IELTS और TOEFL में अंतर

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IELTS और TOEFL

विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का सपना पूरा करने के लिए अच्छी अंग्रेजी जरूरी होती है, क्योंकि वहां के अधिकांश कोर्स अंग्रेजी में होते हैं। इसी कारण छात्रों को एडमिशन से पहले अपनी अंग्रेजी क्षमता जांचने के लिए IELTS या TOEFL जैसे टेस्ट देना अनिवार्य होता है। ये दोनों इंटरनेशनल स्तर के टेस्ट हैं, जो छात्र की पढ़ने, लिखने, सुनने और बोलने की क्षमता को परखते हैं। हालांकि दोनों टेस्ट का फॉर्मेट और समय अलग होता है।

बताना चाहेंगे IELTS और TOEFL को दुनियाभर के हजारों संस्थानों द्वारा मान्यता प्राप्त है, इसलिए ये टेस्ट छात्रों के लिए भरोसेमंद माने जाते हैं। अक्सर छात्र यह तय नहीं कर पाते कि कौनसा टेस्ट दें, इसलिए दोनों के अंतर को समझना आवश्यक है, ताकि सही निर्णय लिया जा सके। आइए जानते हैं IELTS और TOEFL में अंतर के बारे में।

आस्पेक्टIELTSTOEFL
मान्य यूनिवर्सिटीज की संख्या2025 तक 140 से अधिक देशों में 12,500 से अधिक ऑर्गनाइजेशन2025 तक 160 से अधिक देशों में 13,000 से अधिक इंस्टिट्यूट 
ऑर्गेनाइजरIELTS IDP Indiaएजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ETS) 
टेस्ट का फॉर्मेटकंप्यूटर आधारित एवं पेन-पेपर आधारितइंटरनेट आधारित (TOEFL iBT)
टेस्ट मॉड्यूलपढ़ना, लिखना, बोलना और सुननापढ़ना, लिखना, बोलना और सुनना
टेस्ट की अवधि 2 घंटे, 45 मिनट3 घंटे 15 मिनट
स्कोर 0-9 (प्रत्येक सेक्शन: 0-9)0-120 (प्रत्येक सेक्शन: 0-30)
मार्किग सिस्टम में अंतर पढ़ने और बोलने की परीक्षाएं सांस्कृतिक रूप से जागरूक विशेषज्ञ लेते हैं।AI द्वारा चिह्नित
रिजल्ट कंप्यूटर आधारित IELTS का परिणाम 2 दिन में और पेपर आधारित का 7 दिन में आता है।अधिकतम 10 दिन 
वैधता2 वर्ष 2 वर्ष 
लोकप्रियता ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूके में लोकप्रियअमेरिका, न्यूजीलैंड कनाडा और यूके में लोकप्रिय

IELTS क्या है?

‘इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम’ (IELTS) एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अंग्रेजी भाषा परीक्षा है, जिसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया है जिनकी पहली भाषा अंग्रेजी नहीं है। यह परीक्षा ब्रिटिश काउंसिल, IDP जैसी संस्थाओं द्वारा आयोजित की जाती है। IELTS के स्कोर का उपयोग विदेश में पढ़ाई, काम करने और माइग्रेशन जैसे उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह टेस्ट चार प्रमुख भाषा कौशलों – सुनना, पढ़ना, लिखना और बोलना का मूल्यांकन करता है।

दुनियाभर में हजारों विदेशी विश्वविद्यालय और संस्थान इस स्कोर को स्वीकार करते हैं। इस परीक्षा का परिणाम दो साल तक वेलिड रहता है। TOEFL की तरह ही, IELTS भी अंग्रेजी दक्षता की जांच करता है, लेकिन दोनों का फॉर्मेट और समय अलग होता है। IELTS स्कोर विदेश जाने की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण क्राइटेरिया है।

TOEFL क्या है? 

