प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ हर सदी में समाज को जागरूक करने अथवा युवाओं को जोश से भरने का कार्य करती हैं। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को कुशल नेतृत्व के महत्व को समझाने में प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ एक मुख्य भूमिका निभाती हैं। कविताएं समाज का दर्पण होती हैं, एक ऐसा दर्पण जो समाज को उसकी यथास्थिति से अवगत करवाता है। कविताएं ही मानव को उत्साह और उमंग के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं। कविताएं ही सही मायनों में साहित्य का श्रृंगार करती हैं, जिसके सहायता से मानव में साहस की शक्ति का संचार होता है। विश्व कविता दिवस के अवसर पर प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ विद्यार्थियों के जीवन पर एक सकारात्मक प्रभाव डालने का प्रयास करती हैं, जो आपको इस ब्लॉग के माध्यम से पढ़ने को मिलेंगी।
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प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ हिंदी भाषा के साहित्य में वीर रस का श्रृंगार करती हैं, जो मानव के जीवन को एक नई दिशा देने का काम करती हैं। प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ पढ़ने से पहले आपको उन कवियों के नाम की सूची भी प्राप्त होगी, जो कुछ इस प्रकार है;
कविता का नाम | कवि/कवियत्री का नाम |
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है | केदारनाथ अग्रवाल |
इसी जन्म में इस जीवन में | केदारनाथ अग्रवाल |
कलम, आज उनकी जय बोल | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ |
सच हम नहीं सच तुम नहीं | जगदीश गुप्त |
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों | गोपालदास “नीरज” |
मैं अनंत पथ में लिखती जो | महादेवी वर्मा |
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार | शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ |
गीत नया गाता हूँ | अटल बिहारी वाजपेयी |
आओ फिर से दिया जलाएँ | अटल बिहारी वाजपेयी |
कदम मिलाकर चलना होगा | अटल बिहारी वाजपेयी |
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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ आप में साहस का संचार करेंगी। इस श्रृंखला में पहली कविता “जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है” है, जो कुछ इस प्रकार है:
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है जो रवि के रथ का घोड़ा है वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा जो जीवन की आग जला कर आग बना है फ़ौलादी पंजे फैलाए नाग बना है जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है जो युग के रथ का घोड़ा है वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा -केदारनाथ अग्रवाल
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने जीवन के संघर्षों और उनसे उबरने की शक्ति का उत्सव मनाने का प्रयास करती है। कविता के माध्यम से कवि उन लोगों की प्रशंसा करते हैं जिन्होंने जीवन की कठिनाइयों का सामना करते हुए भी, अपनी मर्यादा और दृढ़ संकल्प को बनाए रखा है। यह कविता युवाओं को यही सीख देती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आना स्वाभाविक है, लेकिन हमें उनसे घबराना नहीं चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए और हार न मानते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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इसी जन्म में इस जीवन में
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ आप में साहस का संचार करेंगी। इस श्रृंखला में एक कविता “इसी जन्म में इस जीवन में” है, जो कुछ इस प्रकार है:
इसी जन्म में, इस जीवन में, हमको तुमको मान मिलेगा। गीतों की खेती करने को, पूरा हिंदुस्तान मिलेगा॥ क्लेश जहाँ है, फूल खिलेगा, हमको तुमको त्रान मिलेगा। फूलों की खेती करने को, पूरा हिंदुस्तान मिलेगा॥ दीप बुझे हैं, जिन आँखों के; इन आँखों को ज्ञान मिलेगा। विद्या की खेती करने को, पूरा हिंदुस्तान मिलेगा॥ मैं कहता हूँ, फिर कहता हूँ; हमको तुमको प्रान मिलेगा। मोरों-सा नर्तन करने को, पूरा हिंदुस्तान मिलेगा॥ -केदारनाथ अग्रवाल
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से मानवतावाद और सामाजिक न्याय के विचारों पर आधारित है। कविता में कवि एक ऐसे समाज का सपना देखते हैं, जहाँ सभी लोगों को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। इस कविता के माध्यम से कवि हमें सिखाती है कि हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहाँ सभी लोगों को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। यही अवसर हमें ज्ञान से समृद्धि की राह पर ले जाता है।
कलम, आज उनकी जय बोल
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, साहित्य के साथ आपका परिचय करवाएंगी। इस श्रृंखला में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की कविता “कलम, आज उनकी जय बोल” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
जला अस्थियां बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारे तूफानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल कलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएं उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल। अंधा चकाचौंध का मारा क्या जाने इतिहास बेचारा, साखी हैं उनकी महिमा के सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल कलम, आज उनकी जय बोल। -रामधारी सिंह 'दिनकर'
