सालभर में अनेकों दिवस मनाये जाते हैं जो विभिन्न सामाजिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि से संबंधित होते हैं। इन दिवसों का आयोजन महत्वपूर्ण विषयों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है। इन्हीं दिवसों में से एक है विश्व एथनिक दिवस, जो हर साल जून के महीने में दुनियाभर में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है विभिन्न संस्कृतियों और जातीय समूहों का जश्न मनाना। यह एक ऐसा दिन है जो सदियों पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं को बढ़ावा देने में मदद करता है। इस दिवस (World Ethnic Day in Hindi) को मनाने की शुरुआत कैसे और कहाँ से हुई, इसे जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़िए।
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विश्व एथनिक दिवस के बारे में
दुनियाभर में विभिन्न संस्कृतियां देखने को मिलती है, इन्हीं संस्कृतियों का सम्मान करने और उनके बीच सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए हर साल 19 जून को दुनियाभर में विश्व एथनिक दिवस (World Ethnic Day in Hindi) मनाया जाता है। यह विशेष दिन हमें विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानने और उनका सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा यह दिवस हम सभी को अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है।
विश्व एथनिक दिवस का इतिहास – History of World Ethnic Day in Hindi
विश्व एथनिक दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गयी थी। लेकिन ऐसा माना जाता है कि इस दिवस को मनाये जाने का आईडिया सबसे पहले मुंबई स्थित ऑनलाइन जातीय उत्पादों के बाज़ार क्राफ्ट्सविला डॉट कॉम द्वारा पेश किया गया था। यह एक महत्वपूर्ण दिवस है जो हमें विभिन्न सभ्यताओं, भाषाओं, कलाओं और परंपराओं से जुड़े रहने का अवसर प्रदान करता है।
विश्व एथनिक दिवस का महत्व
विश्व एथनिक दिवस के महत्व निम्नलिखित है :
- यह दिवस लोगों को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जानने और समझने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- यह दिवस लोगों को अपनी प्राचीन संस्कृतियों को एक-दूसरे के साथ साझा करने के लिए प्रेरित करता है।
- यह दिवस विभिन्न संस्कृतियों के बीच सम्मान और समझ को बढ़ावा देता है।
- यह दिवस हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है।
- यह दिवस विभिन्न संस्कृतियों के बीच व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देता है।
विश्व एथनिक दिवस कैसे मनाएं?
विश्व एथनिक दिवस को आप निम्नलिखित तरीकों से मना सकते हैं :
- इस दिन आप विभिन्न देशों और क्षेत्रों के बारे में पढ़ें, उनके इतिहास, रीती रिवाजों, भाषाओं और व्यंजनों के बारे में जानें।
- विभिन्न संस्कृतियों को दर्शाने वाली फिल्म देखें।
- अपनी संस्कृति के बारे में दूसरों को सिखाएं।
- विभिन्न संस्कृतिओं के लोगों से बातचीत करें।
भारतीय राज्यों की पारंपरिक पोशाकें
संस्कृतियों के मामले में भारत दुनिया का सबसे सबसे धनी देश हैं। भारत की खासियत उसकी संस्कृति ही है। ऐसे में यहाँ कुछ प्रमुख भारतीय राज्यों की पारंपरिक पोशाकों के बारे में बताया गया है :
फेरन
फ़ेरन, जिसे फिरन भी कहा जाता है, कश्मीर की पारंपरिक पोशाक है। इस पोशाक को पुरूषों और महिलाओं दोनों द्वारा पहना जाता है। यह एक लंबा, ढीला वस्त्र होता है जो ऊन से बना होता है। कश्मीर की यह पोशाक ठंड में पहनी जाती है। आजकल फेरन या फिरन केवल कश्मीर में ही नहीं बल्कि भारत के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो रहा है।
धोती
धोती, भारत के सबसे प्रमुख पारंपरिक परिधानों में से एक है। इस पोशाक को पूरे भारत में अलग अलग तरीकों से पहना जाता है। यह एक लंबा, सफ़ेद कपडा होता है जिसे आमतौर पर पुरूषों के कमर के कारों ओर लपेटा जाता है। धोती भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसका उल्लेख हिन्दू ग्रंथों में भी मिलता है। यह राष्ट्रीयता और गर्व का भी प्रतीक है।
अचकन
अचकन एक पारंपरिक पोशाक है जिसकी लंबाई शेरवानी की तरह घुटनों तक होती है। पारंपरिक रूप से यह पोशाक अक्सर शाही अवसरों पर पुरूषों द्वारा पहनी जाती है। यह एक जैकेट होती है, जो बहुत ही हल्के कपड़े की बनती है। इस पोशाक को अक्सर धोती या कुर्ते के साथ पहना जाता है।
FAQs
विश्व एथनिक दिवस जिसे हिंदी में विश्व जातीय दिवस कहा जाता है, हर साल 19 जून को दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है।
विश्व एथनिक दिवस की शुरुआत भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन एथनिक सामानों के बाज़ार, क्राफ्ट्सविला डॉट कॉम द्वारा की गयी थी।
हर साल 19 जून को विश्व एथनिक दिवस मनाये जाने का उद्देश्य है विश्व की सभी संस्कृतियों को सम्मानित करना और विभिन्न समुदायों के बीच समझ को बढ़ावा देना।
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