Karyapalika Kya Hai: जब भी हम सरकार के बारे में चर्चा करते हैं, तो अक्सर हमारे सामने तीन अंगों “विधायिका (Legislature), कार्यपालिका (Executive) और न्यायपालिका (Judiciary)” की तस्वीर आती है। इन तीनों का तालमेल ही एक सशक्त लोकतंत्र की बुनियाद होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से “कार्यपालिका” क्या है? यह कैसे काम करती है और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है? बता दें कि जो सरकारी संस्था समाज में कायदे कानून का निर्माण और लागू करती हो, वह कार्यपालिका कहलाती है। इस ब्लॉग कार्यपालिका क्या है? (Karyapalika Kya Hai in Hindi) में हम कार्यपालिका से सम्बंधित सभी पहलुओं की जानकारी के बारे मैं विस्तार से जानेंगे।
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कार्यपालिका क्या है?
सरकार का वह अंग या कोई एक संस्था, जो नीति बनाने और निर्णय लेने के काम करती हो और नियम बनाने के साथ-साथ उनके फायदे तय करती हो, उसे लागु कैसे और कहाँ करना है की ज़िम्मेदारी निभाती हो, समाज में कायदों और कानून का निर्माण करती हो वह कार्यपालिका कहलाती है। सरल शब्दों में कहें तो उन संस्थाओं और व्यक्तियों का समूह होता है जो देश की नीतियों को लागु करता है, प्रशासन के आदेशों को कियावन्ती करता है और जनता से जुडी सेवाओं को सही ढंग से चलता है। जिसमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्री परिषद, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सचिव और अन्य सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं।
कार्यपालिका के अंग
कार्यपालिका के तीन अंग हैं:
- विधायिका(legislature)
- कार्यपालिका (executive)
- न्यायपालिका (judiciary)
विधायिका
विधानमंडल अर्थात विधायिका, किसी राज्य की व्यवस्था को सँभालने वाले राजनीतिक संगठन को विधायिका कहते हैं। जो समाज में कानून बनाने, हटाने और बदलने तथा जन-नीतियां बनाने के लिए होती हैं।
कार्यपालिका
कार्यपालिका सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो समाज में नियम, कायदे, कानून लागु करने का काम करती है।
न्यायपालिका
न्यायपालिका लोकतंत्र का प्रहरी है। ये समाज में नागरिकों को न्याय दिलाना, विवाद खत्म करना और कानून की व्यख्या करना है। सरल शब्दों में कहें तो ये हमारे संविधान की रक्षा करता है।
कार्यपालिका के प्रकार (Types of Executive)
कार्यपालिका के दो प्रकार होते हैं:
सामूहिक नेतृत्व के सिद्धांत पर आधारित प्रणाली
यह प्रणाली सामूहिक निर्णय पर आधारित होती है, जिसमें कार्यपालिका का नेतृत्व एक समूह करता है, जैसे कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्री।
क. संसदीय प्रणाली
- सरकार के प्रमुख को प्रधानमंत्री कहते हैं।
- यह उस दल का नेता होता है, जिसे विधानसभा में बहुमत प्राप्त होता है।
- यह कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी (जवाबदेह) होती है।
- अगर संसद में विश्वास मत खो दिया तो सरकार को इस्तीफा देना होता है।
- इस प्रणाली में राजा या राष्ट्रपति का पद होता है, परंतु उनका कार्य औपचारिक होता है।
- दो प्रकार की व्यवस्थाएँ मिलती हैं:
– संवैधानिक राजतंत्र (Constitutional Monarchy)
– संसदीय गणतंत्र (Parliamentary Republic)
एक व्यक्ति के नेतृत्व के सिद्धांत पर आधारित प्रणाली
यह प्रणाली उस व्यवस्था को दर्शाती है जहाँ कार्यपालिका की पूरी शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में होती है।
क. अर्ध-अध्यक्षात्मक प्रणाली
- राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है।
- प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।
- राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों की भूमिका होती है।
- प्रधानमंत्री और उनके मंत्रीगण विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- भारत और फ्रांस जैसे देशों में कुछ हद तक इस प्रणाली के लक्षण देखे जाते हैं।
ख. अध्यक्षात्मक प्रणाली
- इस प्रणाली में राष्ट्रपति देश का प्रमुख और सरकार का भी प्रमुख होता है।
- वह शक्तिशाली होता है और उसके पास कार्यपालिका की सारी शक्ति होती है।
- राष्ट्रपति प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुना जाता है।
- कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती, यानी उसे संसद में विश्वास मत नहीं लेना पड़ता।
- अमेरिका इस प्रणाली का प्रमुख उदाहरण है।
कार्यपालिका के कार्य
कार्यपालिका के कार्य कुछ इस प्रकार है:
- नीति निर्माण: राजनीतिक कार्यपालिका देश की आंतरिक और बाहरी नीतियों का निर्धारण करती है।
- कानूनी नियम को अमल में लाना: विधायिका द्वारा पारित कानूनों को लागू करना कार्यपालिका की जिम्मेदारी होती है।
- प्रशासनिक संचालन: देश के सभी सरकारी विभाग, सेवाएं, योजनाएं और कार्यक्रम कार्यपालिका द्वारा संचालित किए जाते हैं।
