वीर रस की कविता पढ़कर आप अपने अंतर्मन की आवाज को सुन पाएंगे और खुद के साथ-साथ, समाज को भी प्रेरित कर पाएंगे। वीर रस की कविता विद्यार्थियों के सपनों को नई उड़ान देने के लिए मददगार साबित होंगी। वीर रस की कविता पढ़कर युवाओं को हिंदी साहित्य के व्यापक स्वरुप के दर्शन होंगे, ऐसा व्यापक स्वरुप जो मानव में छिपे वीरता भाव को जगाएगा। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को कविताएं पढ़कर एक नया दृष्टिकोण प्राप्त होता है। कविताएं ही समाज की चेतना को जगाने का सफल प्रयास करती हैं। इन्हीं में से कुछ वीर रस की कविता बेहद लोकप्रिय हैं, जिन्हें पढ़कर आपके जीवन में सकारात्मकता परिवर्तन आ सकते हैं। वीर रस की कविता पढ़ने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
This Blog Includes:
वीर रस की कविता
वीर रस की कविता पढ़कर आप हिंदी भाषा के महत्व को आसानी से जान पाएंगे, जिसके बाद आप अपनी मातृभाषा पर गर्व की अनुभूति कर पाएंगे। वीर रस की कविता ही समाज का परिचय साहस से करवाती है, जिन्हें पढ़कर मानव का शौर्य जागृत हो जाता है। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए वीर रस की कविता अवश्य पढ़नी चाहिए। वीर रस की कविता पढ़ने से पहले आपको वीर रस की कविताओं तथा उनके कवियों के नाम की सूची पर भी प्रकाश डालना चाहिए, जो कुछ इस प्रकार है;
कविता का नाम | कवि/कवियत्री का नाम |
कलम, आज उनकी जय बोल | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ |
अग्निपथ | हरिवंश राय बच्चन |
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार | शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ |
वीर | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ |
कदम मिलाकर चलना होगा | अटल बिहारी वाजपेयी |
यह भी पढ़ें : Poem on Lohri in Hindi
कलम, आज उनकी जय बोल
वीर रस की कविता, साहस के साथ आपका परिचय क़वाएगी। इस श्रृंखला में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की कविता “कलम, आज उनकी जय बोल” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
जला अस्थियां बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारे तूफानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल कलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएं उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल। अंधा चकाचौंध का मारा क्या जाने इतिहास बेचारा, साखी हैं उनकी महिमा के सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल कलम, आज उनकी जय बोल। -रामधारी सिंह 'दिनकर'
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि समाज को देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत करने का सफल प्रयास करते हैं। कवि ने इस कविता में उन वीर शहीदों का गुणगान किया है, जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया। इस कविता में कवि कहते हैं कि कलम, आज उन वीर शहीदों की जय बोल, जिन्होंने अपना सब कुछ बलिदान करके क्रांति की भावना जागृत की और देश में नई चेतना फैलाई। इन शहीदों ने बिना किसी मूल्य के कर्तव्य की पुण्यवेदी पर स्वयं को न्योछावर कर दिया, जिस कारण हम सभी स्वतंत्र हवाओं में सांस ले पा रहे हैं।
यह भी पढ़ें : राष्ट्रीय युवा दिवस पर कविता
अग्निपथ
वीर रस की कविता आप में साहस का विस्तार करेगी। इस श्रृंखला में एक कविता “अग्निपथ” है, जो कुछ इस प्रकार है:
वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छाँह भी, माँग मत, माँग मत, माँग मत, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु श्वेत रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। -हरिवंश राय बच्चन
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि जीवन के संघर्षों और चुनौतियों का सामना करने के लिए युवाओं को एक प्रेरक संदेश देते है। यह कविता हमें सिखाती है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। इस कविता के माध्यम से कवि युवाओं को अपने लक्ष्य के लिए अटल रहना सिखाते हैं।
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
