Odisha Foundation Day : कैसे और क्यों हुई उत्कल दिवस की शुरुआत?

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Odisha Foundation Day in Hindi

उत्कल दिवस, जिसे ओडिशा दिवस के रूप में भी जाना जाता है, भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जो हर साल 1 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन ओडिशा राज्य के गठन का जश्न मनाता है। ओडिशा कलिंग साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। अशोक ने इसे 250 ईसा पूर्व में जीत लिया गया था। वहीं ब्रिटिश शासन में ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था। जिसके बारे में स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम Odisha Day in Hindi के बारे में बताएँगे।

उत्कल दिवस कब मनाया जाता है?

उत्कल दिवस जिसे ओडिशा डे (Odisha Day in Hindi) के नाम से भी जाना जाता है। यह दिवस हर साल 1 अप्रैल के दिन मनाया जाता है और इस साल 2024 में 1 अप्रैल के दिन ओडिशा अपना 89वां स्थापना दिवस मनाएगा। 

उत्कल दिवस क्यों मनाया जाता है?

उत्कल दिवस ओडिशा राज्य की एक अलग राजनीतिक पहचान हासिल करने के दिवस के रूप में मनाया जाता है। निवासियों के बीच एकता की भावना को प्रोत्साहन देना उत्कल दिवस मानाने का एक बड़ा कारण है। इसके साथ ही Odisha Day in Hindi ओडिशा राज्य के संघर्ष की याद को बरकरार रखने में अहम योगदान देता है। 

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उत्कल दिवस 2024 थीम 

उत्कल दिवस (Odisha Day in Hindi) 2024 की थीम के बारे में अभी तक नहीं बताया गया है। इससे पहले साल 2023 में उत्कल दिवस यानि ओडिशा डे की थीम “उड़िया संस्कृति और विरासत की विरासत का जश्न” रखी गई थी।   

ओडिशा (उत्कल दिवस) का इतिहास 

ओडिशा राज्य 1 अप्रैल 1936 को एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया। आजादी से पहले ब्रिटिश शासन के अंतर्गत ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था। तीन सदियों के लंबे संघर्ष के बाद 1 अप्रैल 1936 को राज्य बंगाल और बिहार प्रांत से अलग हो गया था।

1 अप्रैल को ओडिशा अपना स्थापना दिवस मनाता है क्योंकि इस दिन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्सों को अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया गया था।

आज़ादी के बाद ओडिशा और आस- पास की रियासतों ने नई नवेली भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी थी। ओडिशा राज्य की एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में स्थापना की गई थी। इसको याद करते हुए और साथ ही सभी नागरिकों में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए उत्कल दिवस का आयोजन किया जाता है।

प्राचीनकाल में, ओडिशा कलिंग साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। अशोक द्वारा इसे 250 ईसा पूर्व में जीत लिया गया था। तबसे लगभग एक सदी तक यहाँ मौर्य वंश का शासन रहा।

ओडिशा की संस्कृति और इतिहास बहुत समृद्ध है। महाभारत में इसका कई बार उल्लेख भी मिलता है। प्राचीन इतिहास में इसका अलग- अलग नामों जैसे कलिंग, उत्कल, उद्र, तोशाली और कोसल से उल्लेख मिलता है। 

उत्कल दिवस का महत्व

उत्कल दिवस ओडिशा के लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। आइए Odisha Day in Hindi के उन कारणों पर गौर करें कि यह दिन इतना महत्वपूर्ण क्यों है :

  • ओडिशा का गठन उड़िया लोगों के वर्षों के संघर्ष और असंख्य बलिदानों का परिणाम था। उत्कल दिवस इन संघर्षों को याद करने और उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिन्होंने ओडिशा के लोगों के लिए एक अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ी।
  • उत्कल दिवस पूरे राज्य में खुशी का दिन है। यह ओडिशा के प्रत्येक निवासी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और अपनी विशिष्ट पहचान का जश्न मनाने का अवसर देता है।
  • उत्कल दिवस पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों को राज्य की संस्कृति के उत्सव में एक साथ लाते हैं। इन आयोजनों से राज्य के निवासियों में एकता और एकजुटता की भावना बढ़ती है।

ओडिशा राज्य का वर्तमान 

ओडिशा राज्य में वर्तमान में 30 ज़िले हैं। क्षेत्रफल के अनुसार यह देश का 8वां और जनसँख्या के अनुसार 11वां सबसे बड़ा राज्य है। आदिवासियों की जनसंख्या के मामले में ओडिशा भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। 1135 से लेकर 1948 तक कटक ओडिशा राज्य की राजधानी रही। इसके बाद भुवनेश्वर ओडिशा की राजधानी बनी। भारतीय संसद द्वारा 9 नवंबर 2010 को उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा रख दिया गया। ओडिशा को भगवान जगन्नाथ की भूमि भी कहा जाता है। 

उत्कल दिवस पर 10 लाइन्स

उत्कल दिवस पर 10 लाइन्स यहाँ दी गई हैं :

  1. इस साल 2024 में 1 अप्रैल के दिन ओडिशा अपना 89वां स्थापना दिवस मनाएगा। 
  2. उत्कल दिवस जिसे ओडिशा डे (Odisha Day in Hindi) के नाम से भी जाना जाता है।
  3. उत्कल दिवस ओडिशा राज्य की एक अलग राजनीतिक पहचान हासिल करने के दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  4. निवासियों के बीच एकता की भावना को प्रोत्साहन देना उत्कल दिवस मानाने का एक बड़ा कारण है।
  5. उत्कल दिवस 2024 की थीम के बारे में अभी तक नहीं बताया गया है।
  6. 2023 में उत्कल दिवस यानि ओडिशा डे की थीम “उड़िया संस्कृति और विरासत की विरासत का जश्न” रखी गई थी।
  7. ओडिशा राज्य 1 अप्रैल 1936 को एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया। 
  8. Odisha Day in Hindi ओडिशा राज्य के संघर्ष की याद को बरकरार रखने में अहम योगदान देता है। 
  9. 1 अप्रैल को ओडिशा अपना स्थापना दिवस मनाता है क्योंकि इस दिन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्सों को अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया गया था।
  10. इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देकर जश्न मनाते हैं।

FAQs

उड़ीसा दिवस कब मनाया जाता है?

उड़ीसा दिवस हर साल 1 अप्रैल मनाया जाता है।

उड़ीसा को किन- किन नामों से जाना जाता है?

प्राचीन काल से मध्यकाल तक ओड़िशा राज्य को कलिंग, उत्कल, उत्करात, ओड्र, ओद्र, ओड्रदेश, ओड, ओड्रराष्ट्र, त्रिकलिंग, दक्षिण कोशल, कंगोद, तोषाली, छेदि तथा मत्स आदि नामों से जाना जाता था।

उड़ीसा कब आजाद हुआ था?

उड़ीसा 1 अप्रैल 1936 को आजाद हुआ था।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Odisha Day in Hindi से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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