प्रतियोगी परीक्षाओं में करंट अफेयर्स से जुड़े क्वेश्चन पूछे जाते हैं, क्योंकि करंट अफेयर्स का उद्देश्य मनुष्य की समझ को विस्तार करना है। UPSC में प्री और मेंस एग्जाम के अलावा इंटरव्यू का भी महत्वपूर्ण रोल है, इसलिए कैंडिडेट्स को देश-दुनिया के बारे में जानना होगा और बड़ी घटनाओं को समझना होगा। इस ब्लाॅग में हम भारत के पहले शिक्षा मंत्री कौन थे? के बारे में जानेंगे जिससे आपकी तैयारी को मजबूती मिलेगी।
भारत के पहले शिक्षा मंत्री कौन थे?
भारत की आज़ादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भारत के पहले शिक्षा मंत्री की भूमिका निभाई। उनके जन्मदिन यानि 11 नवंबर को उनके सम्मान में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौलाना आज़ाद एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वह शिक्षा के समर्थक, एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और एक कुशल पत्रकार थे।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इस्लामी तौर तरीकों से प्राप्त की थी। वर्ष 1890 में आज़ाद का परिवार वापस भारत लौट आया और कलकत्ता में बस गया, जिसके बाद आज़ाद ने कलकत्ता के इस्लामिया कॉलेज से स्नातक किया।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, कवि, लेखक, पत्रकार, और शिक्षाविद थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ब्रिटिश सरकार का प्रखरता से विरोध करते थे। वर्ष 1947 में भारत की आज़ादी के बाद आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में मौलाना अबुल कलाम आजाद को चुना गया। 22 फरवरी, 1958 को मौलाना अबुल कलाम आजाद का राजधानी दिल्ली में निधन हुआ। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का शिक्षा में योगदान
भारत के पहले शिक्षा मंत्री कौन थे जानने के साथ ही भारत के पहले शिक्षा मंत्री का शिक्षा में योगदान समझना जरूरी है जो कि यहां प्वाइंट्स में बताया जा रहा हैः
- मौलाना आजाद ने शिक्षा के प्रसार के लिए कई अहम कदम उठाए, जिनका उद्देश्य समाज को शिक्षा के लिए प्रेरित करना था।
- मौलाना आजाद ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य बनाने का प्रयास किया।
- मौलाना आजाद ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने के लिए भी काम किया।
- आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री आजाद ने तकनीकी शिक्षा पर जोर देते हुए, तकनीकी संस्थानों की स्थापना और विकास के लिए काम किया।
- कई इतिहासकारों की मानें तो आज़ाद ने सांस्कृतिक शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया, जिसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देना था।
- मौलाना अबुल कलाम आजाद ने विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय संस्कृति और विरासत के अध्ययन को अधिक बढ़ावा दिया।
- इतिहास को पढ़ा जाए तो हम पाएंगे कि वर्ष 1947 में आजाद ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की थी।
- वर्ष 1948 में आजाद ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की स्थापना की थी जो कि भारत के सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों में से एक हैं।
- वर्ष 1949 में आजाद ने साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, और संगीत नाटक अकादमी की स्थापना की थी।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का पूरा नाम क्या था?
मौलाना अबुल कलाम आजाद का पूरा नाम “मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आजाद” था।
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FAQs
मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का, हेजाज़ (सऊदी अरब) में हुआ था।
भारत के पहले शिक्षा मंत्री का नाम “मौलाना अबुल कलाम आजाद” था।
भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले थीं।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको भारत के पहले शिक्षा मंत्री कौन थे? के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।