राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन और उनके विचार केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि शैक्षिक दृष्टिकोण से भी प्रेरणादायक रहे हैं। उनका शैक्षिक सफर न केवल उनके व्यक्तिगत विकास का प्रतीक है, बल्कि यह उनके आदर्शों और सिद्धांतों को भी आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गांधी जी ने अपनी शिक्षा के दौरान अनेक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन सब मुश्किलों को पार कर वह लक्ष्यों को पूरा करने में कामयाब रहे और विश्व भर में विभिन्न लोगों को इसके लिए प्रेरित किया। तो चलिए जानते हैं महात्मा गांधी की शिक्षा बारे में विस्तार से।
This Blog Includes:
महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा
महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा का सफर उनकी जीवन यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनके पिता, करमचंद गांधी, पोरबंदर के दीवान थे, और माता, पुतलीबाई, एक धार्मिक महिला थीं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर के स्थानीय विद्यालय में प्राप्त की, जहां उन्होंने गुजराती, संस्कृत और गणित का अध्ययन किया।
यह भी पढ़ें : जानिए महात्मा गांधी के आंदोलन लिस्ट जिन्होंने भारत को बढ़ाया आज़ादी की ओर‘
हाई स्कूल की शिक्षा
गांधीजी राजकोट भारत के पश्चिमी भाग में स्थित शहर चले गए। उनके पिता की नई नौकरी की वजह से उनका यह कदम जरूरी था। उन्होंने 11 साल की उम्र में अल्फ्रेड हाई स्कूल में दाखिला लिया था। प्राथमिक विद्यालय की तुलना में हाई स्कूल में उनके पढ़ाई में काफी सुधार हुआ।
गांधी जी जोकि औसत छात्र थे और वे अंग्रेजी समेत विभिन्न विषयों में एक अच्छे छात्र के रूप में पहचाने जा सकते थे। उन्होंने भूगोल जैसे अन्य फिल्ड में उत्कृष्टता हासिल नहीं की। वे काफी शर्मीला छात्र थे। लेकिन गांधी जी की जो एक चीज कभी नहीं बदली वह थी उनकी लिखावट। गांधी जी ने अपनी उंगलियों का उपयोग करके धूल पर लिखना सीखा था।
गांधी जी ने 13 वर्ष की आयु में ही विवाह कर लिया था, क्योंकि उन्हें अपने परिवार की देखभाल भी करनी थी। उनके पिता के बीमार पड़ जाने के बाद, महात्मा गांधी पर उनके जीवन के साथ-साथ उनकी पढ़ाई में भी एक मुश्किल दौर शुरू हो गया था।
यह भी पढ़ें : भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में क्या पता है आपको ये
विद्यालय से कॉलेज की शिक्षा का सफर
गांधी जी ने अपना हाई स्कूल की पढ़ाई को पूरा करने में सफल रहे, उन्होंने समलदास आर्ट्स कॉलेज में प्रवेश लिया। जोकि उस समय एकमात्र ऐसा संस्थान था जो डिग्री प्रदान करता था। जिसके बाद गांधीजी ने कॉलेज छोड़ कर पोरबंदर में अपने परिवार के पास चले गए।
कुछ समय पश्चात् गांधीजी ने फिर से कॉलेज में वापस जाने का निर्णय किया। उन्होंने लॉ करने का ऑप्शन चुना। उन्होंने जीवन भर भारत में पढ़ाई कि थी, इसलिए उन्होंने अपने जीवन में कुछ परिवर्तन करने और विदेश इंग्लैंड में पढ़ाई करने का निर्णय लिया। इस निर्णय से उनको अपने परिवार से लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी मां जोकि उनका भारत छोड़ जाने के लिए बिलकुल पक्ष में नहीं थी।
महात्मा गांधी ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) में प्रवेश लिया और 3 वर्ष बाद सफलतापूर्वक अपनी लॉ की पढ़ाई को पूरा किया। उन्होंने अपने परिवार से की गई प्रतिज्ञा का सम्मान करते हुए अंग्रेजी संस्कृति को भी अपनाने में कामयाब रहे थे। लंदन में अपनी पढ़ाई के दौरान उनके स्वभाव में भी काफी सुधार हुआ। वह एक पब्लिक स्पीकिंग ग्रुप में शामिल हो गए जिसने उन्हें एक अच्छा सार्वजनिक वक्ता बनने की ट्रेनिंग दी।
यूसीएल (UCL) से स्नातक होने के बाद गांधी जी अपने परिवार के पास घर लौट आये। लेकिन जब वे वापस आए तब दुर्भाग्यवश उनकी माँ का पहले ही निधन हो चुका था।
यह भी पढ़ें : महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा
गांधीजी के विचारों और सिद्धांतों पर शिक्षा का प्रभाव
महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों पर उनकी शिक्षा का गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ने उन्हें सत्य और अहिंसा के महत्व को समझने में मदद की, जिससे उन्होंने अपने जीवन में इन्हें अपने आंदोलन का मूल मंत्र बनाया। समाज के कमजोर वर्गों और उनकी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, गांधीजी ने सामाजिक समानता और छुआ-छूत के खिलाफ संघर्ष किया। उनकी शिक्षा ने उन्हें आत्मनिर्भरता का महत्व सिखाया, जिसके तहत उन्होंने खादी और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया। उन्होंने शिक्षा को चरित्र निर्माण के साधन के रूप में देखा, जिससे युवा पीढ़ी में आत्म-सम्मान और नैतिकता की भावना विकसित हो सके। गांधीजी ने अहिंसात्मक प्रतिरोध के सिद्धांतों का पालन किया और सत्याग्रह के माध्यम से असहमति व्यक्त करने के तरीकों का विकास किया। उनके अध्ययन ने उन्हें भारतीय संस्कृति और विविधता के महत्व का अहसास कराया, और उन्होंने वैश्विक दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें मानवता के लिए सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा का महत्व था। इस प्रकार, गांधीजी की शिक्षा ने उन्हें एक ऐसा नेता बनाया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और आज भी उनके विचार सामाजिक न्याय और अहिंसा के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
संबंधित ब्लाॅग
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको महात्मा गांधी की शिक्षा (Mahatma Gandhi Education in Hndi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।