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि समाज को देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत करने का सफल प्रयास करते हैं। कवि ने इस कविता में उन वीर शहीदों का गुणगान किया है, जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया। इस कविता में कवि कहते हैं कि कलम, आज उन वीर शहीदों की जय बोल, जिन्होंने अपना सब कुछ बलिदान करके क्रांति की भावना जागृत की और देश में नई चेतना फैलाई। इन शहीदों ने बिना किसी मूल्य के कर्तव्य की पुण्यवेदी पर स्वयं को न्योछावर कर दिया, जिस कारण हम सभी स्वतंत्र हवाओं में सांस ले पा रहे हैं।
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सच हम नहीं सच तुम नहीं
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, आप में नई ऊर्जा का संचार करेंगी। इस सूची में जगदीश गुप्त जी की कविता “सच हम नहीं सच तुम नहीं” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
सच हम नहीं, सच तुम नहीं। सच है सतत संघर्ष ही। संघर्ष से हटकर जिए तो क्या जिए हम या कि तुम। जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृन्त से झरकर कुसुम। जो पन्थ भूल रुका नहीं, जो हार देख झुका नहीं, जिसने मरण को भी लिया हो जीत है जीवन वही। सच हम नहीं, सच तुम नहीं । ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे। जो है जहाँ चुपचाप अपने आप से लड़ता रहे। जो भी परिस्थितियाँ मिलें, काँटे चुभें कलियाँ खिलें, टूटे नहीं इनसान, बस सन्देश यौवन का यही। सच हम नहीं, सच तुम नहीं। हमने रचा आओ हमीं अब तोड़ दें इस प्यार को। यह क्या मिलन, मिलना वही जो मोड़ दे मँझधार को। जो साथ फूलों के चले, जो ढाल पाते ही ढले, यह ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी जो सिर्फ़ पानी सी बही। सच हम नहीं, सच तुम नहीं। अपने हृदय का सत्य अपने आप हमको खोजना। अपने नयन का नीर अपने आप हमको पोंछना। आकाश सुख देगा नहीं धरती पसीजी है कहीं ! हए एक राही को भटककर ही दिशा मिलती रही। सच हम नहीं, सच तुम नहीं। बेकार है मुस्कान से ढकना हृदय की खिन्नता। आदर्श हो सकती नहीं तन और मन की भिन्नता। जब तक बँधी है चेतना जब तक प्रणय दुख से घना तब तक न मानूँगा कभी इस राह को ही मैं सही। सच हम नहीं, सच तुम नहीं। -जगदीश गुप्त
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने जीवन के सच और झूठ की अवधारणा को चुनौती दी है। कवि का कहना है कि जीवन में कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से सच्चा या झूठा नहीं होता। यह कविता हमें अपनी भावनाओं और अनुभवों को समझने के लिए आत्म-जागरूक कराती है। यह कविता हमें अपने विचारों और कार्यों के लिए जिम्मेदारी लेना सिखाती है, साथ ही यह कविता हमें सच और झूठ के बीच का अंतर समझने और जीवन में सही और गलत के बीच का निर्णय लेने में भी मदद करती है।
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, हर परिस्थिति में आपको प्रेरित करने का कार्य करेंगी। इस सूची में भारत के एक लोकप्रिय कवि गोपालदास “नीरज” जी की कविता “छिप-छिप अश्रु बहाने वालों” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है। सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है। माला बिखर गयी तो क्या है खुद ही हल हो गयी समस्या आँसू गर नीलाम हुए तो समझो पूरी हुई तपस्या रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है। खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर केवल जिल्द बदलती पोथी जैसे रात उतार चांदनी पहने सुबह धूप की धोती वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों! चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है। लाखों बार गगरियाँ फूटीं, शिकन न आई पनघट पर, लाखों बार किश्तियाँ डूबीं, चहल-पहल वो ही है तट पर, तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों! लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है। लूट लिया माली ने उपवन, लुटी न लेकिन गन्ध फूल की, तूफानों तक ने छेड़ा पर, खिड़की बन्द न हुई धूल की, नफरत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों! कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है! -गोपालदास "नीरज"
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और हार न मानने का संदेश देती है। कवि उन लोगों को प्रेरित करते हैं जो चुनौतियों से घबराकर रोने लगते हैं और हिम्मत हार देते हैं। इस कविता में कवि हमें सिखाते हैं कि जीवन में चुनौतियों का सामना करना ज़रूरी होता है। मानव को हार स्वीकार किए बिना हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम जीवन में सकारात्मक सोच रखें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रयास करते रहें।
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मैं अनंत पथ में लिखती जो
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, युवाओं का मार्गदर्शन करने का सफल प्रयास करेंगी। इस सूची में भारत के एक लोकप्रिय कवियत्री महादेवी वर्मा जी की कविता “मैं अनंत पथ में लिखती जो” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
मैं अनंत पथ में लिखती जो सस्मित सपनों की बाते उनको कभी न धो पायेंगी अपने आँसू से रातें! उड़् उड़ कर जो धूल करेगी मेघों का नभ में अभिषेक अमिट रहेगी उसके अंचल- में मेरी पीड़ा की रेख! तारों में प्रतिबिम्बित हो मुस्कायेंगी अनंत आँखें, हो कर सीमाहीन, शून्य में मँडरायेगी अभिलाषें! वीणा होगी मूक बजाने- वाला होगा अंतर्धान, विस्मृति के चरणों पर आ कर लौटेंगे सौ सौ निर्वाण! जब असीम से हो जायेगा मेरी लघु सीमा का मेल, देखोगे तुम देव! अमरता खेलेगी मिटने का खेल! -महादेवी वर्मा
