हिंदी भाषा बोलने या लिखने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है हिंदी व्याकरण। हिंदी भाषा के स्वरूप को चार खंडों में बांट दिया जाता है जैसे कि ध्वनि और वर्ण यह वर्ण विचार के रूप है, शब्द के संबंधित अलग-अलग प्रकार को शब्द विचार में रखा गया है। वाक्य संबंधित विविध स्थितियों को वाक्य विचार में रखा गया है। संपूर्ण हिंदी व्याकरण (Hindi Vyakaran) और हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में लिखने और बोलने संबंधी नियमों को जाने इस ब्लॉग के ज़रिए।
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हिंदी व्याकरण की परिभाषा
व्याकरण” शब्द का शाब्दिक अर्थ है- “विश्लेषण करना”. व्याकरण भाषा का विश्लेषण करके उसकी रचना को हमारे सामने स्पष्ट करता है। भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है। ध्वनि और उसकी लिपि प्रतिक दोनों के लिए हिंदी में वर्ण शब्द का प्रयोग होता है। ध्वनियाँ या वर्णों से शब्द तथा शब्दों से वाक्य बनता है। अन्य शब्दों में हिंदी व्याकरण, हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में लिखने और बोलने संबंधी नियमों का बोध करानेवाला शास्त्र है। यह हिंदी भाषा के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण अंग है।
हिंदी व्याकरण के भेद
हिंदी के सभी स्वरूपों का चार भागों में पढ़ा जाता है-वर्ण,शब्द, वाक्य, छंद। वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि और वर्ण, शब्द विचार के अंतर्गत शब्द के विविध पक्षों संबंधी नियमों, वाक्य विचार के अंतर्गत वाक्य संबंधी विभिन्न स्थितियों एवं छंद विचार में साहित्यिक रचनाओं के शिल्पगत पक्षों पर विचार किया गया है।
- वर्ण विचार
- शब्द विचार
- वाक्य विचार
- छंद विचार
वर्ण विचार
हिंदी व्याकरण में सबसे पहला खंड वर्ण विचार का होता है। इसके अंदर भाषा की ध्वनि और वर्ण का विचार सबसे ज्यादा रखा जाता है। इसके तीन प्रकार होते हैं – अक्षरों की परिभाषा, संयोग ,उच्चारण, भेद उप-भेद वर्ण माला का वर्णन होता है।
वर्ण
देवनागरी हिंदी भाषा की लिपि है। इस वर्ण माला में कुल 52 वर्ण का समावेश है। इसे 4 भाग में बाँटा गया है – 33 व्यंजन ,11 स्वर, एक अनुस्वार ( अं ), एक विसर्ग ( अः ) है। साथ ही साथ द्विगुण व्यंजन ड़ और ढ़ तथा चार संयुक्त व्यंजन क्ष, श्र, ज्ञ, त्र का समावेश है।
स्वर
कुल 10 स्वर होते हैं हिंदी भाषा में – कुछ स्वर की ध्वनि ह्रश्व लंबाई की होती है जैसे अ, इ, उ और कुछ की ध्वनियां दीर्घ लंबाई की होती है जैसे अ, ई, ऊ, ओ, ए, औ
