आज संचार जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। चाहे मोबाइल हो या टीवी यह हर व्यक्ति की जरूरत है। क्या आप ऐसे जीवन की कल्पना कर सकते हैं जहाँ मोबाइल काम ना करे। अपने मन पंसद प्रोग्रामों को देखने के लिए आपके पास टेलीविजन ही ना हो। ऐसे जीवन की कल्पना करना भी अच्छा नहीं लगता है। आपकी सुविधाओं को हकीकत में बदलने का काम किया है, कम्युनिकेशन इंजीनियरों ने। इनकी कला की बदौलत ही आज हर व्यक्ति पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है। अगर आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत व चुनौतीपूर्ण है। इसके अंतर्गत माइक्रोवेव और ऑप्टिकल कम्युनिकेशन , डिजिटल सिस्टंस , सिग्नल प्रोसेसिंग , टेलीकम्युनिकेशन , एडवांस्ड कम्युनिकेशन , माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। साथ ही इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी , इलेक्ट्रिकल , पॉवर सिस्टम ऑपरेशंस , कम्युनिके सिस्टम आदि क्षेत्रों में भी इसके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। आइए इस ब्लॉग के जरिए जानते हैं कि कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग क्या है? और इसके बारे में संपूर्ण जानकारी।
This Blog Includes:
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग क्या हैं?
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग क्यों चुने?
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए स्किल्स
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का सिलेबस
- कम्युनिकेशन इंजीनियर कैसे बनें?
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए टॉप विदेशी विश्वविद्यालय
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध भारतीय विश्वविद्यालय
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए योग्यता
- आवेदन प्रक्रिया
- आवश्यक दस्तावेज
- कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश परीक्षा
- टॉप रिक्रूटर्स
- करियर और नौकरी की संभावनाएं
- वेतन
- FAQs
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग क्या हैं?
कम्युनिकेशन इंजीनियर उन प्रणालियों का समर्थन करते हैं जो सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करती हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियर दूरसंचार, इंटरनेट प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्किंग, ब्रॉडबैंड प्रौद्योगिकी और रेडियो संचार सहित कई क्षेत्रों में काम करते हैं। एक दूरसंचार इंजीनियर एक कम्युनिकेशन इंजीनियर होता है जिसे दूरसंचार प्रणालियों में विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त होता है। वे सिस्टम पर काम करते हैं जो वीडियो, डेटा और वॉयस ट्रांसमिशन का समर्थन करते हैं। दूरसंचार इंजीनियर संचार उपकरण स्थापित, परीक्षण, रखरखाव और उन्नयन करते हैं। कुछ दूरसंचार इंजीनियर अंतरिक्ष यात्रा एजेंसियों के लिए काम करते हैं जो उन प्रणालियों को डिजाइन और बनाए रखते हैं जो अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पर जमीनी नियंत्रण के साथ संचार करने की अनुमति देते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियर जो विशेष रूप से कंप्यूटर सिस्टम के साथ काम करते हैं, सॉफ्टवेयर स्थापित करते हैं, नेटवर्क सुरक्षा बनाए रखते हैं, और नेटवर्क दक्षता में सुधार करते हैं। ये कम्युनिकेशन इंजीनियर वायरिंग और नियंत्रण जैसे विद्युत घटकों पर भी काम कर सकते हैं।
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग क्यों चुने?
