Ramakrishna Paramahamsa Stories in Hindi : यहाँ पढ़िए रामकृष्ण परमहंस के जीवन की रोचक कहानियां

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Ramakrishna Paramahamsa Stories in Hindi

भारत साधु-संतों की वो तपोभूमि है जहाँ सदियों से आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अनेक महापुरुषों ने कठोर तपस्या की और विश्व को अध्यात्म, सुख-शांति और समृद्धि का मार्ग दिखाया। भारत देश में कई ऐसे महान तपस्वी ने जन्म लिया है जिनके पराक्रम और ज्ञान के प्रकाश से संसार आज भी प्रकाशित हो रहा है। भारत के महान संतों में से एक संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी थे, जिनसे प्रेरणा पाकर स्वामी विवेकानंद जी ने अपने ज्ञान का विस्तार किया और भारतीय समाज को सशक्त करने का कार्य किया। इस ब्लॉग के माध्यम से आप Ramakrishna Paramahamsa Stories in Hindi पढ़ पाएंगे।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस कौन थे?

भारत के महान संत और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को कोलकाता के उत्तर पश्चिम भाग में ‘कामारपुकुर गाँव’ में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम खुदीराम चट्टोपाध्याय और माता का नाम चंद्रमणि देवी था। रामकृष्ण परमहंस का मूल नाम ‘गदाधर चट्टोपाध्याय’ था। गदाधर चट्टोपाध्याय बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभाशाली बालक थे और उन्हें साधु-संतों की सेवा करने और उनके प्रवचन सुनने का बड़ा शौक था। इसके साथ ही उन्हें अल्प आयु में ही “रामायण”, “श्रीमद्भगवद्गीता”, “वेद”, “उपनिषद” कण्ठस्थ हो गए थे। जब 23 वर्ष के थे तब उनका विवाह ‘शारदामणि मुखोपाध्याय’ से करा दिया गया। बता दें कि विवाह के समय शारदामणि मात्र पांच या छ: वर्ष की थी। ऐसे में विवाह से अप्रभावित रामकृष्ण जी ने आध्यात्म का रास्ता चुन लिया। 

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Ramakrishna Paramahamsa Stories in Hindi 1 : गदाधर के रामकृष्ण परमहंस बनने की शुरुआत

गदाधर चट्टोपाध्याय, जिन्हें हम रामकृष्ण परमहंस के नाम से जानते हैं, का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर गांव में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका बचपन गरीबी में बीता, लेकिन वे बचपन से ही ईश्वर भक्ति के प्रति लीन थे। बता दें कि गदाधर के रामकृष्ण परमहंस बनने की शुरुआत उनके बचपन की भक्ति से हुई थी। इसके पीछे एक आलौकिक कहानी बताई जाती है। बता दें कि गदाधर को रामकृष्ण परमहंस का नाम तोतापुरी ने दिया था। “रामकृष्ण” ,जो भगवान राम और कृष्ण का संयोजन है, और “परमहंस”, “उच्चतम आत्मा” का प्रतीक है। तोतपुरी ने गदाधर को रामकृष्ण नाम इसलिए दिया क्योंकि वे गदाधर में भगवान राम और भगवान कृष्ण दोनों के गुणों को देखते थे।

Ramakrishna Paramahamsa Stories in Hindi 2 : माँ काली को भोजन खिलाना

स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अपना ज्यादातर जीवन एक परम भक्त की तरह बिताया। वह माँ काली के अनन्य भक्त थे। उनके लिए काली कोई देवी नहीं थीं बल्कि उनकी माँ थी जो उनके सामने नाचती थीं, उनके हाथों से खाती थीं और उनके बुलाने पर आती थीं। रामकृष्ण परमहंस अपने हाथों से उन्हें भोजन कराते थे और उनके साथ खेलते-घूमते थे। वह माँ काली को भोजन खिलाने के बाद ही वह भोजन स्वयं ग्रहण करते थे। एक बार की बात है जब रामकृष्ण परमहंस दक्षिणेश्वर काली मंदिर में माँ काली की मूर्ति के सामने बैठे थे। वह माँ काली को भोग लगा ही रहे थे कि उन्हें एक भिखारी दिख गया। भिखारी बहुत भूखा था और उसने रामकृष्ण परमहंस से भोजन मांगा। रामकृष्ण परमहंस ने भिखारी को अपने पास बुलाकर भोजन दे दिया। भिखारी ने भोजन ग्रहण करने के बाद रामकृष्ण को आशीर्वाद दिया। इस पर स्वामी रामकृष्ण ने भिखारी से कहा, “तुम्हें माँ काली का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। तुम्हारा जीवन सुखी और समृद्ध होगा।” यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। जो दूसरों की मदद करते हैं माँ काली उन्हें आशीर्वाद देती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। 

