छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। यह सूर्य देव और छठी माता की पूजा का त्योहार है। छठी माता को बच्चों की देवी माना जाता है। यह त्योहार तीन दिनों तक चलता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होता है। छठ पूजा 2023 (Chhath Puja in Hindi)से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए यह ब्लॉग अंत तक ज़रूर पढ़ें।
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छठ पूजा के बारे में
यह छठ शब्द संस्कृत के षष्ठी से बना प्राकृत शब्द है। यह प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार कार्तिक (हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार महीना) के छठे दिन मनाया जाता है। छठ पूजा पृथ्वी पर जीवन का आशीर्वाद प्रदान करने के लिए सूर्य को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
छठ पूजा के पहले दिन, जिसे नहाय-खाय कहा जाता है, भक्त सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करते हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करते हैं। इस दिन, भक्त मीठे चावल, फल और मिठाई का भोजन करते हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन, जिसे खरना कहा जाता है, भक्त उपवास रखते हैं और शाम को एक विशेष भोजन खाते हैं, जिसे खरना कहा जाता है। खरना में चावल, गुड़, मूंग और अन्य सामग्री होती है। इस दिन, भक्त सूर्य देव और छठी माता की पूजा भी करते हैं।
छठ पूजा के तीसरे और अंतिम दिन, जिसे छठ पर्व कहा जाता है, भक्त सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करते हैं और फिर सूर्य देव और छठी माता की पूजा करते हैं। इस दिन, भक्त सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं, जो पानी में फूल और चावल चढ़ाने का एक अनुष्ठान है।
रिवाज़ | दिनांक |
नहाय-खाय | 17 नवंबर 2023 |
लोहंडा और खरना | 18 नवंबर 2023 |
संध्या अर्घ्य | 19 नवंबर 2023 |
उषा अर्घ्य | 20 नवंबर 2023 |
छठ पूजा की कुछ प्रमुख विशेषताएं
छठ पूजा की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- यह त्योहार तीन दिनों तक चलता है।
- इस त्योहार में सूर्य देव और छठी माता की पूजा की जाती है।
- इस त्योहार में भक्त सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करते हैं।
- इस त्योहार में भक्त सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।
छठ पूजा 2023 : तिथि और समय
इस साल 2023 में छठ पूजा 17 नवंबर 2023 से 20 नवंबर 2023 तक रहेगी। हिंदू कैलेंडर के आधार पर छठ पूजा साल में दो बार यानी चैत्र और कार्तिक महीने में मनाई जाती है। छठ पूजा का समय 18 नवंबर 2023 को सुबह 9:10 बजे है और यह 19 नवंबर 2023 को सुबह 7:23 बजे समाप्त होगा।
छठ पूजा का महत्त्व
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो प्रकृति और सूर्य देव की पूजा का प्रतीक है। यह त्योहार संतान प्राप्ति, सुख और समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा का महत्व इस प्रकार है:
- यह त्योहार प्रकृति और सूर्य देव की पूजा का प्रतीक है।
- यह त्योहार संतान प्राप्ति, सुख और समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाता है।
- यह त्योहार हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
छठ पूजा कैसे की जाती है?
छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार है:
- चावल
- गुड़
- मूंग
- फल
- मिठाई
- फूल
- धूप
- दीप
- माला
- जल
छठ पूजा की पूजा विधि
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो प्रकृति और सूर्य देव की पूजा का प्रतीक है। यह त्योहार संतान प्राप्ति, सुख और समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा की पूजा विधि इस प्रकार है:
- सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ करें।
- फिर, सूर्य देव और छठी माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- अब, सूर्य देव और छठी माता को जल, फूल, धूप, दीप और माला अर्पित करें।
- फिर, सूर्य देव और छठी माता की पूजा करें।
- अंत में, सूर्य देव और छठी माता से प्रार्थना करें।
छठ पूजा के बारे में कुछ रोचक तथ्य
छठ पूजा के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
- छठ पूजा साल में एक बार नहीं बल्कि दो बार मनाई जाती है। एक बार उमस भरी गर्मी शुरू होने से ठीक पहले यानी होली के कुछ दिन बाद और दूसरी बार अक्टूबर-नवंबर में सर्दी शुरू होने से ठीक पहले।
- छठ हिंदू धर्म का एकमात्र वैदिक त्योहार है। यह प्रसिद्ध सूर्य या छठी मैया (वैदिक देवी उषा) को समर्पित है।
- यह शायद सबसे पुराना हिंदू त्योहार है जो आज तक मनाया जाता है।
- इस त्यौहार को मनाने का कारण भी बहुत महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान मानव शरीर सकारात्मक सौर ऊर्जा को सुरक्षित रूप से अवशोषित कर सकता है। विज्ञान इसे और स्पष्ट करते हुए कहता है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणें सबसे कम हानिकारक होती हैं क्योंकि उस समय पराबैंगनी किरणें सबसे कम होती हैं।
- महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख था जहां द्रौपदी को इसी तरह के अनुष्ठानों का पालन करते हुए दिखाया गया था।एक बार जब कोई परिवार छठ पूजा मनाना शुरू कर देता है, तो इसे रोका नहीं जा सकता है और इसे आने वाली सभी पीढ़ियों तक जारी रखना होता है। इसका अपवाद गंभीर बीमारी या परिवार में मृत्यु हो सकता है।
- शायद यह हिंदू धर्म का एकमात्र त्योहार है जिसमें समारोह को पवित्र करने के लिए किसी पुजारी या पंडित जी की आवश्यकता नहीं होती है।पवित्रता इस पर्व का मूल शब्द है। इसलिए भक्तों को पास के तालाब या नदी में पवित्र स्नान करना चाहिए। इसके बाद संयम या आत्म-संयम की अवधि आती है, जो चार दिनों के लिए परिवार से दूर रहता है और उपवास करता है। इस त्योहार के नियमों का सख्ती से पालन करने वाले व्यक्ति को व्रती के रूप में जाना जाता है जो चार दिनों तक फर्श पर सोता है और माना जाता है कि वह एक शुद्ध आत्मा है।
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FAQs
छठ पूजा 2023 का समय कार्तिक माह में है। छठ पूजा 17 नवंबर 2023 को होगी और समापन 20 नवंबर 2023 को होगा। यह 18 नवंबर 2023 से 19 नवंबर 2023 तक रात 9:18 बजे से शाम 7:23 बजे तक शुरू होगा।
छठ पूजा उत्तर भारत में विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में व्यापक रूप से मनाई जाती है। यह त्यौहार नेपाल में भी लोकप्रिय है। छठ पूजा भगवान सूर्य (सूर्य) और छठी माता (भगवान सूर्य की बहन, जिन्हें देवी उषा भी कहा जाता है) को समर्पित है।
छठ पूजा भगवान सूर्य और छठी माता को समर्पित है। सूर्य पृथ्वी पर जीवन का मुख्य स्रोत है। यह सभी जीवित प्राणियों और पौधों के लिए आवश्यक है। छठ पूजा चार दिवसीय भारतीय आध्यात्मिक अनुष्ठान है। यह पूजा भगवान सूर्य को धन्यवाद देने के लिए की जाती है।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको छठ पूजा (Chhath Puja in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।