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग करने के बाद भविष्य में नौकरी के अवसर बढ़ जाते है। यह कोर्स करने के बाद आप मैन्युफैक्चरिंग, कम्युनिकेशन, एविएशन, कंस्यूमर, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंटरसिटी प्लांट्स, ट्रांसपोर्टेशन और कंप्यूटर एप्लीकेशन में जॉब पा सकते हैं। इसके अलावा ब्रोडकास्टिंग, डाटा कम्युनिकेशन, एंटरटेनमेंट और सिस्टम स्पोर्ट्स के फील्ड में आगे बढ़ सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग कोर्स करने के बाद आपके पास बहुत सारे जॉब आप्शन्स होते हैं जिनमे जॉब करके आप अपना करियर बेहतर बना सकते हैं।
- ये कोर्स करने के बाद आप विदेशों में भी बहुत अच्छी सैलरी पा सकते हैं।
- इस इंजीनियरिंग में आपको इलेक्ट्रॉनिक एनालॉग और डिजिटल ट्रांसमिशन और डाटा रिसेप्शन, माइक्रोप्रोसेसर सेटेलाइट, कम्युनिकेशन माइक्रोवेव इंजीनियरिंग, एंटीना और वेव प्रोग्रेशन के बारे में बहुत अच्छी जानकरी दी जाती है।
- ये कोर्स करने के बाद शुरुआत में जॉब पाना काफी मुश्किल होता है लेकिन 1 या 2 साल काम करने के बाद इसमें बहुत ही अच्छा एक्सपीरियंस और सैलरी पा सकते हैं।
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए स्किल्स
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए कुछ स्किल्स का होना जरुरी है जो इस प्रकार है:
हार्डवेयर के साथ परिचित
सफल संचार इंजीनियरों के पास संचार उपकरण स्थापित करने, बनाए रखने और समस्या निवारण का अनुभव होना चाहिए जो उनकी विशेषज्ञता के लिए विशिष्ट है।
कोडिंग
संचार इंजीनियरों को अपने उद्योग में आमतौर पर उपयोग की जाने वाली कोडिंग भाषाओं, जैसे C, C++ और पायथन में दक्ष होना चाहिए।
प्लेन मैनेजमेंट
उन्नत इंजीनियरों को परियोजनाओं के सफल समापन को सुनिश्चित करने के लिए टीम के सदस्यों को शेड्यूल और प्रबंधित करने में सक्षम होना चाहिए।
गणित
इस क्षेत्र में उन्नत गणित, भौतिकी और डेटा विश्लेषण में प्रवीणता की आवश्यकता है।
मजबूत मैकेनिकल स्किल
संचार उपकरणों को स्थापित, अपग्रेड और समस्या निवारण करने वाले संचार इंजीनियरों के लिए यांत्रिक कौशल आवश्यक हैं।
समस्या-समाधान स्किल
सफल कम्युनिकेशन इंजीनियर समाधान की दिशा में काम करने और अक्षम प्रक्रियाओं को समाप्त करने में कुशल होते हैं।
डिटेल ओरिएंटेड
सिस्टम की समस्या का निवारण करते समय या संचार प्रणाली को डिज़ाइन करते समय विवरण पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है।
दबाव में शांत
कम्युनिकेशन इंजीनियरों को अपने ग्राहकों और टीम के सदस्यों को व्यावसायिकता प्रदर्शित करने के लिए चुनौतीपूर्ण प्रणाली के मुद्दों को शांत तरीके से निपटना चाहिए।
रचनात्मकता
कम्युनिकेशन प्रणालियों को डिजाइन और समस्या निवारण करने के लिए अक्सर रचनात्मक सोच की आवश्यकता होती है, खासकर अगर किसी समस्या को हल करने के पारंपरिक तरीके काम नहीं करते हैं।
टीम वर्क
कम्युनिकेशन इंजीनियर अक्सर इंजीनियरों, तकनीशियनों और आईटी पेशेवरों की एक टीम के साथ काम करते हैं, इसलिए कुशल सहयोग महत्वपूर्ण है।
टाइम मैनेजमेंट
अच्छा टाइम मैनेजमेंट स्किल संचार इंजीनियरों को निर्धारित समय सीमा के भीतर और बजटीय बाधाओं के भीतर अपनी परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करता है।
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का सिलेबस
सेमेस्टर- l | सेमेस्टर- ll |
इंजिनियरिंग मैथमेटिक्स- l | एलिमेंट्स ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियरिंग |
इंजिनियरिंग मैथमेटिक्स- ll | बेसिक कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग |
इंजिनियरिंग फिजिक्स | बेसिक कम्युनिकेशन |
इंजिनियरिंग कैमेस्ट्री | कांस्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया एंड प्रोफेशनल एथिक्स |
प्रोग्रामिंग एइन सी एंड डाटा स्ट्रक्चर | एनवायरनमेंटल स्टडीज |
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैबोरेटी | इंजीनियरिंग फिजिक्स लैब |
एलिमेंट्स ऑफ़ सिविल इंजीनियरिंग | इंजिनियरिंग कैमेस्ट्री लैब |
कंप्यूटर एडेड इंजीनियरिंग ड्रॉइंग | वर्कशॉप प्रैक्टिकल |
सेमेस्टर -lll | सेमेस्टर -lV |
इंजिनियरिंग मैथमेटिक्स- lll | इंजिनियरिंग मैथमेटिक्स -lV |
एनालॉग इलेक्ट्रॉनिक्स सीकेटीएस | माइक्रोकंट्रोलर्स |
लॉजिक डिजाइन | कन्ट्रोल सिस्टम |
नेटवर्क एनालिसिस | सिग्नल्स एंड सिस्टम |
इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंटेशन | फंडामेंटल ऑफ एफडीएल |
