Khalil Gibran Poems in Hindi समाज को एक ऐसे कवि से परिचित कराती हैं, जिन्होंने सीमाओं से ऊपर उठकर साहित्य के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया। बचपन से ही गरीबी की मार झेल रहे ख़लील जिब्रान ने साहित्य के आँगन में पनपकर समाज के कई विषयों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। ख़लील जिब्रान ने अरबी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में अपनी रचनाएँ लिखीं हैं, जिनका हिंदी अनुवाद भारत के युवाओं का परिचय उनकी साहित्य की समझ से करवाता है। ख़लील जिब्रान की कविताएं प्रेम, जीवन, मृत्यु, और ईश्वर जैसे विषयों पर आधारित हैं। विद्यार्थी जीवन में ही विद्यार्थियों को हर प्रकार की किताबों और हर भाषा के साहित्यकारों को पढ़ना चाहिए। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Khalil Gibran Poems in Hindi को पढ़ पाएंगे, साथ ही ख़लील जिब्रान की कविताएं आपको एक नया दृष्टिकोण देने का काम करेंगी।
ख़लील जिब्रान का संक्षिप्त जीवन परिचय
Khalil Gibran Poems in Hindi (ख़लील जिब्रान की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको ख़लील जिब्रान का संक्षिप्त जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। ख़लील जिब्रान ने अरबी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में अपनी रचनाओं को लिखा है, जिनका बाद में अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ और वह आज लाखों करोड़ों लोगों द्वारा पढ़ी जाती हैं।
6 जनवरी 1883 को ख़लील जिब्रान का जन्म लेबनान के बशरी में हुआ था। ख़लील जिब्रान ने अपना प्रारंभिक जीवन गरीबी में जिया, जिस दौरान मात्र 12 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गए। वर्ष 1904 में उन्होंने एक अरबी भाषा के अखबार में लेख प्रकाशित हुआ, जिसके बाद कला और साहित्य जगत में उनका नाम बनने लगा।
जीवन भर अपनी लेखनी से समाज को प्रभावित करने वाले ख़लील जिब्रान ने कला और साहित्य जगत में अपना ऐसा अविस्मरणीय योगदान दिया। 10 अप्रैल, 1931 को विश्व के प्रख्यात कवियों में से एक न्यूयॉर्क शहर में लीवर सिरोसिस से उनकी मृत्यु हुई थी।
Khalil Gibran Poems in Hindi
ख़लील जिब्रान की कविताएं आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी, जिसके लिए आपको उनकी कविताओं के हिंदी अनुवाद को यहाँ पढ़ने का अवसर मिलेगा। Khalil Gibran Poems in Hindi के इस ब्लॉग में आपको ख़लील जिब्रान की कविताओं का हिंदी अनुवाद पढ़ने का अवसर मिलेगा। Khalil Gibran Poems in Hindi की सूची कुछ इस प्रकार हैं;
कविता का नाम | कवि/कवियत्री का नाम |
बच्चे | ख़लील जिब्रान |
आंसू और मुस्कान | ख़लील जिब्रान |
प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता | ख़लील जिब्रान |
पराजय | ख़लील जिब्रान |
यह भी पढ़ें : राष्ट्रीय युवा दिवस पर कविता
बच्चे
Khalil Gibran Poems in Hindi से आप ख़लील जिब्रान की साहित्य की समझ बारे में जान पाओगे। ख़लील जिब्रान की कविताएं आपको बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी। इन कविताओं में एक कविता “बच्चे” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे बच्चे नहीं हैं वह तो जीवन की अपनी आकांक्षा के बेटे बेटियां हैं वह तुम्हारे द्वारा आते हैं लेकिन तुमसे नहीं, वह तुम्हारे पास रहते हैं लेकिन तुम्हारे नहीं तुम उनके शरीरों को घर दे सकते हो तुम उन्हें अपना प्यार दे सकते हो लेकिन अपनी सोच नहीं क्योंकि उनकी अपनी सोच होती है तुम उनके शरीरों को घर दे सकते हो, आत्माओं को नहीं क्योंकि उनकी आत्माएं आने वाले कल के घरों में