FRBM Act UPSC in Hindi: राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन के बारे में 

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FRBM Act UPSC in Hindi

FRBM Act UPSC in Hindi: यूनियन सर्विस पब्लिक कमीशन (UPSC) की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को ‘FRBM अधिनियम’ की पूरी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि ये परीक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण विषय है। बता दें कि सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से इस अधिनियम को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह अधिनियम भारत की आर्थिक नीतियों और बजट प्रबंधन के एक महत्वपूर्ण पहलू को समझने का आधार प्रदान करता है। इस ब्लॉग में आप राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM Act UPSC in Hindi) के बारे में जान पाएंगे। 

FRBM अधिनियम के बारे में

FRBM अधिनियम (FRBM Act) का पूरा नाम राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003) है। इस कानून को भारत सरकार द्वारा राजकोषीय अनुशासन सुनिश्चित करने और वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना, सरकारी खर्च को पारदर्शी बनाना और वित्तीय अनुशासन को स्थापित करना है।

FRBM अधिनियम का इतिहास

वर्ष 1990 में भारत का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) 6-8% तक पहुँच गया था, जिससे सार्वजनिक ऋण बढ़ने और मुद्रास्फीति का खतरा बढ़ गया था। इसके बाद वर्ष 1991 में भारत ने एक गंभीर भुगतान संतुलन संकट (Balance of Payments Crisis) का सामना किया, जिसके बाद आर्थिक उदारीकरण की नीति को अपनाया गया लेकिन सरकारी खर्च और उधारी में बढ़ोतरी ने राजकोषीय घाटे को बढ़ा दिया।

इसके उपरांत भारत के तत्कालीन वित्तमंत्री ‘यशवंत सिन्हा’ ने वर्ष 2000 में पहली बार FRBM बिल को संसद में पेश किया। इस विधेयक पर 3 वर्ष तक लंबी चर्चा चली जिसके बाद वर्ष 2003 में, भारत सरकार द्वारा राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM Act) को पारित किया गया। हालांकि जुलाई 2004 में इसे प्रभाव में लाया गया था।

FRBM अधिनियम के मुख्य उद्देश्य

FRBM अधिनियम के मुख्य उद्देश्य को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • FRBM अधिनियम का मुख्य उद्देश्य राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को नियंत्रित करना होता है, जिसके तहत सरकार यह सुनिश्चित करती है कि राजकोषीय घाटा GDP के 3% तक सीमित रहे।
  • FRBM अधिनियम का उद्देश्य राजस्व घाटे को समाप्त करना होता है, जिसके तहत सरकार को अपने सामान्य खर्चों को अपनी आय से पूरा करना होता है, उधारी से नहीं।
  • FRBM अधिनियम सार्वजनिक ऋण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकारी ऋण को अत्यधिक बढ़ने से रोकता है, जिससे देश की वित्तीय स्थिरता बनी रहती है।
  • FRBM अधिनियम के तहत वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है, जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति पर नियमित रिपोर्ट पेश करने से नागरिकों और संस्थाओं को सरकार के वित्तीय खर्च के बारे में जानकारी मिलती है।
  • FRBM अधिनियम का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता और वृद्धि को बढ़ावा देना भी है, जिससे निवेशकों के विश्वास में भी वृद्धि होती है।
  • FRBM अधिनियम का एक उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों जैसे – महामारी, युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वित्तीय लक्ष्यों या व्यवस्थाओं में लचीलापन लाना होता है।

FRBM अधिनियम के प्रमुख प्रावधान

FRBM अधिनियम के प्रमुख प्रावधान कुछ इस प्रकार हैं, जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझ पाएंगे:-

  • FRBM अधिनियम में सरकार की उधारी और खर्च को नियंत्रित करने और एक स्थिर आर्थिक माहौल बनाए रखने का प्रावधान है।
  • FRBM अधिनियम में राजस्व घाटे की समाप्ति का भी प्रावधान है, जिसको लक्ष्य बनाकर सरकार को अपने सामान्य खर्चों को अपनी आय से ही पूरा करना होता है।
  • FRBM अधिनियम में सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन का भी प्रावधान है, जिसके तहत सरकार का उद्देश्य सार्वजनिक ऋण को GDP के 40% तक सीमित करना होता है।
  • FRBM अधिनियम में वित्तीय रिपोर्टिंग और पारदर्शिता का भी प्रावधान है।
  • FRBM अधिनियम में समीक्षा और सुधार की प्रक्रिया, आपातकालीन परिस्थितियों के लिए एस्केप क्लॉज, समिति की स्थापना और रिपोर्टिंग का भी प्रावधान होता है।
  • FRBM अधिनियम में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक दस्तावेज को प्रकाशित करने का भी प्रावधान है।