फील्ड थ्योरी | लीनियर आईसीएस एंड एप्लीकेशंस |
एनालॉग इलेक्ट्रॉनिक्स लैब | माइक्रोकंट्रोलर्स लैब |
लॉजिक डिजाइन लैब | एचडीएल लैब |
सेमेस्टर- V | सेमेस्टर- Vl |
मेनेजमेंट एंड एंटरप्रन्यूरशिप | डिजिटल कम्युनिकेशन |
डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग | माइक्रो प्रोसेसर |
एनालॉग कम्युनिकेशन | माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सर्किट्स |
इनफॉर्नेशन थ्योरी एंड कोडिंग | एंटेन्नस एंड प्रोपेगेशन |
फंडामेंटल ऑफ सीएमओएस | ऑपरेटिंग सिस्टम |
वीएलएसआइ | एडवांस्ड कम्युनिकेशन लैब |
डीएसपी लैब | माइक्रोप्रोसेसर लैब |
एनालॉग कम्युनिकेशन | – |
लैब+ एलआईसी लैब | – |
सेमेस्टर- Vll | सेमेस्टर -Vlll |
कंप्यूटर कम्युनिकेशन नेटवर्क | वायरलेस कम्युनिकेशन |
ऑप्टिकल फाइबर कम्युनिकेशन | डिजिटल स्विचिंग सिस्टम |
पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स | प्रोजेक्ट वर्क कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग |
एंबेडेड सिस्टम डिजाइन | सेमिनार कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग |
वीएलएसआई लैब | – |
पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स लैब | – |
कम्युनिकेशन इंजीनियर कैसे बनें?
इंजीनियरिंग के फील्ड में कम्युनिकेशन इंजीनियर बेहतर करियर ऑप्शन हो सकता है। यह सेक्टर जॉब की मांग के मामले में हमेशा एक विकल्प है। घरेलू उपयोग से लेकर औद्योगिक और स्पेस एप्लिकेंशस तक हर क्षेत्र में कम्युनिकेशन इंजिनियरिंग की काफी ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे में कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग बनने के लिए 12 वीं के बाद आप कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा या बीटेक कर सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियर में कोर्स के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ से 12 वीं पास होना जरूरी है। गवर्नमेंट कॉलेज में इस कोर्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है।
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए टॉप विदेशी विश्वविद्यालय
- म्यूनिख यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- विंडसोर विश्वविद्यालय
- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
- लंदन का इंपीरियल कॉलेज
- स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय
- कोलोराडो विश्वविद्यालय
- बर्मिंघम विश्वविद्यालय
- पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय
- कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय
- विक्टोरिया विश्वविद्यालय
- टेक्नीश यूनिवर्सिटी
- कार्लटन विश्वविद्यालय
- मैकगिल विश्वविद्यालय
- ओंटारियो इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (रिवरसाइड कैंपस)
- टेक्सास विश्वविद्यालय
- ओटावा विश्वविद्यालय
- वाटरलू विश्वविद्यालय
- अल्बर्टा विश्वविद्यालय
- ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय
- कॉनकॉर्डिया विश्वविद्यालय
- मिशिगन यूनिवर्सिटी
आप UniConnect के जरिए विश्व के पहले और सबसे बड़े ऑनलाइन विश्वविद्यालय मेले का हिस्सा बनने का मौका पा सकते हैं, जहाँ आप अपनी पसंद के विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि से सीधा संपर्क कर सकेंगे।
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध भारतीय विश्वविद्यालय
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध भारतीय विश्वविद्यालयों की सूची नीचे दी गई है:
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), रुड़की
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), गुवाहाटी
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एनआईटीके), सूरथकली
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), वारंगल
- इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स (आईएसएम), धनबाद
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), त्रिची
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, मद्रास
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, गुवाहाटी
- राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस
- दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
- विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बैंगलोर
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए योग्यता
