Babu Jagjivan Ram Jayanti in Hindi 2025: बाबू जगजीवन राम जयंती

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Babu Jagjivan Ram Jayanti in Hindi 2025

Babu Jagjivan Ram Jayanti in Hindi 2025: भारत माँ के एक ऐसे सपूत का स्मरण, जिन्होंने कमजोरों की आवाज़ बुलंद की और सामाजिक न्याय के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। हम बात कर रहे हैं बाबू जगजीवन राम की, जिन्हें ‘दलितों का मसीहा’ भी कहा जाता है। इस ब्लॉग के ज़रिए हम बाबू जगजीवन राम की जयंती (Babu Jagjivan Ram Jayanti in Hindi 2025) पर उनके प्रेरणादायी जीवन और समाज के लिए उनके योगदान को याद करेंगे।

बाबू जगजीवन राम की जयंती के अवसर पर आइए हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें। वे एक ऐसे महान नेता थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों और कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा में समर्पित कर दिया। यह दिन उनके संघर्षों और राष्ट्र के लिए किए गए अमूल्य योगदान को याद करने का दिन है।

विशेषताजानकारी
जयंती का नामबाबू जगजीवन राम जयंती
जयंती 2025 तिथि5 अप्रैल को मनाई जाती है
जन्म तिथि5 अप्रैल 1908
जन्म स्थानचंदवा, बिहार (तत्कालीन ब्रिटिश भारत)
मूल नामजगजीवन राम
उपनाम/लोकप्रिय नामबाबूजी
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
मुख्य भूमिकास्वतंत्रता सेनानी, दलितों के अधिकार के लिए संघर्ष, अनुभवी राजनेता, पूर्व उपप्रधानमंत्री
मुख्य उद्देश्यसामाजिक समानता, दलितों और कमजोर वर्गों का उत्थान, जातिवाद का उन्मूलन
महत्वपूर्ण योगदानस्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका, संविधान सभा के सदस्य, कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व
मुख्य शिक्षाएँ/आदर्शसमानता, न्याय, सामाजिक समरसता, शिक्षा का महत्व
महत्वपूर्ण कार्य/पदश्रम मंत्री, रक्षा मंत्री, उपप्रधानमंत्री
निधन तिथि6 जुलाई 1986
मृत्यु स्थाननई दिल्ली, भारत
जयंती मनाने का उद्देश्यबाबू जगजीवन राम के जीवन, संघर्षों और योगदान को याद करना तथा उनसे प्रेरणा लेना
समाज पर प्रभावदलितों और कमजोर वर्गों के लिए प्रेरणास्रोत, सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान
वर्तमान प्रासंगिकतासामाजिक समानता, समावेशी विकास और कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिए उनके विचारों की प्रासंगिकता

बाबू जगजीवन राम कौन हैं?

बाबू जगजीवन राम, जिन्हें आदर से ‘बाबूजी’ कहा जाता है, उनका जन्म 5 अप्रैल 1908 को बिहार के आरा (वर्तमान में भोजपुर जिला) के एक छोटे से गांव चंदवा में हुआ था। उनका जीवन सामाजिक न्याय और समानता के लिए एक अटूट संघर्ष की गाथा है। 

भारत के उपमंत्री और रक्षा मंत्री  है जगजीवन राम, स्वतंत्रता आंदोलन के साथ – साथ उन्होंने दलित वर्ग के लिए मतदान की मांग की। छोटे से गाओं में पैदा होने के बावजूद दिल्ली राजनीती का बड़ा चेहरा बन गए और दो बार पीएम बनने के लिए चुनाव में खड़े हुए। वह एक वीर स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी जयंती के दिन प्रधानमंत्री से लेकर नेता तक उन्हें पुष्पार्पित, द्वीपप्रज्वलित, और उनकी तस्वीर तथा स्टेचू पर माला अर्पित करते हैं और उनकी वीरता की मिसाल देते हैं। 

ये जयंती उनकी वीरता को और देश के लिए उनके त्याग को याद करने का ऐतिहासिक दिन है। इस दिन से युवाओं को सिख लेनी चाहिए और त्याग और समर्पण की इस जयंती को सीख की नजरिये से देखना चाहिए। उनका जीवन पीड़ितों और वंचितों के लिए प्रेरणा है। 

