स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले असंख्य स्वतंत्रता सेनानी रहे, जिनमें से एक सरदार पटेल भी थे। भारत को अखंड और स्वतंत्र बनाने के लिए यूँ तो अनेकों बलिदान हुए, जिन्होंने राष्ट्रहित हेतु अपना जीवन समर्पित किया। उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी भी थे, सरदार पटेल के ही अथक प्रयासों का परिणाम था कि भारतीय संघ में, भारत की सभी रियासतों का सफलता पूर्वक विलय हुआ। इस विलय ने भारत को एक राष्ट्र के रूप में सशक्त और समृद्ध बनाया। सरदार पटेल जी ने अपनी अंतिम सांस तक राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा। इस पोस्ट के माध्यम से आप सरदार पटेल की मृत्यु कैसे हुई, के बारे में जान पाएंगे।
सरदार पटेल की मृत्यु कैसे हुई?
सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने जितना योगदान भारत की स्वतंत्रता के लिए दिया, उससे कहीं ज्यादा उन्होंने स्वतंत्र भारत को अखंड बनाने के लिए अपना अहम योगदान दिया। सरदार पटेल ने स्वतंत्रत भारत की छोटी-बड़ी रियासतों में लगभग 562 रियासतों को एकता सूत्र में बांधने का काम किया।
15 दिसंबर 1950, की सुबह तीन बजे सरदार पटेल को दिल का दौरा पड़ा और वो बेहोश हो गए। सरदार पटेल की ऐसी स्तिथि देख देश में भय का माहौल बना, लगभग चार घंटों बाद पटेल जी को थोड़ा होश आया, जिसमें पानी मांगे जाने पर मणिबेन ने उन्हें गंगा जल में शहद मिलाकर पिलाया। उसी रात 9 बजकर 37 मिनट पर सरदार पटेल ने अपने जीवन की अंतिम सांस ली, इस खबर से देश में शोक की लहर दौड़ गई और सदी के महान नेता, भारत माता के लाल सरदार पटेल पंचतत्व में विलीन हुए।
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FAQs
सरदार पटेल की मृत्यु 15 दिसंबर 1950 को हुई।
सरदार पटेल की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
आधुनिक भारत को अखंड करने की मुख्य भूमिका में लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी थे।
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