इंडियन साइंटिस्ट जिन्होंने दुनिया बदल दी

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इंंडियन साइंटिस्ट

प्राचीन समय से लेकर आज तक भारत हमेशा ही वैज्ञानिक रूप से उन्नत रहा है। इसका प्रमाण विभिन्न ऐतिहासिक भारतीय ग्रंथों में पाया जा सकता है। विज्ञान हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है। चाहे वह छोटा  लाइट बल्ब हो या फिर बड़ी मशीनें, हमारे चारों ओर सब कुछ वैज्ञानिक आविष्कारों (Inventions)  का परिणाम है। क्या आप जानते हैं कि इनमें से कई वैज्ञानिक खोजें इंडियन साइंटिस्ट के दिमाग की उपज हैं? इंंडियन साइंटिस्ट का यह एक खास ब्लॉग है जो आपको अब तक के महानतम वैज्ञानिकों की जिंदगी के बारे में बताएगा।

“प्रत्येक व्यक्ति केवल उसी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है और उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है, जिसे वह प्यार करता है, जिस पर वह वैसा भरोसा करता है, जैसा कि मैं करता हूं। उसका यह भरोसा ही दरअसल उससे कहता है कि ये ही करने के लिए उसका जन्म हुआ है और इसे करना ही उसकी नियति है।” – होमी जे भाभा 

Check out: सर्वकालिक महान शख्सितयतें    

प्राचीन भारत के वैज्ञानिक

  • आर्यभट
  • भास्कर प्रथम
  • सुश्रुत
  • चरक
  • हलायुध
  • नागार्जुन
  • कपिल
  • वराहमिहिर

आधुनिक भारत के वैज्ञानिक

  • ए पी जे अब्दुल कलाम
  • अनिल काकोडकर
  • बीरबल साहनी
  • होमी जहाँगीर भाभा
  • प्रेम चंद पाण्डेय
  • कैलाशनाथ कौल
  • श्रीराम शंकर अभयंकर
  • सी. एन. आर. राव
  • सी वी रमन
  • विजय पी. भटकर
  • हरगोविन्द खुराना
  • तेज पी० सिंह
  • हरीशचन्द्र
  • मणीन्द्र अग्रवाल
  • नरेन्द्र करमरकर
  • जगदीश चन्द्र बसु
  • जयन्त विष्णु नार्लीकर
  • लालजी सिंह
  • मेघनाद साहा
  • रघुनाथ अनंत माशेलकर
  • सर शान्ति स्वरूप भटनागर
  • सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर
  • शंकर अबाजी भिसे
  • श्रीनिवास रामानुजन्
  • सत्येन्द्र नाथ बसु
  • सर एम. विश्वेश्वरय्या
  • सुन्दरलाल होरा
  • वेंकटरामन् रामकृष्णन्
  • विक्रम साराभाई
  • अतुल गुर्टु

एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam)

Education of APJ Abdul Kalam
Source – Wikipedia

15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे अबुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम एक प्रसिद्ध इंडियन साइंटिस्ट और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 2002 से 2007 के बीच एक कार्यकाल के लिए भारत के राष्ट्रपति (President of India) के रूप में कार्य किया। उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया, जहां उन्होंने भारतीय सेना के लिए हेलीकॉप्टर डिजाइन किए। उन्हें 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां वे भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-III के परियोजना निदेशक थे। यह वही प्रक्षेपण यान है, जिसने 1980 में रोहिणी उपग्रह (Satellite) को पृथ्वी के निकट की कक्षा में तैनात करने में सफलता पाई थी। उनके नेतृत्व में भारत ने मिसाइल निर्माण और परमाणु हथियार कार्यक्रम में तेजी से विकास देखा। भारत के मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम का 27 जुलाई, 2015 को निधन हो गया।

सहस्राब्दि के इंडियन साइंटिस्ट और दूरदर्शी नेता के जीवन के बारे में ज्यादा जानने के लिए पढ़ें हमारा ब्लॉग एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा !

सत्येंद्रनाथ बोस (Satyendranath Bose)

बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स के विकास के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ सहयोग और क्वांटम मैकेनिक्स (Quantum Mechanics) पर अपने काम के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध, सत्येंद्र नाथ बोस एक प्रख्यात इंडियन साइंटिस्ट, भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ थे। उनका जन्म 1 जनवरी, 1894 को कलकत्ता (कोलकाता), पश्चिम बंगाल में हुआ था। वह लंदन की रॉयल सोसाइटी के एक फेलो थे और उन्हें 1954 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से सम्मानित किया गया था। विज्ञान पर रवींद्रनाथ टैगोर की एकमात्र पुस्तक ‘विश्व परिचय’ 1937 में उन्हें समर्पित की गई। प्रख्यात भौतिक विज्ञानी पॉल डिराक ने बोस-आइंस्टीन सिद्धांत को मानने वाले कणों (Particles) के एक वर्ग को इनके नाम पर ‘बोसान’ नाम दिया था। 4 फरवरी 1974 को सत्येंद्र नाथ बोस का निधन हो गया।

