Vishnu Prabhakar Biography in Hindi : विष्णु प्रभाकर आधुनिक हिंदी साहित्य में अपनी कालजयी रचनाओं के लिए जाने जाते हैं। विष्णु प्रभाकर ने हिंदी की प्रायः सभी विधाओं जिनमें कहानी, नाटक, उपन्यास, यात्रा वृतांत, रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध, अनुवाद और बाल साहित्य आदि में प्रचुर लेखन किया। वहीं साहित्य जगत में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ व कई गैर सरकारी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं।
विष्णु प्रभाकर (Vishnu Prabhakar) की कई रचनाएँ जिनमें ‘आवारा मसीहा’ (जीवनी), फ़र्क (लघु कथा), ‘अर्द्धनारीश्वर’, ‘स्वप्नमयी’, ‘तट के बंधन’ (उपन्यास), ‘हत्या के बाद’, ‘डॉक्टर’, ‘सीमा रेखा’ (नाटक), ‘प्रकाश और परछाइयाँ’, ‘संघर्ष के बाद’, ‘सांप और सीढ़ी’ (एकांकी) आदि को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं।
वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ लेखक एवं नाटककार विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय (Vishnu Prabhakar Biography in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | विष्णु प्रभाकर (Vishnu Prabhakar) |
जन्म | 21, जून, 1912 |
जन्म स्थान | मीरापुर गाँव, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री दुर्गा प्रसाद |
माता का नाम | श्रीमती महादेवी |
शिक्षा | बी.ए (अंग्रेजी), पंजाब विश्वविद्यालय |
पेशा | लेखक, नाटककार, सरकारी सेवा में कई पदों पर कार्यरत |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
विधाएँ | कहानी, नाटक, उपन्यास, यात्रा वृतांत, रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध, अनुवाद और बाल साहित्य। |
उपन्यास | ‘अर्धनारीश्वर’, ‘स्वपनमय’, ‘तट का बंधन’, ‘परछाई’ आदि। |
कहानी-संग्रह | ‘धरती अब भी घूम रही है’, ‘संघर्ष के बाद’, ‘एक कहानी का जन्म’, ‘रहमान का बेटा’ आदि। |
नाटक | युग-युग क्रांति, सीमा रेखा, हत्या के बाद, समाधि आदि। |
जीवनी | ‘आवारा मसीहा’, ‘अमर शहीद भगत सिंह’, ‘सरदार वल्लभभाई पटेल’ आदि। |
बाल-साहित्य | ‘रामू की होली’, ‘दादा की कचहरी’, ‘मोटे लाल’, ‘कुंती के बेटे’ आदि। |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘पद्म भूषण’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘सोवियत नेहरू लैंड पुरस्कार’, ‘शलाका सम्मान’ आदि। |
निधन | 19, अप्रैल, 2009 |
This Blog Includes:
- उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में हुआ जन्म
- पंजाब विश्वविद्यालय से किया बी.ए
- स्वतंत्रता आंदोलन का रहे हिस्सा
- विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र
- वैवाहिक जीवन
- कालजयी रचना ‘आवारा मसीहा’ से मिली विशेष प्रसिद्धि
- विष्णु प्रभाकर की साहित्यिक रचनाएँ
- पुरस्कार एवं सम्मान
- अपने सभी अंगों को किया दान
- पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में हुआ जन्म
प्रतिष्ठित साहित्यकार विष्णु प्रभाकर (Vishnu Prabhakar) का जन्म 21, जून, 1912 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री दुर्गा प्रसाद’ और माता का नाम ‘श्रीमती महादेवी’ था। क्या आप जानते हैं कि विष्णु प्रभाकर का आरंभिक नाम ‘विष्णु दयाल’ था। किंतु साहित्य जगत में वह विष्णु प्रभाकर के नाम से जाने गए।
पंजाब विश्वविद्यालय से किया बी.ए
विष्णु प्रभाकर की प्रारंभिक शिक्षा मीरपुर में हुई, किंतु गांव में उच्च शिक्षा का उचित प्रबंध न होने के कारण उनकी माता ने उन्हें मामा के पास ‘हिसार’ (जो पहले पंजाब और अब हरियाणा में) भेज दिया। यहाँ उन्होंने आर्यसमाजी विद्यालय में दाखिला लिया लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह आगे की पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं कर पाए।