‘टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंग्वेज’ (TOEFL) एक अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा परीक्षा है, जिसे एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ETS) संस्था संचालित करती है। यह परीक्षा विशेष रूप से उन छात्रों के लिए होती है जो विदेश में पढ़ाई, नौकरी या प्रवास की योजना बना रहे हैं। TOEFL की आधिकारिक वेबसाइट www.ets.org के अनुसार TOEFL iBT को 160+ देशों की 13,000 से अधिक यूनिवर्सिटीज और संस्थान स्वीकार करते हैं।

इस टेस्ट में पढ़ना, सुनना, बोलना और लिखना चारों प्रमुख भाषा कौशलों का मूल्यांकन किया जाता है। TOEFL यह जांचता है कि कोई छात्र एकेडमिक माहौल में अंग्रेजी को कितनी अच्छी तरह समझता और उपयोग करता है। यह टेस्ट छात्रों को यह साबित करने में मदद करता है कि वे उच्च शिक्षा के लिए तैयार हैं। TOEFL स्कोर दुनियाभर में उच्च शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण क्राइटेरिया बन चुका है और यह विद्यार्थियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भागीदारी सुनिश्चित करता है।

IELTS और TOEFL में मुख्य अंतर 

TOEFL और IELTS दोनों ही प्रतिष्ठित परीक्षाएं हैं, लेकिन इनकी संरचना भिन्न है। नीचे इन दोनों परीक्षाओं के बीच मुख्य अंतर दिए गए हैं:-

सेक्शन IELTSTOEFL
पढ़ना60 मिनट35 मिनट
सुनना30 मिनट36 मिनट
लिखना60 मिनट29 मिनट
बोलना15 मिनट16 मिनट

स्कोरिंग सिस्टम में अंतर

IELTS और TOEFL दोनों परीक्षाओं में पढ़ने, सुनने और लिखने का सेक्शन लगभग समान होते हैं, लेकिन मुख्य अंतर स्पीकिंग सेक्शन में होता है। IELTS में कैंडिडेट को एक एग्जामिनर से आमने-सामने बातचीत करनी होती है, जिससे कभी-कभी इंटरव्यू लेने वाले के व्यक्तिगत दृष्टिकोण का प्रभाव पड़ सकता है। इसके विपरीत, TOEFL में कैंडिडेट माइक्रोफोन में बोलते हैं, और उनके उत्तरों का मूल्यांकन कंप्यूटर और ह्यूमन स्कोरिंग पैनल द्वारा किया जाता है।

इस कारण TOEFL को अधिक निष्पक्ष और सटीक माना जाता है। यह उन छात्रों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है जो सीधे इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति का सामना नहीं करना चाहते। TOEFL में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ह्यूमन असेसमेंट के कॉम्बिनेशन से निष्पक्षता बढ़ती है। इसलिए, स्पीकिंग सेक्शन के आधार पर TOEFL और IELTS के बीच अंतर को समझना परीक्षा चुनने से पहले जरूरी है।

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एग्जाम फॉर्मेट

TOEFL एक छोटा और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त अंग्रेजी टेस्ट है, जिसमें अधिकांश प्रश्न मल्टीपल चॉइस होते हैं। इसका स्कोर 0 से 120 के बीच होता है और स्कोर रिपोर्ट भी 6-10 दिनों में मिल जाती है। दूसरी ओर, IELTS में प्रश्नों के प्रकार अधिक विविध होते हैं, जैसे राइटिंग, शॉर्ट आंसर आदि। इसमें प्रत्येक सेक्शन (रीडिंग, राइटिंग, लिसनिंग, स्पीकिंग) में 1 से 9 तक स्कोर मिलता है और ओवरऑल बैंड स्कोर इनका औसत होता है, जिसे 0.5 तक राउंड किया जाता है।

IELTS और TOEFL की स्वीकार्यता

IELTS और TOEFL दोनों ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त इंग्लिश लैंग्वेज टेस्ट हैं, जिन्हें विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवश्यक माना जाता है। IELTS को विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और यूरोप के कई संस्थान और विश्वविद्यालय स्वीकार करते हैं। यह टेस्ट विशेष रूप से ब्रिटिश इंग्लिश पर आधारित होता है।

वहीं, TOEFL को मुख्यतः अमेरिका के विश्वविद्यालयों द्वारा स्वीकार किया जाता है। इसके साथ ही कुछ यूरोपीय देशों और एशियाई संस्थानों में भी इसकी मान्यता है। ध्यान दें कि दोनों टेस्ट की स्वीकार्यता देश और विश्वविद्यालय की नीतियों पर निर्भर करती है।

स्टूडेंट्स के लिए कौनसा टेस्ट बेहतर है?

