Rabindranath Tagore Jayanti in Hindi : ‘बिस्वकोबी’, ‘गुरुदेव’ व ‘कबीगुरू’ के नाम से जाने जाने वाले रवींद्रनाथ टैगोर एशिया के प्रथम व्यक्ति थे जिन्हें वर्ष 1913 में साहित्य के प्रतिष्ठित ‘नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार उनकी काव्य रचना गीतांजलि के लिए दिया गया था। एक संपन्न बंगाली परिवार में जन्में टैगोर जी ने न केवल बंगाली साहित्य बल्कि भारतीय साहित्य को भी अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ऐसे में इस महान व्यक्ति के जन्मदिन पर उनके द्वारा किए गए अमूल्य योगदानों का जश्न मनाने के लिए हर साल 7 मई को रवींद्रनाथ टैगोर जयंती मनाई जाती है। आज के इस ब्लॉग में हम रवींद्रनाथ टैगोर जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti in Hindi) के महत्व को समझेंगे और टैगोर जी के के प्रेरक विचारों को अपने जीवन में अपनानें का प्रयास करेंगे।
This Blog Includes:
- रवींद्रनाथ टैगोर का संक्षिप्त जीवन परिचय
- आखिर दो दिन क्यों मनाई जाती है रवींद्रनाथ टैगोर जयंती?
- रवींद्रनाथ टैगोर जयंती का इतिहास क्या है? – History of Rabindranath Tagore Jayanti in Hindi
- रवींद्रनाथ टैगोर जयंती का महत्व क्या है?
- रवींद्रनाथ टैगोर जयंती क्यों मनाते हैं?
- रवींद्रनाथ टैगोर जयंती कैसे मनाते हैं?
- रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़े रोचक तथ्य
- रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
- FAQs
रवींद्रनाथ टैगोर का संक्षिप्त जीवन परिचय
राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता (पूर्व ब्रिटिश भारत) में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर थे और उनकी माता शारदा देवी थीं। टैगोर जी अपने माता पिता के तेरहवीं संतान थे। वहीं उनकी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता में ही हुई। बचपन से ही उन्हें साहित्य के प्रति बहुत लगाव था। मात्र 08 वर्ष की अल्प आयु में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। वहीं 16 वर्ष की आयु में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी। इसके बाद 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ। जिसके बाद उनके पांच बच्चे हुए। वहीं शादी के कुक साल बाद ही उनकी पत्नी की मृत्यु 1902 में हो गयी। और बाद में उनकी दो संतान रेणुका (1903 में) और समन्द्रनाथ (1907 में) का भी निधन हो गया। रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, साहित्यकार, संगीतकार और पेंटर भी थे। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 2000 से ज्यादा गीत लिखे थे वहीं 7 अगस्त, 1941 को 80 वर्ष की आयु टैगोर जी का भी निधन हो गया।
आखिर दो दिन क्यों मनाई जाती है रवींद्रनाथ टैगोर जयंती?
रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती को लेकर अक्सर लोग बहुत कंफ्यूज होते हैं। कुछ लोग इसे 7 मई को मनाते हैं जबकि कुछ लोग इसे 9 मई को मनाते हैं। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 7 मई, 1861 को हुआ था जबकि पारंपरिक बंगाली कैलेंडर के अनुसार बोईशाख माह के 25 दिन हुआ था। आपको बता दें कि बंगाली कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर के बीच 1 दिन का अंतर होता है। ऐसे में उनकी जयंती दो दिन मनाई जाती है। लेकिन आधिकारिक तौर पर उनकी जयंती 7 मई को ही मनाई जाती है, जो उनके जन्मदिन की वास्तविक तारीख है।
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रवींद्रनाथ टैगोर जयंती का इतिहास क्या है? – History of Rabindranath Tagore Jayanti in Hindi
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती का इतिहास टैगोर जी के जन्म से जुड़ा हुआ है। रबिन्द्रनाथ टैगोर ने 8 वर्ष की आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने जीवनकाल में 2000 से भी अधिक गीत, कविता लिखे हैं। बता दें कि भारत के राष्ट्रगान “जन गण मन” और बांग्लादेश के राष्ट्रगान “आमार सोनार बांग्ला” के रचयिता भी वो ही हैं। उनकी लेखनी में वो ताकत थी जिसे देखकर अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें नाईटहुड की उपाधि दी थी लेकिन 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने इस उपाधि को लौटा दिया था 7 अगस्त 1941 को कलकत्ता में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनके विचारों को याद करने, उनके सपनों को आगे बढ़ाने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर जयंती मनाई जाती है।
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती का महत्व क्या है?
