जिनका उद्देश्य देशों को आर्थिक संकटों से उबारना और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना होता है। IMF के द्वारा जारी किए गए विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी एक महत्वपूर्ण फंडिंग स्रोत होते हैं। IMF कभी-कभी विशेष परिस्थितियों में सदस्य देशों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए विशेष ऋण समझौतों का आयोजन करता है। इसके साथ ही IMF अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए वैश्विक वित्तीय बाजारों से भी धन जुटाता है। 

IMF के फायदे

IMF के फायदे कुछ इस प्रकार है, जिन्हें नीचे दिए गए बिंदुओं से आसानी से समझा जा सकता है –

  • आर्थिक संकट में सहायता मिलना।
  • वैश्विक वित्तीय स्थिरता को महत्व देना।
  • आर्थिक सुधारों के लिए मार्गदर्शन करना।
  • न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करना।
  • वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना।
  • सदस्य देशों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  • वैश्विक वित्तीय संकट को रोकने में मदद करना।

IMF के नुकसान

IMF के नुकसान भी हैं, जिन्हें नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है –

  • IMF द्वारा दिए गए कर्ज की वापसी के लिए सख्त शर्तें होती हैं, जो अक्सर देशों की आर्थिक नीतियों को प्रभावित करती हैं।
  • इसमें अक्सर संरचनात्मक सुधारों का दबाव बना रहता है, उदाहरण के तौर पर, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती से गरीबों की स्थिति और खराब हो सकती है।
  • विकासशील देशों के लिए असमान प्रभाव अधिक नकारात्मक रूप से पड़ता है। इन उपायों का असर आम जनता पर पड़ता है, जिससे महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है।
  • IMF के कर्ज और शर्तों के कारण कई देशों की आर्थिक संप्रभुता प्रभावित हो सकती है। IMF द्वारा लगाए गए सुधारों और नीतियों को लागू करने के लिए देशों को अपनी स्वायत्तता का त्याग करना पड़ता है।
  • IMF द्वारा लागू किए गए उपायों के परिणामस्वरूप, कुछ देशों में दीर्घकालिक विकास में कमी देखी गई है।
  • IMF के निर्णयों में कभी-कभी वैश्विक शक्तियों का प्रभाव भी देखा जाता है।

IMF की चुनौतियाँ

IMF की चुनौतियाँ कुछ इस प्रकार हैं –

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक वैश्विक आर्थिक असमानता है।
  • IMF के निर्णयों और नीतियों में अक्सर विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद उत्पन्न होते हैं।
  • IMF को अक्सर उन देशों में वित्तीय सहायता प्रदान करनी होती है जो ऋण संकट से जूझ रहे होते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक बड़ी चुनौती के समान है।
  • डिजिटल मुद्राएँ और क्रिप्टोकरेंसी वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक नई चुनौती के रूप में उभर रही हैं। 

IMF और भारत के बीच संबंध

IMF और भारत के बीच संबंध को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है –

  • IMF के सदस्य के रूप में भारत को आर्थिक नीति निर्धारण में भागीदारी का अधिकार प्राप्त है।
  • IMF के निर्णयों में भारत का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, खासकर जब बात वैश्विक वित्तीय संकटों और आर्थिक सुधारों की होती है।
  • वर्ष 1991 में भारत को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था, तब IMF से ऋण लेने के बाद भारत ने कई संरचनात्मक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाए।
  • IMF भारत को आर्थिक नीति निर्धारण में मार्गदर्शन प्रदान करता है, साथ ही इसके सुझावों से भारत को अपने वित्तीय और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

UPSC के लिए IMF in Hindi से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु – Key Points for IMF UPSC in Hindi

  • UPSC परीक्षा में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की परिभाषा और इसके महत्व के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • इस परीक्षा में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य, वैश्विक स्तर पर उसके प्रभाव के बारे में जानने को मिलेगा।
  • UPSC की तैयारी करते समय IMF के इतिहास, उद्देश्य, कार्य, और भारत के साथ इसके संबंधों पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • IMF के आलोचनात्मक दृष्टिकोण और सुधार कार्यक्रमों पर भी विचार करना चाहिए, ताकि आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें।

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FAQs

IMF की फुल फाॅर्म क्या है?

International Monetary Fund.

आईएमएफ का कार्य क्या है?

सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखना।

आईएमएफ कौन कौन सी रिपोर्ट जारी करता है?

विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने, सदस्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने, और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य करता है।

IMF की स्थापना कब हुई थी?

IMF की स्थापना जुलाई 1944 में संयुक्त राष्ट्र ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी। उपस्थित 44 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक रूपरेखा बनाने और 1930 के दशक की महामंदी में योगदान देने वाले प्रतिस्पर्धी मुद्रा अवमूल्यन (competitive currency devaluation) को दोहराने से बचने की मांग की।

IMF का मुख्यालय कहां स्थित है?

IMF का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।

IMF में कितने सदस्य देश हैं?

IMF में वर्तमान में 190 सदस्य देश हैं, जो वैश्विक पटल पर आर्थिक सुधार करने और प्रगति की राह पर चलने के लिए नीतियों का निर्धारण करते हैं।

IMF में भारत की भूमिका क्या है?

भारत IMF का एक संस्थापक सदस्य है और इसका आर्थिक योगदान संगठन के निर्णयों में प्रभाव डालता है। भारत IMF से वित्तीय सहायता प्राप्त करता रहा है और इसके नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाता है।

IMF का विशेष आहरण अधिकार (SDR) क्या है?

SDR (Special Drawing Rights) IMF द्वारा बनाई गई एक अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति है, जिसका उपयोग सदस्य देश अपनी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कर सकते हैं।

IMF द्वारा भारत को कौन-कौन सी सहायता दी गई है?

IMF ने भारत को विभिन्न आर्थिक संकटों के दौरान सहायता प्रदान की है, उदाहरण के लिए 1991 का भुगतान संतुलन संकट। इसके साथ ही, IMF भारत को आर्थिक सुधार और नीतिगत मार्गदर्शन में मदद करता है।

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