Sangh Suchi Kya Hai: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची, केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे का एक महत्वपूर्ण लेख है। इस अनुसूची में तीन सूचियाँ हैं: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। इनमें से, संघ सूची राष्ट्रीय महत्व के उन विषयों की सूची है, जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है। यह सूची देश की एकता, अखंडता और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें रक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग और संचार जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय शामिल हैं। आइए इस ब्लॉग में संघ सूची क्या है? (Sangh Suchi Kya Hai), महत्व और विषय के बारे में विस्तार से जानें और समझें कि यह हमारे देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
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सातवीं अनुसूची क्या है (What is the Seventh Schedule)?
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के विभाजन को परिभाषित करती है। इस अनुसूची में 100 विषय हैं, जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है। यह अनुसूची विधायी शक्तियों को तीन सूचियों में विभाजित करती है: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची।
- संघ सूची: इसमें वे विषय शामिल हैं जो राष्ट्रीय महत्व के हैं, जैसे कि रक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग और संचार। और इन विषयों पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है।
- राज्य सूची: इसमें वे विषय शामिल हैं जो स्थानीय महत्व के हैं, जैसे कि पुलिस, सार्वजनिक स्वास्थ्य और कृषि। और इन विषयों पर केवल राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं।
- समवर्ती सूची: इसमें वे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं, जैसे कि शिक्षा और वन। और यदि केंद्र और राज्य कानूनों में कोई टकराव होता है, तो केंद्र का कानून मान्य होता है।
भारत की संघीय सरकार, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया की संघीय सरकारों के विपरीत, कनाडा की संघीय सरकार की तरह, अवशिष्ट शक्तियां (वे शक्तियां जो किसी भी सूची में सूचीबद्ध नहीं हैं) केंद्र सरकार के पास रहती हैं। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों के विभाजन को स्पष्ट करती है। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय हितों के बीच संतुलन बना रहे, और दोनों स्तर की सरकारें अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में कार्य करें।
संघ सूची क्या है (Sangh Suchi Kya Hai)?
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में, संघ सूची उन विषयों की एक सूची है जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है। यह सूची राष्ट्रीय महत्व के विषयों को दर्शाती है, जिन पर पूरे देश में एक समान नीति की आवश्यकता होती है।
संविधान के लागू होने के समय, संघ सूची में 97 विषय थे। हालांकि, समय के साथ, राष्ट्रीय आवश्यकताओं और वैश्विक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने के लिए इसमें संशोधन किए गए हैं। वर्तमान में, संघ सूची में 100 विषय हैं। संघ सूची के विषयों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके और देश के सभी हिस्सों में समान विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
संघ सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है जिन पर केवल भारत की संसद (केंद्र सरकार) को कानून बनाने का विशेष अधिकार है। यह सूची राष्ट्रीय महत्व के विषयों को दर्शाती है, जिन पर पूरे देश में एक समान नीति की आवश्यकता होती है।
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने पहली बार विधायी शक्तियों को तीन सूचियों में विभाजित करने की योजना बनाई।
- स्वतंत्रता के बाद, संविधान सभा ने एक मजबूत केंद्र सरकार की आवश्यकता को महसूस करते हुए, एक केंद्रीकृत संवैधानिक संरचना को अपनाया।