भारत में विश्वविद्यालय यूजी एवम पीजी डिग्री पर कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में अध्ययन कार्यक्रम प्रदान करते हैं। मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमई), /मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एम.टेक) जैसी डिग्री प्रदान की जाती हैं। यूजी स्तर पर संबंधित अध्ययन विषयों जैसे इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरिंग आदि में कार्यक्रमों की पेशकश की जाती है। बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बी.ई.)/बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बी.टेक) जैसी डिग्री प्रदान की जाती हैं।
- स्यूजी पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए, छात्रों को भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित और अंग्रेजी के साथ 10 + 2 स्तर या समकक्ष योग्यता की आवश्यकता होती है। प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। पीजी पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के लिए छात्रों को इंजीनियरिंग में यूजी की योग्यता परीक्षा (गेट) में अर्हता प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
- विश्वविद्यालय और रिसर्च इंस्टिट्यूट, संचार प्रणाली इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) और पोस्ट डॉक्टरेट रिसर्च फेलोशिप के पुरस्कार के लिए अग्रणी अनुसंधान कार्यक्रम प्रदान करते हैं। प्रवेश गेट, सीएसआईआर जेआरएफ, आदि जैसी परीक्षाओं के आधार पर दिए जाते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
विदेश के विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है–
- आपकी आवेदन प्रक्रिया का फर्स्ट स्टेप सही कोर्स चुनना है, जिसके लिए आप AI Course Finderकी सहायता लेकर अपने पसंदीदा कोर्सेज को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं।
- एक्सपर्ट्स से कॉन्टैक्ट के पश्चात वे कॉमन डैशबोर्ड प्लेटफॉर्म के माध्यम से कई विश्वविद्यालयों की आपकी आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे।
- अगला कदम अपने सभी दस्तावेजों जैसेSOP, निबंध (essay), सर्टिफिकेट्स और LOR और आवश्यक टेस्ट स्कोर जैसेIELTS, TOEFL, SAT, ACT आदि को इकट्ठा करना और सुव्यवस्थित करना है।
- यदि आपने अभी तक अपनी IELTS, TOEFL, PTE, GMAT, GRE आदि परीक्षा के लिए तैयारी नहीं की है, जो निश्चित रूप से विदेश में अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण कारक है, तो आप Leverage Liveकक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। ये कक्षाएं आपको अपने टेस्ट में उच्च स्कोर प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण कारक साबित हो सकती हैं।
- आपका एप्लीकेशन और सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद, एक्सपर्ट्स आवास, छात्र वीजाऔर छात्रवृत्ति / छात्र लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे ।
- अब आपके प्रस्ताव पत्र की प्रतीक्षा करने का समय है जिसमें लगभग 4-6 सप्ताह या उससे अधिक समय लग सकता है। ऑफर लेटर आने के बाद उसे स्वीकार करके आवश्यक सेमेस्टर शुल्क का भुगतान करना आपकी आवेदन प्रक्रिया का अंतिम चरण है।
भारत के विश्वविद्यालयों में आवेदन प्रक्रिया, इस प्रकार है–
- सबसे पहले अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करें।
- यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक यूजर नेम और पासवर्ड प्राप्त होगा।
- फिर वेबसाइट में साइन इन के बाद अपने चुने हुए कोर्स का चयन करें जिसे आप करना चाहते हैं।
- अब शैक्षिक योग्यता, वर्ग आदि के साथ आवेदन फॉर्म भरें।
- इसके बाद आवेदन फॉर्म जमा करें और आवश्यक आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
- यदि एडमिशन, प्रवेश परीक्षा पर आधारित है तो पहले प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करें और फिर रिजल्ट के बाद काउंसलिंग की प्रतीक्षा करें। प्रवेश परीक्षा के अंको के आधार पर आपका चयन किया जाएगा और लिस्ट जारी की जाएगी।
आवश्यक दस्तावेज
कुछ जरूरी दस्तावेजों की लिस्ट नीचे दी गई हैं–
- आधिकारिक शैक्षणिक टेप
- स्कैन किए हुए पासपोर्ट की कॉपी
- IELTS या TOEFL, आवश्यक टेस्ट स्कोर
- प्रोफेशनल/एकेडमिक LORs
- SOP
- निबंध (यदि आवश्यक हो)
- पोर्टफोलियो (यदि आवश्यक हो)
- अपडेट किया गया सीवी / रिज्यूमे
- एक पासपोर्ट और छात्र वीजा
- बैंक विवरण
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश परीक्षा