बाबू जगजीवन राम जयंती का इतिहास (History of Babu Jagjivan Ram Jayanti in Hindi 2025)

बाबू जगजीवन राम जयंती, जो हर वर्ष 5 अप्रैल को मनाई जाती है, सिर्फ एक महान नेता के जन्मदिवस का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत के सामाजिक न्याय आंदोलन और दलित उत्थान के इतिहास का एक गौरवपूर्ण स्मरण है। यह दिन उन संघर्षों की याद दिलाता है, जो बाबूजी ने जातिगत भेदभाव, सामाजिक विषमता और राजनीतिक उपेक्षा के विरुद्ध लड़े।

बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल 1908 को बिहार के आरा ज़िले में एक दलित परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने छुआछूत और सामाजिक भेदभाव का सामना किया। विद्यालय में उन्हें ‘अछूत’ मानकर अलग बर्तन में पानी पीने के लिए बाध्य किया गया, परंतु उन्होंने इसका साहसपूर्वक विरोध किया और अंततः स्कूल प्रशासन को यह भेदभावपूर्ण प्रथा समाप्त करनी पड़ी।

सन् 1925 में पंडित मदन मोहन मालवीय से हुई उनकी मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। मालवीय जी के आमंत्रण पर वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए गए, जहाँ भी उन्होंने सामाजिक भेदभाव का डटकर सामना किया। इन्हीं अनुभवों ने उनमें दलित समाज को संगठित करने और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने की भावना को और मजबूत किया।

1935 में उन्होंने ‘ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस लीग’ की स्थापना की, जो देश में दलित वर्गों को समान अधिकार दिलाने और सामाजिक सम्मान प्रदान करने के उद्देश्य से कार्यरत रही। उनका यह प्रयास भारतीय सामाजिक इतिहास में एक क्रांतिकारी कदम था।

बाबू जगजीवन राम ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया, बल्कि स्वतंत्र भारत की संविधान सभा के सदस्य के रूप में भी उन्होंने राष्ट्र की दिशा और संरचना तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे कई दशकों तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे और कृषि, श्रम, रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का सफल नेतृत्व किया।

बाबूजी की जयंती उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधार, दलित उत्थान और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक है। यह दिन नई पीढ़ी को यह प्रेरणा देता है कि समानता, अधिकार और सम्मान के लिए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता।

बाबू जगजीवन राम जयंती का महत्व (Importance of Babu Jagjivan Ram Jayanti in Hindi 2025)

बाबू जगजीवन राम जयंती केवल एक नेता के जन्मदिवस का उत्सव नहीं, बल्कि यह सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे एक व्यक्ति ने जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता के खिलाफ अपनी पूरी ज़िंदगी समर्पित कर दी।

बाबूजी की जयंती हमें प्रेरित करती है कि हम भी समाज में फैले भेदभाव, छुआछूत और अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाएं। यह दिन विशेष रूप से उन मूल्यों की पुनः पुष्टि करता है, जिनके लिए बाबू जगजीवन राम ने संघर्ष किया—समान अवसर, शिक्षा का अधिकार, सामाजिक सम्मान और सबके लिए न्याय।

यह जयंती उन सभी वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए आशा और आत्मबल का संदेश लेकर आती है, जो आज भी सामाजिक बंधनों से जूझ रहे हैं। बाबू जगजीवन राम के जीवन से हम सीखते हैं कि परिवर्तन लाना कठिन जरूर है, पर असंभव नहीं। उनकी जयंती हमें यह अहसास कराती है कि यदि दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी व्यक्ति समाज और राष्ट्र को एक नई दिशा दे सकता है।

इस दिन का महत्व इस बात में है कि यह हमें सिर्फ इतिहास की याद नहीं दिलाता, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी एक मार्गदर्शक बनता है। यह एक अवसर है बाबूजी के आदर्शों को अपनाने का, और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर एक न्यायपूर्ण, समतामूलक भारत के निर्माण का संकल्प लेने का।

कब और कैसे मनाई जाती है बाबू जगजीवनराम जयंती 

बाबू जगजीवन राम जयंती प्रतिवर्ष 5 अप्रैल को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन उनकी सामाजिक न्याय और समानता के लिए किए गए असाधारण संघर्षों को याद करने का अवसर है। नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से हम जान सकते हैं कि बाबू जगजीवन राम जयंती कैसे मनाई जाती है:

  1. श्रद्धांजलि सभाएं: देशभर में विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों द्वारा बाबू जगजीवन राम के विचारों और आदर्शों पर विशेष सभाएं और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं, जहाँ उनके योगदान और संघर्षों को उजागर किया जाता है।
  2. पुष्पांजलि समारोह: नई दिल्ली स्थित उनकी समाधि ‘समता स्थल’ पर विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहाँ विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और गणमान्य व्यक्ति उन्हें सम्मानित कर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। उनकी प्रतिमाओं पर भी माल्यार्पण किया जाता है।
  3. सरकारी कार्यक्रम: कई राज्यों में सरकार के द्वारा बाबू जगजीवन राम के जीवन और कार्यों को समर्पित विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें उनके योगदान को याद किया जाता है और समाज के हर वर्ग के लिए उनके संघर्ष की अहमियत पर चर्चा होती है।
  4. शैक्षणिक संस्थान: विद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों को बाबू जगजीवन राम के जीवन और कार्यों के बारे में बताया जाता है, ताकि युवा पीढ़ी उनके आदर्शों से प्रेरणा ले सके और समाज में समानता और न्याय की दिशा में कार्य कर सके।
  5. जागरूकता अभियान: दलित और वंचित समुदायों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न अभियान चलाए जाते हैं। ये अभियान समाज में समानता और अधिकारों की लड़ाई को प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं।
  6. सामाजिक कार्य: कई संगठन गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जो बाबू जगजीवन राम के सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से प्रेरित होते हैं।
  7. चर्चाएं और व्याख्यान: सामाजिक न्याय, समानता और अधिकारों पर आधारित चर्चाएं और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं, जहाँ बाबू जगजीवन राम के विचारों और उनके संघर्षों को रेखांकित किया जाता है।

बाबू जगजीवनराम के नाम रहा लम्बे समय तक मंत्री रहने का रिकॉर्ड

बाबू जगजीवन राम ने भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय और ऐतिहासिक स्थान हासिल किया। उनके नाम कैबिनेट मंत्री के रूप में सबसे लंबे समय तक सेवा करने का रिकॉर्ड दर्ज है। बाबू जगजीवन राम ने लगातार 32 वर्षों तक विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व किया, जो उनकी असाधारण राजनीतिक क्षमता, समर्पण और दूरदर्शिता का प्रमाण है।

उनकी दीर्घकालिक सेवा केवल उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि उन्होंने विभिन्न प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व में देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाई। बाबू जगजीवन राम ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। उन्होंने संचार मंत्रालय (1952-1956) का नेतृत्व करते हुए देश के संचार ढांचे को मजबूत किया। इसके बाद, परिवहन और रेलवे मंत्रालय (1956-1962) का कार्यभार संभालते हुए उन्होंने भारत के परिवहन और रेल नेटवर्क के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उन्होंने 1962-1963 में परिवहन और संचार मंत्रालय का संयुक्त प्रभार भी संभाला, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा और प्रशासनिक क्षमता का पता चलता है। बाबू जगजीवन राम का राजनीतिक जीवन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपने चरम पर पहुँचा, जब वे भारत के रक्षा मंत्री बने। इस युद्ध में उनकी रणनीतिक भूमिका निर्णायक साबित हुई, और उनके नेतृत्व में भारत की जीत और बांग्लादेश के गठन में अहम योगदान रहा।

उनका 32 वर्षों तक मंत्री पद पर रहना न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम था, बल्कि यह दर्शाता है कि उनका नेतृत्व हर दौर में आवश्यक और प्रभावी था। बाबू जगजीवन राम का निधन 6 जुलाई 1986 को हुआ, लेकिन उनके द्वारा किए गए योगदान आज भी भारतीय राजनीति और समाज में एक प्रेरणा के रूप में जीवित हैं।