Ramakrishna Paramahamsa Stories in Hindi 3 : कैंसर और माँ काली 

रामकृष्ण परमहंस के जीवन के आखिरी चरण में उन्हें गले का कैंसर हो गया था। जिसके कारण वे खाना भी नहीं खा पाते थे। लेकिन इन सब के वावजूद भी वह काली माँ का ध्यान जरूर करते थे। उनके सभी भक्त उन्हें अक्सर कहते थे कि वह माँ काली से उनकी बिमारी ठीक करने के लिए क्यों नहीं कहते। लेकिन रामकृष्ण परमहंस भक्तों नादानी पर बस मुस्कुरा देते थे और कहते थे इस शरीर के घाव मेरे लिए कोई महत्व नहीं रखते हैं। लेकिन एक दिन उन्होंने अपने प्रिय शिष्य, विवेकानंद की बात मान ली और कहा ठीक है! आज मैं मां काली को अपनी समस्या बताऊंगा। ऐसे में जब उन्होंने माँ काली से कहा की वो कैंसर के कारण खाना भी नहीं खा पाते हैं, तो माँ काली बोली, तुम दुनिया के तमाम प्राणियों के मुखों को अपना मुख बनाकर भोजन क्यों नहीं करते। यही तो प्रकृति के साथ एकाकार होना है। इस तरह यह कहानी हमे यह सिखाती है कि भक्ति और आत्मविश्वास कठिन समय में भी हमें शक्ति प्रदान करते हैं।

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रामकृष्ण परमहंस के अनमोल विचार

रामकृष्ण परमहंस के अनमोल विचार निम्नलिखित हैं-

  • “ज्ञान ऐकता की ओर ले जाता है जबकि अज्ञान बिखराव लाता है।”
  • “बारिश का पानी ऊंचाई पर नहीं ठहरता और ढलान पर बहकर नीचे जाता है। ऐसे ही ज्ञान भी घमंड में ऊंचे उठे सिर में नहीं ठहरता।”
  • “जो व्यक्ति दूसरों की बिना किसी भी स्वार्थपूर्ण उद्देश्य से मदद करता है, वह असल में खुद के लिए अच्छे का निर्माण कर रहा होता है।”
  • “अगर किसी सफेद कपड़े में छोटा सा भी दाग लग जाए, तो वह दाग देखने में बहुत बुरा लगता है। ठीक इसी तरह किसी साधु का छोटे से छोटा दोष भी बहुत बड़ा प्रतीत होता है।”
  • “यह मन ही है जो मनुष्य को बुद्धिमान या अज्ञानी, गुलाम या आज़ाद बनाता है।”
  • “जो पक्के दृढ़ विश्वास से कहता है ‘मैं बंधा हुआ नहीं हूं, मैं मुक्त हूं’ वह मुक्त हो जाता है। वह मूर्ख है जो हमेशा रटता रहता है ‘मैं बंधन में हूं, मैं बंधा हुआ हूँ’ वह हमेशा वैसा ही रह जाता है।”
  • “ठीक ऐसी ही जो बार-बार दिन और रात ये रटता रहता है, ‘मैं पापी हूँ, मैं पापी हूँ,’ वह वाकई पापी ही बन जाता है।”
  • “जिस प्रकार हवा हमेशा बहती रहती है, उसी तरह ईश्वर की कृपा भी हमेशा बरसती रहती है। बस, हमें अपनी नाव की पाल उठानी है और उसकी दिशा में जाना है।”
  • “ईश्वर को प्यार करने वाला भक्त किसी जाति का नहीं हो सकता है। क्योंकि भगवान किसी धर्म-जाति में विश्वास नहीं रखते, भगवान को केवल सच्चे मन से याद करना चाहिए।”
  • “मन की परिभाषा को बताते हुए परमहंस जी ने बताया है कि मन वो होता है जो किसी को बुद्धिमान, किसी को अज्ञानी और किसी को मुक्ति देता है।”

FAQs

रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य कौन थे?

स्वामी विवेकानंद जी रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य थे।

रामकृष्ण परमहंस के माता-पिता का क्या नाम था?

रामकृष्ण परमहंस के पिता का नाम खुदीराम चट्टोपाध्याय और माता का नाम चंद्रमणि देवी था।

रामकृष्ण परमहंस के गुरु का क्या नाम था?

रामकृष्ण परमहंस के गुरु का नाम ‘योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी’ और ‘योगी तोतापुरी’ था। 

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Ramakrishna Paramahamsa Stories in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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