रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय – Ramakrishna Paramahansa Ka Jivan Parichay

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रामकृष्ण परमहंस

Ramakrishna Paramahansa Ka Jivan Parichay: भारत के महान संत और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस की इस वर्ष 189वीं जयंती मनाई जाएगी। बता दें कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलकर संसार में परम तत्व (परमात्मा) का ज्ञान प्राप्त करने के कारण उन्हें ‘परमहंस’ कहा जाता है। वहीं रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्यों में से एक ‘स्वामी विवेकानंद’ जी भी थे। जिन्होंने अपने गुरु ने नाम से वर्ष 1897 में ‘रामकृष्ण मिशन’ (Ramakrishna Mission) की स्थापना की और अपने गुरु के अनमोल विचारों को देश-दुनिया में फैलाया। आइए अब हम भारत के महान संत और विचारक रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय (Ramakrishna Paramahansa Ka Jivan Parichay) और उनकी शिक्षाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

मूल नाम गदाधर चट्टोपाध्याय 
जन्म 18 फरवरी, 1836 
जन्म स्थान कामारपुकुर गांव, पश्चिम बंगाल 
पिता का नाम खुदीराम चट्टोपाध्याय
माता का नाम चंद्रमणि देवी
पत्नी का नाम शारदामणि मुखोपाध्याय
गुरु का नाम तोतापुरी व योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी
शिष्य स्वामी विवेकानंद
देहावसान 16 अगस्त 1886 काशीपुर, कोलकाता 

कोलकाता के कामारपुकुर गांव में हुआ था जन्म  

भारत के महान संत और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को कोलकाता से लगभग साठ मील उत्तर पश्चिम में ‘कामारपुकुर गाँव’ में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम खुदीराम चट्टोपाध्याय और माता का नाम चंद्रमणि देवी था। बता दें कि रामकृष्ण परमहंस का मूल नाम ‘गदाधर चट्टोपाध्याय’ था और वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। 

अल्प आयु में हुआ पिता का निधन 

जब रामकृष्ण परमहंस मात्र 7 वर्ष के थे उसी दौरान उनके पिता का आकस्मिक स्वर्गवास हो गया। माना जाता है कि शुरुआती दिनों से ही उनका औपचारिक शिक्षा और सांसारिक मामलों के प्रति रुझान नहीं था। हालांकि वह  कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभाशाली बालक थे। उन्हें साधु-संतों की सेवा करने और उनके प्रवचन सुनने का शौक था। उन्हें अक्सर आध्यात्मिक मनोदशा में लीन पाया जाता था। इसके साथ ही उन्हें अल्प आयु में ही “रामायण”, “श्रीमद्भगवद्गीता”, “वेद”,उपनिषद” कण्ठस्थ हो गए थे।

परमानंद का अनुभव 

माना जाता है कि बाल्यकाल में ही उन्हें पहली बार परमानंद का अनुभव हुआ था। इसके बाद से ही उनका मन अध्यात्मिक स्वाध्याय में लगने लगा और दुनिया के प्रति वैराग्य बढ़ने लगा। जब रामकृष्ण परमहंस सोलह वर्ष के थे, तब उनके बड़े भाई ‘रामकुमार चट्टोपाध्याय’ उन्हें पुरोहित पेशे में सहायता करने के लिए कोलकाता ले गए। वर्ष 1855 में ‘रानी रासमणि’ (Rani Rashmoni) द्वारा हुगली नदी के किनारे निर्मित ‘दक्षिणेश्वर काली मंदिर’ का अनुष्ठान किया गया और रामकुमार उस मंदिर के मुख्य पुजारी बने।

किंतु कुछ वर्ष बाद ही उनके बड़े भाई की आकस्मिक मृत्यु हो गई। जिसके बाद रामकृष्ण परमहंस को मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया। वह माता काली के परम भक्त थे और उनका संपूर्ण जीवन दक्षिणेश्वर काली मंदिर में साधना करते हुए ही बीता।

23 वर्ष की आयु में हुआ विवाह 

रामकृष्ण परमहंस जब 23 वर्ष के थे उसी दौरान उनका विवाह उनके निकट के ही गांव जयरामबती की कन्या ‘शारदामणि मुखोपाध्याय’ से करा दिया गया। बता दें कि विवाह के समय शारदामणि की आयु मात्र पांच या छ: वर्ष की थी और उनके बीच 17 वर्ष का अंतर था। वहीं विवाह से अप्रभावित रामकृष्ण जी के संन्यासी बन जाने के बाद उन्होंने भी आध्यात्म का रास्ता चुन लिया और वह भी संपूर्ण जीवन ईश्वर की भक्ति में लीन रही। 

योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी से ली दीक्षा 

क्या आप जानते हैं कि रामकृष्ण परमहंस की तंत्र साधिका गुरु एक महिला थीं। जिनका नाम ‘योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी’ था। माना जाता है कि जब रामकृष्ण परमहंस 25 वर्ष की आयु के थे उस समय स्वयं योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी ने उन्हें खोज कर तंत्र विद्याओं की दीक्षा दीं थी। वहीं इसके कुछ वर्ष बाद रामकृष्ण जी ने महान योगी ‘तोतापुरी’ के मार्गदर्शन में निर्विकल्प समाधि प्राप्त की, जो हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित सर्वोच्च आध्यात्मिक अनुभव है।

स्वामी विवेकानंद थे प्रिय शिष्य 

रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्यों में से एक स्वामी विवेकानंद जी भी थे। रामकृष्ण जी के वचनों को सुनकर ही उनके जीवन को एक नई दिशा मिली और वह लोक कल्याण के मार्ग की ओर अग्रसर हुए थे। वहीं अपने गुरु की शिक्षाओं का प्रसार करने हेतु उन्होंने वर्ष 1897 में ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की थी।  

कैंसर के कारण हुआ देहावसान 

रामकृष्ण परमहंस जीवन के अंतिम वर्षों में गहन साधना में लीन रहते थे। वहीं इसी दौरान वह गले में सूजन की बीमारी से ग्रसित हो गए जो बाद में कैंसर की बीमारी रूप में सामने आई। किंतु वह इस बीमारी से तनिक भी विचलित नहीं हुए और बिना इलाज कराए केवल गहन समाधि में लीन रहते। इस कारण उनकी बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती चली गई और 16 अगस्त 1886 को 50 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी देह का त्याग कर दिया और परम समाधि को प्राप्त किया। 

रामकृष्ण परमहंस के अनमोल विचार 

यहाँ भारत के महान आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय (Ramakrishna Paramahansa Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी कुछ अनमोल विचारों के बारे में बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • परमात्मा का वास सभी इंसानों में है। लेकिन, सभी इंसानों में परमात्मा का भाव भी हो, ये जरुरी नहीं है। इसलिए व्यक्ति अपने कर्मों की वजह से दुखी है। – रामकृष्ण परमहंस
  • जब तक हमारे मन में इच्छाएं रहेगी, तब तक हमें न तो शांति मिल सकती है और ना ही ईश्वर की भक्ति जाग सकती है। – रामकृष्ण परमहंस
  • नाव पानी में ही रहती है, लेकिन कभी भी नाव में पानी नहीं होना चाहिए। ठीक इसी तरह भक्ति करने वाले लोग इस दुनिया में रहें लेकिन उनके मन में यहाँ की चीजों के लिए मोह नहीं होना चाहिए। रामकृष्ण परमहंस

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ भारत के महान संत और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय (Ramakrishna Paramahansa Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेनामवर सिंह सरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कर्पूरी ठाकुरकेएम करियप्पा नागार्जुन

FAQs 

रामकृष्ण परमहंस का जन्म कहाँ हुआ था?

रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को कोलकाता के ‘कामारपुकुर गाँव’ में हुआ था। 

रामकृष्ण परमहंस के माता-पिता का क्या नाम था?

रामकृष्ण परमहंस के पिता का नाम खुदीराम चट्टोपाध्याय और माता का नाम चंद्रमणि देवी था।

रामकृष्ण परमहंस के गुरु का क्या नाम था?

रामकृष्ण परमहंस के गुरु का नाम ‘योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी’ और ‘योगी तोतापुरी’ था। 

रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य कौन थे?

स्वामी विवेकानंद जी रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य थे।

रामकृष्ण परमहंस का देहावसान कब हुआ था?

रामकृष्ण परमहंस का 16 अगस्त 1886 को 50 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ था। 

आशा है कि आपको भारत के महान संत और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय (Ramakrishna Paramahansa Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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