FRBM अधिनियम में संशोधन

FRBM अधिनियम में संशोधन की जानकारी कुछ इस प्रकार हैं:-

  • FRBM अधिनियम में वर्ष 2012 के संशोधन के तहत राजस्व घाटा (Revenue Deficit) की परिभाषा में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही प्रभावी राजस्व घाटा (इफेक्टिव रेवेन्यू डेफिसिट) की नई अवधारणा को जोड़ा गया।
  • वर्ष 2016 में एन.के. सिंह समिति का गठन हुआ जिसने FRBM अधिनियम में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इन सुझावों के आधार पर FRBM अधिनियम में वर्ष 2018 में संशोधन किया गया, जिसके तहत राजकोषीय घाटे को GDP के 3% तक बनाए रखने का लक्ष्य रखा गया।
  • FRBM अधिनियम में संशोधन करके सार्वजनिक ऋण (पब्लिक डेब्ट) को 2024-25 तक GDP के 40% तक सीमित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • FRBM अधिनियम में संशोधन से सरकार को अब 3 से 5 साल की अवधि का राजकोषीय रोडमैप प्रस्तुत करना होगा।
  • FRBM अधिनियम में संशोधन करके कोविड-19 महामारी के दौरान राजकोषीय घाटे की सीमा को 2020-21 में GDP के 9.5% और 2021-22 में 6.8% तक बढ़ा दिया गया था।
  • वर्ष 2021-22 FRBM अधिनियम में संशोधन करके सरकार ने FRBM अधिनियम के तहत राजकोषीय घाटे को 2025-26 तक GDP के 4.5% तक लाने का नया लक्ष्य तय किया है।

FRBM अधिनियम की चुनौतियाँ

FRBM अधिनियम की चुनौतियाँ कुछ इस प्रकार हैं, जिन्हें नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है:-

  • आर्थिक मंदी या राजस्व संग्रह में गिरावट के कारण सरकार के लिए निर्धारित वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
  • विकास योजनाओं, सामाजिक कल्याण योजनाओं और सब्सिडी के तहत होने वाले बड़े खर्चों के कारण वित्तीय घाटे को सीमित रखना मुश्किल हो जाता है।
  • सरकार को आपदा प्रबंधन और आर्थिक पुनरुद्धार में अधिक खर्च करना पड़ता है, जिससे FRBM अधिनियम के लक्ष्यों से विचलन होता है।
  • FRBM अधिनियम के तहत एस्केप क्लॉज से कुछ खास सुविधाएं मिलतीं हैं, जिसके लचीलापन का अधिक उपयोग करना भी एक बड़ी चुनौती है।
  • FRBM अधिनियम की प्रमुख चुनौतियों में से केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल की कमी होना।
  • FRBM अधिनियम की प्रमुख चुनौतियों में से विकासात्मक लक्ष्यों और वित्तीय अनुशासन के बीच संतुलन बनाना होता है।

FRBM अधिनियम का प्रभाव

FRBM अधिनियम के प्रभाव को नीचे दिए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • FRBM अधिनियम के माध्यम से राजकोषीय अनुशासन में सुधार आता है।
  • FRBM अधिनियम के माध्यम से घाटे में कमी और पारदर्शिता आती है।
  • FRBM अधिनियम के तहत सरकार को GDP के 40% के भीतर सार्वजनिक ऋण बनाए रखने के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा मिलती है।
  • FRBM अधिनियम के तहत ऋण सेवा लागत में कमी आती है।
  • FRBM अधिनियम से सरकार की अनियंत्रित उधारी पर रोक से मुद्रास्फीति (Inflation) को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • FRBM अधिनियम से विदेशी निवेश में वृद्धि होती है।

UPSC के लिए FRBM अधिनियम का महत्व

UPSC के लिए FRBM अधिनियम का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • UPSC परीक्षा में आर्थिक विकास और बजट से संबंधित प्रश्नों में इस अधिनियम के उद्देश्यों, प्रावधानों और इसके प्रभावों पर प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।
  • UPSC में भारतीय अर्थव्यवस्था और आर्थिक सुधारों के संदर्भ में इसे समझना आसान और आवश्यक हो जाता है।
  • UPSC में गवर्नेंस (Governance) और पॉलिसी मेकिंग से जुड़े प्रश्नों में इस अधिनियम का संदर्भ उपयोगी हो सकता है।
  • UPSC की परीक्षा में आर्थिक संकट और उनके समाधान से जुड़े सवालों में इस प्रावधान का उपयोग महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • UPSC में आर्थिक सुधारों और उनके प्रभावों पर निबंध एवं विश्लेषणात्मक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

FAQs 

एफआरबीएम अधिनियम क्या है?

भारत सरकार ने वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने और राजकोषीय घाटे को कंट्रोल करने के लिए इस अधिनियम को लागू किया था।

एफआरबीएम समीक्षा समिति क्या है?

एफआरबीएम समीक्षा समिति को राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) की समीक्षा करने के लिए बनाया गया था।

एफआरबीएम एक्ट यूपीएससी क्या है?

एफआरबीएम को ऐसे कानून के रूप में देखा जा सकता है जिसके तहत सरकार को अपने उधार या राजकोषीय घाटे को सीमित करने की आवश्यकता होती है।

एफआरबीएम अधिनियम की सिफारिश किसने की थी?

वर्ष 2000 में भारत के तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने एफआरबीएम अधिनियम की सिफारिश की थी।

एफआरबीएम एक्ट 2003 का फुल फॉर्म क्या है?

राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए वित्तीय अनुशासन स्थापित करता है।

एफआरबीएम अधिनियम में पलायन खंड क्या है?

एफआरबीएम अधिनियम में पलायन खंड एक ऐसा खंड है, जो सरकार को अर्थव्यवस्था में गंभीर तनाव के समय अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 0.5% तक बढ़ाने की अनुमति देता है।

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आशा है कि आपको इस लेख में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM Act UPSC in Hindi) के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। UPSC एग्जाम से संबंधित ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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