हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट है, इसकी ऊँचाई 8848 मीटर है। इस चोटी को फ़तेह करने का सपना हर पर्वतारोही का होता है। कई दशकों तक इस पर्वत की दुर्गम परिस्थियों के कारण लोग इस तक पहुँचने में असमर्थ रहे थे। 70 वर्ष पहले वर्ष 1953 में न्यूज़ीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग ने नोर्गे ने पहली बार एवरेस्ट पर पहुंचकर इतिहास में अपना नाम दर्ज़ कराया था। हिलेरी और शेरपा 29 मई 1953 के दिन एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने में सफल हुए थे। इसी दिन की स्मृति में हर साल 29 मई के दिन अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस मनाया जाता है। यहाँ International Everest Day in Hindi के बारे में विस्तार से बताया गया है।
This Blog Includes:
- अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का इतिहास
- अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का महत्व
- अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस कैसे मनाया जाता है?
- आप अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस कैसे मना सकते हैं?
- माउंट एवरेस्ट दिवस 2024 की थीम
- एवरेस्ट का संक्षिप्त विवरण
- एवरेस्ट से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्य
- माउंट एवरेस्ट के रिकॉर्ड
- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही
- FAQs
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का इतिहास
वर्ष 1953 में 29 मई के दिन न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी ने नेपाल के तेनजिंग शेरपा के साथ मिलकर पहली बार एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने का काम किया था। उनके इस साहसिक कार्य ने असंभव से दिख रहे इस कार्य को संभव करने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 2008 में एडमंड हिलेरी की मृत्यु के बाद से हर साल एडमंड हिलेरी को सम्मान देने के उद्देश्य से और 29 मई के दिन को ख़ास बनाने की कवायद में अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस (International Everest Day in Hindi) मनाया जाता है।
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अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का महत्व
अंतराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस (International Everest Day in Hindi) के महत्व को हम निम्नलिखित बिंदुओं के द्वारा समझ सकते हैं :
- अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस नेपाल के पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
- यह दिवक्स अन्य पर्वतारोहियों को हिमालय की एवरेस्ट की चोटी ओर चढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय माउंट एवरेस्ट दिवस पहाड़ पर चढ़ने के खतरों को याद करने और उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है जिन्होंने इस शिखर पर चढ़ने के प्रयास में अपने प्राण गँवा दिए।
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस कैसे मनाया जाता है?
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस (International Everest Day in Hindi) निम्नलिखित प्रकार से मनाया जाता है :
- इस दिन नेपाल और चीन के एवरेस्ट बेस कैम्प में समारोह आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान ध्वजारोहण किया जाता है और एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने की कोशिश में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले लोगों को श्रद्धांजली देने के लिए मौन रखा जाता है।
- इस दिन हिमालय क्षेत्र में हो रहे जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में भी लोगों को जागरूक करने का काम भी किया जाता है।
- इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में एवरेस्ट की ऊंचाई, पर्वतारोहियों की चुनौतियों और हिमालय की जलवायु तंत्र को समझाने के संबंध में कक्षाएं आयोजित की जाती हैं।
- सोशल मीडिया पर हैशटैग्स, फोटो और स्टोरीज़ को साझा करके भी इस दिन को मनाया जाता है।
आप अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस कैसे मना सकते हैं?
