गुलज़ार साहब एक प्रमुख भारतीय कवि, गीतकार, और फ़िल्म निर्देशक हैं। उनका जन्म 18 अगस्त 1936 को पाकिस्तान के डेरा गाज़ी ख़ान में हुआ था। गुलज़ार साहब अपनी अद्वितीय लेखनी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए कई यादगार गाने लिखे हैं और कई फ़िल्मों का निर्देशन भी किया है। उनकी कविताओं और गीतों में अक्सर प्यार, दुख और जीवन की जटिलताओं की भावनात्मक छवियाँ होती हैं। गुलज़ार की शायरी (Hindi Shayari by Gulzar) लोगों में लोकप्रिय हैं, जो अलग-अलग भावनाओं पर लिखी गई हैं। इसलिए इस ब्लॉग में गुलज़ार की शायरी दी गई हैं।
This Blog Includes:
- कौन थे गुलज़ार साहब?
- Gulzar Shayari in Hindi : लोकप्रिय गुलज़ार साहब की शायरियां
- Motivational Hindi Shayari by Gulzar : गुलज़ार की प्रेरणादायक शायरियां
- Hindi Shayari by Gulzar : गुलज़ार के अनमोल विचार
- 2 लाइन में जिंदगी पर गुलज़ार की शायरी
- गुलजार की दर्द भरी शायरियां
- दोस्ती पर गुलज़ार की शायरियां
- गुलज़ार की अन्य उम्दा शायरियां
- FAQs
कौन थे गुलज़ार साहब?
गुलज़ार साहब हिंदी सिनेमा के एक प्रमुख गीतकार, पटकथा लेखक और कवि हैं। उनका असली नाम सदीक हुसैन खान था। 1936 में पंजाब के दीना, जो अब पाकिस्तान में है, में जन्मे गुलज़ार का साहित्यिक नाम ‘गुलज़ार’ उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को दर्शाता है।
गुलज़ार साहब की रचनाएँ आमतौर पर भावनात्मक गहराई और सौंदर्य से भरी होती हैं। वे अपने गीतों और कविताओं में हिंदी और उर्दू की मिठास को एक अद्वितीय ढंग से प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कई हिट गीत लिखे हैं, जैसे ‘मेरा बांगला प्यारा’, तू कहाँ है’ और ‘चप्पा चप्पा चरखा चले’
गुलज़ार ने न केवल गीत लिखे बल्कि कई फिल्मों के लिए पटकथा और संवाद भी लिखे हैं। उनकी पटकथाएँ और संवाद अक्सर सामाजिक और मानसिक पहलुओं को छूते हैं। उन्होंने ‘आंधी, ‘माचिस’ और ‘कल हो ना हो’ जैसी फिल्मों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उनकी रचनात्मकता और लेखन के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार शामिल हैं। गुलज़ार साहब की भाषा, शैली और विषयवस्तु के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें एक विशेष स्थान दिलाती है और उनकी रचनाएँ हिंदी सिनेमा और साहित्य के लिए अमूल्य धरोहर हैं।
Gulzar Shayari in Hindi : लोकप्रिय गुलज़ार साहब की शायरियां
लोकप्रिय गुलज़ार साहब की शायरियां (Hindi Shayari by Gulzar) यहाँ दी गई हैं :
हम समझदार भी इतने हैं के
उनका झूठ पकड़ लेते हैं
और उनके दीवाने भी इतने के फिर भी
यकीन कर लेते है
दौलत नहीं शोहरत नहीं,न वाह चाहिए
“कैसे हो?” बस दो लफ़्जों की परवाह चाहिए
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है
कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ से लगाई है
मीठा सा गम मीठी सी तन्हाई है।
मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने
चल मैं बेवफा ही सही
तू अपनी वफ़ा साबित कर।
पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हमने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।।
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हमने एक बार किया।।।
मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।।
टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,
में फिर से निखर जाना चाहता हूँ।
मानता हूँ मुश्किल हैं,
लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।।
सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की,
मुस्कुराए भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया।।
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Motivational Hindi Shayari by Gulzar : गुलज़ार की प्रेरणादायक शायरियां
गुलज़ार की प्रेरणादायक शायरियां यहाँ दी गई है :
किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।
आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।।
दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।
उधड़ी सी किसी फिल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो गमगीन थी बारिश।
कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश।।
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।।
बीच आसमां में था बात करते- करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।।
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
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तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं
अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं
इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
थोड़ा सा रफू करके देखिए ना
फिर से नई सी लगेगी
जिंदगी ही तो है
मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए
तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं
जो मैं हूं
बहुत छाले हैं उसके पैरों में
कमबख्त उसूलों पर चला होगा
सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है
मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं
घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके
लोग कहते है की
खुश रहो
मगर मजाल है
की रहने दे
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हमको पुकारता है कोई.
कल का हर वाक़िया था तुम्हारा,
आज की दास्ताँ है हमारी
अपने साये से चौंक जाते हैं,
उम्र गुजरी है इस क़दर तनहा.