Satyen Bose
Source – Wikipedia

अंकों के नायकों के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें हमारा ब्लॉग  प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ

इंंडियन साइंटिस्ट : मेघनाद साहा (Meghnad Saha)

प्रख्यात इंंडियन साइंटिस्ट और खगोल भौतिकीविद् (Astrophysicist), मेघनाद साहा का जन्म 6 अक्टूबर, 1893 को ढाका (वर्तमान बांग्लादेश में) के पास एक गांव, जो उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, में हुआ था। उन्होंने साहा आयनीकरण समीकरण (Saha Ionization Equation) विकसित किया, जो तारों (Stars) में भौतिक और रासायनिक स्थितियों की व्याख्या करने के लिए बुनियादी उपकरणों में से एक है। उन्होंने सौर किरणों के दबाव और वजन को मापने के लिए एक उपकरण का भी आविष्कार किया। भारत में नदी नियोजन पर मुख्य आर्किटेक्ट के रूप में जाने जाने वाले मेघनाद साहा ने ही दामोदर घाटी परियोजना की मूल योजना तैयार की थी। वह एक प्रख्यात वैज्ञानिक थे और विज्ञान और संस्कृति पत्रिका के संस्थापक और संपादक थे। 1943 में, कोलकाता में साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स की स्थापना उनके नाम पर की गई थी। 16 फरवरी, 1956 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया।

Dr-Meghnad-Saha
Source – Wikipedia

If you aim to make a caअगर आप भी मेघनाद साहा की तरह इसी क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो पढ़ें हमारा ब्लॉग एस्ट्रोफिजिक्स कोर्सेज!

प्रफुल्ल चंद्र राय (Prafulla Chandra Ray)

भारत में रसायन विज्ञान (Chemical Science) के जनक (Father) माने जाने वाले इंंडियन साइंटिस्ट प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म 2 अगस्त, 1861 को ब्रिटिश भारत के तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी (वर्तमान बांग्लादेश) के जेसोर जिले के रारौली-कटिपारा गाँव में हुआ था। वह भारत की पहली औषधि कंपनी, बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स के संस्थापक थे, जिसकी स्थापना 1901 में कोलकाता में हुई थी। यह प्रख्यात बंगाली पुस्तक ‘ए हिस्ट्री ऑफ हिंदू केमिस्ट्री फ्रॉम द अर्लीएस्ट टाइम्स टू द मिडिल ऑफ सिक्सटींथ सेंचुरी’ (A History of Hindu Chemistry from the Earliest Times to the Middle of Sixteenth Century) के लेखक थे। उनके काम के लिए, उन्हें रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री द्वारा यूरोप के बाहर पहली बार केमिकल लैंडमार्क प्लाक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 16 जून, 1944 को प्रफुल्ल चंद्र राय का निधन हो गया।

Prafulla Chandra Ray
Source – Wikipedia

रसायन विज्ञान के क्षेत्र में करियर और रसायन विज्ञान के क्षेत्र के बारे में जानकारी के लिए पढ़ें हमारा ब्लॉग

इंंडियन साइंटिस्ट: सलीम अली (Salim Ali)

भारत के बर्डमैन के रूप में लोकप्रिय, सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली का जन्म 12 नवंबर, 1896 को बॉम्बे, महाराष्ट्र में हुआ था। प्रकृतिवादी और पक्षी विज्ञानी, सलीम अली पहले भारतीय थे जिन्होंने पूरे भारत में पक्षियों पर व्यवस्थित सर्वेक्षण किया। उन्होंने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के विकास में योगदान देने के साथ-साथ भरतपुर पक्षी अभयारण्य की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई, जिससे उनका नाम प्रसिद्ध इंंडियन साइंटिस्ट की फेहरिश्त में शामिल हुआ। उनके योगदान के लिए, भारत सरकार ने उन्हें क्रमशः 1958 और 1976 में पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया। उन्होंने अमेरिकी पक्षी विज्ञानी (Ornithologist) सिडनी डिलन रिप्ले के सहयोग से भारत और पाकिस्तान के पक्षियों की दस खंड वाली पुस्तक लिखी। 20 जून 1987 को सलीम अली का निधन हो गया।

Salim Ali
Source – Wikipedia

इस क्षेत्र के विस्तार को समझने और सलीम अली की तरह नायक बनने के लिए पढ़ें हमारा ब्लॉग  जन्तु विज्ञान की शाखाएं!