जेईई मेन ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (मेन) | जेईई (ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन) एडवांस्ड |
गेट (ग्रैजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग) | बिहार कम्बाइंड एंट्रेंस कॉम्पिटेटिव एग्जामिनेशन बीसीईसीई |
झारखंड कॉमन एंट्रेंस एग्जाम जेईईसीई | यूपीएसईई (उत्तर प्रदेश स्टेट एंट्रेंस एग्जामिनेशन) |
एपी ईएएमसीईटी (आंध्र प्रदेश इंजीनियरिंग एग्रीकल्चर एंड मेडिकल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) | टीएस ईएएमसीईटी(तेलंगाना स्टेट इंजीनियरिंग एग्रीकल्चर एंड मेडिकल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) |
टॉप रिक्रूटर्स
- भारतीय टेलीफोन उद्योग
- नागरिक उड्डयन
- दूरसंचार
- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग / आईटी
- बिजली क्षेत्र रक्षा
- एनपीएल
- एआईआर
- डाक और टेलीग्राफ विभाग
- रेलवे
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड
- डी.आर.डी.ओ
- हार्डवेयर विनिर्माण
- घरेलू उपकरण
- टेलीविजन उद्योग और अनुसंधान एवं विकास
- सीमेंस
- विप्रो लाइटिंग कॉर्पोरेट
- माइक्रोटेक
- टाटा इलेक्ट्रिक कंपनी
- अदानी पावर लिमिटेड
- श्नाइडर इलेक्ट्रिक
- हैवेल्स
- क्रॉम्पटन ग्रीव्स
करियर और नौकरी की संभावनाएं
दूरसंचार क्षेत्र में कम्युनिकेशन इंजीनियरों के लिए बड़ी संख्या में अवसर मौजूद हैं, जिनमें रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन और मोबाइल संचार और कंप्यूटर आदि शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार उत्पादों का निर्माण करने वाले उद्योगों को अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, कार्यशालाओं, प्रबंधन और विपणन आदि में संचार इंजीनियरों की सेवाओं की आवश्यकता होती है। संचार इंजीनियरों को अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ तकनीशियनों, इंजीनियरों और शोधकर्ताओं के रूप में भी काम के अवसर मिलते हैं। शिक्षाविदों में, व्याख्याताओं, प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं के रूप में अवसर प्रदान किए जाते हैं।
वेतन
कम्युनिकेशन इंजीनियरों को उद्योग में आकर्षक वेतन पैकेज प्राप्त है। एक शुरुआती संचार इंजीनियर का वेतन औसतन लगभग रु 20,000 प्रति माह होता है। एचआरए, टीए, डीए, और भत्तों और प्रदर्शन बोनस जैसी कई अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं। काम के प्रदर्शन और अर्जित पदोन्नति आदि के आधार पर कमाई कई गुना बढ़ जाती है। कम्युनिकेशन इंजीनियरों को समुदाय में उच्च सामाजिक सम्मान प्राप्त है।
FAQs
बिना डिग्री के कम्युनिकेशन इंजीनियर के रूप में काम करने के कुछ अवसर हैं। दूरसंचार, कंप्यूटर सिस्टम या इसी तरह के क्षेत्र में एक सहयोगी की डिग्री आपको कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग तकनीशियन के रूप में शुरू कर सकती है। यदि आप वर्तमान में एक संचार फर्म के लिए काम कर रहे हैं, तो आप कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए नौकरी पर प्रशिक्षण में भी भाग लेने में सक्षम हो सकते हैं।
कम्युनिकेशन इंजीनियर आमतौर पर कार्यालय के वातावरण में काम करते हैं। इंजीनियर एक साथ कई प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं। काम कार्यालय समय के दौरान होता है, हालांकि यदि कोई विशेष रूप से जरूरी समस्या है तो आप अतिरिक्त घंटे काम कर सकते हैं। यदि आप एक कम्युनिकेशन इंजीनियर हैं जो दूरसंचार उपकरणों का निरीक्षण और रखरखाव करते हैं, तो आपको अपनी नौकरी के लिए यात्रा करने की आवश्यकता हो सकती है। इसके लिए असामान्य परिस्थितियों में बाहर काम करना पड़ सकता है, जैसे सेल टावरों पर।
कम्युनिकेशन इंजीनियर हमेशा बदलती वैश्विक संचार प्रणालियों का समर्थन करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे मांग में हैं। यू.एस. ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग- वह क्षेत्र जिसका कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग एक हिस्सा है- तकनीकी प्रगति के साथ बने रहने के लिए लगातार बढ़ रहा है।
हम आशा करते हैं कि अब आप जान गए होंगे कि कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग क्या है और इससे संबंधी सारी जानकारी आपको इस ब्लॉग में मिल गई होंगी। अगर आप विदेश में कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग करना चाहते हैं और साथ ही एक उचित मार्गदर्शन चाहते हैं तो आज ही 1800572000 पर कॉल करके हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कीजिए।