- मूल रूप से, संघ सूची में 97 विषय थे, लेकिन वर्तमान में इसमें 100 विषय हैं। यह परिवर्तन राष्ट्रीय आवश्यकताओं और वैश्विक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करता है।
भारतीय संविधान में संघ सूची
1 | भारत और उसके प्रत्येक भाग की रक्षा |
2 | नौसेना, सेना और वायुसेना |
2क | संघ के सशस्त्र बलों की राज्यों में तैनाती |
3 | छावनी क्षेत्रों का परिसीमन |
4 | नौसेना, सैन्य और वायु सेना कार्य |
5 | शस्त्र, आग्नेयास्त्र, गोलाबारूद और विस्फोटक |
6 | परमाणु ऊर्जा और खनिज संसाधन |
7 | रक्षा के लिए आवश्यक उद्योग |
8 | केंद्रीय खुफिया और अन्वेषण ब्यूरो |
9 | रक्षा, विदेश मामले या सुरक्षा से संबंधित निवारक निरोध |
10 | विदेशी मामले |
11 | राजनयिक, कांसुलरी और व्यापार प्रतिनिधित्व |
12 | संयुक्त राष्ट्र संगठन |
13 | अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी |
14 | विदेशी संधियाँ और समझौते |
15 | युद्ध और शांति |
16 | विदेशी अधिकार क्षेत्र |
17 | नागरिकता और विदेशी मामले |
18 | प्रत्यर्पण |
19 | भारत में प्रवेश और उत्प्रवास |
20 | भारत से बाहर तीर्थयात्रा |
21 | समुद्री डकैती और अंतरराष्ट्रीय अपराध |
22 | रेलवे |
23 | राष्ट्रीय राजमार्ग |
24 | राष्ट्रीय जलमार्ग |
25 | समुद्री नौवहन |
26 | प्रकाशस्तंभ |
27 | महापत्तन |
28 | बंदरगाह संगरोध |
29 | वायुमार्ग और विमानक्षेत्र |
30 | परिवहन (रेल, समुद्र, वायु) |
31 | डाक, तार, टेलीफोन, प्रसारण |
32 | संघ की संपत्ति |
34 | देशी राज्यों के शासकों की सम्पदाएँ |
35 | संघ का सार्वजनिक ऋण |
36 | मुद्रा, सिक्का और विदेशी मुद्रा |
37 | विदेशी ऋण |
38 | भारतीय रिजर्व बैंक |
39 | डाकघर बचत बैंक |
40 | भारत सरकार की लॉटरी |
41 | विदेशी व्यापार और वाणिज्य |
42 | अंतरराज्यीय व्यापार और वाणिज्य |
43 | व्यापारिक निगम |
44 | अन्य निगम |
45 | बैंकिंग |
46 | विनिमय पत्र, चेक |
47 | बीमा |
48 | स्टॉक एक्सचेंज और वायदा बाजार |
49 | पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क |
50 | बाट और माप के मानक |
51 | निर्यात गुणवत्ता मानक |
52 | राष्ट्रीय महत्व के उद्योग |
53 | तेलक्षेत्र और खनिज तेल संसाधन |
54 | खानों का विनियमन |
55 | खानों में श्रम और सुरक्षा |
56 | अंतरराज्यीय नदियाँ |
57 | मत्स्य पालन (प्रादेशिक जल से परे) |
58 | नमक का विनिर्माण |
59 | अफीम की खेती |
60 | सिनेमैटोग्राफ फिल्मों की मंजूरी |
61 | संघ कर्मचारियों से संबंधित विवाद |
62 | राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएँ |
63 | केंद्रीय विश्वविद्यालय |
64 | वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा संस्थाएँ |
65 | संघ की एजेंसियां (प्रशिक्षण, अनुसंधान) |
66 | उच्च शिक्षा के मानक |
67 | राष्ट्रीय स्मारक और अभिलेख |
68 | सर्वेक्षण (भारतीय, भूवैज्ञानिक, आदि) |
69 | जनगणना |
70 | संघ लोक सेवा आयोग |
71 | संघीय पेंशन |
72 | निर्वाचन |
73 | संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते |
74 | संसद की शक्तियाँ और विशेषाधिकार |
75 | राष्ट्रपति, राज्यपाल, मंत्रियों के भत्ते |
76 | संघ और राज्यों के लेखाओं की संपरीक्षा |
77 | उच्चतम न्यायालय |
78 | उच्च न्यायालय |
79 | संघ राज्यक्षेत्रों पर उच्च न्यायालय की अधिकारिता |
80 | राज्य पुलिस बल की शक्तियाँ (राज्य के बाहर) |
81 | अंतर्राज्यीय प्रवास और संगरोध |
82 | कृषि आय से भिन्न आय पर कर |
83 | सीमाशुल्क |
84 | उत्पाद शुल्क |
85 | निगम कर |
86 | पूंजी मूल्य कर |
87 | संपदा शुल्क |
88 | उत्तराधिकार शुल्क |
89 | परिवहन पर सीमा कर |
90 | स्टॉक एक्सचेंज कर |
91 | स्टाम्प शुल्क |
92 | समाचारपत्रों पर कर |
92क | अंतरराज्यीय व्यापार कर |
92ख | माल के प्रेषण पर कर |
93 | संघ सूची के कानूनों के विरुद्ध अपराध |
94 | जाँच, सर्वेक्षण और आँकड़े |
95 | न्यायालयों की अधिकारिता |
96 | संघ सूची विषयों पर फीस |
97 | अवशिष्ट विषय |
संघ सूची में शामिल विषय कौनसे हैं?
