IPEF UPSC in Hindi: हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा क्या है?

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IPEF UPSC in Hindi

IPEF UPSC in Hindi: आईपीईएफ (IPEF) के माध्यम से भारत-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलता है, जिसे वर्ष 2022 में अमेरिका द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में समृद्धि, विकास, और स्थिरता को बढ़ावा देना है। बता दें कि IPEF की फुलफॉर्म Indo-Pacific Economic Framework होती है, जिसे हिंदी में हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा कहा जाता है।

बता दें कि UPSC परीक्षा में आईपीईएफ के बारे में भारत की विदेश नीति, आर्थिक कूटनीति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत प्रश्न पूछे जाते हैं। इस ब्लॉग में कैंडिडेट्स के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (IPEF UPSC in Hindi) की संपूर्ण जानकारी दी गई है, इसलिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (IPEF) क्या है?

IPEF यानि कि हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा एक ऐसी पहल है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मई 2022 में शुरू किया गया था। यह एक ऐसी रणनीतिक पहल है, जिसे 12 देशों के प्रारंभिक भागीदारों (जो सामूहिक रूप से विश्व सकल घरेलू उत्पाद में 40% की हिस्सेदारी रखते हैं) के साथ लॉन्च किया गया था। IPEF के माध्यम से लचीली अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलता है, जो समावेशी विकास को बढ़ावा देता है। यह एक ऐसी पहल है जिसे चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए शुरू किया गया था। इसके माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला में लचीलेपन को बढ़ावा मिलता है।

आईपीईएफ के उद्देश्य

आईपीईएफ (IPEF UPSC in Hindi) के उद्देश्यों के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:-

  • IPEF का प्रमुख उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, जिसके माध्यम से व्यापार और निवेश के लिए सहयोग की संभावनाओं को बढ़ावा मिलता है।
  • इसका उद्देश्य सप्लाई चेन को लचीला बनाना है, जिसके तहत आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है।
  • इसका एक अहम उद्देश्य डिजिटल इकोनॉमी पर ध्यान केंद्रित करना भी है, जिससे डिजिटल व्यापार और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहन मिलता है।
  • यह स्वच्छ ऊर्जा को आगे बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाता है, जिससे सदस्य देशों को पर्यावरणीय स्थिरता और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग मिलता है।

आईपीईएफ (IPEF) के प्रमुख स्तंभ

आईपीईएफ (Indo-Pacific Economic Framework) के प्रमुख चार स्तंभ होते हैं, जिनकी जानकारी निम्नलिखित है:-

  • व्यापार
  • सप्लाई चेन लचीलापन
  • स्वच्छ ऊर्जा, डीकार्बोनाइजेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर
  • कर और भ्रष्टाचार-रोधी उपाय

व्यापार

यह आईपीईएफ (IPEF) के प्रमुख स्तंभों में से एक है, जिसका उद्देश्य डिजिटल अर्थव्यवस्था, उच्च मानकों वाले श्रम और पर्यावरणीय नियमों को प्रोत्साहित करना है। इसका मुख्य क्षेत्र डिजिटल व्यापार का विस्तार करना, श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत करना, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना और ई-कॉमर्स और डेटा सुरक्षा के लिए मानक तैयार करना है।

सप्लाई चेन लचीलापन 

सप्लाई चेन लचीलापन (Supply Chain Resilience) का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता और विविधता सुनिश्चित करना है। इसके मुख्य क्षेत्र आपूर्ति श्रृंखला में जोखिम को कम करना, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति, आपदा प्रबंधन और संकट के समय सहयोग, चीन पर निर्भरता को कम करना आदि हैं। यह भी आईपीईएफ (IPEF) का मुख्य स्तंभ है।

स्वच्छ ऊर्जा, डीकार्बोनाइजेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर

स्वच्छ ऊर्जा, डीकार्बोनाइजेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर भी आईपीईएफ (IPEF) का मुख्य स्तंभ है, जिसका उद्देश्य हरित ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना है। इसके मुख्य क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना, हरित तकनीकों और बुनियादी ढांचे का विकास और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सामूहिक प्रयास है।

कर और भ्रष्टाचार-रोधी उपाय

कर और भ्रष्टाचार-रोधी उपाय भी इसका एक अहम स्तंभ है, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार पर रोक लगाना और पारदर्शिता बढ़ाना है। इसके प्रमुख क्षेत्र कर चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक, पारदर्शी व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देना, वैश्विक स्तर पर कर सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत नियम लागू करना है।

