सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 3 सिविल सेवा उम्मीदवारों की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिन्होंने दलील दी थी कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणपत्र में की गई लिपिकीय त्रुटि के कारण उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत आरक्षण से वंचित कर दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कटऑफ अंक से अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में उनका चयन नहीं किया गया था। 23 मई 2023 को परिणाम घोषित होने के बाद, उनकी श्रेणी को ईडब्ल्यूएस से सामान्य में बदल दिया गया और परिणामस्वरूप, उन्हें अनुशंसित नहीं किया गया।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ 3 उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने परिणाम घोषित करने के बाद उन्हें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के रूप में मानने की यूपीएससी (प्रतिवादी) की कार्रवाई को मनमाना और अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन बताया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (5 सितंबर) को यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिन्हें लिपकीय त्रुटि के कारण आरक्षण का लाभ देने से इनकार कर दिया गया था।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ 3 उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने परिणाम घोषित करने के बाद उन्हें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के रूप में मानने की यूपीएससी (प्रतिवादी) की कार्रवाई को मनमाना और अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन 3 उम्मीदवारों को 8 अगस्त को इस सम्बन्ध में एक नोटिस जारी किया था।
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याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट के सामने रखी अपनी दलील
याचिकाकर्ताओं के वकील के द्वारा दलील पेश की गई याचिक में कहा गया है कि 2019 में जारी ज्ञापन के अनुसार ईडबल्यूएस का सर्टिफिकेट होना आवश्यक नहीं है। मैं अपनी आर्थिक स्थिति के कारण गरीब हूँ, किसी प्रमाणपत्र के कारण नहीं।
न्यायाधीश ने दिया UPSC निदेशपत्र का हवाला
याचिकाकर्ताओं की इस बात का जवाब देते हुए न्यायधीश के.वी. विश्वनाथन कहा कि कोई भी फैसला नियमों के आधार पर नहीं सुनाया गया है। हम नियमों को नज़रअंदाज़ कैसे कर सकते हैं? ऐसे सभी मामलों में UPSC ने सभी फैसलों को स्वीकार किया है और इस संबंध में निदेशपत्र जारी किया है। अगर UPSC यहाँ भी एक निदेशपत्र उपलब्ध करा दे तो हमारा काम आसान हो जाएगा।
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