- सुरक्षा व्यवस्था: पुलिस, सैन्य और खुफिया एजेंसियां कार्यपालिका के अधीन होती हैं जो आंतरिक और बाह्य सुरक्षा बनाए रखती हैं।
- जनसेवा और कल्याण: स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कृषि, ग्रामीण विकास जैसी योजनाओं का कार्यान्वयन कार्यपालिका करती है।
कार्यपालिका की शक्तियां
कार्यपालिका की शक्तियां कुछ इस प्रकार है:
- विदेश नीति: अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संचालित करना।
- नियंत्रण शक्ति: कानूनों का पालन कराना और प्रशासन को निर्देशित करना।
- नियुक्त नीति: प्रमुख पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति करना (राष्ट्रपति/राज्यपाल के स्तर पर)।
- प्रशासनिक शक्ति: सरकारी योजनाओं, नियमों, योजनाओं को लागू करना।
- वित्तीय शक्ति: बजट बनाना और संसाधनों का उपयोग करना।
भारतीय संसद और कार्यपालिका
भारतीय संसद और कार्यपालिका में,संसद कानून बनाती है और कार्यपालिका उसे लागू करती है। कार्यपालिका संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। जैसे संसद में प्रश्न पूछे जा सकते हैं, अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। प्रधानमंत्री और मंत्रीगण संसद के सदस्य होते हैं इसलिए संसद और कार्यपालिका के बीच गहरा संबंध होता है।
कार्यपालिका के दो प्रकार हैं:
- राजनीतिक कार्यपालिका
- स्थायी कार्यपालिका
राजनीतिक कार्यपालिका (Political Executive)
राजनीतिक कार्यपालिका वे जन-प्रतिनिधि होते हैं जिन्हें चुनाव द्वारा चुना जाता है। जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्रीगण आदि। ये नीतियां बनाते हैं और निर्णय लेते हैं।
राजनीतिक कार्यपालिका सत्ता के केंद्र में होती है। इन्हें जनता द्वारा लोकतांत्रिक चुनावों के माध्यम से चुना जाता है। ये नीतिगत निर्णय लेते हैं और प्रशासनिक तंत्र को दिशा देते हैं। भारत में प्रधानमंत्री इसका सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है।
राजनीतिक कार्यपालिका की मुख्य विशेषताएं
राजनीतिक कार्यपालिका की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –
– जनता द्वारा निर्वाचित
– निर्णय लेने की शक्ति
– उत्तरदायित्व संसद के प्रति
– मंत्रिमंडल का नेतृत्व
स्थायी कार्यपालिका (Permanent Executive)
ये प्रशासनिक अधिकारी होते हैं जिन्हें UPSC जैसे आयोगों के माध्यम से नियुक्त किया जाता है। जैसे IAS, IPS, IRS अधिकारी। ये सरकार बदलने पर भी अपने पद पर बने रहते हैं।
स्थायी कार्यपालिका प्रशासन की रीढ़ होती है। ये सरकार द्वारा बनाए गए नियमों और नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करते हैं। यह तटस्थ होते हैं और किसी भी राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित नहीं होते।
स्थायी कार्यपालिका की मुख्य विशेषताएं
स्थायी कार्यपालिका की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –
– गैर-राजनीतिक
– नियुक्ति आधारित (जैसे UPSC)
– दीर्घकालिक सेवा
– प्रशासनिक अनुभव
राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका में अंतर
राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका में अंतर कुछ इस प्रकार है:
अस्थायी कार्यपालिका/राजनीतिक कार्यपालिका | स्थायी कार्यपालिका |
पांच वर्षों तक चुनी जाती है। | तब तक काम करती है, जब तक रिटायर नहीं ही जाती। |
कभी भी हटाई जा सकती है। | आपने कार्यों में दक्ष और निपूर्ण होते हैं। |
अपने कार्यों में निपूर्ण नहीं होते | दक्ष और निपूर्ण होने के कारन राजनीतिक कार्यों में मदद करते हैं। |
FAQs
सरकार का वह अंग जो देश में कानून लागु करता है।
कानून और नीति को परिभाषित करना, बजट तैयार करना, युद्ध की रक्षा के लिए रणनीति तैयार करना या बाहरी आक्रमण के खिलाफ शांति स्थापित करना।
कार्यपालिका के दो अंग हैं।
कार्यपालिका का अर्थ कार्य करने वाला या लागु करने वाला है।
जिस देश में राष्ट्रपति है वहाँ अध्यक्षात्मक कार्यपालिका और जिस देश में प्रधानमंत्री है वहाँ संसदीय कार्यपालिका है।
भारत की कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, और मंत्रिपरिषद शामिल हैं।
विधायिका कानून बनाती है जबकि कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है।
राजनीतिक कार्यपालिका चुने हुए नेता होते हैं, जबकि स्थायी कार्यपालिका प्रशासनिक अधिकारी होते हैं।
केंद्र में प्रधानमंत्री और राज्यों में मुख्यमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं।
संसद में प्रश्नकाल, शून्यकाल, और अविश्वास प्रस्ताव जैसे साधनों से कार्यपालिका की जवाबदेही तय की जाती है।
हां, कार्यपालिका को संविधान और न्यायपालिका दोनों के अधीन काम करना होता है।
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