भारत और आईपीईएफ का संबंध

भारत ने वर्ष 2022 में IPEF में शामिल होकर इस पहल का समर्थन किया, जिसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है, और भारत इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के लिए यह पहल रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत व्यापार स्तंभ को छोड़कर IPEF के चार स्तंभों में से तीन में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है, क्योंकि भारत डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स से जुड़े कुछ प्रावधानों पर सहमत नहीं है। IPEF के माध्यम से भारत को इंडो-पैसिफिक देशों के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करने का अवसर मिलता है, जिससे भारत को चीन पर निर्भरता कम करने और अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने का अवसर मिलता है।

भारत के लिए IPEF का महत्व

IPEF की प्रमुख विशेषताएँ (IPEF UPSC in Hindi) इस प्रकार हैं:-

  • IPEF के माध्यम से भारत को इंडो-पैसिफिक देशों के साथ व्यापार और निवेश के अवसर मिलते हैं।
  • यह एक ऐसी रणनीतिक साझेदारी है, जो भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति (Act East policy) और इंडो-पैसिफिक रणनीति को समर्थन देती है।
  • यह पहल डिजिटल इकोनॉमी में सहयोग के माध्यम से भारत को तकनीकी उन्नति में मदद करती है।
  • IPEF चीन पर निर्भरता को कम करने के साथ-साथ, इसकी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने का अवसर प्रदान करता है।

इंडो-पैसिफिक आर्थिक ढांचे के सदस्य देश

इंडो-पैसिफिक आर्थिक ढांचे (IPEF) के सदस्य देशों में 14 देश शामिल हैं, जिनकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:-

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. भारत
  3. जापान
  4. ऑस्ट्रेलिया
  5. दक्षिण कोरिया
  6. न्यूज़ीलैंड
  7. इंडोनेशिया
  8. मलेशिया
  9. फिलिपींस
  10. सिंगापुर
  11. थाईलैंड
  12. वियतनाम
  13. फिजी
  14. ब्रुनेई

IPEF के सामने चुनौतियाँ

IPEF के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ आती हैं, जिसकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:

  • सदस्य देशों के बीच कई मुद्दों पर असहमति होना इसके लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि सदस्य देशों की प्राथमिकताओं में अंतर होता है।
  • IPEF को चीन के आर्थिक प्रभुत्व को संतुलित करने के रूप में देखा जाता है। 
  • कानूनी और व्यापारिक बाधाएं भी इसके लिए बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर आती हैं। आसान भाषा में समझें तो व्यापार नियमों और नीतियों में सामंजस्य की कमी भी इसके लिए एक बड़ी चुनौती है।
  • IPEF के सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाएँ और विकास स्तर अलग-अलग हैं, जिससे इस प्रकार की विविधता भी इसके लिए बड़ी चुनौती है।
  • सदस्य देशों में भिन्न कानून और नीतियाँ होती हैं, जिससे इसमें कार्यान्वयन की जटिलता देखी जा सकती है जो कि एक बड़ी चुनौती के समान है।
  • क्षेत्रीय भू-राजनीतिक तनाव के कारण क्षेत्रीय सहयोग की कमी देखी जा सकती है, जो कि एक बड़ी चुनौती है।

IPEF की भविष्य की संभावनाएं

IPEF की भविष्य की संभावनाएं कुछ इस प्रकार है:

  • IPEF सदस्य देश डिजिटल अर्थव्यवस्था और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए नए मानक स्थापित कर सकते हैं।
  • प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में सहयोग से क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे भविष्य में सदस्य देशों को लाभ मिलता है।
  • संकट के समय आपूर्ति श्रृंखला के व्यवधान को कम करने के लिए IPEF एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।
  • IPEF के क्षेत्र में हरित बुनियादी ढांचे और स्थायी विकास परियोजनाओं को बढ़ावा मिल सकता है।
  • IPEF कर सुधार और वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करेगा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए कराधान में सुधार की संभावना है।
  • इससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र अमेरिका, भारत, जापान, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के बीच सहयोग को मजबूत करेगा।
  • IPEF के विस्तार पर चीन की प्रतिक्रिया से भू-राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है।

IPEF पर आलोचनाएँ और विवाद

IPEF पर आलोचनाएँ और विवाद कुछ इस प्रकार है:

  • IPEF के उद्देश्यों को लेकर स्पष्टता का अभाव है। यह एक पारंपरिक व्यापार समझौता नहीं है और इसमें टैरिफ कटौती या बाजार पहुंच जैसे ठोस प्रावधान नहीं हैं।
  • इसे अक्सर चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली रणनीति के रूप में देखा जाता है।
  • यह पारंपरिक व्यापार समझौतों जैसे TPP (Trans-Pacific Partnership) का विकल्प नहीं बन सकता।
  • IPEF कोई बाध्यकारी समझौता नहीं है, जिससे इसके कार्यान्वयन पर सवाल उठते हैं।
  • IPEF का व्यापार स्तंभ कई देशों जैसे- विशेष रूप से भारत, के लिए विवादास्पद है।
  • इसके नियम और मानक विकसित देशों के हितों को प्राथमिकता देते हैं।

UPSC के लिए IPEF से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु 

UPSC के लिए IPEF से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु (IPEF UPSC in Hindi) इस प्रकार हैं:-

  • इस परीक्षा में IPEF (Indo-Pacific Economic Framework) के बारे में कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • UPSC प्रीलिम्स परीक्षा में IPEF क्या है और इससे संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों पर सवाल पूछे जा सकते हैं।
  • UPSC मेन्स के लिए IPEF से जुड़े टॉपिक्स अंतर्राष्ट्रीय संबंध, आर्थिक विकास, पर्यावरण और ऊर्जा के बारे में भी कई प्रश्न किए जाते हैं।
  • इस परीक्षा में IPEF का उद्देश्य और इसमें भारत की भूमिका, IPEF और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे RCEP, QUAD) के बीच तुलना, IPEF के माध्यम से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक बदलाव, IPEF का भारत की अर्थव्यवस्था और कूटनीति पर प्रभाव आदि विषयों पर भी प्रश्न किए जाते हैं।

FAQs

IPEF की फुलफॉर्म क्या है?

IPEF की फुलफॉर्म  ‘हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा’ (Indo-Pacific Economic Framework) है।

IPEF क्या है?

IPEF एक आर्थिक पहल है जिसे अमेरिका ने वर्ष 2022 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आर्थिक सहयोग, व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, हरित ऊर्जा और कराधान जैसे मुद्दों पर सदस्य देशों के साथ साझेदारी करना है।

IPEF का मुख्य उद्देश्य क्या है?

IPEF का मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आर्थिक विकास, पारदर्शिता और सतत विकास को बढ़ावा देना है। इसके केंद्र में व्यापारिक बाधाओं को कम करना, पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करना और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाना आदि होता है।

IPEF में भारत की भूमिका क्या है?

भारत ने IPEF में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में भाग लिया है। भारत का मुख्य फोकस आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना, डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग करना है।

IPEF और RCEP में क्या अंतर है?

IPEF एक आर्थिक ढांचा है जिसमें व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, हरित ऊर्जा, और कराधान जैसे मुद्दों पर सहयोग किया जाता है। जबकि RCEP एक व्यापारिक समझौता है जो टैरिफ और व्यापारिक बाधाओं को कम करने पर केंद्रित होता है।

UPSC के लिए IPEF क्यों महत्वपूर्ण है?

UPSC के लिए IPEF का विषय अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations) और आर्थिक विकास (Economic Development) के तहत प्रासंगिक होता है, जिसके बारे में परीक्षा में कई प्रश्न पूछे जाते हैं।

IPEF में शामिल मुख्य मुद्दे कौन-कौन से हैं?

IPEF में शामिल मुख्य मुद्दे व्यापार, सप्लाई चेन लचीलापन, कर और भ्रष्टाचार विरोधी उपाय और स्वच्छ ऊर्जा और हरित पहल हैं।

IPEF का भारत के लिए क्या महत्व है?

IPEF के माध्यम से भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी आर्थिक और रणनीतिक स्थिति मजबूत करने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही हरित ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था में IPEF के सहयोग से भारत के विकास को बल मिलता है।

IPEF से संबंधित कौन-कौन से मुद्दे UPSC मुख्य परीक्षा में आ सकते हैं?

UPSC मुख्य परीक्षा में IPEF का उद्देश्य और भारत की भूमिका, IPEF और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे RCEP, QUAD) के बीच तुलना, IPEF के माध्यम से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक बदलाव, IPEF का भारत की अर्थव्यवस्था और कूटनीति पर प्रभाव आदि मुद्दों से जुड़े प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

IPEF का आलोचना पक्ष क्या है?

IPEF में कोई बाध्यकारी व्यापार समझौता नहीं है। इसमें चीन को शामिल नहीं किया गया है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन पर प्रभाव पड़ सकता है। कुछ देशों ने इसे अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल के रूप में देखा है, जो उनकी स्वतंत्रता को सीमित कर सकती है।

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