छात्रों और बच्चों में बचत की आदत को बढ़ावा देने के लिए भारत में 15 सितंबर को संचायिका दिवस मनाया जाता है। इस उत्सव में सभी स्कूल और कॉलेज हिस्सा लेते हैं। शिक्षक बच्चों और छात्रों के बीच भविष्य के लिए पैसे बचाने के बारे में जागरूकता पैदा करते हैं। कई जगहों पर सरकार ने संचायिका बैंक नामक बैंक भी स्थापित किए हैं। ये बैंक बच्चों को पैसे बचाने की आदत डालने के लिए आरक्षित हैं। जब लोग आर्थिक रूप से स्वतंत्र होते हैं तो देश समृद्ध हो सकता है। बचत का एक और लाभ यह है कि इससे बच्चे पैसे की कद्र करना सीखते हैं। इसलिए इस ब्लॉग में संचायिका दिवस क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है के बारे में बताया गया है।
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संचायिका दिवस के बारे में
छात्रों में पैसे बचाने की आदत को बढ़ावा देने के लिए 15 सितंबर को पूरे भारत में संचायिका दिवस मनाया जाता है। इसका आयोजन लघु बचत निदेशालय, यूटी चंडीगढ़ द्वारा गर्ल्स गवर्नमेंट कॉलेज में किया जाता है। राष्ट्रीय बचत संस्थान और चंडीगढ़ केंद्र ने भी इस अभियान में भाग लिया है। इस कार्यक्रम को मनाते समय विभिन्न स्कूलों के प्रमुखों से अपील की जाती है कि वे छात्रों और अभिभावकों को अपनी बचत की आदतों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करें।
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संचायिका दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
15 सितंबर को हर साल मनाए जाने वाले संचायिका दिवस को मनाने का उद्देश्य छात्रों में कम उम्र में ही पैसे बचाने की आदत को बढ़ावा देना और छात्रों को बैंकिंग सुविधाओं के बारे में जानकारी देना है। इसके अलावा इस दिवस को मनाने से छात्र अपने शुरुआती करियर में ही व्यवस्था और धन प्रबंधन सीख सकते हैं।
संचायिका योजना क्या है?
संचायिका योजना भारत सरकार द्वारा स्कूलों में छात्रों के लिए शुरू की गई एक धन बचत प्रणाली है। इस योजना के तहत बच्चे अपने खाते में पैसे जमा कर सकते हैं और उस पर ब्याज पा सकते हैं। छात्र कभी भी पैसे निकाल सकते हैं। इस योजना की शुरुआत सबसे पहले इंदिरा गांधी ने की थी। यह दिवस मुख्य रूप से विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों को बचत करने के लिए प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है।
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संचायिका दिवस का इतिहास क्या है?
संचायिका दिवस का इतिहास यहाँ दिया गया है :
- राष्ट्रीय संचायिका दिवस की जड़ें युवाओं में वित्तीय साक्षरता और बचत संस्कृति को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों में हैं।
- संचायिका की अवधारणा को स्कूल बैंकिंग प्रणाली के हिस्से के रूप में पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य छात्रों को कम उम्र से ही पैसे बचाने का महत्व सिखाना था।
- संचायिका का विचार पहली बार 1960 के दशक में आया था जब भारत सरकार ने शिक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के सहयोग से स्कूली बच्चों को अपनी जेब खर्च या अलाउंस का एक हिस्सा बचाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इस पहल की शुरुआत की थी।
- इस पहल को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का भी समर्थन प्राप्त था, जिसने इसे युवा पीढ़ी में वित्तीय जागरूकता और बैंकिंग ज्ञान फैलाने के तरीके के रूप में देखा।
संचायिका दिवस का महत्व क्या है?
संचायिका कार्यक्रम के माध्यम से, छात्र स्कूलों में छोटे बचत खाते खोल सकते थे। इस पहल ने न केवल उन्हें बैंकिंग प्रक्रिया को समझने में मदद की, बल्कि उन्हें अपने वित्तीय भविष्य की योजना बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया। स्कूलों को बचत गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया गया और शिक्षकों ने छात्रों को बजट और वित्तीय प्रबंधन के बारे में मार्गदर्शन करने में सक्रिय भूमिका निभाई।
15 सितंबर को राष्ट्रीय संचायिका दिवस के रूप में नामित करके, सरकार ने छात्रों के बीच नियमित रूप से बचत के महत्व को याद दिलाने की आशा की, जिससे उन्हें वित्तीय रूप से अनुशासित जीवन के लिए तैयार किया जा सके। पिछले कुछ वर्षों में, राष्ट्रीय संचायिका दिवस स्कूलों के लिए कार्यशालाओं, सेमिनारों और अन्य गतिविधियों का आयोजन करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है, ताकि छात्रों में बचत की आदत डाली जा सके।
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संचायिका दिवस पर 10 लाइन
संचायिका दिवस से जुड़ी 10 लाइन यहाँ दी गई हैं :
- भारत में हर साल 15 सितंबर को संचायिका दिवस मनाया जाता है।
- इसे संचायिका दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
- इस दिन हम पैसे बचाना सीखते हैं, जो की एक अच्छी आदत है।
- हम सभी को पैसे बचाने चाहिए। हम बचाए गए पैसे का इस्तेमाल आपातकालीन या समस्याओं में करते हैं।
- सरकार बच्चों को संचायिका बैंक उपलब्ध कराती है, जहाँ वे पैसे जमा कर सकते हैं और बचत कर सकते हैं।
- इस दिन माता-पिता और शिक्षक बच्चों को पैसे बचाने के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं।
- बचत की आदत के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सरकार ने संचायिका बैंकों की सुविधा प्रदान की है।
- स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को बचत के लिए उठाए जाने वाले कदमों और उपायों के बारे में जागरूक किया जाता है।
- उन्हें यह भी बताया जाता है कि बचत कैसे उनके सुरक्षित भविष्य को बढ़ावा देती है।
- माता-पिता के साथ-साथ शिक्षकों को भी बच्चों में बहुत कम उम्र से ही पैसे बचाने की आदत विकसित करनी चाहिए।
FAQs
संचायिका दिवस 15 जुलाई को पूरे भारत में मनाया जाता है।
संचायिका दिवस छात्रों और युवा व्यक्तियों के बीच पैसे बचाने के महत्व को बढ़ावा देता है, उन्हें कम उम्र से ही बचत की आदत विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
देश भर के स्कूल छात्रों को पैसे, बचत और वित्तीय नियोजन के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए इस दिन विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित करते हैं।
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आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको संचायिका दिवस के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।