अगर आपको इतिहास, प्राचीन सभ्यताओं और पुरानी इमारतों में रुचि है और आप यह जानना चाहते हैं कि हमारे देश और दुनिया की संस्कृति समय के साथ कैसे बदलती रही, तो आर्कियोलॉजिस्ट (पुरातत्ववेत्ता) बनना आपके लिए एक शानदार करियर विकल्प हो सकता है। आर्कियोलॉजिस्ट का काम प्राचीन स्थलों की खुदाई करना, वहाँ मिले अवशेषों और वस्तुओं का अध्ययन करना और इतिहास से जुड़ी नई जानकारियाँ इकट्ठा करना होता है। यह न केवल रोमांचक और ज्ञानवर्धक नौकरी है, बल्कि समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में बताया गया है कि आर्कियोलॉजिस्ट बनने के लिए कौन-कौन सी योग्यता चाहिए, कोर्स कैसे करें, परीक्षा पैटर्न क्या है, सैलरी कितनी होती है और इस क्षेत्र में करियर कैसे बनाया जा सकता है।
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आर्कियोलॉजिस्ट कौन होता है?
आर्कियोलॉजिस्ट वह विशेषज्ञ होता है जो प्राचीन सभ्यताओं और मानव संस्कृति का अध्ययन करता है। वह पुरानी इमारतों, बस्तियों, मूर्तियों, सिक्कों, औज़ारों और अन्य ऐतिहासिक वस्तुओं की खोज और जांच करता है। इन चीज़ों से यह समझने की कोशिश की जाती है कि पुराने समय में लोग कैसे रहते थे, उनकी जीवनशैली कैसी थी और समाज कैसे विकसित हुआ। आर्कियोलॉजिस्ट का काम सिर्फ खुदाई करना ही नहीं होता, बल्कि मिले हुए अवशेषों को सुरक्षित रखना, उनका विश्लेषण करना और उनके आधार पर इतिहास को पुनः लिखना भी शामिल है।
आर्कियोलॉजिस्ट बनने की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया
अगर आप आर्कियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ जरूरी स्टेप्स होते हैं। नीचे हमने इन्हें क्रमबद्ध तरीके से बताया है, ताकि आप आसानी से समझ सकें कि इस क्षेत्र में करियर कैसे शुरू किया जा सकता है।
स्टेप 1. 10वीं के बाद सही विषय चुनें
आर्कियोलॉजिस्ट बनने के लिए 10वीं के बाद सही विषय चुनना बहुत जरूरी है। इसके लिए इतिहास, भूगोल और समाजशास्त्र जैसे विषय सबसे अच्छे माने जाते हैं, क्योंकि ये विषय पुरातत्व और सभ्यताओं को समझने में मदद करते हैं। अगर आप विज्ञान स्ट्रीम के छात्र हैं, तब भी आप आर्ट्स या आर्कियोलॉजी में ग्रेजुएशन कर सकते हैं, लेकिन इतिहास जैसे विषय लेने से पुरातत्व की पढ़ाई जल्दी और आसानी से समझ में आती है। 10वीं के बाद इन विषयों का चयन करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
स्टेप 2. 12वीं पास करने के बाद ग्रेजुएशन करें
12वीं के बाद ग्रेजुएशन करना जरूरी है। इसमें आप विभिन्न कोर्स कर सकते हैं।
| पाठ्यक्रम | अवधि | मुख्य विषय |
| B.A. History | 3 साल | इतिहास, पुरानी सभ्यताएँ |
| B.A. (Ancient Indian History, Culture & Archaeology) | 3 साल | खुदाई तकनीक, खुदाई तकनीक |
| B.A. Anthropology | 3 साल | मानव समाज, संस्कृति |
| B.Sc. Geology | 3 साल | पृथ्वी विज्ञान, मिट्टी, पत्थर |
स्टेप 3. मास्टर डिग्री करें
UGC-NET (आर्कियोलॉजी) के लिए न्यूनतम अंक/श्रेणी नियम NTA/UGC के सूचना पत्र में निर्दिष्ट होते हैं। ग्रेजुएशन के बाद मास्टर डिग्री करना ज़रूरी है। आप कर सकते हैं:
- M.A. Archaeology
- M.A. History
- M.Sc. Anthropology
- M.A. Ancient Indian Culture
मास्टर डिग्री से आपको किसी विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञ बनने का मौका मिलता है। उदाहरण के लिए मोहनजोदड़ो सभ्यता, प्राचीन कला या सिक्कों का अध्ययन। यह डिग्री प्रतियोगी परीक्षाओं और फील्डवर्क की तैयारी में भी मदद करती है।
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स्टेप 4. रिसर्च और स्पेशलाइजेशन
