Gig Economy in Hindi: गिग इकॉनमी से आशय रोजगार की ऐसी व्यवस्था से है, जहां स्थायी तौर पर कर्मचारियों को रखे जाने के बजाए अल्प अवधि के लिए अनुबंध (Contract) पर रखा जाता है। इनमें उबर, ब्लिंकिट, ओला, स्विगी और ज़ोमैटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का नाम लिया जा सकता है। ध्यान दें कि गिग इकॉनमी (Gig Economy) से संबंधित प्रश्नों को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में अकसर पूछा जाता है। वहीं परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी कैंडिडेट्स को तेजी से उभरने वाली गीग इकोनॉमी के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए। इस ब्लॉग में कैंडिडेट्स के लिए गीग इकोनॉमी (Gig Economy in Hindi) के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है, इसलिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
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गिग इकॉनमी के बारे में – Gig Economy UPSC in Hindi
गिग इकोनॉमी (Gig Economy) एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है, जो लचीली कार्य व्यवस्था को संदर्भित करती है, जहाँ श्रम और संसाधनों का आदान-प्रदान डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाता है। भारत में गिग इकॉनमी से अभिप्राय लोगों द्वारा प्रायः रैपिडो, ब्लिंकिट, उबर, ओला, स्विगी और ज़ोमैटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अस्थायी या लचीली प्रकृति की नौकरियों से है। इसके तहत एजेंसियां तथा कंपनियां पारंपरिक रोजगार के बजाय स्वतंत्र ठेके (Freelance Contracts) पर काम कराती हैं। इसमें व्यक्तिगत रूप से काम करने वाले लोग अपने समय के अनुसार काम करके कमाई कर सकते हैं।
गिग इकॉनमी की विशेषताएं
गिग इकॉनमी की विशेषताएं (Gig Economy in Hindi) इस प्रकार हैं:-
- गिग इकॉनमी में कर्मचारी अपनी सुविधा के अनुसार काम करने का समय चुन सकते हैं।
- इसमें काम ढूंढने और प्रदान करने के लिए ऐप और वेबसाइट का इस्तेमाल किया जाता है। आसान भाषा में समझा जाए तो इसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे- Zomato, Swiggy, Uber, Fiverr, और Upwork) के माध्यम से नए क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाते है।
- इसमें कर्मचारियों की सृजनशीलता को बढ़ावा मिलता है, इसके साथ-साथ इसमें कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों को अधिक अवसर मिलते हैं।
- इसमें कर्मचारी किसी एक नियोक्ता पर निर्भर नहीं रहते हैं, यानी एक ही समय पर अपनी सुविधा के अनुसार कर्मचारी कई अन्य प्रोजेक्ट्स और प्लेटफॉर्म पर काम कर सकते हैं।
- इसमें लंबे समय के बजाय छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स पर ध्यान दिया जाता है।
- गिग इकोनॉमी पूरी तरह से इंटरनेट पर आधारित होती है, जो कर्मचारियों में काम के साथ-साथ स्किल्स पर फोकस करने पर जोर देती है।
गिग इकॉनमी का महत्व
गिग इकॉनमी के महत्व के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है:-
- गिग इकॉनमी (Gig Economy) के कारण कर्मचारियों को डिजिटल दुनिया में प्रवेश करने और इससे रोजगार के अवसर प्राप्त करने का मौका मिलता है।
- इसके कारण युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ, अपनी स्किल्स पर फोकस करने का अवसर मिलता है।
- इसके कारण कर्मचारियों को एक ही समय पर कई अन्य चीजें को करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
- इसमें कर्मचारियों को अपने कौशल के तहत राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रोजेक्ट्स को पाने का अवसर मिलता है।
- गिग इकॉनमी से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है, जिससे महिलाएं भी अपनी स्किल के आधार पर काम पाकर पैसे कमा सकती हैं।
