लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपने अविस्मरणीय योगदान से भारत को अखंडता और एकता सूत्र में रहने का मंत्र दिया। सरदार पटेल ने आधुनिक भारत के लिए आचार्य चाणक्य की भांति अपनी भूमिका को निभाया है। सरदार पटेल का जीवन परिचय युगों-युगों तक युवाओं को प्रेरित कराता रहेगा। इस ब्लॉग में आप ‘भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान बताइए’ के प्रश्न का सही उत्तर प्राप्त कर पाएंगे, जो आप में राष्ट्रवाद का संचार करने का प्रयास करेंगे। यह ब्लॉग आपको भारत की अखंडता और एकता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के अहम योगदान के बारे में बताएगा, जिसके लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
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भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान बताइए?
भारत को अखंड बनाए रखने के लिए लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने, स्वतंत्रत भारत की हर छोटी-बड़ी रियासत को, एकता सूत्र में बांधने का काम किया। सरदार पटेल जी ने लगभग 562 रियासतों का भारत में विलय करके, भारत के एकीकरण में मुख्य योगदान दिया। भारतीयों में भारतीय सनातन पहचान के लिए सरदार पटेल जी ने सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जो राष्ट्रीय को राष्ट्र की मूल पहचान से एकीकृत कराने के लिए महत्वपूर्ण था। विभाजन के समय भी सरदार पटेल की दृढ़ इच्छा शक्ति का ही असर था कि सरदार पटेल ने विभाजन के समय भी प्रखरता से अपना पक्ष रखा।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को आप निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं;
- वर्ष 1917 में खेड़ा सत्याग्रह में सरदार पटेल ने सत्याग्रह को संगठित और नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सत्याग्रह में सरदार पटेल ने महात्मा गांधी को सक्रिय रूप से समर्थन और सहायता प्रदान की थी।
- वर्ष 1920-22 में सरदार पटेल ने असहयोग आंदोलन में सक्रीय रूप से भाग लिया। कई ऐतिहासिक दस्तावेजों को देखें तो पता चलता है कि इसी दौरान सरदार पटेल ने लगभग 300,000 सदस्यों को इस आंदोलन में जुड़ने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही इसी दौरान उन्होंने आर्थिक और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में खादी के उपयोग के प्रति समाज को जागरूक किया।
- वर्ष 1928 में सरदार पटेल ने बारडोली सत्याग्रह में प्रतिभाग करके अंग्रेजों द्वारा लगाए गए भूमि करों का घोर विरोध किया और समाज की चेतना को जगाने का प्रयास किया, जिसके बाद उन्हें उनका लोकप्रिय उपनाम ‘सरदार’ मिला।
- वर्ष 1931 में सरदार पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 46वें सत्र (कराची सत्र) की अध्यक्षता भी की थी, जहाँ मौलिक अधिकारों के प्रस्ताव को पारित किया गया था।
- वर्ष 1930-34 में सरदार पटेल ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में अपना अहम योगदान दिया, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में एक नई जान फूंक दी थी।
भारत की अखंडता में सरदार पटेल का योगदान
भारत की अखंडता में सरदार पटेल का योगदान भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि उनके अथक प्रयासों से ही भारत एक अखंड राष्ट्र बन पाया। भारत की अखंडता में उनके महत्वपूर्ण योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है;
- वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिल जाने पर भारत का विभाजन और रियासतों की स्थिति पर सरदार पटेल ने अपनी पैनी नजर रखी, जिसके बाद भारत को एकीकृत और संगठित करके सुरक्षा और संप्रभुता की दृष्टि से सशक्त किया जा सका।
- सरदार पटेल ने आजादी के बाद रियासतों को भारत में सम्मिलित करने के लिए राजाओं और नवाबों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। उनके अथक प्रयासों ने ‘विलय पत्र’ (Instrument of Accession) के माध्यम से राजाओं को यह समझाया कि भारत में शामिल होना उनके और उनकी प्रजा के हित में है।
- सरदार पटेल ने हैदराबाद के भारत में विलय में एक मुख्य भूमिका निभाई, इसके साथ ही उन्होंने जूनागढ़ और कश्मीर का एकीकरण भारत को एक राष्ट्र-श्रेष्ठ राष्ट्र बनाया।
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FAQs
भारत के एकीकरण में सरदार पटेल ने भारतीय उपमहाद्वीप के 562 से अधिक रियासतों का भारत में विलय किया, जिसके बाद भारतीय संघ की स्थापना हुई और भारत को एक अखंड राष्ट्र बनाया जा सका।
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को नडियाद, गुजरात में हुई थी।
विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति भारत के गुजरात राज्य के नर्मदा नदी के तट पर स्तिथ है, जिसे स्टेचू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है।
सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि महात्मा गांधी ने नीतिगत दृढ़ता के लिए दी थी।
आशा है कि आपको ‘भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान बताइए’ पर आधारित यह ब्लाॅग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी तरह के अन्य जनरल नॉलेज के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।