Antyodaya Diwas – हर साल 25 सितंबर को क्यों मनाया जाता है अंत्योदय दिवस? जानें इसका इतिहास

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हर साल पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती मनाने और उनके जीवन को याद करने के लिए 25 सितंबर को भारत में अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। 2014 में प्रधानमंत्री नरद्र मोदी ने इस दिन को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सम्मान में समर्पित किया था। पंडित दीन दयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति और समाज के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रहे हैं, जिन्होंने समाज के सबसे कमजोर और पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित की। इस दिन को मनाते समय, देश भर में विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जिनका उद्देश्य पंडित दीन दयाल उपाध्याय की सोच और उनके द्वारा स्थापित किए गए सामाजिक सिद्धांतों को पुनः सजीव करना है। इस दिवस के बारे में अधिक जानने के लिए यह ब्लॉग पूरा पढ़ें।

अंत्योदय दिवस क्या है?

भारत में हर साल 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। यह दिन 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वह पत्रकार, अर्थशास्त्री, दार्शनिक और राजनीतिक कार्यकर्ता थे। वह भाजपा के प्रमुख विचारक थे। अंत्योदय शब्द का अर्थ है गरीब व्यक्ति का विकास। यह दिन समाज के सबसे कमजोर लोगों के उत्थान के लिए मनाया जाता है। गरीबी उन्मूलन और अंतिम व्यक्ति को गरीबी से मुक्ति दिलाने के लिए भारत हर साल 25 सितंबर को यह दिन मनाता है।

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अंत्योदय दिवस का इतिहास क्या है?

Antyodaya Diwas का इतिहास इस प्रकार हैः

  • अंत्योदय दिवस 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 
  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा में हुआ था।
  • 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती मनाने के लिए इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में नियुक्त किया था। 
  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु 1968 में मुगलसराय जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास हुई। बाद में 2018 में यूपी सरकार द्वारा रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन” कर दिया गया।
  • 2014 में इसी दिन ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने मौजूदा कौशल विकास कार्यक्रम- आजीविका कौशल- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) को फिर से शुरू किया और इस कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘दीनदयाल’ रख दिया।

पहली बार अंत्योदय दिवस कब मनाया गया?

अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) 25 सितंबर 2014 को घोषित किया गया था और ऑफिशियली इसे 2015 से मनाया जा रहा है। इंडियन गवर्मेंट की ओर से 25 सितंबर, 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती के अवसर पर ‘अंत्योदय दिवस’ का अनाउंसमेंट किया गया था।

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पहली बार अंत्योदय दिवस कहां मनाया गया?

भारत में हर वर्ष अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। भारत में पहली बार अंत्योदय दिवस 2014 में पूरे देश में मनाया गया और जगह-जगह कार्यक्रम हुए थे। भारतीय राजनीति के इतिहास में प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती को हर वर्ष अंत्योदय दिवस पर याद किया जाता है और उनकी प्रेरणा से आगे बढ़ने के लिए जागरूक किया जाता है।

अंत्योदय दिवस के जनक कौन थे?

Antyodaya Diwas की अलख देश नहीं बल्कि अन्य देशों तक पहुंची और देश से लेकर विदेश तक दीनदयाल उपाध्याय की पहचान अंत्योदय के जनक के रूप में है। उन्होंने गरीब, दलित और विकास की से वंचित लोगों के जीवन स्तर को सुधारने, समाज से छुआ-छूत मिटाने की दिशा में काम किया। 2014 में उनकी जयंती पर अंत्योदय दिवस मनाया गया।

अंत्योदय दिवस क्यों मनाते हैं?

भारत ही नहीं बल्कि किसी भी देश में आयोजनों और दिवस का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां हम अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) क्यों मनाते हैं के बारे में जानेंगेः

  • भारत में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाने के लिए और उन्हें सम्मान देने के लिए 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस मनाया जाता है।
  • इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय कौशल विकास कार्यक्रमों- ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के लाभार्थियों को भी सम्मानित करता है।
  • अंत्योदय मिशन की भावना ‘अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने’ में निहित है और इसलिए इस दिन का आदर्श वाक्य भारत के सभी पात्र ग्रामीण युवाओं की मदद करना है।
  • भारत के ग्रामीण युवाओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रोजगार के अवसर प्रदान करना है।

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अंत्योदय दिवस के उद्देश्य क्या हैं?

अंत्योदय दिवस के उद्देश्य इस प्रकार दिए जा रहे हैंः

  • अंत्योदय दिवस युवा कौशल विकास कार्यक्रमों को विकसित करने के लिए मनाया जाता है।
  • 2018 में सरकार ने लोगों को गरीब लोगों और समाज के सबसे कमजोर वर्ग की सुरक्षा और विचार की आवश्यकता के बारे में बताने के लिए संगोष्ठी, रक्तदान शिविर, कार्यक्रम और अभिविन्यास गतिविधियां समर्पित कीं। 
  • अंत्योदय दिवस पर कमजोर वर्ग के लोगों के लिए नई योजनाएं चलाई जाती हैं।
  • सरकार उन लोगों को बढ़ावा देने के लिए देश भर में कई गतिविधियों का आयोजन करती है जिनके पास आवश्यकताओं की कमी है।
  • इसका उद्देश्य भारत के गरीब और पिछड़े लोगों के डेवलपमेंट की ओर ध्यान देना है।
  • इस दिन समाज और राजनीति में पंडित दीन दयाल उपाध्याय के योगदान के लिए याद करने के लिए भी मनाया जाता है।

अंत्योदय दिवस से जुड़े रोचक तथ्य

अंत्योदय दिवस से जुड़े रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः

  • अंत्योदय दिवस पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें नमन करने और सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
  • 1972 में मानववाद के दर्शन को मान्य करने के लिए दीन दयाल अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई थी।
  • 2020 में एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल सेंटर का उद्घाटन किया गया और उपाध्याय की 63 फुट की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सम्मान में दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना, ग्राम ज्योति योजना और दीन दयाल अंत्योदय उपचार योजना जैसे कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
  • दीन दयाल के नाम पर एक इनडोर स्टेडियम, पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी, अस्पताल और पुरातत्व संस्थान भी खोला गया है।
  • दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद’ के दार्शनिक विचार को 1965 में जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक सिद्धांत के रूप में अपनाया गया था।
  • अंत्योदय दिवस पूरे देश में मनाया जाता है और यह दिन देश के कम-विशेषाधिकार प्राप्त नागरिकों तक पहुंचने के लिए समर्पित है। 
  • अंत्योदय दिवस पर कई सेमिनार, दान शिविर और संगोष्ठियां आयोजित की जाती हैं।

FAQs

अंत्योदय दिवस कब मनाया जाता है?

भारत में 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंत्योदय दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?

भारत के राजनीतिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण भारतीय नेताओं में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की याद में अंत्योदय दिवस मनाया जाता है।

अंत्योदय का क्या अर्थ है?

अंत्योदय शब्द का अर्थ है “गरीबों में से सबसे गरीब, समाज के सबसे कमजोर सदस्यों का उत्थान करना।”

दीनदयाल अंत्योदय योजना की शुरुआत कब हुई?

दीनदयाल अंत्योदय योजना की शुरुआत 25 सितंबर 2014 से हुई थी।

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