- गिग इकॉनमी में कर्मचारी बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ कहीं से भी अपने प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकते हैं।
गिग इकॉनमी का लाभ
गिग इकॉनमी के लाभ (Gig Economy in Hindi) इस प्रकार हैं –
- गिग इकॉनमी (Gig Economy) में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं, जो कि पारंपरिक नौकरियों की कमी को पूरा करता है।
- इसमें व्यवस्थाओं को लचीलापन का स्वरुप दिया जाता है, जिसके कारण कर्मचारी अपनी सुविधा के अनुसार एक ही समय पर कई अन्य कार्यों को भी कर सकते हैं।
- इसमें कंपनियों को कम लागत पर बेहतर सेवाएँ मिल जाती हैं, आसान भाषा में कहा जाए तो कंपनियों को स्थायी कर्मचारियों की बजाय अस्थायी कर्मचारियों से कार्य कराने में लाभ होता है। इसके लिए गिग इकोनॉमी एक बड़ी भूमिका निभाती है।
- इसमें तकनीकी नवाचार का भी विस्तार होता है, जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग बढ़ता है।
- इसमें युवाओं को उनके कौशल के आधार पर ही काम मिलता है, जो काम में उनकी रूचि को और अधिक बढ़ा देता है।
गिग इकॉनमी की चुनौतियां
गिग इकॉनमी की मुख्य चुनौतियां इस प्रकार हैं:-
- गिग इकॉनमी में अकसर कर्मचारियों के पास काम की कोई गारंटी नहीं होती, जो कि एक बड़ी समस्या या चुनौती के रूप में उभर कर आता है।
- काम की गारंटी न होने पर गीग वर्कर्स को नियमित आय की भी कोई गारंटी नहीं होती है।
- इस इकोनॉमी में गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा, पीएफ, और स्वास्थ्य लाभ जैसी सुविधाएँ नहीं मिलती है।
- इसमें डेडलाइन्स को पूरा करने का तनाव हमेशा कर्मचारी पर रहता है, जिससे उन पर काम का अधिक दवाब रहता है।
- गिग इकॉनमी में कंपनियों द्वारा कम वेतन देकर श्रमिकों का शोषण करने को भी एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा सकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच सीमित है, जिसके कारण डिजिटल विभाजन की स्थिति पैदा होती है। डिजिटल विभाजन भी इस इकोनॉमी की एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इससे गिग इकोनॉमी का लाभ सीमित हो जाता है।
- ध्यान दें कि मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) तथा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न जैसे संवेदनशील मामलों के बारे में भी में भी गिग इकॉनमी (Gig Economy) में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
- गिग इकॉनमी स्पष्ट रूप से वर्तमान भारतीय श्रम कानूनों के दायरे में नहीं है।
भारत में गिग इकॉनमी
भारत में गिग इकॉनमी की भूमिका (Gig Economy in Hindi) को नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:-
- नौकरी और सामाजिक सुरक्षा के अभाव के कारण गिग कर्मचारियों को श्रम संहिता के दायरे से बाहर रखा गया है।
- वर्तमान समय में गिग कर्मचारियों के लिए भारत में कोई स्वास्थ्य बीमा एवं सेवानिवृत्ति योजना नहीं है।
- इसके अतिरिक्त गिग कर्मचारियों के लिए आघात या बीमारी के कठिन समय में, पारंपरिक कर्मचारियों के समान कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होती है।
- गिग इकॉनमी भारत में भी व्यापक रूप से टेक्नोलॉजी और इंटरनेट एक्सेस पर निर्भर करती है। जिन लोगों तक इंटरनेट या टेक्नोलॉजी की पहुँच नहीं होती है, उनके लिए ये एक बाधा उत्पन्न करती है। जिसके बाद यह समाज में आय असमानता (income inequality) को और बढ़ावा देती है।
- भारत में गिग इकॉनमी के लिए फिलहाल डेटा और शोध की कमी है, जिससे नीति निर्माताओं द्वारा इसके प्रभाव समझना या इस पर कोई नीति बनाना कठिन हो जाता है।
- भारत में गिग कर्मियों को वर्तमान में भी पारंपरिक कर्मचारियों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता है, इसके साथ-साथ वे पारंपरिक कर्मचारियों की तरह कानूनी सुरक्षा से भी वंचित होते हैं।
गिग इकॉनमी के लिए सरकार की पहल
गिग इकॉनमी के लिए सरकार की पहल को नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से जानिए:-
