ITCZ in Hindi: अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की परिभाषा, विशेषता, महत्व और मुख्य लक्षण

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ITCZ in Hindi

ITCZ in Hindi: अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पृथ्वी पर, भूमध्य रेखा के समीप वृत्ताकार क्षेत्र है, जिसे अंग्रेजी में ‘इंटर-ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन’ कहा जाता है। पृथ्वी पर यह वह क्षेत्र है, जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों की व्यापारिक हवाएँ, यानी पूर्वोत्तर व्यापारिक हवाएँ तथा दक्षिण-पूर्व व्यापारिक हवाएँ एक जगह मिलती हैं। इस क्षेत्र का महत्व जलवायु, मानसून और वैश्विक मौसम प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण बढ़ जाता है। 

UPSC परीक्षा की तैयारी में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र से संबंधित जानकारी भूगोल और पर्यावरण खंड के लिए महत्वपूर्ण है। बता दें कि UPSC परीक्षा में ITCZ से संबंधित कई प्रश्न किए जाते हैं। इस ब्लॉग में कैंडिडेट्स के लिए अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ UPSC in Hindi) की संपूर्ण जानकारी दी गई है, इसलिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें। 

ITCZ की परिभाषा

ITCZ की फुल फॉर्म ‘अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र’ (Intertropical Convergence Zone) होती है। ITCZ पृथ्वी पर, भूमध्य रेखा के पास वृत्ताकार क्षेत्र है। पृथ्वी का यह वह क्षेत्र है, जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों की व्यापारिक हवाएं एक जगह आकर मिलती हैं। बता दें कि भूमध्य रेखा पर सूर्य का तीव्र तापमान और गर्म जल ITCZ में हवा को गर्म करते हुए इसकी आर्द्रता (Humidity) को बढ़ा देते हैं जिससे यह उत्प्लावक (Buoyant) बन जाता है। वहीं व्यापारिक हवाओं के अभिसरण के कारण यह ऊपर की तरफ उठने लगता है। ध्यान दें कि ऊपर की तरफ उठने वाली यह हवा जब फैलकर ठंडी हो जाती है, तब इसके कारण भयावह आँधी तथा भारी बारिश शुरू हो जाती है।

अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की विशेषताएं

अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ in Hindi) की विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  • ITCZ एक कम दबाव बेल्ट है, जहां हवा ऊपर उठती है। आसान भाषा में कहें तो यह कम दबाव का क्षेत्र होता है।
  • अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र भारतीय मानसून पर भी बड़ा प्रभाव डालता है। मानसून की शुरुआत और वापसी भी इसके स्थान पर ही निर्भर करती है।
  • अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र में भारी मात्रा में वर्षा होती है, जिससे इसे “मानसून ट्रफ” भी कहा जाता है।
  • यह क्षेत्र उत्तर और दक्षिण में सूर्य की स्थिति के अनुसार बदलता है। बता दें कि ग्रीष्मकाल में यह उत्तरी गोलार्ध की ओर और शीतकाल में दक्षिणी गोलार्ध की ओर बढ़ता है।

अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र का महत्व

ITCZ का महत्व जलवायु, मौसमी परिवर्तन और वैश्विक वायुमंडलीय प्रक्रियाओं में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके महत्व को नीचे दिए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है:-

  • ITCZ वह क्षेत्र है जहां व्यापारिक हवाएं मिलती हैं, जिससे ऊपर की ओर वायुप्रवाह होता है और बादल बनते हैं। यह क्षेत्र जलवायु और वर्षा पर एक बड़ा प्रभाव डालता है।
  • यह क्षेत्र मानसून की शुरुआत और उसकी अवधि को प्रभावित करता है। विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया में, मानसून की वर्षा भी इस क्षेत्र की गति से निर्धारित होती है।
  • ITCZ द्वारा लाई गई वर्षा कृषि उत्पादन के लिए आवश्यक है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई की सीमित व्यवस्था होती हो। यह क्षेत्र खाद्य सुरक्षा और जल संसाधन उपलब्धता को सीधे प्रभावित करता है।
  • यह क्षेत्र ऊर्जा और नमी का पुनर्वितरण करता है, जिससे वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण (Global Atmospheric Circulation) प्रभावित होता है।
  • यह महासागरीय धाराओं (Ocean Currents) और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों (Tropical Cyclones) के निर्माण में भी योगदान करता है।
  • ITCZ से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों का जीवन वर्षा पर ही निर्भर करता है। इन क्षेत्रों में पारंपरिक कृषि, उत्सव, और जीवनशैली मौसमी बारिश से जुड़ी होती है।
  • यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए रेनफॉरेस्ट का निर्माण करता है, जो कि पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इस क्षेत्र का खिसकना सूखे, बाढ़ और अन्य मौसमी घटनाओं का कारण बन सकता है।

ITCZ का बदलता स्वरुप

ITCZ का बदलता स्वरुप स्थिर जलवायु को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है:-

