इस दिन मनाया जाता है हिमालय दिवस, जानें थीम, इतिहास और महत्व 

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हिमालय दिवस

हिमालय दिवस, जिसे 9 नवंबर को मनाया जाता है, हिमालय क्षेत्र के पारिस्थितिकीय संरक्षण और इसके महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित किया जाता है। यह दिन हिमालय की पारिस्थितिकी, उसके पर्यावरणीय संतुलन और उसके महत्व को समझने का एक अवसर है। इस दिन विभिन्न प्रकार की गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि वन संरक्षण के लिए अभियान और हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए शिक्षण कार्यक्रम, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। इसलिए इस ब्लॉग में हिमालय दिवस (Himalaya Diwas) का इतिहास, महत्व और उद्देश्य के बारे में बताया गया है। 

हिमालय दिवस के बारे में

हिमालय दिवस हर साल 9 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हिमालय की पारिस्थितिकी, प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। हिमालय न केवल एशिया की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला है, बल्कि यह कई नदियों का स्रोत है और लाखों लोगों की आजीविका का आधार भी है। इसके अलावा, हिमालय वैश्विक जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन से भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।

हिमालय दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

हिमालय दिवस (Himalaya Diwas) मनाने का उद्देश्य यहाँ बताए गए हैं : 

  • पर्यावरणीय जागरूकता : हिमालय की पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले नुकसान को रोकने और जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचाने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना।
  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण : हिमालय का क्षेत्र पानी, वनस्पति और जैव विविधता के मामले में समृद्ध है, इसलिए इन संसाधनों की सुरक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • स्थानीय समुदायों की सुरक्षा : हिमालय के आस-पास रहने वाले स्थानीय लोगों की आजीविका मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करती है। हिमालय दिवस का उद्देश्य उनके संरक्षण और विकास को भी बढ़ावा देना है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सुरक्षा : हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने और जलवायु परिवर्तन के अन्य प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाना और इन खतरों से निपटने के उपाय करना।

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हिमालय दिवस का इतिहास क्या है?

हिमालय दिवस का इतिहास (History of Himalaya Diwas) यहाँ बताया गया है : 

  • 2014 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा 9 सितंबर को आधिकारिक तौर पर हिमालय दिवस के रूप में घोषित किया गया था। 
  • इस विचार की संकल्पना हिमालय पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन के अनिल जोशी और अन्य भारतीय पर्यावरणविदों द्वारा की गई थी। 
  • इस पहल का उद्देश्य भारत के सभी हिमालयी राज्यों-जम्मू और कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 9 सितंबर को हिमालय दिवस के रूप में मनाना है। इसका कारण यह है कि इन राज्यों में एक समान हिमालयी क्षेत्र हैं। 

हिमालय दिवस कब मनाया जाता है?

हिमालय पर्वत और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस (Himalaya Diwas) मनाया जाता है। 

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हिमालय दिवस का महत्व क्या है?

हिमालय दिवस केवल एक वार्षिक कार्यक्रम नहीं है, यह देश के भौगोलिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर विचार करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। 

हिमालय दिवस 2024 थीम?

किसी भी दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है, लेकिन साल 2024 के लिए हिमालय दिवस की थीम की अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले साल 2023 में इस दिवस की थीम ‘कंट्रीब्यूशन ऑफ हिमालयाज एंड आवर रिस्पांसिबिलिटी’ (Contribution of Himalayas and our responsibilities) रखी गई थी। 

हिमालय दिवस कैसे मनाते हैं?

हिमालय दिवस को कई तरीकों से मनाया जाता है, जिसके बारे में यहाँ बताया गया है –

  • इस दिन जागरूकता अभियान चलाएं जाते हैं। 
  • विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थानों और पर्यावरण संगठनों द्वारा कार्यशालाएँ और पैनल डिस्कशन आयोजित की जाती हैं, जिनमें हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चर्चा होती है।
  • वनों की कटाई रोकने और वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 
  • इस दिन हिमालय के आस-पास के गांवों और समुदायों को विशेष रूप से जोड़ा जाता है, ताकि वे अपने अनुभवों और समस्याओं को साझा कर सकें।
  • इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 
  • स्थानीय युवाओं और स्वयंसेवकों द्वारा हिमालय क्षेत्र में पर्यावरणीय संरक्षण गतिविधियाँ की जाती हैं, जैसे नदी सफाई अभियान, वनीकरण और कचरा प्रबंधन।
  • शैक्षिक और साहित्यिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जैसे हिमालय और इसके पर्यावरणीय महत्व पर आधारित निबंध लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित की जाती हैं।
  • सरकार और एनजीओ मिलकर इस दिन विशेष योजनाओं और कार्यक्रमों की घोषणा करते हैं, जिनमें हिमालय क्षेत्र के विकास और संरक्षण के लिए नई पहल की जाती हैं।

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हिमालय से जुड़े तथ्य 

रिसर्च, स्टडी और रिपोर्ट्स के अनुसार हिमालय दिवस से जुड़े तथ्य यहाँ दिए गए हैं –

  • अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद हिमालय दुनिया भर में तीसरा सबसे बड़ा हिम संचय क्षेत्र है।
  • पूरी पर्वत श्रृंखला में लगभग 15,000 ग्लेशियर हैं। 48 मील (72 किलोमीटर) लंबा, हिमालय का सियाचिन ग्लेशियर ध्रुवों के बाहर सबसे बड़ा ग्लेशियर है।
  • हिमालय टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल से बना है।
  • टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारन ग्रेट हिमालय में कई भूकंप के झटके आते रहते हैं।
  • हिमालय नेपाल के 75% हिस्से को कवर करता है।
  • 1953 में, शेरपा पर्वतारोही तेनजिंग नोर्गे और सर एडमंड हिलेरी माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है, जिसकी ऊँचाई 8,848.86 मीटर है और यह हिमालय का हिस्सा है।
  • हिमालय दुनिया की कुछ सबसे ऊंची चोटियों का घर है, जैसे की माउंट एवरेस्ट, के2 और कंचनजंघा। 

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FAQs

हिमालय दिवस की पहल किसने शुरू की?

हिमालय दिवस एक पहल है जिसे हिमालय के सतत विकास और पारिस्थितिक स्थिरता पर ध्यान देने के लिए सुंदरलाल बहुगुणा, अनिल जोशी और राधा बहन सहित भारतीय पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा शुरू किया गया था।

सितम्बर माह की किस तिथि को हिमालय दिवस के रूप में मनाया जाता है?

उत्तराखंड में हर साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाया जाता है।

हिमालय दिवस क्यों मनाया जाता है?

हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और क्षेत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से हिमालय दिवस मनाया जाता है। 

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको हिमालय दिवस (Himalaya Diwas) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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