वीर रस की कविता, साहित्य का परिचय देते हुए आप में वीरता के भाव को पैदा करेगी। इस सूची में भारत के एक लोकप्रिय कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी की कविता “तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार आज सिन्धु ने विष उगला है लहरों का यौवन मचला है आज हृदय में और सिन्धु में साथ उठा है ज्वार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार लहरों के स्वर में कुछ बोलो इस अंधड़ में साहस तोलो कभी-कभी मिलता जीवन में तूफानों का प्यार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार यह असीम, निज सीमा जाने सागर भी तो यह पहचाने मिट्टी के पुतले मानव ने कभी न मानी हार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार सागर की अपनी क्षमता है पर माँझी भी कब थकता है जब तक साँसों में स्पन्दन है उसका हाथ नहीं रुकता है इसके ही बल पर कर डाले सातों सागर पार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार -शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि जीवन में चुनौतियों का सामना करने और उनसे हार न मानने का संदेश देते हैं। कवि नाविक को तूफानों की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं, जो जीवन में आने वाली मुश्किलों का प्रतीक हैं। यह कविता हमें सिखाती है कि जीवन में चुनौतियों का सामना करना ज़रूरी है, साथ ही कविता कहती है कि चुनौतियों का सामना करके ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस कविता के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि मानव के जीवन में तूफान आना स्वाभाविक है, इसीलिए हमें तूफानों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उनका सामना करना चाहिए। कविता में कवि के अनुसार हम तूफानों का सामना करके ही सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें : विश्व हिंदी दिवस पर कविता
वीर
वीर रस की कविता आपको दृढ़ संकल्पित रहकर संघर्षों में डटे रहने की प्रेरणा देगी। इस श्रृंखला में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की एक कविता “वीर” है, जो कुछ इस प्रकार है:
सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। मुहँ से न कभी उफ़ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शुलों का मूळ नसाते हैं, बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं। है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? ख़म ठोंक ठेलता है जब नर पर्वत के जाते पाव उखड़, मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है। गुन बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भितर, मेंहदी में जैसी लाली हो, वर्तिका-बीच उजियाली हो, बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है। -रामधारी सिंह ‘दिनकर’
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने वीरता और साहस की महिमा को आम जनमानस तक पहुँचाया है। यह कविता युवाओं को उनके जीवन में वीरता और साहस के महत्व को समझाती है। यह कविता बताती है कि वीरता एक ऐसा गुण है जो मनुष्य को जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देता है। यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने जीवन में वीरता और साहस का गुण धारण करें। यह कविता हमें हमेशा सत्य और न्याय के लिए लड़ना सिखाती है।
यह भी पढ़ें : प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ
कदम मिलाकर चलना होगा
वीर रस की कविता, युवाओं को संघर्ष की स्थिति में प्रेरित करने का काम करती है। इस श्रृंखला में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में, कल कहार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। कुछ काँटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। -अटल बिहारी वाजपेयी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि सामूहिकता और एकता के महत्व पर बल देते हैं। कविता में कवि कहते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। कवि इस कविता के माध्यम से नेतृत्व की सही परिभाषा को समाज के समक्ष रखते हैं। यह कविता हमें सिखाती है कि हमें अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को त्यागकर सामूहिक प्रयास करना चाहिए, साथ ही इस कविता से हम राष्ट्रहित के लिए मिलकर काम करने का लक्ष्य प्राप्त करते हैं।
यह भी पढ़ें : पढ़िए हिंदी की महान कविताएं, जो आपके भीतर साहस का संचार करेंगी
संबंधित आर्टिकल
आशा है कि आपको इस ब्लॉग में आपको वीर रस की कविता पढ़ने का अवसर मिला होगा, जिसमें आपको लोकप्रिय एवं सुप्रसिद्ध कवियों की कविताएं पढ़ने का अवसर मिला होगा। यह कविताएं आपको सदा ही प्रेरित करेंगी, आशा है कि यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।