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती के महत्व निम्नलिखित है :
- यह केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि टैगोर की के विचारों और मूल्यों को याद करने का अवसर है।
- यह विशेष दिन हमें महान कवि को श्रद्धांजलि देने और उनके अमूल्य योगदान का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।
- यह दिन हमें याद दिलाता है हम सभी को दर्शन और साहित्य, संगीत और कला में टैगोर जी के योगदान को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाना है।
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रवींद्रनाथ टैगोर जयंती क्यों मनाते हैं?
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती, भारत के महान कवी, नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर के जन्मदिन का एक विशेष अवसर है। यह राष्ट्रीय उत्सव हर साल 7 मई को उनके अमूल्य योगदान को याद करने और उनके प्रेरक विचारों को आगे बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती कैसे मनाते हैं?
हर साल रवींद्रनाथ टैगोर जयंती भारत और बांग्लादेश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें कविता, नाटक, रबिन्द्र संगीत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल है। वहीं सार्वजानिक स्थानों पर टैगोर की मूर्ती पर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है, टैगोर के साहित्य पर पुस्तक प्रदर्शनियां लगाई जाती है।
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रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़े रोचक तथ्य
रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़े रोचक तथ्य इस प्रकार है :
- रवींद्रनाथ टैगोर को बचपन में प्यार से रबी बुलाया जाता था।
- महज 8 साल की छोटी उम्र में ही रवींद्रनाथ टैगोर ने कविताएं लिखना शुरू कर दिया था।
- उन्होंने 2000 से अधिक गीतों की रचना की हैं जो लोकप्रिय रवीन्द्र संगीत का हिस्सा हैं।
- रवींद्रनाथ टैगोर, साहित्य में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले एशियाई हैं।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर केवल भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता नहीं है, बल्कि उन्होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला भी लिखा है।
- 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने अपनी नाइटहुड की उपाधि त्याग दी थी।
- राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि देने वाले रवींद्रनाथ टैगोर ही थे।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार निम्नवत हैं, यह विचार सदा ही आपका मार्गदर्शन करेंगे-
- उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन।
- जीवन की चुनौतियों से बचने की बजाए उनका निडर होकर सामना करने की हिम्मत मिले, इसकी प्रार्थना करनी चाहिए।
- खुश रहना बहुत सरल है…लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है।
- यदि आप सभी त्रुटियों के लिए दरवाजा बंद कर दोगे तो सच अपने आप बाहर बंद हो जाएगा।
- जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।
- विश्वविद्यालय महापुरुषों के निर्माण के कारख़ाने हैं और अध्यापक उन्हें बनाने वाले कारीगर हैं।
- जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में कह नहीं सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।
- दोस्ती की गहराई परिचित की लंबाई पर निर्भर नहीं करती।
- संगीत दो आत्माओं के बीच अनंत भरता है।
- तथ्य कई हैं, लेकिन सच एक ही है।
FAQs
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार राष्ट्र गान रचयिता रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था। जबकि बंगाली कैलेंडर के अनुसार उनकी जयंती बंगाली महीने बोइशाख के 25वें दिन आती है।
कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को अनेक कारणों से प्रसिद्ध माना जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं : गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को विश्वविख्यात महाकाव्य गीतांजलि की रचना के लिए 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
ब्रिटिश भारत के तत्कालीन किंग जॉर्ज पंचम ने उन्हें ‘नाइटहुड’ की उपाधि से नवाजा था।
महत्वपूर्ण दिवस पर आर्टिकल
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