इसलिए उन्हें जीवन यापन करने के लिए डी ग्रुप की सरकारी नौकरी करनी पड़ी। बता दें कि इस नौकरी से उन्हें प्रतिमाह 18 रुपये मिलते थे। विष्णु प्रभाकर ने अपने कठिन परिश्रम और लगनशीलता के बल पर हिंदी में ‘प्रभाकर’, संस्कृत में ‘प्रज्ञा’ और ‘पंजाब विश्वविद्यालय’ से अंग्रेजी में बी.ए की डिग्री हासिल की।
स्वतंत्रता आंदोलन का रहे हिस्सा
ये वो दौर था जब संपूर्ण भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन हो रहे थे। इस स्वतंत्रता संग्राम में विष्णु प्रभाकर ने भी भाग लिया और अपनी रचनाओं में माध्यम से आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। वहीं राजनितिक गतिविधियों से जुड़े रहने के कारण उन्हें कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी थी। इसके बाद शासनादेश के कारण उन्होंने पंजाब छोड़ दिया और दिल्ली आकर संयुक्त परिवार के साथ रहने लगे।
क्या आप जानते हैं कि विष्णु प्रभाकर पर ‘महात्मा गांधी’ के विचारों और सिद्धांतों का बहुत असर था। वहीं उन्होंने जीवन पर खादी पहनने का संकल्प लिया और जीवन के अंतिम समय तक निभाया भी।
विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र
विष्णु प्रभाकर ने हिसार में अपनी नौकरी के दौरान नाटक मंडली में भी काम किया। वहीं, दिल्ली आने के बाद उन्होंने लगभग दो वर्षों तक ‘अखिल भारतीय आयुर्वेद महामंडल’ में लेखाकार के रूप में भी कार्य किया। किंतु यहाँ से त्यागपत्र देने के बाद वह स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य करने लगे। इसके साथ ही वह अखिल राष्ट्रीय कांग्रेस से भी जुड़े रहे।
वर्ष 1955 में उन्होंने भारत सरकार के आमंत्रण पर आकाशवाणी के ‘दिल्ली केंद्र’ पर नाटक निर्देशक के पद पर कार्य किया। यहाँ उन्होंने वर्ष 1957 तक कार्य किया और फिर स्वतंत्र लेखन कार्य में जुट गए।
वैवाहिक जीवन
विष्णु प्रभाकर का विवाह 30, मई 1938 को ‘सुश्री सुशीलादेवी’ से हुआ। बता दें कि विवाह के समय विष्णु जी की आयु 26 वर्ष की थी। अपने दांपत्य जीवन में उन्होंने चार संतानों को जन्म दिया। वहीं कैंसर जैसी घातक बीमारी के कारण उनका 08 जनवरी 1990 को 60 वर्ष की आयु में देहांत हो गया।
कालजयी रचना ‘आवारा मसीहा’ से मिली विशेष प्रसिद्धि
विष्णु प्रभाकर की कालजयी रचना आवारा मसीहा बंगला भाषा के विख्यात रचनाकार ‘शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय’ के जीवन पर आधरित जीवनी थी। क्या आप जानते हैं कि इस रचना के लिए उन्होंने अपने जीवन के 14 वर्ष लगाए थे। इसके साथ ही उन्होंने बांग्ला भाषा सीखकर शरदचंद्र चट्टोपाध्याय के समय के सैकड़ों समकालीन लोगों से बात की व बिहार, बंगाल और बर्मा (वर्तमान म्यांमार) का व्यापक भ्रमण किया।
इस रचना के कारण वह अखिल भारतीय रचनाकार के रूप में विख्यात हुए। इस कृति के बारे में वे स्वयं कहते हैं कि – “चौदह वर्ष जीया था मैं उस आवारा मसीहा के साथ जिसे मैंने कभी देखा नहीं था।”
विष्णु प्रभाकर की साहित्यिक रचनाएँ
विष्णु प्रभाकर ने किशोरावस्था से ही साहित्य का सृजन किया था। वहीं उनकी पहली कहानी ‘दिवाली की रात’ वर्ष 1931 में लाहौर से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र ‘मिलाप’ में छपी थी। उस समय उनकी आयु मात्र उन्नीस वर्ष की थी और यह साहित्यिक यात्रा छियत्तर वर्ष की आयु तक निरंतर जारी रही।
विष्णु प्रभाकर (Vishnu Prabhakar Biography in Hindi) ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया। इनमें मुख्य रूप से उपन्यास, कहानी, कविता, यात्रा वृतांत, नाटक, निबंध, अनुवाद, संस्मरण और बाल साहित्य विधाएँ शामिल हैं। यहाँ विष्णु प्रभाकर की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास
- ढलती रात – वर्ष 1951
- निशिकांत – वर्ष 1955
- तट के बंधन – वर्ष 1955
- स्वप्नमयी – वर्ष 1956
- दर्पण का व्यक्ति – वर्ष 1968
- परछाई – वर्ष 1968
- कोई तो – वर्ष 1987
कहानी-संग्रह
- आदि और अंत – वर्ष 1945
- रहमान का बेटा – वर्ष 1947
- जिंदगी के थपेड़े – वर्ष 1952