- भारत सरकार ने गिग वर्कर्स के लिए अगस्त 2021 में ‘ई-श्रम पोर्टल’ (e-Shram Portal) जैसी कई नीतियां बनाई हैं, जो कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का पालन करने की पहल करती हैं।
- टैक्स सिस्टम को सरल बनाकर सरकार ने गिग वर्कर्स को आसानी से टैक्स भरने की सुविधा प्रदान की है।
- डिजिटल साक्षरता को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने गांवों और छोटे शहरों में समय-समय पर डिजिटल कौशल विकास के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
- वर्तमान में श्रमिकों को एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्रदान किया जाता है, जिससे वे सरकारी योजनाओं का लाभ ले पाते हैं।
- कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, 2020 के माध्यम से गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को कानूनी मान्यता प्रदान करता है। इसके साथ ही इस कानून में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से इन वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड बनाने का प्रावधान है।
- गिग इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए जुलाई 2015 में शुरू हुए डिजिटल इंडिया मिशन के माध्यम से डिजिटल कनेक्टिविटी को मजबूत किया जा रहा है।
- गिग वर्कर्स के लिए आवश्यक डिजिटल और तकनीकी कौशल प्रदान करने के लिए ही ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ (PMKVY) को भी चलाया जा रहा है।
UPSC के लिए गिग इकॉनमी के महत्वपूर्ण बिंदु
UPSC के लिए गिग इकॉनमी (Gig Economy in Hindi) के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:-
- UPSC की परीक्षा में गिग इकॉनमी से संबंधित प्रश्न अकसर पूछे जाते हैं।
- इस परीक्षा की तैयारी में उम्मीदवार देश की अर्थव्यवस्था में गिग इकॉनमी (Gig Economy) की भूमिका को जान पाते हैं।
- इस विषय से UPSC के जीएस पेपर 3 (इकोनॉमिक्स) और जीएस पेपर 2 (गवर्नेंस एंड सोशल जस्टिस) में प्रश्न के साथ-साथ निबंध लिखने के लिए आता है।
FAQs
गिग इकॉनमी से आशय रोजगार की ऐसी व्यवस्था से है, जहां स्थायी तौर पर कर्मचारियों को रखे जाने के बजाए अल्प अवधि के लिए अनुबंध (Contract) पर रखा जाता है।
हां, यदि सही नीतियों और डिजिटल सुविधाओं के माध्यम से कर्मचारियों को एक अवसर दिया जाए तो गिग इकॉनमी भारत में भी रोजगार के नए अवसर प्रदान कर सकती है।
गीग वर्कर्स को मुख्य रूप से नियमित आय की कमी, सामाजिक सुरक्षा का अभाव और काम के दबाव जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
भारत में गिग इकॉनमी रोजगार के नए अवसर प्रदान करती है, विशेष रूप से युवाओं और तकनीकी रूप से कुशल लोगों के लिए यह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे कि ज़ोमैटो, स्विगी, ओला, और उबर के माध्यम से तेज़ी से बढ़ रही है।
गिग इकॉनमी का उदय डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती पहुंच, लचीले कार्य घंटे और स्वतंत्रता की मांग, कम लागत और अधिक कुशलता, कंपनियों का स्थायी कर्मचारियों के बजाय अस्थायी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने जैसे कारणों से हुआ है।
गिग इकॉनमी ने श्रम बाजार को पूरी तरह बदल दिया है, जिससे कर्मचारियों को रोजगार के नए विकल्प दिए हैं, महिलाओं के लिए घर से काम करने के अवसर बढ़ें हैं। इसके साथ-साथ अस्थिरता और सामाजिक सुरक्षा की कमी जैसे मुद्दे भी इसके माध्यम से उजागर हुए हैं।
गिग इकॉनमी के फायदों में लचीलेपन का अवसर, अतिरिक्त आय के साधन, कौशल विकास जैसे मुद्दे शामिल हैं।
गिग इकॉनमी से कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा का अभाव, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ की कमी, अनिश्चित आय जैसे नुकसान भी होते हैं।
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