IELTS या TOEFL का चयन विश्वविद्यालय के एडमिशन क्राइटेरिया और छात्र की सुविधा पर निर्भर करता है। कुछ विश्वविद्यालय TOEFL तो कुछ IELTS स्कोर स्वीकार करते हैं, इसलिए एडमिशन से पहले यह अवश्य जांच लें कि आपकी चुनी हुई यूनिवर्सिटी कौनसा स्कोर एक्सेप्ट करती है। IELTS एक इंटरव्यू आधारित और MCQ प्रश्नों वाला टेस्ट है, जो मौखिक उत्तर देने में सहज छात्रों के लिए उपयुक्त है।

जबकि TOEFL एक कंप्यूटर-आधारित परीक्षा (CBT) है, जिसमें माइक्रोफोन के माध्यम से बोलना होता है, जो तकनीक में छात्रों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। बता दें कि दोनों परीक्षाओं के स्कोर को कई देशों में मान्यता प्राप्त है, इसलिए छात्रों को सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए। 

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IELTS और TOEFL की तैयारी के लिए टिप्स

IELTS और TOEFL की तैयारी के लिए छात्रों को रोजाना प्रैक्टिस और सही रणनीति अपनानी चाहिए। IELTS में स्पीकिंग, राइटिंग और लिसनिंग स्किल्स पर फोकस करें, जबकि TOEFL के लिए कंप्यूटर-आधारित अभ्यास, टाइपिंग स्पीड और माइक्रोफोन के प्रयोग पर ध्यान दें। दोनों परीक्षाओं के लिए मॉक टेस्ट नियमित रूप से देने चाहिए ताकि टाइम मैनेजमेंट और कमजोरियों की पहचान हो सके।

छात्रों के लिए विश्वसनीय कोचिंग संस्थानों से मार्गदर्शन लेना या ऑनलाइन फ्री रिसोर्सेज जैसे यूट्यूब, वेबसाइट्स, मोबाइल ऐप्स, वीडियो लेक्चर, प्रैक्टिस टेस्ट और ई-बुक्स का उपयोग करना काफी फायदेमंद हो सकता है।

FAQs 

भारत में ielts और Toefl में क्या अंतर है?

भारत में IELTS ब्रिटिश इंग्लिश आधारित टेस्ट है, जबकि TOEFL अमेरिकी इंग्लिश पर आधारित कंप्यूटर-आधारित टेस्ट है।

आईलेट्स करने के क्या फायदे हैं?

IELTS करने से विदेशों में उच्च शिक्षा, नौकरी और पीआर के लिए अंग्रेज़ी प्रोफिशिएंसी की वैश्विक मान्यता मिलती है।

टीओईएफएल परीक्षा का उपयोग क्या है?

TOEFL परीक्षा का उपयोग विदेशों में पढ़ाई, नौकरी या स्कॉलरशिप के लिए अंग्रेज़ी भाषा दक्षता साबित करने के लिए किया जाता है।

12वीं में IELTS के लिए कितना प्रतिशत चाहिए?

IELTS के लिए 12वीं में किसी विशेष प्रतिशत की आवश्यकता नहीं होती। कैंडिडेट के पास बस मान्य पहचान पत्र और परीक्षा शुल्क होना चाहिए।

आईलेट्स में कितने सब्जेक्ट होते हैं?

IELTS में चार सेक्शन होते हैं: लिसनिंग, रीडिंग, राइटिंग और स्पीकिंग।



हमें उम्मीद है कि इस ब्लॉग में आपको IELTS और TOEFL में अंतर की पूरी जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही स्टडी अब्रॉड आर्टिकल्स और करियर गाइड के लिए Leverage Edu के साथ जुड़े रहें।

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