मास्टर डिग्री के बाद आप किसी खास क्षेत्र में रिसर्च कर सकते हैं। इससे आपको नई खोजों का अनुभव मिलता है और आप विशेषज्ञ बनते हैं। इसके लिए आपको NET/JRF क्लियर करना होगा और PhD करनी होगी। इसके साथ ही आप निम्नलिखित विशियों पर स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं –
- प्राचीन भारतीय सभ्यता
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता
- वास्तुकला और मूर्तिकला
- सिक्कों और शिलालेखों का अध्ययन
स्टेप 5. प्रतियोगी परीक्षाएँ दें
आर्कियोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको सरकारी नौकरी, रिसर्च और शिक्षण के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु कुछ प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाएँ देनी होती हैं। यदि आप विश्वविद्यालयों या रिसर्च संस्थानों में काम करना चाहते हैं, तो NET/JRF सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा है, जो आपको रिसर्च फेलोशिप और प्रोफेसर बनने का अवसर देती है। इसके अलावा, ASI (Archaeological Survey of India) या राज्य स्तरीय पुरातत्व विभागों में नौकरी आमतौर पर SSC, UPSC या State PSC द्वारा आयोजित भर्तियों के माध्यम से मिलती है।
ध्यान रखें कि IAS जैसी UPSC Civil Services परीक्षाएँ प्रशासनिक सेवाओं के लिए होती हैं और ये पुरातत्व करियर का सीधा मार्ग नहीं हैं। इन संबंधित परीक्षाओं में सफल होने पर आप सरकारी विभागों, विश्वविद्यालयों और विभिन्न रिसर्च संस्थानों में आर्कियोलॉजिस्ट, रिसर्चर या लेक्चरर के रूप में करियर शुरू कर सकते हैं।
स्टेप 6. फील्ड वर्क और ट्रेनिंग का अनुभव लें
पढ़ाई के साथ-साथ फील्डवर्क और ट्रेनिंग जरूरी है। इससे आपको हाथों-हाथ अनुभव मिलता है। आप कर सकते हैं:
- पुरातात्विक खुदाई (Excavation) में हिस्सा लेना
- संग्रहालय और ऐतिहासिक स्थलों में इंटर्नशिप करना
- अवशेषों का अध्ययन और रिपोर्ट तैयार करना
स्टेप 7. अपने भीतर स्किल डेवलप करें
इतिहास और संस्कृति की गहरी समझ होने के साथ-साथ निम्नलिखित स्किल्स को डेवलप करके आप आर्कियोलॉजिस्ट के रूप में अपने करियर की अच्छी शुरुआत कर सकते हैं –
- शैक्षणिक और तकनीकी कौशल (Academic and Technical Skills)
- व्यावहारिक और फील्डवर्क कौशल (Practical and Fieldwork Skills)
- ड्राइंग और फोटोग्राफी (Drawing and Photography)
- संचार कौशल (Communication Skills)
- समस्या समाधान (Problem Solving)
- टीम वर्क (Team Work)
स्टेप 8. जॉब में सेलेक्शन और करियर की शुरुआत करें
सभी स्टेप्स पूरा करने के बाद आप सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी शुरू कर सकते हैं।
| क्षेत्र | नौकरी विकल्प |
| सरकारी संस्थान | ASI, State Archaeology Departments, Museums |
| शैक्षणिक क्षेत्र | Universities और Colleges में प्रोफेसर/रिसर्चर |
| अन्य | Heritage management, Museums, Cultural tourism, Conservation projects |
सैलरी, भत्ते और सुविधाएँ
आर्कियोलॉजिस्ट बनने के बाद शुरुआती वेतन नौकरी के प्रकार और संस्था पर निर्भर करता है।
- सरकारी पदों पर प्रारम्भिक वेतन संबंधित वेतन-स्तर (Pay Level) के अनुसार निर्धारित होता है, जैसे सहायक पुरातत्त्ववेत्ता (Assistant Archaeologist) सामान्यतः वेतन-स्तर 6 पर होते हैं, जिसमें प्रारम्भिक वेतन लगभग ₹35,400-₹1,12,400 तक होता है; वहीं विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफ़ेसर (Assistant Professor) वेतन-स्तर 10 पर होते हैं, जिसमें वेतन लगभग ₹57,700-₹1,82,400 तक निर्धारित है।
- प्राइवेट सेक्टर या NGO प्रोजेक्ट्स में शुरुआती पैकेज ₹25,000 से ₹40,000 तक हो सकता है।
- अनुभव बढ़ने पर वेतन ₹80,000 से ₹1,00,000 प्रतिमाह या उससे ज्यादा हो सकता है।
भत्ते और सुविधाएँ (मुख्यतः सरकारी नौकरी में):