मिलता तो बहुत कुछ है
ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की
करते है जो हासिल न हो सका
सहम सी गयी है ख्वाइशें
ज़रूरतों ने शायद उन से
ऊँची आवाज़ में बात की होगी
गुलाम थे तो
हम सब हिंदुस्तानी थे
आज़ादी ने हमें
हिन्दू मुसलमान बना दिया
Hindi Shayari by Gulzar : गुलज़ार के अनमोल विचार
गुलज़ार के अनमोल विचार यहाँ दिए गए हैं :
गए थे सोचकर की बात
बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी
तरक्की सुनाने लगे
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों 1000 से होती है
वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए
बहुत मुश्किल से करता हूं
तेरी यादों का कारोबार मुनाफा कम है
पर गुज़ारा हो ही जाता है
यूं तो ऐ जिंदगी तेरे सफर से
शिकायते बहुत थी
मगर दर्द जब दर्ज करने पहुंचे
तो कतारें बहुत थी
खुद की कीमत गिर जाती है
किसी को कीमती बनाने की
चाह में!
बदल दिए है अब
हमने नाराज होने के तरीके,
रूठने के बजाय बस हल्के से
मुस्कुरा देते है।
कौन कहता है
हम झूठ नहीं बोलते
एक बार खैरियत
पूछ कर तो देखो
जिंदगी ये तेरी खरोंचे है मुझ पर
या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है…
तस्वीरें लेना भी जरूरी है जिंदगी में साहब
आईने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते
एक ना एक दिन हासिल कर ही लूंगा मंजिल..
ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खा कर मर जाऊंगा।
खुदकुशी हराम है साहब,
मेरी मानो तो इश्क़ कर लो
सलीका अदब का तो बरकरार रखिए जनाब,
रंजिशे अपनी जगह है सलाम अपनी जगह।।
इतने बेवफा नहीं है की तुम्हें भूल जाएंगे,
अक्सर चुप रहने वाले प्यार बहुत करते हैं।।
तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे ,
जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है।।
मेरी किस्मत में नहीं था तमाशा करना,
बहुत कुछ जानते थे मगर ख़ामोश रहे।।
मुहब्बत लिबास नहीं जो हर रोज बदल जाए
मोहब्बत कफन है जो पहन कर उतारा नहीं जाता।।
इतनी सी ज़िन्दगी है पर ख्वाब बहुत है
जुर्म तो पता नहीं साहब पर इल्जाम बहुत है।।
नहीं करता मैं तेरी ज़िक्र किसी तीसरे से
तेरे बारे में बात सिर्फ़ ख़ुदा से होती है ।।
जो चाहे हो जाए वह दर्द कैसा और
जो दर्द को महसूस ना कर सके वो हमदर्द कैसा
उसने एक ही बार कहा दोस्त हूं
फिर मैंने कभी नहीं कहा व्यस्त हूं।।
शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये।
रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,
दिन की चादर अभी उतारी है।
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई
शिकवा तो नहीं
तेरे बिना पर ज़िन्दगी भी लेकिन
ज़िन्दगी तो नहीं
उम्र जाया कर दी लोगो ने
औरों में नुक्स निकालते निकालते
इतना खुद को तराशा होता
तो फरिश्ते बन जाते
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
2 लाइन में जिंदगी पर गुलज़ार की शायरी
2 लाइन में जिंदगी पर गुलज़ार की शायरी कुछ इस प्रकार है :
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।
एक सो सोलह चाँद की रातें ,
एक तुम्हारे कंधे का तिल।
गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,
सब याद करादो, सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।।
मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।।
लकीरें हैं तो रहने दो,
किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी,
उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।।
“एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।”
ज़रा ये धुप ढल जाए ,तो हाल पूछेंगे ,
यहाँ कुछ साये , खुद को खुदा बताते हैं।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आयी थी और चाँद भी था , हाँ मगर नींद नहीं।
सेहमा सेहमा डरा सा रहता है
जाने क्यों जी भरा सा रहता है।
चांदी उगने लगी है बालों में , के उम्र तुम पर हसीन लगती है !