स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम 

बाबू जगजीवन राम एक निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में 1931 में शामिल होकर सक्रिय रूप से देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उन्होंने 1934-35 में “अखिल भारतीय शोषित वर्ग लीग” की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो दलितों और कमजोर वर्गों के अधिकारों की आवाज बनी।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे प्रमुख आंदोलनों में बाबू जगजीवन राम ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, और इसके परिणामस्वरूप उन्हें 1940 और 1942 में कारावास भी भोगना पड़ा। जेल में बिताए गए कठिन समय ने उनके संघर्ष की भावना को कम नहीं किया, और वे जीवन भर त्याग और बलिदान की भावना से देश के प्रति समर्पित रहे।

अपने इन कर्मों और संघर्षों के कारण, बाबू जगजीवन राम सामाजिक समानता और शोषित वर्गों के अधिकारों के महान प्रतीक के रूप में स्थापित हुए। उनके योगदान ने भारतीय राजनीति और समाज में उनके स्थान को सदैव अमर बना दिया।

आजादी के बाद बाबू जगजीवन राम का योगदान

  • प्रथम सरकार में श्रम मंत्री: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गठित पहली सरकार में बाबू जगजीवन राम को श्रम मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया, जो उनके योगदान की दिशा और महत्व को दर्शाता है।
  • पद से लगाव का कारण: बाबू जगजीवन राम ने बचपन और छात्र जीवन में खेत और मिल मजदूरों की कठिनाइयों को निकट से अनुभव किया था, जिसके कारण श्रम मंत्रालय का यह पद उनके लिए विशेष महत्व रखता था।
  • मजदूरों के लिए कानून: श्रम मंत्री के रूप में, उन्होंने मजदूरों के कल्याण के लिए कई प्रभावी कानूनों का निर्माण किया, जो आज भी हमारे देश की नीतियों का अभिन्न हिस्सा हैं। इन कानूनों ने मजदूरों के अधिकारों को संरक्षित किया और उन्हें सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
  • मंत्रालय का नेतृत्व: बाबू जगजीवन राम ने 1952 तक श्रम मंत्रालय का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, और इस दौरान उन्होंने देश में श्रमिकों के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए, जिनका प्रभाव आज भी देखा जाता है।

गांधीजी की नजर में ‘आग में तपा सोना’ थे बाबू जगजीवन राम

बाबू जगजीवन राम के स्वतंत्रता आंदोलन में किए गए अद्वितीय योगदान से महात्मा गांधी अत्यंत प्रभावित थे। उनके समर्पण, संघर्ष और देश के प्रति अडिग प्रतिबद्धता को देखकर गांधीजी ने उन्हें सम्मानपूर्वक ‘आग में तपा सोना’ की उपाधि से विभूषित किया। यह उपाधि उनके कड़ी मेहनत, संघर्ष और निस्वार्थ त्याग का प्रतीक थी, जो उन्होंने समाज के शोषित और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए किया।

इसी संघर्ष के दौरान, 1935 के भारत सरकार अधिनियम के तहत 1937 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने बिहार सहित आठ अन्य प्रांतों में शानदार जीत दर्ज की, जिसमें बाबू जगजीवन राम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनके नेतृत्व और योगदान ने पार्टी की सफलता में अहम योगदान दिया और उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी विशेष पहचान बनाई।

FAQs

बाबू जगजीवन राम कौन थे?

वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और प्रमुख राजनेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक न्याय, और समग्र विकास में अहम भूमिका निभाई।

बाबू जगजीवन राम जयंती क्यों मनाई जाती है?

यह जयंती भारत के स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक न्याय आंदोलन, और कृषि उन्नति में उनके योगदान के सम्मान में मनाई जाती है।

जगजीवन राम को कौन सा मंत्रालय मिला था?

बाबू जगजीवन राम ने कई मंत्रालयों का नेतृत्व किया, जिनमें श्रम मंत्री (1946-52 और 1966-67), संचार मंत्री (1952-56), रेलवे मंत्री (1956-62), परिवहन और संचार मंत्री (1962-63), खाद्य और कृषि मंत्री (1967-70), रक्षा मंत्री (1970-74 और 1977-79), और कृषि और सिंचाई मंत्री (1974-77) शामिल थे।

जगजीवन राम का उपनाम क्या है?

जगजीवन राम को सम्मानपूर्वक ‘बाबूजी’ के नाम से भी जाना जाता है।

भारत के प्रथम श्रम मंत्री कौन थे?

बाबू जगजीवन राम भारत के पहले श्रम मंत्री थे।

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