रहती हैं जहां तुम नहीं जा सकते, सपनों में भी नहीं तुम उनके जैसा बनने की कोशिश कर सकते हो, पर उन्हें अपने जैसा नहीं बना सकते, क्योंकि जिन्दगी पीछे नहीं जाती, न ही बीते कल से मिलती है तीर चलाने वाला निशाना साधता है तुम वह कमान हो जिससे तुम्हारे बच्चे जीवित तीरों की तरह छूट कर निकलते हैं तीर चलाने वाला निशाना साधता है एक असीमित राह पर और अपनी शक्ति से तुम्हें जहां चाहे उधर मोड़ देता है ताकि उसका तीर तेज़ी से दूर जाये स्वयं को उस तीरन्दाज़ की मर्ज़ी पर खुशी से मुड़ने दो, क्योंकि वह उड़ने वाले तीर से प्यार करता हैऔर स्थिर कमान को भी चाहता है -ख़लील जिब्रान
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि बच्चों और माता-पिता के बीच के संबंधों का वर्णन करने का प्रयास करते हैं। इस कविता में जिब्रान कहते हैं कि, बच्चे जीवन के तीर हैं जो अनंत के धनुष से निकलते हैं। माता-पिता धनुष हैं जो बच्चों को जीवन की यात्रा में आगे बढ़ने के लिए शक्ति प्रदान करते हैं। कविता के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि बच्चों को अपनी मर्जी से जीवन जीने का अधिकार है। कविता समाज को ये सन्देश देती है कि माता-पिता को बच्चों को अपनी इच्छाओं के अनुसार ढालने का प्रयास नहीं करना चाहिए। कविता का सरल उद्देश्य अपने सपनों को पूरा करने के लिए बच्चों को मौका देने अथवा प्रेरित करना है।
यह भी पढ़ें : विश्व हिंदी दिवस पर कविता
आंसू और मुस्कान
Khalil Gibran Poems in Hindi के माध्यम से आप ख़लील जिब्रान के लेखन से परिचित हो पाएंगे। ख़लील जिब्रान की कविताओं में से एक कविता “आंसू और मुस्कान” भी है, जिसका अनुवाद अनुपमा सरकार ने किया है, यह कविता कुछ इस प्रकार है:
नहीं करूंगा आदान-प्रदान अपने हृदय के दुखों का सामूहिक सुखों से नहीं परिवर्तित होने दूंगा अपने प्रत्यंग से बहती उदासी से उपजे आंसुओं को अट्टाहस में मैं चाहता हूँ मेरे जीवन में शेष रहे बस एक आंसू और एक मुस्कान ! एक आंसू, मेरे हृदय को शुद्ध करने और जीवन की रहस्यमयी गूढ़ बातों को समझने के लिए एक मुस्कान, अपने जैसे पुत्रों के समीप पहुंचने और ईश्वर-स्तुति के प्रतीक रूप में ढल जाने के लिए एक आंसू, टूटे दिलों के विलाप से जोड़ता एक मुस्कान, संकेत मेरे अस्तित्व की प्रसन्नता का मैं चाहूंगा मर जाऊं, उत्कंठा और तृष्णा में पर न जीऊं, थकान और निराशा में बसी रहे सौंदर्य और प्रेम की क्षुधा मेरे अंतर आत्मा की गहराईयों में क्योंकि संतुष्ट व्यक्ति सबसे व्यथित होता है तड़प और लालसा में लिप्त लोगों की आहें सुनी हैं मैंने और उससे ज़्यादा मधुर कोई गीत नहीं है संध्या समय कुसुम अपनी पंखुड़ियां समेट अपनी चाहत को गले लगाए सो जाती है और भोर की पहली आहट पर अपने अधर खोल सूर्य का चुम्बन लेती है पुष्प का जीवन केवल लालसा और पूर्ति एक आंसू और एक मुस्कान सागर का जल वाष्प बनकर उठता है एकत्र हो मेघ बन धरती को घेर लेता है पहाड़ियों और घाटियों में बादल बन मंडराता है बस, जब तक मखमली हवा छू न ले उसे तब रूदन करता धराशायी होता है खेतों में और मिल जाता है नदी-नालों में फिर से सागर में विलीन होने, अपने घर लौटने बादल का जीवन केवल वियोग और मिलन एक आंसू और एक मुस्कान और ऐसी ही है, परम आत्मा से पृथक हो विश्व-तत्वों में भटकती आत्मा बादलों की भांति दुखों के पर्वत पार करती है और खुशियों के मैदानों में वायुरूपी मृत्यु का आलिंगन कर लौट जाती है वहीं, जहां से उद्गम हुआ था इसका प्रेम और सौंदर्य के सागर – परमात्मा में ! -ख़लील जिब्रान