  • इस क्षेत्र की गतिविधियों का सीधा प्रभाव कृषि उत्पादन और जल आपूर्ति पर पड़ता है।
  • उत्तरी गोलार्ध दक्षिणी गोलार्ध की तुलना में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र ​​की गति को अधिक स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।
  • इस क्षेत्र के बदलाव चक्रवातों की उत्पत्ति और उनकी तीव्रता को प्रभावित करते हैं।
  • पूर्वी एशिया में भी यह क्षेत्र ​​प्रसार भूमध्य रेखा के 30 डिग्री उत्तर तक फैल सकता है, इससे इस क्षेत्र में मानव जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
  • इस क्षेत्र के बदलते स्वरुप में ​​भूमध्य रेखा के उत्तर में 5 से 15 डिग्री तक फैलता हुआ देखा गया है।

ITCZ का निर्माण

अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ in Hindi) के निर्माण के बारे में जानिए:-

  • पृथ्वी की सतह पर सूर्य का सीधा विकिरण भूमध्य रेखा के आसपास अधिकतम होता है। इस क्षेत्र में अधिक गर्मी के कारण वायुमंडलीय दबाव कम हो जाता है, जिससे निम्न दबाव (Low Pressure Zone) का निर्माण होता है।
  • उत्तरी गोलार्ध से चलने वाली पूर्वी व्यापारिक हवाएं (Northeast Trade Winds) और दक्षिणी गोलार्ध से चलने वाली दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक हवाएं (Southeast Trade Winds) भूमध्य रेखा के पास मिलती हैं। इन हवाओं का मिलन ITCZ का निर्माण करता है।
  • व्यापारिक हवाओं के मिलन से हवा ऊपर की ओर उठती है, जिसे वायवर्धन (Convection) कहते हैं। यह उठने वाली हवा ठंडी होती है और संघनन (Condensation) के कारण बादल बनते हैं।
  • इस क्षेत्र में संघनन के कारण बादल घने हो जाते हैं जिससे भारी वर्षा होती है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए जाना जाता है।
  • इस क्षेत्र का स्थान स्थिर नहीं है; यह सूर्य के मार्ग के अनुसार उत्तर और दक्षिण की ओर खिसकता है। गर्मियों में यह भूमध्य रेखा से उत्तर की ओर (कर्क रेखा की ओर), और सर्दियों में दक्षिण की ओर (मकर रेखा की ओर) खिसकता है।

ITCZ का मौसम पर पड़ने वाला प्रभाव

ITCZ का मौसम पर पड़ने वाला प्रभाव (ITCZ UPSC in Hindi) इस प्रकार है:-

  • ITCZ में व्यापारिक हवाएं आपस में मिलती हैं और ऊपर उठती हैं, जिससे संघनन (Condensation) होता है। यह प्रक्रिया घने बादल और भारी वर्षा का कारण बनती है।
  • सूर्य के वार्षिक पथ के अनुसार खिसकने से भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्रों में मौसमी परिवर्तन होता है, जैसे गर्मी और बारिश के मौसम का निर्माण होना।
  • इस क्षेत्र की स्थिति में असामान्य बदलाव (जैसे बहुत उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकना) से सूखा या बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है।
  • यदि ITCZ किसी क्षेत्र में लंबे समय तक ठहरता है, तो वहां अत्यधिक वर्षा से बाढ़ आ सकती है। वहीं, अगर ITCZ किसी क्षेत्र से दूर रहता है, तो वहां सूखे की स्थिति बन सकती है।
  • इस क्षेत्र के कारण तटीय और द्वीपीय क्षेत्रों में आंधी-तूफान, भारी बारिश और समुद्री लहरों में बढ़ोतरी होती रहती है।
  • ITCZ के वर्षा चक्र के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खेती और फसल उत्पादन प्रभावित होता है। 
  • इसके कारण वायुमंडलीय दबाव का निम्न क्षेत्र बनता है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में हवाओं और तापमान के स्वरूप बदलते रहते हैं।
  • इसके कारण ही ग्लोबल क्लाइमेट सिस्टम पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र के मुख्य लक्षण

अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ in Hindi) के मुख्य लक्षणों को नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता हैं:-

  • अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र के लिए उत्तरी गोलार्ध की उत्तर-पूर्वी व्यापारिक हवाएं और दक्षिणी गोलार्ध की दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक हवाएं आपस में मिलती हैं। इसके कारण ऊर्ध्वाधर वायु प्रवाह (Vertical Airflow) उत्पन्न होता है।
  • इस क्षेत्र में वायुदाब कम होता है, क्योंकि गर्मी के कारण वायु ऊपर की ओर उठती है। इसे निम्न वायुदाब पट्टी (Low-Pressure Belt) के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह क्षेत्र अत्यधिक वर्षा और गरज-चमक के लिए प्रसिद्ध है, जिसे “डोलड्रम्स” (Doldrums) भी कहा जाता है।
  • इसकी स्थिति साल भर स्थिर नहीं रहती है, जो कि सूर्य के ताप के कारण उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकती रहती है।
  • इस क्षेत्र में गर्म हवा ऊपर उठती है, जिससे संघनन (Condensation) होता है और बादल बनते हैं। इसी प्रक्रिया से भारी बारिश होती है।
  • इस क्षेत्र में तापमान हमेशा गर्म रहता है, जो इस क्षेत्र की उच्च आर्द्रता और निम्न वायुदाब को बनाए रखने में सहायक भूमिका निभाता है।
  • ITCZ में हवाएं धीमी गति से चलती हैं, जिससे यहां नौकायन के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां बनती हैं। तभी इसे “हवा रहित पट्टी” भी कहा जाता है।

ITCZ और मानसून के बीच संबंध

ITCZ और मानसून के बीच संबंध (ITCZ in Hindi) इस प्रकार हैं:-

  • ITCZ का उत्तर या दक्षिण दिशा में खिसकना मानसून को प्रभावित करता है।
  • इसके तहत गर्मियों में, जब सूर्य उत्तर की ओर होता है, ITCZ उत्तर की ओर खिसकता है और दक्षिण एशिया में मानसून लाता है।
  • इस क्षेत्र के कारण वायुमंडलीय संघनन और भारी वर्षा होती है, जो मानसून के दौरान अत्यधिक सक्रिय हो जाती है।
  • इस क्षेत्र के खिसकने की गति मानसून की शुरुआत और समाप्ति को निर्धारित करती है।
  • ITCZ और मानसून की गतिविधियों पर “एल नीनो” (El Niño) और “ला नीना” (La Niña) जैसी वैश्विक घटनाओं का प्रभाव भी पड़ता है।

UPSC के लिए ITCZ से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

UPSC परीक्षा के लिए ITCZ से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:-

  • UPSC परीक्षा में ITCZ से संबंधित कई प्रश्न पूछे जा सकते हैं, जो भूगोल और पर्यावरण खंड से संबंधित हैं।
  • इस परीक्षा के प्रीलिम्स (Prelims) पेपर में ITCZ के स्थान, कार्य और प्रभाव से जुड़े वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • UPSC परीक्षा के मेन्स (Mains) पेपर में “आईटीसीज भारतीय मानसून को कैसे प्रभावित करता है?” जैसे निबंधात्मक प्रश्न पूछे जाते है।

FAQs

अंतः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?

यह भूमध्य रेखा के निकट का वह क्षेत्र है जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध की व्यापारिक हवाएं मिलती हैं। इस क्षेत्र में कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो कि बादलों के बनने और बारिश के लिए जिम्मेदार होता है।

ITCZ का विस्तार किस प्रकार होता है?

ITCZ का विस्तार भूमध्य रेखा से 5° उत्तर और दक्षिण अक्षांश तक हो सकता है। गर्मियों में यह उत्तरी गोलार्ध और सर्दियों में दक्षिणी गोलार्ध में ज्यादा प्रभावी होता है।

ITCZ और वाकर सर्कुलेशन में क्या संबंध है?

ITCZ वायुमंडलीय परिसंचरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वाकर सर्कुलेशन का हिस्सा है, जो व्यापारिक हवाओं और समुद्री सतह के तापमान के अंतर के कारण बनता है।

ITCZ के कारण किन-किन क्षेत्रों में वर्षा होती है?

ITCZ के कारण भूमध्य रेखा के निकट स्थित उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में भारी वर्षा होती है, जो कि सालभर नम और गर्म रहता है।

ITCZ और समुद्री व्यापारिक हवाएं का क्या संबंध है?

ITCZ व्यापारिक हवाओं के मिलने का स्थान है। यह हवाएं गर्म और नम होती हैं, जो इस क्षेत्र में कम दबाव बनाकर भारी वर्षा लाती हैं।

ITCZ का महत्व क्या है?

ITCZ ही सही मायनों में जलवायु परिवर्तन, मानसून और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करता है। ITCZ की स्थिति से ही भारत में मानसून का निर्धारण किया जाता है।

भारत के मानसून पर ITCZ का क्या प्रभाव है?

भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून ITCZ के उत्तर की ओर खिसकने के कारण सक्रिय होता है। आसान भाषा में समझा जाए तो जब ITCZ उत्तर में गंगा के मैदानी इलाकों तक पहुँचता है, तो यह मानसूनी बारिश को बढ़ावा देता है।

ITCZ का स्थान कैसे बदलता है?

ITCZ का स्थान मौसम और सूर्य की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है। गर्मियों में जहाँ यह उत्तर की ओर खिसकता है, तो वहीं सर्दियों में यह दक्षिण की ओर खिसकता है।

ITCZ की फुल फॉर्म क्या है?

ITCZ की फुल फॉर्म ‘अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र’ (Intertropical Convergence Zone) होती है। 

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