प्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएं युवाओं के साथ-साथ समाज के हर नागरिक को प्रेरित करने का कार्य करती है। यूँ तो हिंदी साहित्य के इतिहास में कई ऐसे इतिहासकार हुए हैं, जिन्होंने अपना सारा जीवन हिंदी साहित्य के लिए समर्पित किया और समाज को हिंदी साहित्य के प्रति जागरूक किया। प्रताप नारायण मिश्र का नाम ऐसे ही महत्वपूर्ण साहित्यकारों में लिया जाता है, जिनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और विद्यार्थियों को प्रेरित करने का काम करती हैं। प्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएं पढ़ने के लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना चाहिए।
प्रताप नारायण मिश्र का जीवन परिचय
प्रताप नारायण मिश्र का जन्म 26 अगस्त, 1856 को उत्तर प्रदेश में उन्नाव ज़िले के बैजनाथ बैथर में हुआ था। आरंभिक शिक्षा-दीक्षा के बाद उनका मन विरत हो गया और स्वाध्याय के बल पर ही उन्होंने अपनी प्रतिभा का विस्तार किया। वर्ष 1883 में प्रताप नारायण मिश्र की पहली काव्य-कृति ‘प्रेम पुष्पांजलि’ प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद वर्ष 1883 में ही होली के दिन उन्होंने मित्रों के सहयोग से ‘ब्राह्मण’ नामक मासिक पत्र की शुरुआत की।
प्रताप नारायण मिश्र ने कानपुर में एक ‘रसिक समाज’ की स्थापना की थी। युवावस्था में ही प्रताप नारायण मिश्र का विभिन्न रोगों के कारण उनका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया था। इसी कारण 6 जुलाई, 1894 को 38 वर्ष की अल्पायु में प्रताप नारायण मिश्र का निधन हुआ था।
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प्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएं
प्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएं कुछ इस प्रकार हैं;
- प्रेम पुष्पांजलि
- मन की लहर
- लोकोक्तिशतक
- कानपुर महात्मय
- तृप्यंताम्
- दंगल खंड
- ब्रेडला स्वागत
- तारापात पचीसी
- दीवाने बरहमन
- शोकाश्रु
- बेगारी विलाप
- प्रताप लहरी
- कलि-कौतुक रूपक
- हठी-हमीर
- भारत दुर्दशा रूपक
- दूध का दूध पानी का पानी
- जुआरी-खुआरी
- संगीत शाकुंतलम्
- प्रतापनारायण मिश्र कवितावली
- प्रतापनारायण ग्रंथावली (खंड-1)
- दीनदयाल दया करिए
- हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान
- होलिकापंचक
- फाग इत्यादि।
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