- संघर्ष के बाद – वर्ष 1953
- धरती अब भी घूम रही है – वर्ष 1959
- सफर के साथी – वर्ष 1960
- खंडित पूजा – वर्ष 1960
- साँचे और कला – वर्ष 1962
- मेरी प्रिय कहानियाँ – वर्ष 1972
- मेरी तैतीस कहानियाँ – वर्ष 1981
- पुल टूटने से पहले – वर्ष 1977
- मेरा वतन – वर्ष 1980
- खिलौने – वर्ष 1981
- इक्यावन कहानियां – वर्ष 1983
- मेरी कहानियाँ – वर्ष 1983
- मेरी कथा यात्रा – वर्ष 1984
- एक और कुंती – वर्ष 1985
- जिंदगी के रिहर्सल – वर्ष 1986
- एक आसमान के नीचे – वर्ष 1989
नाटक
- हत्या के बाद
- नव प्रभात
- डॉक्टर
- अशोक
- अब और नहीं
- टूटते परिवेश
- कुहासा और किरण
- बंदिनी
- श्वेत कमल
- सत्ता के आर पार
- केरल का क्रांतिकारी
- सीमा रेखा
- युग-युग क्रांति
- समाधि
जीवनी
- आवारा मसीहा – वर्ष 1974
- अमर शहीद भगतसिंह – वर्ष 1976
- सरदार वल्ल्भभाई पटेल – वर्ष 1976
- काका कालेलकर – वर्ष 1995
संस्मरण
- जाने अनजाने
- कुछ शब्द, कुछ रेखाएँ
- यादों की तीर्थयात्रा
- मेरे अग्रज: मेरे मीत
- समांतर रेखाएँ
- मेरे हमसफर
- राह चलते-चलते
कविता-संग्रह
- चलता चला जाँऊगा
निबंध
- जन समाज और संस्कृति: एक सम्रग दृष्टि
- क्या खोया क्या पाया
यात्रा वृतांत
- ज्योतिपुंज हिमालय
- जमुना गंगा के नैहर में
आत्मकथा
- पंखहीन – (तीन भागों में)
बाल साहित्य
- मोटे लाल
- कुंती के बेटे
- रामू की डोली
- दादा की कचहरी
- जब दीदी भूत बनी
पुरस्कार एवं सम्मान
विष्णु प्रभाकर (Vishnu Prabhakar Biography in Hindi) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- पद्म भूषण
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- सोवियत नेहरू लैंड पुरस्कार
- शलाका सम्मान
- मूर्तिदेवी सम्मान
- महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार
अपने सभी अंगों को किया दान
विष्णु प्रभाकर ने ‘मुंशी प्रेमचंद’, ‘जैनेंद्र’, ‘यशपाल’ और ‘अज्ञेय’ जैसे विख्यात साहित्यकारों के सहयात्री रहने के बाद भी उन्होंने साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई। वहीं कई दशकों तक हिंदी साहित्य में अनेक विधाओं में अनुपम रचनाओं का सृजन करने के बाद इस महान रचनाकार ने 11 अप्रैल 2009 को दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दिया। लेकिन हिंदी साहित्य जगत को अपनी अनुपम रचनाओं का एक विशाल और समृद्ध खज़ाना सौंप दिया।
क्या आप जानते हैं कि विष्णु प्रभाकर ने अपनी वसीयत में अपने सभी अंगों को दान करने की इच्छा व्यक्त की थी। इसी कारण मृत्यों परांत उनके पार्थिव शरीर को ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ (AIIMS) को सौंप दिया गया था।
पढ़िए हिंदी साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ लेखक एवं नाटककार विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय (Vishnu Prabhakar Biography in Hindi) के साथ ही हिंदी साहित्य के अन्य साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
विष्णु प्रभाकर का जन्म 21, जून, 1912 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर गाँव में हुआ था।
यह प्रतिष्ठित साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का बहुचर्चित उपन्यास है, जिसका प्रकाशन वर्ष 1951 में हुआ था।
विष्णु प्रभाकर की आत्मकथा ‘पंखहीन’ तीन भागों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
यह विष्णु प्रभाकर का लोकप्रिय नाटकों में से एक माना जाता है।
बता दें कि ‘आवारा मसीहा’ बांग्ला के विख्यात साहित्यकार शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के जीवन पर आधारित है।
विष्णु प्रभाकर का 11 अप्रैल, 2009 को निधन हो गया था।
आशा है कि आपको हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ लेखक एवं नाटककार विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय (Vishnu Prabhakar Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।