संघ सूची में शामिल विषय हैं, जैसे:
- रक्षा: देश की सुरक्षा, सैन्य बल, और युद्ध।
- विदेशी मामले: विदेशी नीतियाँ, अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ, और राजनयिक संबंध।
- बैंकिंग और मुद्रा: वित्तीय स्थिरता, मुद्रा, और बैंकिंग कानून।
- संचार: डाक सेवाएँ, टेलीफोन, इंटरनेट, और प्रसारण।
- परमाणु ऊर्जा: परमाणु ऊर्जा का उत्पादन और नियंत्रण।
- रेलवे, राजमार्ग, और जलमार्ग: राष्ट्रीय परिवहन प्रणाली का प्रबंधन।
- नागरिकता और विदेशी मामले: नागरिकता, प्रत्यर्पण, और विदेशी मामलों का प्रबंधन।
- अंतरराज्यीय व्यापार और वाणिज्य: राष्ट्रीय आर्थिक एकीकरण को सुनिश्चित करना।
- उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय: राष्ट्रीय न्यायिक प्रणाली का प्रबंधन।
- जनगणना और चुनाव: राष्ट्रीय डेटा संग्रह और चुनावी प्रक्रिया।
संघ सूची का महत्व
संघ सूची भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो केंद्र सरकार को राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार देती है। यह सूची राष्ट्रीय एकता, आर्थिक विकास, और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संघ सूची के विषयों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके और देश के सभी हिस्सों में समान विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
- राष्ट्रीय एकता और अखंडता: संघ सूची राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर पूरे देश में एक समान नीति सुनिश्चित करती है, जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है।
- आर्थिक विकास और स्थिरता: केंद्र सरकार संघ सूची के माध्यम से आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण नीतियाँ लागू करती है, जिससे राष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: संघ सूची देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक नीतियों और कानूनों को बनाने में मदद करती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: केंद्र सरकार विदेशी मामलों और अंतर्राष्ट्रीय संधियों के माध्यम से अन्य देशों के साथ संबंधों को बनाए रखती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व होता है।
- राष्ट्रीय संसाधनों का प्रबंधन: केंद्र सरकार राष्ट्रीय संसाधनों का प्रबंधन करती है, जैसे कि परमाणु ऊर्जा और खनिज, जिससे इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों का कुशल और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित होता है।
- समानता और एकरूपता: संघ सूचि के द्वारा राष्ट्र के सभी क्षेत्रों में एक समान कानून व नीति को लागु किया जाता है।
FAQs
संघ संस्कृत का शब्द है- जिसका अर्थ सभा, समुदाय या संगठन है।
देश में 28 राज्य और 8 संघ राज्य क्षेत्र हैं।
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची में 100 विषय हैं।
भारत में जनगणना एक संघीय विषय (अनुच्छेद 246) है।
संघ सूची के विषय पर कानून केंद्र सरकार बनाता है।
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