विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को कला और साहित्य के महत्व को भी जरूर समझना चाहिए, सही मायनों में कविताएं ही साहित्य का वो अभिन्न अंग है जो समाज की चेतना को जगाए रखता है। हिंदी साहित्य में कई ऐसी अनमोल मणिया हुई है, जिनकी लेखन की चमक से आज भी हिंदी साहित्य समृद्ध दिखाई पड़ता है। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की गिनती भारत के उन लोकप्रिय कवियों और साहित्यकारों में होती है, जिनकी कलम ने समाज को दर्पण दिखाया। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Mahavir Prasad Dwivedi Poems in Hindi को पढ़ पाएंगे, साथ ही महावीर प्रसाद द्विवेदी का संक्षिप्त जीवन परिचय आपको जीवन भर प्रेरित करेगा। निज जीवन को नया दृष्टिकोण देने के लिए महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताएँ एक सहायक भूमिका में नजर आती हैं, जिनके लिए आपको यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना चाहिए।
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महावीर प्रसाद द्विवेदी का संक्षिप्त जीवन परिचय
Mahavir Prasad Dwivedi Poems in Hindi (महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको महावीर प्रसाद द्विवेदी का संक्षिप्त जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी के प्रथम व्यवस्थित संपादक, भाषावैज्ञानिक, इतिहासकार, समाजशास्त्री, समालोचक, अर्थशास्त्री व अनुवादक के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
09 मई, 1864 को महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के दौलतपुर, रायबरेली में हुआ था। महावीर प्रसाद द्विवेदी के पिता का नाम श्री रामसहाय द्विवेदी था, महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रारंभिक शिक्षा गांव की पाठशाला से शुरू हुई थी। द्विवेदी जी ने स्कूली शिक्षा के बाद स्वाध्याय ही अध्ययन किया और पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने रेलवे के कई पदों पर कार्य किया।
जीवन भर अपनी लेखनी से समाज को प्रभावित करने वाले महावीर प्रसाद द्विवेदी ने वर्ष 1903 में हिंदी की प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘सरस्वती’ का संपादन किया। द्विवेदी जी वर्ष 1903 से 1920 तक सरस्वती पत्रिका के संपादक रहे और उन्होंने अपना सारा जीवन संपादन और हिंदी भाषा के सुधार में लगा दिया। 21 दिसंबर, 1938 को एक महान साहित्यकार का देहांत हुआ था।
Mahavir Prasad Dwivedi Poems in Hindi
महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताएं आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी, जिसके लिए यहाँ आपको उनकी कविताओं को पढ़ने का अवसर मिलेगा। Mahavir Prasad Dwivedi Poems in Hindi की सूची कुछ इस प्रकार हैं;
कविता का नाम | कवि का नाम |
आर्य-भूमि | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
भारतवर्ष | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
कोकिल | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
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आर्य-भूमि
Mahavir Prasad Dwivedi Poems in Hindi से आप महावीर प्रसाद द्विवेदी की साहित्य की समझ बारे में जान पाओगे। महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताएं आपको बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी। इन कविताओं में एक कविता “बच्चे” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
जहाँ हुए व्यास मुनि-प्रधान, रामादि राजा अति कीर्तिमान। जो थी जगत्पूजित धन्य-भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि ।। जहाँ हुए साधु हा महान् थे लोग सारे धन-धर्म्मवान्। जो थी जगत्पूजित धर्म्म-भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। जहाँ सभी थे निज धर्म्म धारी, स्वदेश का भी अभिमान भारी । जो थी जगत्पूजित पूज्य-भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। हुए प्रजापाल नरेश नाना, प्रजा जिन्होंने सुत-तुल्य जाना । जो थी जगत्पूजित सौख्य- भूमि , वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। वीरांगना भारत-भामिली थीं, वीरप्रसू भी कुल- कामिनी थीं । जो थी जगत्पूजित वीर- भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। स्वदेश-सेवी जन लक्ष लक्ष, हुए जहाँ हैं निज-कार्य्य दक्ष। जो थी जगत्पूजित कार्य्य-भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। स्वदेश-कल्याण सुपुण्य जान, जहाँ हुए यत्न सदा महान। जो थी जगत्पूजित पुण्य भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। न स्वार्थ का लेन जरा कहीं था, देशार्थ का त्याग कहीं नहीं था। जो थी जगत्पूजित श्रेष्ठ-भुमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। कोई कभी धीर न छोड़ता था, न मृत्यु से भी मुँह मोड़ता था। जो थी जगत्पूजित धैर्य्य- भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। स्वदेश के शत्रु स्वशत्रु माने, जहाँ सभी ने शर-चाप ताने । जो थी जगत्पूजित शौर्य्य-भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। अनेक थे वर्ण तथापि सारे थे एकताबद्ध जहाँ हमारे जो थी जगत्पूजित ऐक्य-भूमि, वही हमारी यह आर्य भूमि ।। थी मातृभूमि-व्रत-भक्ति भारी, जहाँ हुए शुर यशोधिकारी । जो थी जगत्पूजित कीर्ति-भूमि, वही हमारी यह आर्यभूमि ।। दिव्यास्त्र विद्या बल, दिव्य यान, छाया जहाँ था अति दिव्य ज्ञान । जो थी जगत्पूजित दिव्यभूमि, वही हमारी यह आर्यभूमि ।। नए नए देश जहाँ अनेक, जीत गए थे नित एक एक । जो थी जगत्पूजित भाग्यभूमि, वही हमारी यह आर्यभूमि ।। विचार ऐसे जब चित्त आते, विषाद पैदा करते, सताते । न क्या कभी देव दया करेंगे? न क्या हमारे दिन भी फिरेंगे?