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।
और खामोश हो जाऊं माना कि मौसम भी बदलते हैं मगर धीरे-धीरे तेरे बदलने की रफ्तार से हवाएं भी हैरान है
ज़िन्दगी सूखी हुई नहीं बस थोड़ी सी प्यासी है, इसमें रस लाना है तो दरियादिल बन कर तो देखो।
ज़िन्दगी का हर पल कुछ ऐसा रहे की मर कर भी अमर रहे।
थक कर बहुत सो चुके हो अब हर दिन हँस कर जागना शुरू कर दो।
ज़िन्दगी गुलज़ार है इसलिए यहाँ ग़मों को बांटना बेकार है।
ज़िन्दगी और जुबां तब तक शांत रहती जब तक सब कुछ बेहतर रहता है।
परायों से जीतने में इतनी ख़ुशी नहीं मिलती जितनी कभी-कभी अपनों से हार कर मिल जाती है।
ज्यादा वो नहीं जीता जो ज्यादा सालों तक ज़िंदा रहता है, बल्कि ज़्यादा वो जीता है जो ख़ुशी से जीता है।
दूर से सबको दूसरों की ज़िन्दगी अच्छी लगती है पर अगर सब नज़दीक से अपनी ज़िन्दगी देखेंगे तो सबको अपनी ज़िन्दगी अच्छी लगने लगेगी।
शायर बनना बहुत आसान हैं,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
गुलजार की दर्द भरी शायरियां
गुलजार की दर्द भरी शायरी पढ़कर आप एक शायर के अंर्तमन की पीड़ाओं को जान पाएंगे, गुलजार की दर्द भरी शायरी निम्नलिखित हैं;
एक सुकून सा मिलता है तुझे सोचने से भी,
फिर कैसे कह दूँ मेरा इश्क़ बेवजह सा है ।।
अजीब सी दुनिया है यह साहब,
यहां लोग मिलते कम एक दूसरे में झांकते ज्यादा है।।
जिसे पा नहीं सकते जरूरी नहीं ,
कि उसे प्यार करना भी छोड़ दिया जाए।।
तेरे बगैर किसी और को देखा नहीं मैंने,
सूख गया वो तेरा गुलाब लेकिन फेंका नहीं मैंने।।
पहले लगता था तुम ही दुनिया हो,
अब लगता है तुम भी दुनिया हो।।
तो कभी हुआ नहीं,
गले भी लगे और छुआ नहीं।।
जरा ठहरो तो नजर भर देखु,
ज़मीं पे चांद कहां रोज-रोज उतरता है।।
आंसू बहाने से कोई अपना नहीं होता ,
जो अपना होता है वो रोने ही कहां देता है।।
एक बार फिर इश्क़ करेंगे हम,
अभी सिर्फ भरोसा उठा है जनाजा नहीं।।
मुझे खौफ कहां मौत का,
मैं तो जिंदगी से डर गया हूं।।
दोस्ती पर गुलज़ार की शायरियां
दोस्ती पर गुलज़ार की शायरियां पढ़कर आप इन्हें अपने अच्छे दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं, दोस्ती पर गुलज़ार की शायरियां कुछ इस प्रकार हैं :
बेवजह है तभी तो दोस्ती है… वजह होती तो साजिश होती…!!!
दुश्मनी में भी दोस्ती का सिला रहने दिया उसके सारे खत जलाये बस पता रहने दिया
दोस्तों के नाम का एक ख़त जेब में रख कर क्या चला ..! क़रीब से गुज़रने वाले पूछते इत्र का नाम क्या है…!!
गये थे सोचकर कि बात बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी तरक्क़ी सुनाने लगे….
सोचता हूँ दोस्तों पर मुकदमा कर दूँ, इसी बहाने तारीखों पर मुलाक़ात तो होगी..!!!
दोस्ती और मोहब्बत में फर्क सिर्फ इतना है बरसों बाद मिलने पर मोहब्बत नजर चुरा लेती और दोस्ती सीने से लगा लेती है
मैंने जिंदगी में दोस्त नहीं ढूँढे, मैंने एक दोस्त में जिंदगी ढूँढी है
कुछ रिश्तो में मुनाफा नहीं होता पर ज़िन्दगी को अमीर बना देते है
दौलत नहीं, शोहरत नहीं, न वाह वाह चाहिए, कैसे हो..? बस दो लफ्ज़ों की परवाह चाहिए !
कब आ रहे हो मुलाकात के लिए मैंने चांद टोका है एक रात के लिए
जिंदगी छोटी नहीं होती है, लोग जीना ही देरी से शुरू करते हैं
ये दोस्ती का गणित है साहब यहां दो में से एक गया तो कुछ नहीं बचता..
आज़माना अपनी यारी को पतझड़ में मेरे दोस्त सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है..
फिर वहीं लौट के जाना होगा यार ने कैसी रिहाई दी है
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ किसी की आँख में हम को भी इंतजार दिखे
गुलज़ार की अन्य उम्दा शायरियां
गुलज़ार की अन्य उम्दा शायरियां (Hindi Shayri by Gulzar) यहाँ दी गई हैं :
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?
सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो!
FAQs
गुलज़ार का असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है।
गुलज़ार को पद्म भूषण से 2004 में सम्मानित किया गया था।
गुलज़ार के माता-पिता का नाम मक्खन सिंह कालरा और सूजन कौर है।
गुलज़ार भारत के जाने-माने कवि, गीतकार, लेखक, पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक हैं।
सम्पूर्ण सिंह कालरा से गुलज़ार नाम ऐसा पड़ा क्योंकि जब शायरी लिखना शुरू की तो अपना तख़ल्लुस/उपनाम “गुलज़ार” दीनवी रख लिया।
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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Hindi Shayari by Gulzar पढ़ने का अवसर मिला होगा। ऐसे ही शायरी से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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Very nice 👍
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धन्यवाद
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Beautiful blog of gulzar
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10 comments
𝑽𝒆𝒓𝒚 𝒗𝒆𝒓𝒚 𝒈𝒐𝒐𝒅 𝒒𝒖𝒐𝒕𝒆𝒔
अनिल जी आपका शुक्रिया।
very nice
आपका धन्यवाद
bahut achha post
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