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवियत्री अपने लेखन के माध्यम से समाज में व्याप्त अन्याय, अत्याचार, और शोषण के खिलाफ आवाज उठाती हैं। कवियत्री का मानना है कि लेखन एक शक्तिशाली माध्यम है जो समाज को बदलने की क्षमता रखता है। कविता समाज में युवाओं को भी लेखन के लिए प्रेरित करने का काम करती है। कविता में कवियत्री कहती हैं कि वह अपने लेखन के माध्यम से दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाना चाहती हैं। वह एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहती हैं जिसमें सभी लोग समान हों और जिसमें किसी के साथ अन्याय न हो। कवियत्री का मानना है कि लेखन के माध्यम से वह इस सपने को साकार कर सकती हैं।
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, साहित्य का सहारा लेकर सामाज को चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देती हैं। इस सूची में भारत के एक लोकप्रिय कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी की कविता “तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार आज सिन्धु ने विष उगला है लहरों का यौवन मचला है आज हृदय में और सिन्धु में साथ उठा है ज्वार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार लहरों के स्वर में कुछ बोलो इस अंधड़ में साहस तोलो कभी-कभी मिलता जीवन में तूफानों का प्यार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार यह असीम, निज सीमा जाने सागर भी तो यह पहचाने मिट्टी के पुतले मानव ने कभी न मानी हार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार सागर की अपनी क्षमता है पर माँझी भी कब थकता है जब तक साँसों में स्पन्दन है उसका हाथ नहीं रुकता है इसके ही बल पर कर डाले सातों सागर पार तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार -शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि जीवन में चुनौतियों का सामना करने और उनसे हार न मानने का संदेश देते हैं। कवि नाविक को तूफानों की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं, जो जीवन में आने वाली मुश्किलों का प्रतीक हैं। यह कविता हमें सिखाती है कि जीवन में चुनौतियों का सामना करना ज़रूरी है, साथ ही कविता कहती है कि चुनौतियों का सामना करके ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस कविता के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि मानव के जीवन में तूफान आना स्वाभाविक है, इसीलिए हमें तूफानों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उनका सामना करना चाहिए। कविता में कवि के अनुसार हम तूफानों का सामना करके ही सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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गीत नया गाता हूँ
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, युवाओं को प्रेरित करने का कार्य करेंगी। इस श्रृंखला में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक कविता “गीत नया गाता हूँ” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ गीत नया गाता हूँ टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ गीत नया गाता हूँ -अटल बिहारी वाजपेयी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी युवाओं को समस्याओं के विरुद्ध स्वयं को प्रेरित करने का संदेश देते हैं। इस कविता के माध्यम से अटल जी हर प्रकार की नकारात्मकताओं का नाश करने के साथ-साथ, स्वयं को प्रेरित करने का काम करता है। यह कविता हमें सकारात्मकता के साथ जीवनयापन करने का संदेश देती है।
आओ फिर से दिया जलाएँ
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, युवाओं में नवीन सकारात्मक ऊर्जाओं का संचार करने का कार्य करेंगी। इस श्रृंखला में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक कविता “आओ फिर से दिया जलाएँ” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
भरी दुपहरी में अँधियारा सूरज परछाईं से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएँ आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िल लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल वतर्मान के मोहजाल में आने वाला कल न भुलाएँ आओ फिर से दिया जलाएँ आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ आओ फिर से दिया जलाएँ -अटल बिहारी वाजपेयी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि अटल बिहारी वाजपेयी जी निराशा से जन्मे अंतर्मन के तमस को मिटाने के लिए, आशाओं की भावना के साथ विश्वास का दीपक जलाने का संदेश देती है। यह कविता आपको प्रेरणा से भरने का प्रयास करती है, जीवन में मिली असफलताओं का सामना करने के लिए यह कविता हमें सक्षम बनाती है।
कदम मिलाकर चलना होगा
प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ, युवाओं को संघर्ष की स्थिति में प्रेरित करके सफलता के लिए उनका मार्गदर्शन करेंगी। इस श्रृंखला में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में, कल कहार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। कुछ काँटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। -अटल बिहारी वाजपेयी
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि सामूहिकता और एकता के महत्व पर बल देते हैं। कविता में कवि कहते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। कवि इस कविता के माध्यम से नेतृत्व की सही परिभाषा को समाज के समक्ष रखते हैं। यह कविता हमें सिखाती है कि हमें अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को त्यागकर सामूहिक प्रयास करना चाहिए, साथ ही इस कविता से हम राष्ट्रहित के लिए मिलकर काम करने का लक्ष्य प्राप्त करते हैं।
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