होमी जहांगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha)

भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक (Father of the Indian Nuclear Programme) के रूप में लोकप्रिय, होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को हुआ था। इस प्रख्यात इंंडियन साइंटिस्ट और परमाणु भौतिक विज्ञानी (Nuclear Physicist) ने कांग्रेस के वरिष्ठ पार्टी नेताओं खासकर जवाहरलाल नेहरू को भारत में एक महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम शुरू करने के लिए मनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1945 में बॉम्बे में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की। बाद में वह परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे। होमी भाभा की 24 जनवरी, 1966 को ऑस्ट्रिया जाते समय एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

Homi Jehangir Bhabha
Source – Wikipedia

Check out : भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में विविध करियर

जगदीश चंद्र बोस (Jagadish Chandra Bose)

बंगाली विज्ञान कथा के जनक माने जाने वाले, इंंडियन साइंटिस्ट जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवंबर, 1858 को बंगाल प्रेसीडेंसी (वर्तमान बांग्लादेश में) में मयमनसिंह में हुआ था। पादप विज्ञान ( Plant Science) में उनका योगदान महत्वपूर्ण है, जैसे कि क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार, जो कि एक ऐसा उपकरण है, जो पौधों की वृद्धि को माप सकता है। उन्होंने रेडियो और माइक्रोवेव ऑप्टिक्स ( Microwave Optics) की जांच में अग्रणी भूमिका निभाई। वह उन चंद वैज्ञानिकों में से एक थे जिनके हर आविष्कार का पेटेंट कराने में विरोध का सामना करना पड़ा। उनके सम्मान में चंद्रमा पर उनके नाम पर एक क्रेटर का नाम रखा गया है। 23 नवंबर, 1937 को जे. सी. बोस की मृत्यु हो गई।

Jagadish Chandra Bose
Source – Wikipedia

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श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan)

22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु में जन्मे रामानुजन एक प्रख्यात गणितज्ञ थे, जिन्होंने गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत और निरंतर भिन्न में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। एक स्वतंत्र गणितज्ञ रामानुजन ने थीटा फंक्शन, रामानुजन प्राइम, मॉक थीटा फ़ंक्शन, विभाजन सूत्र आदि जैसी मौलिक अवधारणाएं प्रतिपादित की। उनके द्वारा प्रभावित सभी क्षेत्रों में शोध प्रकाशित करने के लिए एक वैज्ञानिक पत्रिका की स्थापना की गई, जिसका नाम रामानुजन जर्नल था। वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो चुने जाने वाले पहले इंंडियन साइंटिस्ट थे और रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के फेलो में से एक थे। 26 अप्रैल 1920 को रामानुजन की मृत्यु हो गई।

Srinivasa Ramanujan
Source – Wikipedia

ऐसी ही प्रमुख शख्सियतों को पढ़ें हमारे ब्लॉग पर  – सर्वाधिक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ

इंंडियन साइंटिस्ट : सी. वी. रमन (C.V. Raman)

C.V. Raman
Source – Wikipedia

इंंडियन साइंटिस्ट चंद्रशेखर वेंकट रमन एक प्रख्यात भारतीय भौतिक विज्ञानी थे, जिनका प्रकाश के प्रकीर्णन (Light Scattering) के क्षेत्र में अपार योगदान था। उनका जन्म 7 नवंबर 1888 को त्रिची, तमिलनाडु में हुआ था और उन्हें प्रकाश के प्रकीर्णन की घटना की खोज के लिए जाना जाता है, जिसे रमन प्रभाव (Raman Effect.) कहा जाता है। उन्हें 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिससे वे विज्ञान की किसी भी शाखा में पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय या एशियाई बन गए। उन्हें 1954 में भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 21 नवंबर 1970 को सी.वी. रमन की मृत्यु हो गई।

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प्रशांत चंद्र महालनोबिस (Prasanta Chandra Mahalanobis)

प्रख्यात इंंडियन साइंटिस्ट और सांख्यिकीविद् (Statistician), प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कलकत्ता (कोलकाता), पश्चिम बंगाल में हुआ था। वह महालनोबिस दूरी ( Mahalanobis distance) के रूप में ज्ञात सांख्यिकीय माप को शुरू करने के लिए प्रसिद्ध है। वह स्वतंत्र भारत के पहले योजना आयोग (Planning Commission) के सदस्यों में से एक होने के साथ-साथ भारतीय सांख्यिकी संस्थान के संस्थापक भी थे। भारत में एंथ्रोपोमेट्री के बड़े पैमाने पर सैंपल सर्वेक्षण डिजाइनिंग (Sample Survey Designing) और अध्ययन में उनका बहुत बड़ा योगदान है। भारत में आधुनिक सांख्यिकी के जनक का निधन 28 जून 1972 को हुआ था।

Prasanta Chandra Mahalanobis
Source – Wikipedia

“अगर मेरे जीवन में मुझे कोई सफलता मिली है, तो वह असफलता की अडिग नींव पर खड़ी थी …”-जे.सी. बोस

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