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने जीवन के दो पहलुओं, आंसू और मुस्कुराहट का वर्णन किया है। कविता में कवि के अनुसार, आंसू और मुस्कुराहट एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जहाँ आंसू दुःख और वेदना का प्रतीक हैं, जबकि मुस्कुराहट खुशी और आनंद का प्रतीक है। जिब्रान का कहना है कि दोनों ही जीवन के लिए आवश्यक हैं। कविता में कवि आगे कहते हैं कि आंसू हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देते हैं, जबकि मुस्कुराहट हमें जीवन का आनंद लेने में मदद करती है।
यह भी पढ़ें : प्रेरणादायक प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ
प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता
Khalil Gibran Poems in Hindi के माध्यम से आप ख़लील जिब्रान के लेखन से परिचित हो पाएंगे। ख़लील जिब्रान की कविताओं में से एक कविता “प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता” भी है, जिसका अनुवाद विजयलक्ष्मी शर्मा ने किया है, यह कविता कुछ इस प्रकार है:
प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता न ही प्रेम पर किसी का नियंत्रण होता है तब अलमित्रा ने कहा, हमें प्रेम के विषय में बताओ तब उसने अपना सिर उठाया और उन लोगों की ओर देखा उन सबों पर शांति बरस पड़ी फिर उसने गंभीर स्वर में कहा प्रेम का संकेत मिलते ही अनुगामी बन जाओ उसका हालाँकि उसके रास्ते कठिन और दुर्गम हैं और जब उसकी बाँहें घेरें तुम्हें समर्पण कर दो हालाँकि उसके पंखों में छिपे तलवार तुम्हें लहूलुहान कर सकते हैं, फिर भी और जब वह शब्दों में प्रकट हो उसमें विश्वास रखो हालाँकि उसके शब्द तुम्हारे सपनों को तार-तार कर सकते हैं जैसे उत्तरी बर्फीली हवा उपवन को बरबाद कर देती है। क्योंकि प्रेम यदि तुम्हें सम्राट बना सकता है तो तुम्हारा बलिदान भी ले सकता है। प्रेम कभी देता है विस्तार तो कभी काट देता है पर। जैसे वह, तुम्हारे शिखर तक उठता है और धूप में काँपती कोमलतम शाखा तक को बचाता है वैसे ही, वह तुम्हारी गहराई तक उतरता है और जमीन से तुम्हारी जड़ों को हिला देता है अनाज के पूला की तरह, वह तुम्हें इकट्ठा करता है अपने लिए वह तुम्हें यंत्र में डालता है ताकि तुम अपने आवरण के बाहर आ जाओ। वह छानता है तुम्हें और तुम्हारे आवरण से मुक्त करता है तुम्हें वह पीसता है तुम्हें, उज्जवल बनाने को। वह गूँधता है तुम्हें, नरम बनाने तक और तब तुम्हें अपनी पवित्र अग्नि को सौंपता है जहाँ से तुम ईश्वर के पावन भोज की पवित्र रोटी बन सकते हो! प्रेम यह सब तुम्हारे साथ करेगा ताकि तुम हृदय के रहस्यों को समझ सको और इस 'ज्ञान' से ही तुम अस्तित्व के हृदय का अंश हो जाओगे। लेकिन यदि तुम भयभीत हो और तुम प्रेम में सिर्फ शांति और आनंद चाहते हो तो तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा कि अपनी 'निजता' को ढक लो और प्रेम के उस यातना-स्थल से बाहर चले जाओ चले जाओ ऋतुहीन उस दुनिया में जहाँ तुम्हारी हँसी में तुम्हारी संपूर्ण खुशी प्रकट नहीं होती न ही तुम्हारे रुदन में तुम्हारे संपूर्ण आँसू ही बहते हैं प्रेम न तो स्वयं के अतिरिक्त कुछ देता है न ही प्रेम स्वयं के अलावा कुछ लेता है प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता न ही प्रेम पर किसी का नियंत्रण होता है चूँकि प्रेम के लिए बस प्रेम ही पर्याप्त है। जब तुम प्रेम में हो, यह मत कहो कि ईश्वर मेरे हृदय में हैं बल्कि कहो कि 'मैं ईश्वर के हृदय में हूँ'। यह मत सोचो कि तुम प्रेम को उसकी राह बता सकते हो बल्कि यदि प्रेम तु्म्हें योग्य समझेगा तो वह स्वयं तुम्हें तुम्हारा रास्ता बताएगा 'स्वयं' की परिपूर्णता के अतिरिक्त प्रेम की कोई और अभिलाषा नहीं लेकिन यदि तुम प्रेम करते हो फिर