-महावीर प्रसाद द्विवेदी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि भारत भूमि की वीरता और गौरवशाली इतिहास का गान गाते हैं। कवि ने “आर्य-भूमि” को वीर योद्धाओं, ऋषियों-मुनियों और ज्ञानियों की कर्मभूमि बताते हैं। कविता के माध्यम से कवि कहते हैं कि यहीं पर शूरवीरों ने तलवारें उठाईं और अनेक देशों को जीता। यहीं पर ऋषियों ने ज्ञान और वेदों का प्रकाश फैलाया। इस कविता में कवि भारत देश की वीरता, ज्ञान, संस्कृति और गौरवशाली इतिहास का एक प्रेरणादायक चित्रण है।
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भारतवर्ष
Mahavir Prasad Dwivedi Poems in Hindi के माध्यम से आप महावीर प्रसाद द्विवेदी के लेखन से परिचित हो पाएंगे। महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताओं में से एक कविता “भारतवर्ष” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
जै जै प्यारे देश हमारे, तीन लोक में सबसे न्यारे । हिमगिरी-मुकुट मनोहर धारे, जै जै सुभग सुवेश ।। जै जै भारत देश ।। हम बुलबुल तू गुल है प्यारा, तू सुम्बुल, तू देश हमारा । हमने तन-मन तुझ पर वारा, तेजः पुंज-विशेष ।। जै जै भारत देश ।। तुझ पर हम निसार हो जावें, तेरी रज हम शीश चढ़ावें । जगत पिता से यही मनावें, होवे तू देशेश ।। जै जै भारत देश ।। जै जै हे देशों के स्वामी, नामवरों में भी हे नामी । हे प्रणम्य तुझको प्रणमामी, जीते रहो हमेश ।। जै जै भारत देश ।। आँख अगर कोई दिखलावे, उसका दर्प दलन हो जावे । फल अपने कर्मों का पावे, बने नाम निःशेष ।। जै जै भारत देश ।। बल दो हमें ऐक्य सिखलाओ, सँभलो देश होश में आवो । मातृभूमि-सौभाग्य बढ़ाओ, मेटो सकल कलेश ।। जै जै भारत देश ।। हिन्दू मुसलमान ईसाई, यश गावें सब भाई-भाई । सब के सब तेरे शैदाई, फूलो-फलो स्वदेश ।। जै जै भारत देश ।। इष्टदेव आधार हमारे, तुम्हीं गले के हार हमारे । भुक्ति-मुक्ति के द्वार हमारे, जै जै जै जै देश ।। जै जै भारत देश ।।
-महावीर प्रसाद द्विवेदी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि भारत देश की वीरता, गौरव और समृद्ध संस्कृति का उत्सव मनाते हैं। इस कविता में कवि “भारतवर्ष” को देवी-देवताओं का वासस्थान और ऋषि-मुनियों की तपोभूमि बताते हैं। कविता के माध्यम से कवि का कहना है कि यहाँ की वीर भूमि ने अनेक वीर योद्धाओं को जन्म दिया है जिन्होंने अपनी वीरता का लोहा मनवाया है। यह कविता भारत माता की जय-जयकार करती है। कविता में कवि का मानना है कि भारत फिर से अपनी खोई हुई वीरता और गरिमा प्राप्त करेगा और विश्व में अपना परचम लहराएगा।
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कोकिल
महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताओं में से एक कविता “कोकिल” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
कोकिल अति सुंदर चिड़िया है, सच कहते हैं, अति बढ़िया है। जिस रंगत के कुँवर कन्हाई, उसने भी वह रंगत पाई। बौरों की सुगंध की भाँती, कुहू-कुहू यह सब दिन गाती। मन प्रसन्न होता है सुनकर, इसके मीठे बोल मनोहर। मीठी तान कान में ऐसे, आती है वंशी-धुनि जैसे। सिर ऊँचा कर मुख खोलै है, कैसी मृदु बानी बोलै है! इसमें एक और गुण भाई, जिससे यह सबके मन भाई। यह खेतों के कीड़े सारे, खा जाती है बिना बिचारे।
-महावीर प्रसाद द्विवेदी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि प्रकृति के सौंदर्य और जीवन के आनंद का मनोरम चित्रण प्रस्तुत करते हैं। यह कविता सही मायनों में वसंत ऋतु के आगमन का वर्णन करती है, जिस समय पेड़ों पर नई पत्तियों के साथ फूल खिलने लगते हैं। कवि कविता के माध्यम से कहना चाहते हैं कि इस सुंदर वातावरण में कोयल अपनी मधुर आवाज से मधुर संगीत सुना रही है। यह कविता हमें जीवन जीने का संदेश देती है।
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महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएँ
इस कविता के माध्यम से आपको महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएँ पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक और लोकप्रिय हैं, जितने वह अपनी रचनाओं के समय रही होंगी। महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएँ कुछ इस प्रकार हैं;
- आर्य-भूमि
- भारतवर्ष
- कोकिल
- प्यारा वतन
- काव्यमंजूषा
- काव्यकलाप
- सुमन
- द्विवेदी काव्यमाला
- बालविनोद
- हिंदी भाषा की उत्पति
- कालिदास की निरंकुशता
- पुरातत्व प्रसंग
- साहित्य सीकर आदि।
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आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Mahavir Prasad Dwivedi Poems in Hindi पढ़ पाएंगे, महावीर प्रसाद द्विवेदी की कविताएं आपको खुशहाल जीवन जीने तथा आपके समक्ष हिंदी साहित्य की समृद्ध छवि को प्रस्तुत करने का काम करेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।