नीचे बताया गया है कि स्वर्ग को अलग-अलग प्रकार से बाँटा सकते हैं-
ज़रूर देखें:अव्यय
1) मूल स्वर
एक ही स्वर से बने शब्द को मूल स्वर कहते हैं।
अ, इ, उ
2) संयुक्त स्वर
दो मूल स्वर को मिलाकर जो स्वर बनता है उसे संयुक्त स्वर कहा जाता है।
- आ = अ + अ
- ऐ = अ + ए
- और = अ+ओ
3) एलोफोनिक स्वर
कुछ व्यंजनों की वजह से दूसरे स्वर अपनी जगह ले लेते हैं उन्हें एलोफोनिक स्वर कहते हैं।
- एॅ – हिंदी वर्ण माला में ॅ स्वर नहीं पाया जाता, ॅ यह इसका IPA है और अ एलोफोन है।
- औ – जब भी ह व्यंजन के आजू – बाजू उ साथ में होता है तब उ का उच्चारण बदल जाता है तभी औ करके उच्चारण लिया जाता है।
4) विदेशी स्वर
कुछ स्वर अंग्रेजी भाषाओं से भी मिले हैं, उन्हें विदेशी स्वर कहते हैं जैसे ऐ ।
व्यंजन
आधुनिक हिंदी की वर्ण माला
“क” वर्ग – यह शब्द को कंठ से बोला जाता है
क क़ ख ख़ ग ग़ घ ङ
“च” वर्ग – यह शब्द तालू से बोले जाते हैं
च छ ज ज़ झ ञ
“ट” वर्ग – यह शब्द मूर्धा से बोले जाते हैं
ट ठ ड ड़ ढ ढ़ ण
“त” वर्ग – यह शब्द दंत से बोले जाते हैं
त थ द ध न
“प” वर्ग – यह शब्द ओषठ से बोले जाते हैं
प फ फ़ ब भ म
“य” वर्ग- यह शब्द हवा रोक के बोले जाते हैं
य र ल व
“श” वर्ग – यह शब्द हवा छोड़कर बोले जाते हैं
श ष स ह
संयुक्त – यह शब्द दो व्यंजन को साथ में मिलाकर बोले जाते हैं
क्ष त्र ज्ञ
शब्द विचार
हिंदी व्याकरण में दूसरा खंड का नाम शब्द विचार है इसके अंदर संधि विच्छेद,भेद उप भेद, परिभाषा निर्माण, आदि के संबंधित पर विचार किया जाता है-
शब्द-भेद
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द-भेद होते हैं। निम्नलिखित तीन भेद दिए गए हैं-
- रूढ़
- यौगिक
- योगरूढ़
शब्द की परिभाषा
शब्द किसे कहते हैं? एक या उससे अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाती है। किसी भाषा में अनेक सार्थक शब्दों का प्रयोग किया जाता है तब वह एक वाक्य का रूप लेकर पूर्ण अभिव्यक्ति करने में सक्षम हो पाता है। हिंदी व्याकरण का कुछ चीजों में समावेश है जैसे –
- अलंकार
- रस
- संज्ञा
- सर्वनाम
- अव्यय
- संधि विच्छेद
- पद परिचय
- हिंदी वर्णमाला
- हिंदी व्याकरण काव्य गंध रस
- हिंदी व्याकरण शब्द शक्ति
- छंद बिम्बऔर प्रतीक
- हिंदी व्याकरण स्वर और व्यंजन
- शब्द और पद के अंतर
- अक्षर की पूरी जानकारी
- हिंदी व्याकरण बलाघात
- हिंदी व्याकरण सवनिम
- विलोम शब्द
- पत्रलेखन
- फीचर लेखन
- विज्ञापन लेखन
- मीडिया लेखन
Hindi Vyakaran: संज्ञा
संज्ञा किसे कहते हैं?