भी इच्छाएँ हों ही तो उनका रूपांतरण ऐसे करो कि ये पिघलकर उस झरने की तरह बहे जो मधुर स्वर में गा रही हो रात्रि के लिए करुणा के अतिरेक की पीड़ा समझने को प्रेम के बोध से स्वयं को घायल होने दो बहने दो अपना रक्त अपनी ही इच्छा से सहर्ष सुबह ऐसे जागो कि हृदय उड़ने में हो समर्थ और अनुगृहीत हो एक और प्यार-भरे दिन के लिए दोपहर विश्राम-भरा और प्रेम के भावातिरेक से समाधिस्थ हो और शाम को कृतज्ञतापूर्वक घर लौट जाओ इसके उपरांत सो जाना है प्रियतम के लिए हृदय में प्रार्थना और ओठों पर -ख़लील जिब्रान
भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि ने प्रेम की प्रकृति का वर्णन करने का सफल प्रयास किया है। कविता में जिब्रान कहते हैं कि, प्रेम एक स्वतंत्र शक्ति है जो किसी पर नियंत्रण नहीं रखता। प्रेम को किसी बंधन या सीमा में नहीं बांधा जा सकता। प्रेम अपने आप में पूर्ण होता है, साथ ही प्रेम देने से ही बढ़ता है। कविता हमें सिखाती है कि प्रेम को स्वीकार करना और उसे अपनाना ही प्रेम का सच्चा अर्थ होता है।
यह भी पढ़ें : Poem on Lohri in Hindi
पराजय
Khalil Gibran Poems in Hindi के माध्यम से आप ख़लील जिब्रान के लेखन से परिचित हो पाएंगे। ख़लील जिब्रान की कविताओं में से एक कविता “पराजय” भी है, जिसका अनुवाद रंजना मिश्र ने किया है, यह कविता कुछ इस प्रकार है:
पराजय, ओ मेरे पराजय मेरे एकांत, मेरे अलगाव तुम मुझे प्रिय हो, हज़ारों जीत की खुशियों से पराजय, ओ मेरे पराजय मेरे आत्म ज्ञान, मेरे विद्रोह तुम मुझे अहसास दिलाते हो कि मैं अब भी ज़िंदा हूँ कि मेरे पैर अब भी चपल हैं और हम बंदी नहीं है कुम्हलाते जीत की तुमुल ध्वनियों के तुममें पाया है मैने एकांत नकारे जाने का उल्लास और तिरस्कृत किए जाने का आह्लाद पराजय, ओ मेरे पराजय मेरी चमकती तलवार और मेरे कवच तुम्हारी आँखों में मैने पढ़ा है विजयी होना गुलाम होना है और समझे जाना सीमाओं में बंधना एक पके फल की तरह डाली से टूट संभावनाओ से विलग हो जाना है पराजय, ओ मेरे निडर पराजय तुमने मेरा गीत सुना है मेरे आँसू और मेरी चुप्पी देखी है तुम, सिर्फ़ तुम मुझे पंखों पे लगी चोट की कहानी कहते हो हहराते समुद्र की, काली रात और जलते हुए पहाड़ों की और सिर्फ़ तुम्हारी वजह से मैं अपनी आत्मा की ऊँची और पथरीली सीढ़ियाँ चढ़ता हूँ पराजय, ओ मेरे पराजय मेरे शाश्वत साहस मैं और तुम अट्टहास करेंगे झंझावतों के साथ और साथ साथ ही हम कब्र खोदेंगे उनकी जो हमारे साथ और हमारे भीतर ही मृत्यु को प्राप्त होगा और सूरज के साथ खड़े होकर अपराजेय हो जाएँगे। -ख़लील जिब्रान
भावार्थ : इस कविता में कवि ने पराजय जैसे भाव के बारे में भी लिखने का प्रयास किया है। कविता के कवि जिब्रान के अनुसार, पराजय जीवन का एक हिस्सा है। हर व्यक्ति को कभी न कभी पराजय का सामना करना पड़ता ही है। कवि कहते हैं कि मानव को पराजय से भयभीत नहीं होना चाहिए, बल्कि पराजय से सीखना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। सफलता के लिए पराजय का मिलना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। यह कविता समाज में एक सकारात्मक संदेश देने का काम करती है कि पराजय हमें विनम्र बनाती है और हमें जीवन का महत्व सिखाती है।
यह भी पढ़ें : पढ़िए हिंदी की महान कविताएं, जो आपके भीतर साहस का संचार करेंगी
संबंधित आर्टिकल
आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आप Khalil Gibran Poems in Hindi पढ़ पाएंगे, ख़लील जिब्रान की कविताएं आपको खुशहाल जीवन जीने तथा आपको साहित्य की शरण में जाने के लिए प्रेरित करेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।