आप निम्नलिखित तरीकों से अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस (International Everest Day in Hindi) मना सकते हैं :
- एवरेस्ट के बारे में जानें।
- उन पर्वतारोहियों के बारे में जानकारी लें, जो एवरेस्ट पर चढ़ने में सफल रहे हैं।
- एवरेस्ट की चढ़ाई के समय आने वाले खतरों के बारे में सोशल मीडिया के द्वारा जागरूकता फैलाएं।
- अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से अंतराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के बारे में स्टोरीज़ और फोटो साझा कर लोगों को इस बारे में बताएं।
माउंट एवरेस्ट दिवस 2024 की थीम
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस 2024 की थीम अभी तक आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं की गई है। फ़िलहाल कुछ संभावित विषयों पर चर्चा हो रही है, जिनमें शामिल हैं:
- पहाड़ों की रक्षा करना: यह जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- सुरक्षित पर्वतारोहण: यह पर्वतारोहियों को सुरक्षित रहने और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
- पहाड़ी समुदायों का सशक्तिकरण: यह पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
एवरेस्ट का संक्षिप्त विवरण
यहाँ एवरेस्ट की चोटी का संक्षिप्त विवरण देने के लिए कुछ बिंदु दिए जा रहे हैं:
- एवरेस्ट की चोटी दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है।
- इस पर्वत का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है, जो 1830 से 1843 तक भारत के महासर्वेक्षक थे।
- एवरेस्ट की चोटी हर साल 4 किलोमीटर बढ़ जाती है। इसका कारण इंडियन प्लेट का यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसकना है।
- यह महालंगूर हिमाल उप श्रेणी में स्थित है, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है।
- एवरेस्ट की चोटी नेपाल और चीन (तिब्बत) की सीमा पर स्थित है।
एवरेस्ट से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्य
यहाँ एवरेस्ट की चोटी से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्य बताए जा रहे हैं :
- माउंट एवरेस्ट की खोज सबसे पहले एक भारतीय सर्वेक्षक और गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने की थी।
- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए सबसे लोकप्रिय समय वसंत और शरद ऋतु को माना जाता है।
- माउंट एवरेस्ट पर न्यूनतम तापमान माइनस 40 डिग्री तक पहुँच जाता है।
- हर साल 800 लोग हिमालय पर चढ़ने का प्रयास करते हैं।
- हिमालय पर चढ़ने के प्रयास में अब तक लगभग 300 लोगों की जान जा चुकी है।
- जुंको तानबे हिमालय पर चढ़ने वाली पहली महिला हैं।
माउंट एवरेस्ट के रिकॉर्ड
यहाँ माउंट एवरेस्ट के संबंध में पर्वतारोहियों के द्वारा बनाए गए कुछ रिकॉर्ड्स के बारे में बताया जा रहा है :
- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के का रिकॉर्ड कई लोग बना चुके हैं। नेपाल के अप्पा शेरपा ने 21 बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का रिकॉर्ड बना चुके हैं।
- हरियाणा के विकास कौशिक और उनकी पत्नी सुषमा कौशिक एवरेस्ट पर चढ़ने वाले सबसे युवा दम्पति हैं।
- 45 वर्ष की प्रेमलता अग्रवाल एवरेस्ट की चोटी को फतह करने वाली सबसे अधिक उम्र की महिला बनी हैं।
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही
भारत की पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल वर्ष 1984 में एवरेस्ट की चोटी पर विजय प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की थी। वर्ष 1984 में भारत ने एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक टीम बनाई थी। इस टीम में 16 लोग थे। इसमें 11 पुरुष पर्वतारोही और 5 महिला पर्वतारोही थीं। कठिन चढ़ाई और तूफ़ान को हराकर बिछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर पहुँचने वाली पहली महिला बनीं। बिछेंद्री पाल को उनके साहसिक कारनामे के लिए अर्जुन अवार्ड, पदमश्री पुरस्कार, पर्वतारोहण फाउंडेशन की ओर से स्वर्ण पदक और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से स्वर्ण पदक प्रदान किया जा चुका है।
FAQs
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट डे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोहियों की स्मृति को समर्पित है। यह दिन उन पर्वतारोहियों को श्रद्धांजलि देता है जो एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर नए रिकॉर्ड बनाते हैं।
एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय झंडा फहराने वाले प्रथम व्यक्ति भारतीय सेना के अधिकारी कैप्टन एमएस कोहली थे।
माउंट एवरेस्ट नेपाल और तिब्बत के बीच सीमा के निकट स्थित है।
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