किसी व्यक्ति वस्तु स्थान अथवा भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण तरीके आम, संध्या, मुंबई, भैंस
संज्ञा के तीन भेद है
संज्ञा के तीन भेद निम्नलिखित हैं :-
- व्यक्ति वाचक
- जाति वाचक
- भाववाचक
सर्वनाम
सर्व + नाम दो शब्दों को मिलाकर सर्वनाम बनता है। यानी जो नाम किसी भी स्थान के बारे में बताता है उसे सर्वनाम कहते हैं। उदाहरण –
- रवि दसवीं कक्षा में पढ़ता है।
- रवि घर जा रहा है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में रवि शब्द का बार-बार उपयोग हो रहा है इसके कारण वाक्यों में अरुचिकर होता है, यदि हम रवि शब्द को छोड़कर अन्य कोई सर्वनाम का उपयोग करते है तो उससे वाक्य में गुरु रुचिकर रहता है।
अव्यय
लिंग, वचन, पुरुष, कारक के कारण शब्द में विकार नहीं आता ऐसे शब्द अव्यय कहलाते हैं।
उदाहरण
जब, किंतु, इधर, क्यों, इसलिए …
अव्यय के चार भेद होते हैं, जैसे:
- संबंधबोधक
- क्रिया विशेषण
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
- निपात
पद परिचय
वाक्य में हर एक शब्द को पद कहा जाता है-
पद परिचय के संकेत
- संज्ञा : जाति वाचक, व्यक्तिवाचक, भाववाचक
- लिंग : स्त्रीलिंग, पुलिंग
Hindi Vyakaran: विलोम शब्द
विलोम शब्द को अंग्रेजी में ऑपोजिट शब्द कहते हैं-
उदाहरण
- आहार – निराहार
- अस्त – उदय
- अग्नि – जल
- अमीर – गरीब
Hindi Vyakaran: मुहावरे
मुहावरे शब्द का पूर्ण वाक्य नहीं होता, इसलिए इसको हम स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल नहीं कर सकते। किसी विशेष अर्थ को प्रकट करने के लिए हम मुहावरे का इस्तेमाल करते हैं-
उदाहरण
- अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना – स्वयं अपनी प्रशंसा करना
- आँख खुलना – सचेत होना
- आसमान से बातें करना – बहुत अच्छा होना
- उलटी गंगा बहना – अनहोनी हो जाना
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समास
हर भाषा में शब्द-रचना की तीन विधियां हैं-उपसर्गों द्वारा शब्द-निर्माण, प्रत्ययों द्वारा शब्द-निर्माण तथा समास-द्वारा शब्द-निर्माण। उपसर्ग तथा प्रत्ययों के विषय में पढ़ने के लिए हमारे पास एक और ब्लॉग है। इस ब्लॉग में अब हम तीसरी विधि-‘समास द्वारा शब्द-निर्माण’ तथा के समास विषय में अध्ययन करेंगे। समास-रचना में दो शब्द परस्पर मिलकर जो नया शब्द बनता है, जैसे-पर्ण + कुटी=पर्णकुटी, नेत्र + हीन= नेत्रहीन, नीला + कंठ=नीलकंठ आदि। इस प्रकार समास की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
1. समास में दो पदों का योग होता है।
2. दो पद मिलकर एक पद का रूप धारण कर लेते हैं।
3. दो पदों के बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
4. दो पदों में कभी पहला पद प्रधान और कभी दूसरा पद प्रधान होता है। कभी दोनों पद प्रधान होते हैं।
5. संस्कृत में समास होने पर संधि अवश्य होती है, किंतु हिंदी में ऐसी विधि नहीं है।
छन्द विचार
छन्द विचार हिंदी व्याकरण का चौथा भाग है जिसके अंतर्गत वाक्य के साहित्यिक रूप में प्रयुक्त होने से संबंधित विषयों वर विचार किया जाता है। इसमें छंद की परिभाषा, प्रकार आदि पर विचार किया जाता है।
हिंदी व्याकरण क्लास 10
सीबीएसई क्लास 10 हिंदी ए अपठित बोध
- अपठित गद्यांश
- अपठित काव्यांश
CBSE कक्षा 10 हिंदी ए व्याकरण
सीबीएसई क्लास 10 हिंदी ए लेखन कौशल
