DDT Full Form in Hindi: डीडीटी का फुल फॉर्म डाईक्लोरो-डाईफेनिइल-ट्राईक्लोरोमेथेन होता है। जिसका इस्तेमाल कृषि में कीटनाशक के रूप में होता है। उससे पहले इसका इस्तेमाल मलेरिया से बचने के लिए किया जाता था। 1972 में अमेरिका ने डीडीटी के इस्तेमाल पे रोक लगा दी थी पर कई जगह इसका इस्तेमाल फिर भी किया जाता था। कुछ समय के लिए डीडीटी का इस्तेमाल रिसर्च के लिए किया गया था। जिसमें जानवरों और कीड़ों पर इसके लाभकारी और हानिकारक प्रभाव भी शामिल हैं।
डीडीटी का इतिहास
डीडीटी के इतिहास से पहले हम उसके फुल फार्म के बारे में जानते है जो की डाईक्लोरो – डाईफेनिइल – ट्राईक्लोरोमेथेन होता है। डीडीटी को पहली बार 1874 में बनाया गया था और इसका इस्तेमाल टाइफस के इलाज और मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए किया जाता था साथ ही इसका इस्तेमल स्प्रे के रूप में किया जाता था। 1970 की शुरुआत में डीडीटी का पर्यावरण और जीवित चीजों पर गलत प्रभाव पढ़ने लगा, जिसके बाद पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने 1973 में संयुक्त राज्य अमेरिका में डीडीटी के उपयोग को गैरकानूनी घोषित कर दिया।
डीडीटी का इस्तेमाल क्यों किया जाना चाहिए?
बड़ी जगह पर सिंचाई और कृषि ज़मीन पर किसानों को अच्छे फल की प्राप्त के लिए डीडीटी का उपयोग करना चाहिए क्योंकि उनके लिए सभी कीटों पर नज़र रखना और उन्हें खत्म करना ना के बराबर है।
डीडीटी का प्रभाव
- डीडीटी का केमिकल पर्यावरण और जीवित प्राणियों के लिए हानिकारक है।
- कीड़े मकौड़े डीडीटी के संपर्क में आते ही उसी मिट्टी में मर जाते हैं। इससे ये केमिकल आसानी से पौधों में आ जाता है।
- डीडीटी को पौधों में डालने की वजह से भी ये मानव शरीर में प्रवेश कर जाता है जो की बहुत हानिकारक है।
- जब डीडीटी के छिड़काव के बाद इन पौधों को पक्षियों द्वारा खाया जाता है तो उससे उनके अंडे के छिलके पतले हो जाते हैं जो अंततः भ्रूण को नष्ट कर देते हैं।
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