स्वतंत्रता दिवस एक ऐसा महत्वपूर्ण दिन है, जिस दिन देशभर में स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित गाथाओं को भिन्न-भिन्न तरीकों से गाया जाता है। इस दिन हर भारतीय अपने-अपने अंदाज में स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाता है। स्वतंत्रता दिवस उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करने का दिन है, जिनके संघर्षों की गाथाएं युवाओं को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत करती हैं। इस विशेष अवसर पर, शायरी के माध्यम से वीर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने से समाज में राष्ट्रप्रेम की भावना को और अधिक बल दिया जा सकता है। दिलों में देशभक्ति की लहर बढ़ाती स्वतंत्रता दिवस शायरी (Independence Day Shayari), समाज में राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार करेंगी।
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लोकप्रिय शायरों की इंडिपेंडेंस डे शायरी
लोकप्रिय शायरों की इंडिपेंडेंस डे शायरी के माध्यम से आप महान स्वतंत्रता सेनानियों के परम बलिदानों को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे। लोकप्रिय शायरों की इंडिपेंडेंस डे शायरी (Independence Day Shayari) कुछ इस प्रकार हैं –
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
-लाल चन्द फ़लक
भारत के ऐ सपूतों हिम्मत दिखाए जाओ
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ
-लाल चन्द फ़लक
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी
-फ़िराक़ गोरखपुरी
इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
-जावेद अख़्तर
उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आँखें
-अज्ञात
नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है
मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्ताँ से है
-ज़फ़र अली ख़ाँ
वतन के जाँ-निसार हैं वतन के काम आएँगे
हम इस ज़मीं को एक रोज़ आसमाँ बनाएँगे
-जाफ़र मलीहाबादी
दुख में सुख में हर हालत में भारत दिल का सहारा है
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से प्यारा है
-अफ़सर मेरठी
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
-बिस्मिल अज़ीमाबादी
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स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान पर शेर
स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान पर शेर इस प्रकार हैं –
अजल से वे डरें जीने को जो अच्छा समझते हैं।
मियाँ! हम चार दिन की जिन्दगी को क्या समझते हैं?
-रामप्रसाद बिस्मिल
मौत एक बार जब आना है तो डरना क्या है!
हम इसे खेल ही समझा किये मरना क्या है?
-अशफ़ाकउल्ला खां
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता हैं !
-भगत सिंह
न इंतिज़ार करो इनका ऐ अज़ा-दारो
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते
-साबिर ज़फ़र
क्या मोल लग रहा है शहीदों के ख़ून का
मरते थे जिन पे हम वो सज़ा-याब क्या हुए
-साहिर लुधियानवी
जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
-कवि प्रदीप
मर के पाया शहीद का रुत्बा
मेरी इस ज़िंदगी की उम्र दराज़
-जोश मलीहाबादी
हम शहीदों को कभी मुर्दा नहीं कहते ‘अनीस’
रिज़्क़ जन्नत में मिले शान यहाँ पर बाक़ी
-अनीस अंसारी
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा
-जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’
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देशभक्ति से ओतप्रोत करने वाली स्वतंत्रता दिवस शायरी
देशभक्ति से ओतप्रोत करने वाली स्वतंत्रता दिवस शायरी पढ़कर आप आजादी की उस भावना की अनुभूति कर पाएंगे, जिसके लिए असंख्य वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों का बलिदान किया। देशभक्ति से ओतप्रोत करने वाली स्वतंत्रता दिवस शायरी (Independence Day Shayari) कुछ इस प्रकार हैं –
मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ़्ता-सरों ने
वो क़र्ज़ उतारे हैं कि वाजिब भी नहीं थे
-इफ़्तिख़ार आरिफ़
दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो
-जाफ़र मलीहाबादी
वतन की ख़ाक ज़रा एड़ियाँ रगड़ने दे
मुझे यक़ीन है पानी यहीं से निकलेगा
-अज्ञात
वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है
मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में
-चकबस्त ब्रिज नारायण
वतन की पासबानी जान-ओ-ईमाँ से भी अफ़ज़ल है
मैं अपने मुल्क की ख़ातिर कफ़न भी साथ रखता हूँ
-अज्ञात
ख़ूँ शहीदान-ए-वतन का रंग ला कर ही रहा
आज ये जन्नत-निशाँ हिन्दोस्ताँ आज़ाद है
-अमीन सलौनवी
है मोहब्बत इस वतन से अपनी मिट्टी से हमें
इस लिए अपना करेंगे जान-ओ-तन क़ुर्बान हम
-अज्ञात
ऐ अहल-ए-वतन शाम-ओ-सहर जागते रहना
अग़्यार हैं आमादा-ए-शर जागते रहना
-जाफ़र मलीहाबादी
है मोहब्बत इस वतन से अपनी मिट्टी से हमें
इस लिए अपना करेंगे जान-ओ-तन क़ुर्बान हम
-अज्ञात
जन्नत की ज़िंदगी है जिस की फ़ज़ा में जीना
मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है
-अल्लामा इक़बाल
न पूछो हम-सफ़रो मुझ से माजरा-ए-वतन
वतन है मुझ पे फ़िदा और मैं फ़िदा-ए-वतन
-मर्दान अली खां राना
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आजाद भारत पर शायरी
आजाद भारत की तस्वीर दिखाती आजाद भारत पर शायरी इस प्रकार हैं –
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
-अल्लामा इक़बाल
तन-मन मिटाए जाओ तुम नाम-ए-क़ौमीयत पर
राह-ए-वतन पर अपनी जानें लड़ाए जाओ
-लाल चन्द फ़लक
रेज़े अल्मास के तेरे ख़स-ओ-ख़ाशाक में हैं
हड्डियाँ अपने बुज़ुर्गों की तिरी ख़ाक में हैं
-जोश मलीहाबादी
ऐ वतन आज से क्या हम तिरे शैदाई हैं
आँख जिस दिन से खुली तेरे तमन्नाई हैं
-जोश मलीहाबादी
ख़ुल्द से बेहतर इस का नज़ारा
प्यारा भारत देस हमारा
-अहमक़ फफूँदवी
फूलों का कुंज-ए-दिलकश भारत में इक बनाएँ
हुब्ब-ए-वतन के पौदे इस में नए लगाएँ
-सुरूर जहानाबादी
घटा है घनघोर रात काली फ़ज़ा में बिजली चमक रही है
मिलन का सीना उभार पर है बिरह की छाती धड़क रही है
-नज़ीर बनारसी
मेरे आज़ाद वतन तेरी बहारों को सलाम
तेरी पुर-कैफ़ फ़ज़ा तेरे नज़ारों को सलाम
-बनो ताहिरा सईद
लिख गए अपने लहू से जो वफ़ा के क़िस्से
उन शहीदों पे दरूद उन के मज़ारों को सलाम
-बनो ताहिरा सईद
वो कज-कुलाह तेरे वो सूरवीर तेरे
वो तेग़-ज़न कमाँ-कश वो क़िलअ-गीर तेरे
-तिलोकचंद महरूम
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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको स्वतंत्रता दिवस शायरी (Independence Day Shayari) पढ़ने का अवसर मिला होगा। उम्मीद है कि स्वतंत्रता दिवस शायरी आपके जीवन में राष्ट्रवाद का बीजारोपण करेंगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।