सीबीएसई क्लास 10 बी अपठित बोध
- अपठित गद्यांश
- अपठित काव्यांश
सीबीएसई क्लास 10 हिंदी बी व्याकरण
- शब्द व पद में अंतर
- रचना के आधार पर वाक्य रूपांतर
- समास
- अशुद्धि शोधन
- मुहावरे
सीबीएसई क्लास 10 हिंदी बी लेखन कौशल
- अनुच्छेद लेखन
- पत्र लेखन
- सूचना लेखन
- संवाद लेखन
- विज्ञापन लेखन
Hindi Vyakaran क्लास 9
सीबीएसई क्लास 9 ऐ अपठित बोध
- अपठित गद्यांश
- अपठित काव्यांश
सीबीएसई क्लास 9 हिंदी ऐ व्याकरण
सीबीएसई क्लास 9 हिंदी A लेखन कौशल
सीबीएसई क्लास 9 हिंदी बी अपठित बोध
- अपठित गद्यांश
- अपठित काव्यांश
सीबीएसई क्लास 9 हिंदी बी – हिंदी व्याकरण
- वर्ण-विच्छेद
- अनुस्वार एवं अनुनासिक
- नुक्ता
- उपसर्ग-प्रत्यय
- संधि
- विराम-चिह्न
सीबीएसई क्लास 9 हिंदी बी लेखन कौशल
- अनुच्छेद लेखन
- पत्र लेखन
- चित्र-वर्णन
- संवाद लेखन
- विज्ञापन लेखन
Hindi Vyakaran कक्षा 8
सीबीएसई क्लास 8 अपठित बोध
- अपठित गद्यांश
- अपठित पद्यांश
सीबीएसई क्लास 8 हिंदी व्याकरण
- भाषा, बोली, लिपि और व्याकरण
- वर्ण विचार
- शब्द विचार
- संज्ञा
- लिंग
- वचन
- कारक
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
- काल
- अविकारी शब्द-अव्यय
- संधि
- समास
- पद परिचय
- वाक्य
- वाक्य संबंधी अशुधियाँ
- अलंकार
- मुहावरे और लोकोक्तियाँ
- शब्द-भंडार
- सीबीएसई क्लास 8 लेखन कौशल
- अनुच्छेद-लेखन
- पत्र लेखन
- निबंध-लेखन
अलंकार
अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है कि आभूषण। अलंकार दो शब्दों से मिलकर बनता हैः अलम + कार। जो किसी वस्तु को अलंकृत करे, वह अलंकार कहलाता है। जिस प्रकार आभूषण स्वर्ण से बनते हैं, उसी प्रकार अलंकार भी सुवर्ण (सुंदर वर्ण) से बनते हैं।
अर्थालंकार के भेद
- उपमा
- रूपक
- उत्प्रेक्षा
- दृष्टांत
- संदेह
- अतिशयोक्ति
- उपमेयोपमा
- प्रतीप
- अनन्यय
- भ्रांतिमान
- दीपक
- अपह्ति
- व्यक्तिरेक
- विभावना
- विशेषोक्ति
- अथात्नरन्यास
- उल्लेख
- विरोधाभास
- असंगति
- मानवीकरण
- अन्योक्ति
- काव्यलिग
- स्वभोक्ति
- कारणमाला
- पर्याय
- समासोक्ति।
FAQs
हिन्दी व्याकरण के जनक श्री दामोदर पंडित जी को कहा जाता है। इन्होंने 12वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में एक ग्रंथ की रचना की थी जिसे ” उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण ” के नाम से जाना जाता है । हिन्दी भाषा के पाणिनि ” आचार्य किशोरीदास वाजपेयी ” को कहा जाता है।
बारहवीं सदी में प. दामोदर द्वारा लिखित ‘उक्ति व्यक्ति प्रकरण’ हिंदी का प्रथम व्याकरण ग्रंथ माना गया है।
व्याख्या: संस्कृत और प्राकृत और अपभ्रंश भाषा हिंदी भाषा की अग्रदूत हैं और इसके व्याकरण को प्रभावित करती हैं।
व्याकरण वह शास्त्र है जो भाषा से संबंधित नियमों का ज्ञान करता है। किसी भी भाषा की संरचना का सिद्धांत अथवा नियम ही उसका व्याकरण है।
आशा करते हैं कि आपको हिंदी व्याकरण (Hindi Vyakaran) का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। ऐसे ही ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu पर बने रहिए।
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Awesome
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आपका बहुत-बहुत आभार।
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Awesome
आपका बहुत-बहुत आभार।