- यात्रा भत्ता (Travel Allowance)
- मकान किराया भत्ता (HRA)
- चिकित्सा सुविधाएँ
- पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभ
- रिसर्च और फील्डवर्क के लिए विशेष फंड
आर्कियोलॉजी प्रोग्राम ऑफर करने वाले भारत के प्रमुख कॉलेज/इंस्टीट्यूट
आर्कियोलॉजी प्रोग्राम ऑफर करने वाले भारत के प्रमुख कॉलेज/इंस्टीट्यूट के नाम इस प्रकार हैं, जिनमें प्रवेश लेने के लिए कोर्स के लेवल के आधार पर योग्यताएं भिन्न हो सकती हैं। हालाँकि इसके लिए आप अपने द्वारा चुने गए कोर्स के आधार पर निम्नलिखित संस्थानों की आधिकारिक वेबसाइट विजिट कर सकते हैं –
- डेक्कन कॉलेज पोस्ट-ग्रेजुएट एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे
- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू)
- कलकत्ता यूनिवर्सिटी
- मद्रास यूनिवर्सिटी
- केरल यूनिवर्सिटी
- महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (एमएसयू), बड़ौदा
- दिल्ली यूनिवर्सिटी (प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व संबंधी कार्यक्रम)
- जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU), दिल्ली
विदेश में करियर बनाने की प्रक्रिया
आर्कियोलॉजी का क्षेत्र केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी इस विषय में रिसर्च, शिक्षण, फील्डवर्क और म्यूज़ियम से जुड़े कई अवसर उपलब्ध हैं। अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, इजिप्ट, इटली जैसे देशों की यूनिवर्सिटीज़ और हेरिटेज संस्थान विशेष रूप से आर्कियोलॉजी से जुड़े रिसर्चर्स और प्रोफेशनल्स को अवसर प्रदान करते हैं। यदि आप विदेश में आर्कियोलॉजी में करियर बनाना चाहते हैं, तो इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
- विदेश की यूनिवर्सिटीज़ से M.A. या Ph.D. Archaeology/Anthropology करें।
- स्कॉलरशिप और रिसर्च प्रोग्राम्स में आवेदन करें ताकि पढ़ाई का खर्च कम हो सके।
- रिसर्च पेपर्स को इंटरनेशनल जर्नल्स में पब्लिश करें।
- अपनी स्टडी के साथ-साथ प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय फील्ड स्कूलों से अंतर्राष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करें और भाषा के कौशल को बढ़ाएं।
- विदेशों में आयोजित कॉन्फ्रेंस और वर्कशॉप्स में हिस्सा लें और नेटवर्क बनाएँ।
- पढ़ाई पूरी होने के बाद विदेश में नौकरी करने के लिए वर्क परमिट या वीज़ा लें।
- कुछ यूनिवर्सिटीज़ और रिसर्च इंस्टिट्यूट रिसर्चर्स को वीज़ा स्पॉन्सर भी करते हैं।
- करियर के अवसर म्यूज़ियम, यूनिवर्सिटीज़, रिसर्च इंस्टिट्यूट्स और हेरिटेज मैनेजमेंट सेक्टर में मिलते हैं।
- UNESCO और इंटरनेशनल NGOs में भी काम करने के मौके होते हैं।
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FAQs
आमतौर पर आर्ट्स स्ट्रीम में इतिहास लेना बेहतर होता है, लेकिन साइंस स्ट्रीम वाले छात्र भी आगे आर्कियोलॉजी में पढ़ाई कर सकते हैं।
12वीं के बाद ग्रेजुएशन (3 साल), मास्टर (2 साल) और रिसर्च/Ph.D. करने पर कुल मिलाकर 7–8 साल लग सकते हैं।
हाँ, अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, इजिप्ट और इटली जैसे देशों में अच्छे अवसर हैं। वहाँ रिसर्च, यूनिवर्सिटी और हेरिटेज प्रोजेक्ट्स में नौकरियाँ मिलती हैं।
हाँ, पुरातत्व में गणित महत्वपूर्ण है क्योंकि यह खुदाई स्थलों का सर्वेक्षण, मानचित्रण और विश्लेषण करने के लिए आवश्यक है, साथ ही पुरातात्विक डेटा की डेटिंग और व्याख्या करने के लिए भी ज़रूरी है।
हमें आशा है कि इस लेख में आपको आर्कियोलॉजिस्ट कैसे बने की जानकारी मिल गई होगी। अन्य करियर से संबंधित लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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