Green Hydrogen in Hindi: क्या आप जानते हैं कि हाइड्रोजन पृथ्वी पर प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला बेहद आम तत्व है, जो अन्य तत्वों के साथ संयोजन में मौजूद होता है। ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है। बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन एक ऐसा विषय है जिससे संबंधित प्रश्नों को ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) की परीक्षा में अकसर पूछा जाता है।
वहीं परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी कैंडिडेट्स को ज्ञात होना चाहिए कि ग्रीन हाइड्रोजन सही मायनों में पारंपरिक ईंधनों का एक हरित विकल्प है, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस ब्लॉग में कैंडिडेट्स के लिए ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में (Green Hydrogen in Hindi) संपूर्ण जानकारी दी गई है, इसलिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
This Blog Includes:
- ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में – Green Hydrogen UPSC in Hindi
- ग्रीन हाइड्रोजन के प्रकार
- ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग का महत्व
- ग्रीन हाइड्रोजन के लाभ
- भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की पहल
- ग्रीन हाइड्रोजन से उत्पन्न होती चुनौतियां
- ग्रीन हाइड्रोजन की चुनौतियों का समाधान
- UPSC के लिए Green Hydrogen से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
- FAQs
ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में – Green Hydrogen UPSC in Hindi
ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) एक ऐसी हाइड्रोजन गैस है जिसे स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा (Solar Energy) और पवन ऊर्जा (Wind Energy) के माध्यम से बनाया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन को बनाने की प्रक्रिया में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, जिसमें किसी भी प्रकार की ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas) का उत्सर्जन नहीं होता है।
ग्रीन हाइड्रोजन के प्रकार
नीचे दिए गए बिंदुओं में ग्रीन हाइड्रोजन के प्रकार (Green Hydrogen in Hindi) दिए गए हैं :-
- ग्रीन हाइड्रोजन: यह नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके उत्पादित होती है, जिसमें किसी भी प्रकार की कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती है।
- ग्रे हाइड्रोजन: यह प्राकृतिक गैस का उपयोग कर उत्पादित होती है, जिससे CO2 उत्सर्जन होता है।
- ब्लू हाइड्रोजन: यह प्राकृतिक गैस से उत्पादित होती है, लेकिन इसमें CO2 को संग्रहित किया जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग का महत्व
ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग महत्व नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता हैं:-
- ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करके भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जाया जा सकता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से देश को जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भी मदद मिल सकती है।
- इसकी मदद से या इसके उपयोग से भारत जीवाश्म ईंधन पर अपनी आयात निर्भरता को कम कर सकता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) ऊर्जा क्षेत्र में स्वच्छ ईंधन के रूप में अपनी मुख्य भूमिका निभाती है।
- स्टील, सीमेंट, और रासायनिक उद्योग में भी ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहनों के लिए और बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा के भंडारण के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन के लाभ
ग्रीन हाइड्रोजन के लाभ (Green Hydrogen in Hindi) इस प्रकार हैं-
- ग्रीन हाइड्रोजन शून्य कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा देता है, जिससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है।
- नवीकरणीय संसाधनों (जैसे: सौर और पवन ऊर्जा) का उपयोग करके ही इसका उत्पादन किया जाता है।
- इससे ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है, आसान भाषा में कहें तो इससे ऊर्जा आयात पर निर्भरता में कमी आती है।
- इसके माध्यम से संबंधित ऊर्जा क्षेत्रों में नई नौकरियों का सृजन होता है। साथ ही यह नवाचार के नए अवसर प्रदान करती है।
- ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की पहल
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की पहल के बारे में आप निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान सकते हैं:-
- राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, 2023 के तहत भारत में ₹19,744 करोड़ का निवेश हुआ है। बता दें कि इसमें साइट कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये ख़र्च किए जाएंगे।
- भारत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
- ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए सरकर द्वारा स्पष्ट नीतियां बनाई गई हैं, जिससे स्वदेशी तकनीकों का विकास भी हो रहा है।
- अदानी ग्रुप और रिलायंस ग्रुप जैसे उद्योग भी ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश कर रहे हैं, जिससे भारत की ऊर्जा क्षेत्र में साख बढ़ रही है।
- वहीं हाल ही में भारत-जर्मनी और भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच समझौते हुए हैं, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मिला है।
ग्रीन हाइड्रोजन से उत्पन्न होती चुनौतियां
ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen in Hindi) से उत्पन्न होती चुनौतियां इस प्रकार है –
- ग्रीन हाइड्रोजन के लिए उच्च उत्पादन लागत एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों के लिए भारी निवेश की आवश्यकता पड़ती है।
- पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में ग्रीन हाइड्रोजन महंगा पड़ता है, जो एक बड़ी समस्या है।
- भंडारण और परिवहन के लिए उचित तकनीक और संसाधन उपलब्ध न होने पर पाइपलाइनों और टैंक जैसी संरचनाओं का अभाव होना। आसान भाषा में कहें तो अपर्याप्त बुनियादी ढांचा होना।
- उत्पादन प्रक्रिया में ऊर्जा का बड़ा हिस्सा व्यर्थ हो जाने पर ऊर्जा दक्षता में कमी आना।
- जल संसाधनों की अधिक उपलब्धता या आवश्यकता होना। दूसरे शब्दों में समझें तो बड़े पैमाने पर पानी के उपयोग से स्थानीय समुदायों पर प्रभाव पड़ना।
- इसमें नीतिगत और आर्थिक चुनौतियां भी अकसर देखने को मिलती हैं, जिसमें सब्सिडी और वित्तीय सहायता की कमी होती है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और व्यापारिक असंतुलन होना भी एक बड़ी चुनौती है।
ग्रीन हाइड्रोजन की चुनौतियों का समाधान
ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) की चुनौतियों का समाधान इस प्रकार हैं:-
- Green Hydrogen में तकनीकी नवाचार और अनुसंधान के मार्ग को अपनाकर सस्ती और कुशल इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक का विकास किया जा सकता है, जिससे उन्नत भंडारण और परिवहन जैसी चुनौतियों का समाधान निकाला जा सकता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और सब्सिडी के माध्यम से ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (PPP) मॉडल को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- जल पुनर्चक्रण तकनीकों का विकास करने से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए समुद्री जल उपयोग की संभावना को तलाशा जा सकता है।
- तकनीकी साझेदारी और निवेश के माध्यम से वैश्विक सहयोग में मदद मिल सकती है, जो ग्रीन हाइड्रोजन को बनाने में मददगार साबित होगा।
- ग्रीन हाइड्रोजन के लिए मानकीकरण और व्यापारिक समझौतों का निर्माण करके भी इसके सामने उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
UPSC के लिए Green Hydrogen से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
UPSC के लिए Green Hydrogen से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं –
- UPSC की प्रारंभिक परीक्षा में ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित कई प्रश्न पूछे जाते हैं।
- इसके तहत ग्रीन हाइड्रोजन की परिभाषा, लाभ, और चुनौतियां राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन से संबंधित तथ्यों और विषयों पर प्रश्न किए जाते हैं।
- UPSC की मुख्य परीक्षा (Mains) में ऊर्जा और पर्यावरण विषय पर निबंध लिखने के लिए भी आता है।
- UPSC परीक्षा में पेपर III (पर्यावरण और तकनीकी पहल) में इसके उपयोग, भारत में ऊर्जा संक्रमण और नीतिगत पहल पर प्रश्न किए जाते हैं।
- UPSC परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े हालिया घटनाक्रम और समझौतों पर अवश्य ध्यान दें और इसी के आधार पर अपनी रणनीतियां बनाएं।
FAQs
Green Hydrogen एक प्रकार की ऐसी स्वच्छ ऊर्जा है, जो पानी के इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया से उत्पन्न होती है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, का उपयोग किया जाता है। यह ऊर्जा पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन शून्य होता है।
ग्रीन हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधनों का स्वच्छ विकल्प है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायक भूमिका निभाता है। साथ ही यह भारी उद्योगों, परिवहन और ऊर्जा उत्पादन के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधान प्रदान करता है।
Green Hydrogen नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से बनाया जाता है, जिससे यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। तो वहीं ब्लू हाइड्रोजन, प्राकृतिक गैस से उत्पादित किया जाता है और इसमें उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर और स्टोर किया जाता है।
भारत सरकार ने 2023 में राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू किया, जिसका उद्देश्य 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में भारत को विश्व नेता बनाना है। साथ ही इस मिशन के तहत 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का वार्षिक उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है।
ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) का उपयोग हाइड्रोजन आधारित वाहन (FCEVs), ग्रिड बैलेंसिंग और ऊर्जा भंडारण, अमोनिया और मेथनॉल उत्पादन के साथ-साथ स्टील और सीमेंट निर्माण में किया जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आवश्यक तकनीक इलेक्ट्रोलिसिस और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं।
Green Hydrogen ही पर्यावरण के अनुकूल रहकर ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देता है। साथ ही यह वैश्विक तापमान वृद्धि को कम करने में सहायक भूमिका निभाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करके भारत में ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ, स्वच्छ और हरित ऊर्जा उत्पादन में बढ़ावा मिलेगा।
प्रारंभ में इसकी लागत अधिक हो सकती है, लेकिन तकनीकी प्रगति और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से इसकी लागत में कमी लाई जा सकती है।
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आशा है कि आपको इस लेख में ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen in Hindi) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC एग्जाम से संबंधित अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।